ज्यादा सोचने वाले लोग कैसे होते हैं - jyaada sochane vaale log kaise hote hain

एक ही बात बार-बार सोचना भी है बीमारी! जानिए ओवरथिंकिंग कैसे दिमाग पर डालती है असर

ज्यादा सोचने वाले लोग कैसे होते हैं - jyaada sochane vaale log kaise hote hain

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ओवरथिंकिंग दिमाग पर डालती है असर,Image-canva

एक ही बात को बार-बार सोचने की आदत है तो यह ओवरथिंकिंग की बीमारी है जिसका असर मानसिक और शारीरिक हेल्थ पर बहुत अधिक होता है. इस स्थिति से कैसे निकलें जानिए आज के इस लेख में.

  • News18Hindi
  • Last Updated : June 30, 2022, 12:23 IST

Negative Effects Of Overthinking-कई बार दिमाग में बार-बार एक ही बात आती रहती है और उसे ही सोच कर हम खुद को परेशान करते रहते है. इसे ओवरथिंकिंग कहा जाता है. अक्सर इस केस में किसी छोटी सी बात को हम मन ही मन काफी ज्यादा बढ़ा लेते हैं. आस पास में भी अगर कुछ होता है तो उससे भी आपको ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है. बार-बार सोचना और चिंता करना एक बीमारी हो सकती है. इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए. ऐसा करने से मानसिक सेहत काफी प्रभावित हो सकती है और साथ में शारीरिक सेहत से जुड़े लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं. अगर यह ख्याल आना अभी अभी शुरू हो रहे हैं तो इनको शुरू से ही ट्रीट करना शुरू रहता है नहीं तो यह दिमाग पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं. इससे पहले यह आपकी जिंदगी में दखलंदाजी करना शुरू करें, जल्द से जल्द इसका समाधान निकालना जरूरी होता है. आइए जानते हैं कैसे यह बीमारी जीवन को प्रभावित करती है.

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ओवरथिंकिंग का प्रभाव
हेल्थ शॉट्स के मुताबिक कोई भी निर्णय बना पाने में काफी कठिनाई महसूस होती है.
-जज्बाती रूप से काफी खाली-खाली महसूस होता है.
-हर समय नींद आती रहती है और किसी काम में मन नहीं लगता है.
-काफी चिड़चिड़ा और कठोर व्यवहार कर सकते हैं जिससे दूसरों के साथ रिश्ते भी प्रभावित हो सकते हैं.
-अलग दृष्टिकोण से चीजें समझ पाने में कठिनाई महसूस होती है.
-काफी ज्यादा स्ट्रेस देखने को मिलता है.
-बार-बार एक जैसे विचार रात में सोने में परेशानी खड़ी कर सकते हैं.
-किसी भी एक चीज पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो सकता है.
-इससे एंजाइटी, डिप्रेशन और यहां तक की खुद के बारे में ही बुरा सोचने तक की नौबत आ सकती है.
-इससे रोजाना का रूटीन काफी प्रभावित होता है. आप अपने अंदर की प्रोडक्टिविटी भी कम ही महसूस करेंगे.

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-इससे दूसरों के साथ अच्छे रिश्ते भी खराब होने लग जाते हैं.
-इससे भूख और नींद सबसे ज्यादा प्रभावित होती है और इस कारण शारीरिक सेहत पर भी काफी असर देखने को मिल सकता है.
-इससे दिमाग की सेल्स काफी एग्जास्ट हो सकती हैं.
-इससे खुद का आत्म विश्वास कम होता जाता है और अपने ऊपर संदेह होने लगता है कि हमसे कुछ हो पाएगा.

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Tags: Health, Lifestyle

FIRST PUBLISHED : June 30, 2022, 12:23 IST

ठीक दिशा में सोचना अच्छा होता है लेकिन किसी विषय पर बहुत ज्यादा सोचकर नकारात्मक भाव की ओर बढ़ना आपमें तनाव बढ़ाता है। दूसरा आपने खुद भी महसूस किया होगा कि जब किसी समस्या पर ज्यादा सोचते हैं तो अपना ही नुकसान कर रहे होते हैं।

हाय मेरे दोस्तों ने मुझे ऐसा कैसे बोल दिया। मुझे उन्हें तुरंत बढ़िया जवाब देना चाहिए था। मुझे उन्हें अक्ल सिखानी चाहिए थी, ताकि वो दोबारा ऐसा न बोलें….जब हम किसी व्यक्ति से या किसी समस्या से परेशान होते हैं तो कुछ ऐसे ही विचार हमारे मन में बार-बार घूमते हैं। ये समस्याएं किसी भी मुद्दे पर हो सकती हैं। मसलन आपके करिअर, परिवार या समाज किसी भी मुद्दे पर आपको परेशानी हो सकती है। अक्सर मनुष्य जब किसी ऊहापोह में होता है या कोई ऐसी बात जो भीतर से कचोट रही है तो वह उसके बारे में बहुत ज्यादा सोचता है और तब तक सोचता है जब उसे उसका हल न मिल जाए या उसके मन की बात जिस तक पहुंचानी है उस तक न पहुंचाई जाए।

ठीक दिशा में सोचना अच्छा होता है लेकिन किसी विषय पर बहुत ज्यादा सोचकर नकारात्मक भाव की ओर बढ़ना आपमें तनाव बढ़ाता है। दूसरा आपने खुद भी महसूस किया होगा कि जब किसी समस्या पर ज्यादा सोचते हैं तो अपना ही नुकसान कर रहे होते हैं। उस वक्त जिस समय आप किसी मुद्दे पर सोच रहे होते हैं तब आप किसी और काम में मन नहीं लगा पाते। जिस वजह से आपके बाकी सारे काम बिगड़ने लगते हैं। तो ज्यादा सोचने की वजह से हमारे और आपके काम और ज्यादा न बिगड़ें इससे पहले हमें अपनी इस आदत पर लगाम लगाना होगा।

खुद को खुश रखने की कोशिश करें
हमें मालूम है कि हम परेशान हैं लेकिन परेशानी को बार-बार सोचकर अपना अच्छा समय क्यों बर्बाद किया जाए। इसलिए जब किसी बात पर बहुत ज्यादा परेशान हैं और उसके बारे में बहुत ज्यादा सोच रहे हैं तो थोड़ा समय निकालकर खुद को तैयार करिए, थोड़ा नाचिए, थोड़ा टहलने के लिए बाहर निकल जाइए और अगर कुछ न मिले तो कोई कॉमेडी धारावाहिक देख लीजिए। इतना अगर आप करेंगे तो उस पल के लिए आप अपनी समस्या भूल जाएंगे और आगे क्या करना है इसके बारे में सोचेंगे।

बीती बातों को न सोचें
ऐसी बातें जो आपको दुख दे रही हैं। आपके व्यक्तित्व को नुकसान पहुंचा रही हैं। तो ऐसी बातों को बीती बातें सोचकर पीछे छोड़ देना चाहिए। क्योंकि जो बीत गई सो बात गई। बीती बातें आपमें तनाव बढ़ाती हैं और साथ ही आपके काम करने की क्षमता पर भी असर डालती हैं।

अपना सर्वश्रेष्ठ स्वीकार करें
आप इस बात के डर में न रहें कि आपसे क्या बेहतर तरीके से नहीं आता। बल्कि ये सोचें कि आपको सबसे अच्छे से क्या आता है। जब आप ये सोचने लगते हैं कि आप बहुत सुंदर नहीं हैं, बहुत मेहनती हैं, बहुत समर्पित नहीं हैं तो आपका डर और बढ़ने लगता है। इसलिए बेहतर कि अपने डर या कमजोरियों पर सोचने के बजाए अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता पर विचार करना चाहिए। इससे आपमें आत्मविश्वास बढ़ेगा।

आज में जिएं
जीवन जीने का सबसे बेहतर तरीका है कि आज में जिया जाए। जो आज है। इस पल है उसको जीएं। अभी जो जीवन मिला है। उसको खुशहाल बनाने की सोचें। जीवन में परेशानियां आती और जाती रहती हैं। धीरे-धीरे सब खत्म हो जाती हैं। कुछ भी अंतिम नहीं होता है। इसलिए परेशानियों के बारे में बहुत ज्यादा न सोचें। खुद को सुंदर बनाएं और आज में जी कर सभी को खुशहाली दें।

विस्तृत दृष्टिकोण में सोचें
जब आपको कोई समस्या परेशान कर रही हो तब आप खुद से बात करें और प्रश्न पूछें कि जिस समस्या को लेकर आप इतने परेशान हैं क्या वो अगले पांच सालों में आपके लिए कोई मायने रख्गी या अगले पांच हफ्ते तक। अगर आपको इसका जवाब मिल जाएगा तो आप खुद ही उस समस्या के बारे में सोचना बंद कर देंगे।

सब कुछ आपके नियंत्रण में नहीं
सब कुछ नियंत्रित करना छोड़ दें। सब कुछ आपके बस में नहीं हो सकता। आप जिसमें बेहतर हैं उस पर ध्यान दें। बाकी सब कुछ खुद-ब-खुद अच्छा होता चला जाएगा।

नकारात्मक विचारों को कहें न
अक्सर जब दिनभर के काम के बाद सोने का समय आता है तब नकारात्मक विचार मन में गूंजने लगते हैं। अगर ऐसे विचार मन में बार-बार आ रहे हैं तो उन्हें न कहें। खुद से दृढ़निश्चय करें कि इस बस इस विषय के बारे में अब नहीं सोचना है।

खुद को व्यस्त रखें
जब आपको लगे कि आपकी ज्यादा सोचने की आदत आपके लिए परेशानी का सबब बन रही है तो खुद को ज्यादा से ज्यादा व्यस्त रखें। इससे आपकी रचनात्मकता में तो बढ़ोतरी होगी ही साथ ही आपको खुशी भी मिलेगी।

ज्यादा सोचने की बीमारी को क्या कहते हैं?

बहुत ज्यादा किसी बारे में सोचने से मन की पॉजिटिव एनर्जी खत्म हो जाती है. उसकी जगह नेगेटिव एनर्जी ले लेती है. यह धीरे-धीरे मानसिक रूप से व्यक्ति को बीमार कर देता है. इस कारण वह डिप्रेशन का शिकार (Depression Problem) हो जाता है.

ज्यादा सोचना बंद कैसे करें?

कोई सर्किट जिम ज्वाइन कर लें: जब घंटी बजने की आवाज सुनकर आपको हर मिनट नयी मशीन का प्रयोग करना पड़ेगा तो आपको ज्यादा सोचने का मौका ही नहीं मिलेगा |.
हाईकिंग करें: प्रकृति के पास रहना, और प्रकृति की सुन्दरता और शान्ति को निहारना ऐसा काम है जिससे आपको अपना ध्यान वर्तमान में रखने में काफी मदद मिलेगी |.

किसी चीज को बार बार सोचने से क्या होता है?

-काफी ज्यादा स्ट्रेस देखने को मिलता है. -बार-बार एक जैसे विचार रात में सोने में परेशानी खड़ी कर सकते हैं. -किसी भी एक चीज पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो सकता है. -इससे एंजाइटी, डिप्रेशन और यहां तक की खुद के बारे में ही बुरा सोचने तक की नौबत आ सकती है.