झारखंड के विभिन्न त्योहार भारतीय उपमहाद्वीप के 28 वें राज्य को आत्मा के आध्यात्मिक उत्सव के रूप में मनाते हैं। झारखंड राज्य में उत्सव बड़े उत्साह और पारंपरिक उत्साह के साथ चिह्नित हैं। झारखंड देश में होने वाले लगभग सभी त्योहारों में भाग लेता है। झारखंड में मनाए जाने वाले त्यौहार हमारे राष्ट्र की मजबूत और समग्र सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न समुदाय पूरे सांप्रदायिक सौहार्द के साथ चालीस त्योहारों के रूप में मनाते हैं। Show होली दिवाली रामनवमी दशहरा बसंत पंचमी छठ पूजा जितिया भैया दूज झारखंड राज्य में आदिवासी त्योहारों में भी अति उत्साह और उत्साह का हिस्सा है। झारखंड के प्रमुख आदिवासी त्योहार हैं: हाइलाइट्सप्रकृति और संस्कृति से जुड़े होते हैं झारखंड के पर्व-त्योहारआदिवासी समुदाय के बीच धूमधाम से मनाया जाता है चांडी पर्व.Festivals Of Jharkhand: भारत विविधताओं का देश है. यहां सिर्फ कई तरह की भाषा और रीति-रिवाज ही नहीं बल्कि कई तरह के पर्व-त्योहार भी मनाए जाते हैं. भारत में आपको हर राज्यों में अलग संस्कृति और सभ्यता देखने को मिलती है. बात करें झारखंड राज्य की तो झारखंड में कई पर्व-त्योहार प्रकृति और संस्कृति से जुड़े होते हैं, जिस कारण झारखंड की अलग ही पहचान है. यहां सरहुल, फगुआ, करमा पूजा और चांडी पर्व से लेकर कई त्योहार होते हैं. जानते हैं झारखंड में मनाए जाने वाले प्रमुख पर्व-त्योहारों के बारे में. करमा पूजा- इसे आदिवासियों का खास पर्व माना जाता है. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन करमा पर्व झारखंड में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. कर्मा और धर्मा नाम के दो भाइयों पर आधारित इस पर्व में कर्म डाल की पूजा होती है. आज कर्मा पूजा मनाया जा रहा है. सरहुल- सरहुल आदिवासियों का सबसे प्रमुख पर्व होता है, जिसकी धूम पूरे झारखंड में देखने को मिलती है. यह पर्व हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतिया तिथि को कृषि कार्य शुरू होने से पहले मनाया जाता है. सरहुल का पर्व झारखंड के आदिवासी समुदाय मुंडा, उरांव और संथाल जनजातियों के बीच मनाया जाता है. यह पर्व प्रकृति से जुड़ा होता है और इसमें साल वृक्ष की पूजा की जाती है. सरहुल का पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है. फगुआ- फगुआ होली के पर्व को कहते हैं. वैसे तो होली का त्योहार देशभर में मनाया जाता है. लेकिन झारखंड में इसे झारखंडी होली कहते हैं, जोकि उरांव ,मुंडा , खरदार ,भूमियार , महली , बेडिया , चीक बड़ाईक , करमाली , चेरो , बैगा जैसे जनजातियों के बीच मनाई जाती है. आषाढ़ी पूजा- यह पूजा आषाढ़ माह में होती है. इसमें घर या फिर किसी अखाड़ा में काली बकरी की बली देने की परंपरा है. मान्यता है कि ऐसा करने से गांव में चेचक की बीमारी नहीं होती. मंडा पर्व– अक्षय तृतीया के दिन झारखंड में मंडा पर्व मनाया जाता है. इस पर्व में शिवजी की पूजा की जाती है. धानबुनी- इस पर्व के साथ ही आदिवासी समुदाय के लोग धान बुआई का शुभारंभ करते हैं. यह मंडा पर्व के दिन ही मनाई जाती है. इस दिन किसान नए कपड़े पहनकर और नई बांस की टोकरी में धान लेकर खेत में बोते हैं. ये भी पढ़ें: आपको भी आते हैं बुरे सपने तो इन सरल ज्योतिष उपायों से पाएं छुटकारा चांडी पर्व- यह झारखंड का सबसे प्रचलित पर्व है, जोकि माघ माह की पूर्णिमा को होता है. इस पूजा को केवल पुरुष करते हैं. लेकिन जिस घर पर यदि कोई महिला गर्भवती होती है तो उसमें पुरुष भी पूजा नहीं करते. इस पर्व में मुर्गा और बकरा की बलि दी जाती है. चांडी पर्व उरांव समुदाय के बीच मनाया जाता है. सोहराय- कार्तिक अमावस्या के दिन यह पर्व झारखंड में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. यह पर्व पशुओं के प्रति श्रद्धा से जुड़ा होता है. इस पर्व के दिन लोग अपने पशुओं को नदी में स्नान कराते हैं और फिर पशु का श्रृंगार करते हैं. फिर पशुओं को मैदान में दौड़ाया जाता है. टुसू पर्व- झारखंड में होने वाला टुसू पर्व कुड़मी या महतो आदिवासियों का प्रमुख त्योहार होता है. यह मकर संक्रांति के दिन मनाया जाता है. ये भी पढ़ें: कैसे होने चाहिए नए घर के मुख्यद्वार? जानें क्या कहता है वास्तुशास्त्र बहुरा पर्व- संतान प्राप्ति और अच्छी वर्षा की कामना के लिए महिलाएं यह पूजा करती हैं. बहुरा पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें) झारखंड में 4 दिन तक कौन सा त्यौहार मनाया जाता है?पूरा गांव गायन और नृत्य के साथ सरहुल का त्योहार मनाता है। यह त्योहार छोटानागपुर के इस क्षेत्र में लगभग सप्ताह भर मनाया जाता है। मुंडा, भूमिज और हो जनजाति इस पर्व को उल्लास और आनन्द के साथ मनाते हैं।
झारखंड में कौन सा त्यौहार 4 दिन तक मनाया जाता है तथा इसकी क्या तैयारी की जाती है?झारखंड में सरहुल बड़े जोशो-खरोश के साथ मनाया जाता है। चार दिनों तक इसका जश्न चलता रहता है। अलग-अलग जनजातियाँ इसे अलग-अलग समय में मनाती हैं।
झारखंड का सबसे प्रसिद्ध त्योहार कौन सा है?झारखंड के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है होली। होली का वसंत त्योहार फाल्गुन के महीने में या अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार फरवरी / मार्च के महीने में मनाया जाता है। होली का त्यौहार झारखंड राज्य में बड़े ही आकर्षण और जोश के साथ मनाया जाता है। होलिका की कथा यहाँ बहुत प्रचलित है।
झारखंड के प्रमुख त्यौहार कौन कौन से हैं?करमा ➤यह आदिवासियों का एक प्रमुख त्योहार है, जो पूरे झारखंड में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। ➤इस पर्व को मुख्य रूप से उरांव जनजाति के लोग मनाते हैं। ➤यह पर्व भादो शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है।
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