जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक परिचय क्या है? - jayashankar prasaad ka saahityik parichay kya hai?

नमस्कार दोस्तों, आज की इस पोस्ट में हम आपको हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि जयशंकर प्रसाद जी का जीवन परिचय बताएंगे तो आपको इस पोस्ट को पूरा पढ़ान है।


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जीवन परिचय


:- जयशंकर प्रसाद -:


संक्षिप्त परिचय



      नाम

जयशंकर प्रसाद

      जन्म

1890 ई०

    जन्म स्थान

काशी

    पिता का नाम

देवी प्रसाद

      शिक्षा

अंग्रेजी, फारसी, उर्दू, हिंदी व संस्कृत का स्वाध्याय

        रुचि

साहित्य के प्रति, काव्य रचना, नाटक लेखन

    लेखन-विधा

काव्य, कहानी, उपन्यास, नाटक, निबंध

        मृत्यु

15 नवंबर, 1937

साहित्य में पहचान

छायावादी काव्य धारा के प्रवर्तक

          भाषा

भावपूर्ण एवं विचारात्मक

          शैली

विचारात्मक, अनुसंधानात्मक, इतिवृत्तात्मक, भावात्मक एवं चित्रात्मक।

  साहित्य में स्थान

प्रसाद जी को हिंदी साहित्य में नाटक को नई दिशा देने के कारण 'प्रसाद युग' का निर्माणकर्ता तथा छायावाद का प्रवर्तक कहा गया है।




जीवन परिचय:- जयशंकर प्रसाद बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार थे। उनका जन्म 1890 ईसवी में काशी के 'सुंघनी साहू' नामक प्रसिद्ध वैश्य परिवार में हुआ था। उनके यहां तंबाकू का व्यापार होता था। उनके पिता देवी प्रसाद और पितामह शिवरत्न साहू थे। इनके पितामह परम शिवभक्त और दयालु थे। उनके पिता भी अत्यधिक उदार और साहित्य प्रेमी थे। प्रसाद जी का बचपन सुखमय था। बाल्यकाल में ही उन्होंने अपनी माता के साथ धारा क्षेत्र, ओंकारेश्वर, पुष्कर, उज्जैन और ब्रज आदि तीर्थों की यात्राएं की। यात्रा से लौटने के बाद पहले उनके पिता का और फिर 4 वर्ष पश्चात उनकी माता का निधन हो गया। 


प्रसाद जी की शिक्षा दीक्षा और पालन-पोषण का प्रबंध उनके बड़े भाई संभू रत्न ने किया और क्वींस कॉलेज में उनका नाम लिखवाया, किंतु उनका मन वहां न लगा। उन्होंने अंग्रेजी और संस्कृत का अध्ययन स्वाध्याय से घर पर ही प्राप्त किया। उनमें बचपन से ही साहित्यानुराग था। वे साहित्यिक पुस्तकें पढ़ते और काव्य रचना करते रहे। पहले तो उनके भाई उनकी काव्य रचना में बाधा डालते रहे, परंतु जब उन्होंने देखा कि प्रसाद जी का मन काव्य रचना में अधिक लगता है, तब उन्होंने इसकी पूरी स्वतंत्रता उन्हें दे दी।


प्रसाद जी स्वतंत्र रूप से काव्य रचना के मार्ग पर बढ़ने लगे। इसी बीच उनके बड़े भाई शंभूरत्न जी का निधन हो जाने से घर की स्थिति खराब हो गई। व्यापार भी नष्ट हो गया। पैतृक संपत्ति बेचने से कर्ज से मुक्ति तो मिली, पर वे क्षय रोग का शिकार होकर मात्र 47 वर्ष की आयु में 15 नवंबर, 1937 को इस संसार से विदा हो गए।


रचनाएं:- जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य के स्वनाम धन्य रत्न हैं। उन्होंने काव्य, कहानी, उपन्यास, नाटक आदि सभी विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई है।


'कामायनी' जैसे विश्वस्तरीय महाकाव्य की रचना करके प्रसाद जी ने हिंदी साहित्य को अमर कर दिया। कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में भी उन्होंने कई अद्वितीय रचनाओं का सृजन किया। नाटक के क्षेत्र में उनके अभिनव योगदान के फल स्वरुप नाटक विधा में 'प्रसाद युग' का सूत्रपात हुआ। विषय वस्तु एवं शिल्प की दृष्टि से उन्होंने नाटकों को नवीन दिशा दी। भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीय भावना, भारत के अतीत कालीन गौरव आदि पर आधारित 'चंद्रगुप्त', 'स्कंद गुप्त', 'ध्रुवस्वामिनी' जैसे प्रसाद रचित नाटक विश्व स्तर के साहित्य में अपना बेजोड़ स्थान रखते हैं। काव्य के क्षेत्र में वे छायावादी काव्य धारा के प्रवर्तक कवि थे। उनकी प्रमुख कृतियां निम्नलिखित हैं-


काव्य- आंसू, कामायनी, चित्राधार, लहर और झरना।


कहानी- आंधी, इंद्रजाल, छाया, प्रतिध्वनि आदि।


उपन्यास- तितली, कंकाल और इरावती।


नाटक- सज्जन, कल्याणी-परिणय, चंद्रगुप्त, स्कंद गुप्त, अजातशत्रु, प्रायश्चित, जन्मेजय का नाग यज्ञ, विशाखा और ध्रुवस्वामिनी आदि।


निबंध- काव्य कला एवं अन्य निबंध।


भाषा शैली- प्रसाद जी की भाषा में संस्कृत के तत्सम शब्दों की बहुलता है। भावमयता उनकी भाषा की प्रमुख विशेषता है। इनकी भाषा में मुहावरों, लोकोक्तियों तथा विदेशी शब्दों का प्रयोग ना के बराबर हुआ है। प्रसाद जी ने विचारात्मक, चित्रात्मक, भावात्मक, अनुसंधानात्मक तथा इतिवृत्तात्मक शैली का प्रयोग किया है।


हिंदी साहित्य में स्थान- युग प्रवर्तक साहित्यकार जयशंकर प्रसाद ने गद्य और काव्य दोनों ही विधाओं में रचना करके हिंदी साहित्य को अत्यंत समृद्ध किया है। 'कामायनी' महाकाव्य उनकी कालजयी कृति है, जो आधुनिक काल की सर्वश्रेष्ठ रचना कही जा सकती है।


अपनी अनुभूति और गहन चिंतन को उन्होंने साहित्य की विभिन्न विधाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया है। हिंदी साहित्य में जयशंकर प्रसाद का स्थान

जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक परिचय कैसे लिखें?

महान लेखक और कवि जयशंकर प्रसाद का जन्म – सन् 1889 ई. में हुआ तथा मृत्यु – सन् 1937 ई में हुई। बहुमुखी प्रतिभा के धनी जयशंकर प्रसाद का जन्म वाराणसी के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था| बचपन में ही पिता के निधन से पारिवारिक उत्तरदायित्व का बोझ इनके कधों पर आ गया।

जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक योगदान क्या है?

जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक परिचय (Jai Shankar Prasad Ka Sahityik Parichay Dijiye): जयशंकर प्रसाद छायावाद के प्रवर्त्तक, उन्नायक तथा प्रतिनिधि कवी होने के साथ - साथ युग प्रवर्त्तक नाटककार, कथाकार और उपन्यासकार भी थे. जयशंकर प्रसाद जी को इनकी विशिष्ट रचना 'कामायनी' पर 'मंगलाप्रसाद पारितोषिक' भी मिल चूका है.

जयशंकर प्रसाद ने कौन सा महाकाव्य लिखा?

कामायनी हिंदी भाषा का एक महाकाव्य है। इसके रचयिता जयशंकर प्रसाद हैं। यह आधुनिक छायावादी युग का सर्वोत्तम और प्रतिनिधि हिंदी महाकाव्य है। 'प्रसाद' जी की यह अंतिम काव्य रचना 1936 ई.

जयशंकर प्रसाद की काव्यगत विशेषता क्या है?

प्रसाद जी की रचनाओं में जीवन का विशाल क्षेत्र समाहित हुआ है। प्रेम, सौन्दर्य, देश-प्रेम, रहस्यानुभूति, दर्शन, प्रकृति चित्रण और धर्म आदि विविध विषयों को अभिनव और आकर्षक भंगिमा के साथ आपने काव्यप्रेमियों के सम्मुख प्रस्तुत किया है। ये सभी विषय कवि की शैली और भाषा की असाधारणता के कारण अछूते रूप में सामने आये हैं।