साक्षरता की दृष्टि से झारखंड का स्थान है? Show
किस जनजातीय भाषा को भारत सरकार ने आठवीं अनुसूची के अंतर्गत रखा है? ‘पांच दिनी हड़ताल’ (बंदी कार्यक्रम) से झारखंड में असहयोग आंदोलन की शुरुआत हुई थी। पांच दिनी हड़ताल का आह्वान किस स्वतंत्रता सेनानी ने किया था? Dileep Vishwakarma10 months ago दामोदर घाटी को भारत में कोकिंग कोयले का मुख्य केंद्र माना जाता है। दामोदर घाटी के बेसिन में महत्वपूर्ण कोयला क्षेत्र झरिया, रानीगंज, पश्चिम बोकारो, पूर्वी बोकारो, रामगढ़, दक्षिण करनपुरा और उत्तरी करनपुरा कोयला क्षेत्र हैं। भारत से खनिज के क्षेत्र में झारखंड का श्रेष्ठ स्थान है । खनिज संसाधनों की बहुलता के कारण ही झारखंड को भारत का ” रूर प्रदेश ” भी कहा जाता है ।यहां सभी धात्विक एवं अधात्विक खनिज उपलब्ध हैं। झारखंड खनिज उत्पादन की दृष्टि से संपूर्ण भारत में सर्वोच्च स्थान पर है । इसके कारण इसे रत्नगर्भ भी कहा जाता है ।मूल्य की दृष्टि से भारत के कुल खनिज उत्पादन का 26 प्रतिशत एवं उत्पादन की दृष्टि से देश के कुल खनिज उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा वर्तमान में अकेले झारखंड से निकला जाता है। कोयला , अभ्रक , लोहा , तांबा , चीनी मिट्टी , फायार क्ले , कायनाइट ,ग्रेफाइट , बॉक्साइट तथा चुना पत्थर के उत्पादन में झारखंड अनेक राज्यों से आगे है । एस्बेस्टस ,क्वार्ट्ज तथा आण्विक खनिज के उत्पादन में भी झारखंड का महत्वपूर्ण स्थान है ।यहां अधिकांश खनिज धारवाड़ और विंध्य प्रणाली के चट्टानों से प्राप्त होता है।
झारखंड में सर्वप्रथम कोयला खनन प्रारंभ दामोदर घाटी कोयला क्षेत्र के अन्तर्गत झरिया में हुआ ।झारखंड में कुल कोयले का 70 प्रतिशत उत्पाद झरिया क्षेत्र से होता है । यह क्षेत्र भारत कोकिंग कोल लिमिटेड के अन्तर्गत है ।झरिया में सबसे उत्तम किस्म का कोयला पाया जाता है । दामोदर घाटी को क्षेत्र राज्य के कुल कोयला उत्पादन के लगभग 95 प्रतिशत उत्पादित करता है । इसके साथ साथ यह क्षेत्र कोकिंग कोयले का शतप्रतिशत उत्पादक क्षेत्र है ।झारखंड में कोयले का खनन दामोदर घाटी , सोन घाटी तथा राजमहल में क्षेत्रों में होता है ।
दामोदर घाटी में झरिया ,उत्तरी और दक्षिणी कर्णपुरा ,पूर्वी एवं पश्चिमी बोकारो तथा रामगढ़ कोयला खनन क्षेत्र है ।दामोदर घाटी कोयले का सबसे बड़ा उत्पादक झरिया कोयला क्षेत्र है ।बोकारो कोयला क्षेत्र बोकारो नदी घाटी में स्थित है ।कर्णपुरा कोयला क्षेत्र का विस्तार ऊपरी दामोदर घाटी में पाया जाता है । उत्तरी कोयल घाटी क्षेत्र का कोयला पलामू ,लातेहार तथा गढ़वा में संचित है। यहां प्रतिवर्ष लगभग 8.5 करोड़ टन कोयले का उत्पादन होता है। राजमहल के अतिरिक्त देवघर के निकटवर्ती खानों से भिकोयला निकला जाता है । यहां का कोयला बिटुमिनस प्रकार का होता है ।सिकनी कोयला परियोजना लातेहार में स्थित है ।
यहां लाख अयस्क का कुल भंडार 3,758मिलियन टन है जो देश के कुल भंडार का 37 प्रतिशत है । यहां से प्रत्येक वर्ष करीब 120 लाख टन लोहे का उत्पादन होता है । लोहे का मुख्य उत्पादन पश्चिमी सिंहभूम जिले में गुवा से लेकर उड़ीसा में गुनाई तक फैली एक पट्टी में होता है। जिसे बड़ा जामदा कॉम्प्लेक्स कहते हैं ।यह विश्व की सबसे घनी लोहे की पट्टी है । नोवामुंडी , पंचसेरा , बुरु , गुआ , जाम्दा , कमारपत , घटपुर ,किरीबुरू , आदि लोहे के प्रमुख खनन केंद्र हैं । नोवामुंडी की खान पूरे एशिया की सबसे बड़ी लोहे कि खान है ।
झारखण्ड में कुल खनिज उत्पादन क्रमानुसार इस प्रकार हैं :
झारखण्ड के जिलों में खनिजों की लिस्ट :
यह भी जानें :
Frequently Asked Questions
झारखंड में सबसे ज्यादा कौन सा कोयला पाया जाता है?इसके बावजूद झारखंड की जीडीपी देश में 19वें स्थान (प्लानिंग कमीशन) पर है। जबकि खनन में हमसे पीछे मध्यप्रदेश नौवें, राजस्थान 10वें और छत्तीसगढ़ 18वें स्थान पर है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के अनुसार खनन में झारखंड देश में दूसरे स्थान पर है। यही नहीं, कोकिंग कोल का उत्पादक सिर्फ झारखंड ही है।
झारखंड में कौन सा कोयला पाया जाता है?झारखंड में कोयले का खनन दामोदर घाटी , सोन घाटी तथा राजमहल में क्षेत्रों में होता है । दामोदर घाटी में झरिया ,उत्तरी और दक्षिणी कर्णपुरा ,पूर्वी एवं पश्चिमी बोकारो तथा रामगढ़ कोयला खनन क्षेत्र है । दामोदर घाटी कोयले का सबसे बड़ा उत्पादक झरिया कोयला क्षेत्र है । बोकारो कोयला क्षेत्र बोकारो नदी घाटी में स्थित है ।
कौनसी घाटी कोयले के लिए प्रसिद्ध है?भारत में कोयले की उतपत्ति मुख्य रूप से वर्तमान नदी घाटियों यानि दामोदर घाटी, सोन-महानदी घाटी, पेंच-कन्हान घाटी, वर्धा-गोदावरी घाटी आदि में वितरित की जाती हैं।
उत्पादन की दृष्टि से झारखंड में सबसे बड़ी कोयले की खान कौन सी है?मुख्य लेख: भारत की कोयला खानों की सूची. |