जीवों को खाद्य की आवश्यकता क्यों होती है 2 परजीवी एवं मृतजीवी में अंतर स्पष्ट कीजिए? - jeevon ko khaady kee aavashyakata kyon hotee hai 2 parajeevee evan mrtajeevee mein antar spasht keejie?

विषयसूची

  • 1 1 जीवों को खाद्य की आवश्यकता क्यों होती है 2 परजीवी एवं मृतजीवी में अंतर स्पष्ट कीजिए?
  • 2 स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अंतर है?
  • 3 जीवों को खाद्य की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
  • 4 स्वयंपोषी तथा विषमपोषी में क्या अन्तर है प्रत्येक का एक उदाहरण भी दीजिए?
  • 5 जय प्रक्रम क्या है?
  • 6 स्वपोषी पोषण क्या है उदाहरण देकर संक्षेप में समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंचूँकि सजीव पोषक तत्व भोजन से प्राप्त करते हैं अत: सजीवों को खाद्य की अवश्यकता होती है। पराऐ जीवो पर रह कर अपने जीवन को बिताने वाले जीव परजीवी जीव कहलाती है। मृतजीवी जीव वह होते हैं जो अपना जीवन बिताने के लिए मरे हुए जीवो को काम में लेते हैं उन्हें मृत जीव कहते हैं।

स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकें(1) स्वपोषी-जो पौधे या जीव अपना भोजन स्वयं बनाते हैं स्वपोषी कहलाते हैं। उदाहरण- हरे पौधे। (2) विषमपोषी-वे जीव जो अपने भोजन के लिये पूर्ण वा आशिक रूप से किसी दूसरे जीव पर आश्रित रहते हैं ।

1 पौधों को स्वपोषी क्यों कहा जाता है?`?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: स्वपोषी वे सजीव हैं जो साधारण अकार्बनिक अणुओं से जटिल कार्बनिक यौगिको का निर्माण कर सकते हैं। इस कार्य के लिए आवश्यक उर्जा के लिए वे प्रकाश या रासायनिक उर्जा का उपयोग करते हैं। हरे पेड़-पौधें प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण के द्वारा अपना भोजन स्वंय बनाते हैं तथा स्वपोषी कहलाते हैं।

जीवों को खाद्य की आवश्यकता क्यों पड़ती है?

इसे सुनेंरोकें- सभी जीवों को खाद्य की आवश्यकता होती है, जिसका उपयोग वे अपनी वृद्धि एवं ___ शरीर के रख-रखाव के लिए तथा आवश्यक ऊर्जा प्राप्ति के लिए करते हैं। – हरे पादप प्रकाश संश्लेषण प्रक्रम द्वारा अपना खाद्य स्वयं संश्लेषित करते हैं।

स्वयंपोषी तथा विषमपोषी में क्या अन्तर है प्रत्येक का एक उदाहरण भी दीजिए?

इसे सुनेंरोकेंउदाहरण- सभी हरे पौधे, युग्लीना। वे जीव जो कार्बनिक पदार्थ और ऊर्जा को अपने भोज्य पदार्थ के रूप में अन्य जीवित या मृत पौधों या जंतुओं से ग्रहण करते हैं, विषमपोषी जीव कहलाते हैं। उदाहरण- युग्लीना को छोड़कर सभी जंतु। अमरबेल, जीवाणु, कवक आदि।

स्वपोषी और विषमपोषी जीव क्या है?

इसे सुनेंरोकेंस्वपोषी – जिसमें जीव अपने भोज्य पदार्थों का निर्माण स्वयं करते हैं। जैसे-सभी हरे पेड़-पौधे प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया के द्वारा अपने भोजन का निर्माण खुद करते हैं। विषमपोषी – जिसमें जीव अपने भोज्य पदार्थों का संश्लेषण स्वयं नहीं करते बल्कि ये इन्हें जीवित या मृत पौधों तथा जंतुओं के शरीर से प्राप्त करते हैं।

जय प्रक्रम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंजैव प्रक्रम क्या है। किसी भी सजीव में जीवन को जारी रखने के लिये जिन प्रक्रियाओं की अहम जरूरत होती है उन्हें जैव प्रक्रम या लाइफ प्रॉसेस कहते हैं। पोषण, श्वसन, पदार्थों के परिवहन और उत्सर्जन को जैव प्रक्रम की श्रेणी में रखा गया है।

स्वपोषी पोषण क्या है उदाहरण देकर संक्षेप में समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंस्वपोषी (Autotrophic) पोषण प्रणाली क्या है? इस प्रकार के पोषण में, जीव सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में सरल कार्बनिक पदार्थों जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और पानी की मदद से अपना भोजन बनाते हैं. हरे पौधों में स्वपोषी (Autotrophic) पोषण प्रणाली होती है और ऐसे जीवों को ऑटोट्रॉफ़्स (Autotrophs) के रूप में जाना जाता है.

1 जीवों को खाद्य की आवश्यकता क्यों होती है 2 परजीवी एवं मृतजीवी में अंतर स्पष्ट कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंचूँकि सजीव पोषक तत्व भोजन से प्राप्त करते हैं अत: सजीवों को खाद्य की अवश्यकता होती है। पराऐ जीवो पर रह कर अपने जीवन को बिताने वाले जीव परजीवी जीव कहलाती है। मृतजीवी जीव वह होते हैं जो अपना जीवन बिताने के लिए मरे हुए जीवो को काम में लेते हैं उन्हें मृत जीव कहते हैं।

जीवो को खाद की आवश्यकता क्यों होती है?

सभी जीवों को खाद्य की आवश्यकता होती है, जिसका उपयोग वे अपनी वृद्धि एवं शरीर के रख-रखाव के लिए तथा आवश्यक ऊर्जा प्राप्ति के लिए करते हैं। हरे पादप प्रकाश संश्लेषण प्रक्रम द्वारा अपना खाद्य स्वयं संश्लेषित करते हैं ।

मृतोपजीवी तथा परजीवी से आप क्या समझते हैं?

Solution : परजीवी-ऐसे जीव जो अपना भोजन अन्य जीवों से प्राप्त करते हैं, परजीवी कहलाते हैं। <br> उदाहरण अमरबेल, ज, जोंक आदि। <br> मृतोपजीवी-ऐसे जीव जो सड़े-गले पदार्थों से अपना भोजन प्राप्त करते हैं, मृतोपजीवी कहलाते हैं

जीवी और परजीवी में क्या अंतर है?

जी परजीवी जीवित जीव पर निर्भर रहता है जबकि मृतजीवी मरे हुए जीव पर । ये जीव दूसरे सजीवों पर खाद्य के लिए निर्भर होते हैं। ये पोषण के लिए कुछ विशेष अंग विकसित करते हैं।