अंतर्राष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस पर विशेष: राजस्थान में 8 साल बाद भी धरातल पर नहीं उतरे अधिनियम के प्रावधान पृथ्वी सिंह राजावत क्षेत्रफल की दृटि से देश के सबसे बड़े प्रदेश राजस्थान की समृद्ध जैव-विविधता के संरक्षण, विवेकपूर्ण उपयोग तथा स्थानीय निवासियों को इससे उचित लाभ दिलाने वाला महत्वपूर्ण अधिनियम महज एक दिखावा साबित होकर रह गया हैं। देश में जैव-विविधता अधिनियम 2002 लागू होने के 8 साल बाद राजस्थान सरकार ने 2010 में राज्य जैव-विविधता बोर्ड का गठन तो कर दिया लेकिन फिर 8 साल गुजर जाने के बाद भी अधिनियम के प्रावधान धरातल पर नहीं उतर पाए हैं। बोर्ड में न सदस्यों की नियुक्तियां की गई और न ही जिला व स्थानीय निकाय या पंचायत स्तर पर किसी प्रकार की समितियों का गठन हो पाया जिससे राज्य में यह एक नाम का बोर्ड बनकर रह गया है। प्राकृतिक संसाधनों पर लगातार बढ़ते मानवीय दबाव व विभिन्न कारणों के कारण पूरेे विश्व में तेजी से लुप्त होती प्रजातियों तथा जलवायु परिवर्तन के खतरों को देखते हुए 1992-93 के विश्व पृथ्वी सम्मेलन में हुई अन्तर्राष्ट्रीय सन्धि के तहत देश में अस्तित्व में आए जैव विविधता अधिनियम पर राजस्थान में अब तक बोर्ड बनाने के अलावा कोई उल्लेखनीय काम नहीं हुआ। जानकारों के अनुसार इसके पिछे राज्य सरकारों की पर्यावरण विरोधी नितियां व जिम्मेदार अधिकारियों की पर्यावरण संरक्षण के प्रति नकारात्मक कार्य शेली प्रमुख कारण रही हैं। जैव विविधता अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होने से राज्य में दिनों-दिन वनस्पति तथा जीवों की कई प्रजातियों का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है तथा कई लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई हैं। अनूठी एवं समृद्ध है राजस्थान की जैव-विविधता 8 साल 8 माह 8 दिन का हुआ बोर्ड, काम शून्य अधिनियम के तहत ये होने थे काम राजस्थान राज्य जैव विविधता बोड, जयपुर के सेवानिवृत सदस्य सचिव राजीव कुमार त्यागी का कहना है कि राजस्थान राज्य जैव विविधता बोर्ड की नोडल ऐजेन्सी पर्यावरण विभाग को बनाया गया हैं जिसका जिला स्तर पर कोई प्रभावी प्रशासनिक ढांचा व मानवीय संसाधन नहीं हैं जबकि वन विभाग को इसका नियंत्रण दिया जाना चाहिए। साथ ही बोर्ड की बैठके नहीं हुई तथा सदस्यों की नियुक्तियां भी नहीं होने से हम अपेक्षित लक्ष्य हासिल करने से अभी काफी पिछड़ गए हैं। We are a voice to you; you have been a support to us. Together we build journalism that is independent, credible and fearless. You can further help us by making a donation. This will mean a lot for our ability to bring you news, perspectives and analysis from the ground so that we can make change together. जैव विविधता की शुरुआत कब हुई?संयुक्त राष्ट्र द्वारा शुरू किया गया जैव-विविधता दिवस सन् 2000 तक 29 दिसंबर को मना। उसके बाद वर्ष 2001 से यह साल 22 मई को मनाया जाता है। इस साल के अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस की थीम है- Building a shared future for all life अर्थात् सभी जीवों के साझे भविष्य का निर्माण करें।
भारत में जैव विविधता कब लागू हुई?जैव विविधता अधिनियम 2002 को जैव विविधता के संरक्षण, इसके सतत उपयोग का प्रबंधन करने और स्थानीय समुदायों के साथ जैविक संसाधनों के उपयोग से उत्पन्न होने वाले उचित और न्यायसंगत साझाकरण लाभों को सक्षम करने के लिए अधिनियमित किया गया था।
जैव विविधता का जनक कौन है?ई. ओ. विल्सन को जैवविविधता का जनक कहा जाता है।
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