कमर की नसों में दर्द क्यों होता है? - kamar kee nason mein dard kyon hota hai?

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स्पाइनल कॉर्ड की डिस्क सिकुड़ने पर पैरों की तरफ जाता है कमर दर्द


कमरका दर्द पैरोंं की तरफ जाता हो, पांच से दस मिनट चलने पर पैरों में झनझनाहट महसूस हो रही हो, पैरोंं में भारीपन के साथ सुन्नपन और फिर चलना ठप-- इन लक्षणों को नजरअंदाज करें। ऐसा बढ़ती उम्र के साथ मेरुदंड (स्पाइनल कॉर्ड) की डिस्क सिकुड़ने के कारण होता है। यानी स्पाइनल कॉर्ड की नसों को फैलने की जगह कम हो जाती है। इसे लंबर कैनाल स्टेनोसिस बीमारी कहते हैं। इसमें रीढ़ की हड़डी के जोड़ ढीले होने पर एक हड्डी आगे खिसक जाती है। स्पोन्डिलाइटिस में चलते समय पैरों में सुन्नपन, दर्द, भारीपन और कमजोरी सकती है। इसे स्क्रू और रॉड से नसों पर दबाब बनाकर ठीक करते हैं।

रीढ़की हड्डी में ओस्टियोपोरोसिस

इसमेंंस्पाइनल कॉर्ड में फ्रैक्चर होने का खतरा ज्यादा है। यह बीमारी ज्यादा बढ़ने पर सामान्य छींकने से भी फ्रैक्चर हो सकता है। चार से छह सप्ताह में फ्रैक्चर जुड़ जाते हैं, लेकिन एक फ्रैक्चर होने के बाद दूसरा होने की आशंका पांच गुना ज्यादा बढ़ जाती है। अब बिना चीरफाड़ के भी इस बीमारी का इलाज हो रहा है। कायफोप्लास्टी में एक सीरिंज के जरिए गुब्बारे को पहुंचाकर उस जगह पर सीमेंट भरते हैं। ज्यादा उम्र होने पर पेशेंट्स को बिना बेहोश किए हुए ट्रीट करते हैं। कैल्शियम, विटामिन डी के अलावा हड्डी की ताकत बढ़ाने वाले हॉर्मोन्स देते हैं।

एक्सपर्ट पैनल : डॉ.ललित शर्मा, स्पाइनलकोर्ड सर्जन, जयपुर } डॉ.शरद थानवी, न्यूरोसर्जन,जोधपुर

नर्व कंप्रेषण की वजह से कमर ही नहीं कंधे में होता है दर्द

रीढ़ की हड‌्डी का फ्रैक्चर होने पर ज्यादा नहीं करवाएं बेड रेस्ट

बेडरेस्ट ज्यादा करने से रीढ़ की हड्डी और अास-पास की मांसपेशियों (मसल्स) दबाव पड़ने से वे कमजोर हो जाती हैं। पेशेंट्स को एक्टिव रखें, ताकि स्पाइन में जल्दी मूवमेंट सके।

इलाज

शुरुआतीस्टेज में पेशेंट्स को फिजियोथेरेपी दी जाती है। लाइफस्टाइल मोडिफिकेशन के अलावा दवाइयों से ठीक करते हैं। रिलीफ नहीं होने पर माइक्रोस्कोपिक सर्जरी करके नसों पर दबाव बनाया जाता है।

अगर दर्द से संबंधित ये दिक्कते हैं, तो यह साइटिका हो सकता है, इसे नजरअंदाज न करें

कमर की नसों में दर्द क्यों होता है? - kamar kee nason mein dard kyon hota hai?

साइटिका के लक्षणों को समय रहते पहचानने और सही इलाज कराने की जरूरत है. (Image: Shutterstock)

Symptoms of sciatica: नसों में खिंचाव, सूजन या कमजोरी के कारण साइटिका का दर्द होता है. साइटिका का दर्द बहुत असहनीय भी हो सकता है. आमतौर पर यह कमर से संबंधित नसों में सूजन आने के कारण होता है. इसमें बैक और पैर के नीचे तक असहनीय दर्द होने लगता है. साइटिका होने पर काफी कमजोरी होने लगती है. इसके अलावा भारी वजन उठाने में दिक्कत होती है. साथ ही पैरों में तेज झनझनाहट होती है. इसका दर्द इतना बढ़ जाता है कि कभी-कभी पैर के अंगूठे और अंगुलियां सुन्न हो जाती हैं.

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  • News18Hindi
  • Last Updated : November 01, 2021, 22:05 IST

    How to cure Sciatica pain: साइटिका (Sciatica) एक सामान्य दर्द है जो साइटिका नस के कमजोर होने या इसके प्रभावित होने से होता है. साइटिका शरीर की सबसे बड़ी नस (Nerve) है जो रीढ़ की हड्डी से पैर तक बिछी रहती है. हेल्थलाइनकी खबर के मुताबिक साइटिका होने पर दर्द धीरे-धीरे भी हो सकता और बहुत तेज भी हो सकता है. आमतौर पर यह कमर से संबंधित नसों में सूजन आने के कारण होता है. इसमें बैक और पैर के नीचे तक असहनीय दर्द होने लगता है. साइटिका होने पर काफी कमजोरी होने लगती है. इसके अलावा भारी वजन उठाने में दिक्कत होती है. साथ ही पैरों में तेज झनझनाहट होती है. इसका दर्द इतना बढ़ जाता है कि कभी-कभी पैर के अंगूठे और अंगुलियां सुन्न हो जाती हैं. इस समस्या को नजरअंदाज करने पर शरीर के आंतरिक नसों पर भी बुरा प्रभाव पड़ने लगता है. इसलिए साइटिका के लक्षणों को समय रहते पहचानने और सही इलाज कराने की जरूरत है. यहां हम साइटिका के लक्षण के बारे में बता रहे हैं.

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    साइटिका के लक्षण
    उठने-बैठने या किसी तरह के मूवमेंट पर दर्द होना.
    पैरों में कमजोरी या सुन्नापन का एहसास होना.
    पैरों की अंगुलियों में झनझनाहट महसूस करना या सूई की तरह चुभने का एहसास होना.
    कमर में धीरे-धीरे दर्द का बढ़ना.
    पैर के पीछे के भाग में दर्द महसूस होना.
    बैठने पर पैर के पीछे के भाग में दर्द का बढ़ जाना .
    कूल्हों में दर्द होना.
    पैर के पिछले हिस्से में एक तरफ दर्द होना.
    उठते-बैठते वक्त पैरों में तेज दर्द महसूस होना.

    साइटिका के कारण
    साइटिका के कई कारण हैं. स्पाइनल कॉर्ड की नसों में दिक्कत या बैक की नसों में जटिलताओं के कारण भी साइटिका हो सकता है. इंज्यूरी के कारण भी साइटिका हो सकता है. कहीं गिरने के कारण भी कई बार नसों में खिंचाव हो जाता है, जिसके कारण साइटिका होता है. असली वजह का पता डॉक्टर ही लगा सकता है.

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    साइटिका दर्द को कैसे कम करें
    दर्द होने पर आइस पैक को दर्द वाली जगह पर लगाने से आराम मिलता है. फ्रोजन वेजिटेबल को भी टॉवेल में लपेटकर इससे प्रभावित जगह पर अप्लाई किया जा सकता है.
    हीटिंग पैड से साइटिका दर्द में राहत मिलती है. यदि आइस पैक से दर्द में आराम नहीं है, तो हीटिंग पैड का इस्तेमाल करें. इसके अलावा दो-तीन दिन के अंतराल पर कभी हीटिंग पैड तो कभी आइस पैक का इस्तेमाल करने से राहत मिलती है.
    स्ट्रैचिंग से भी साइटिका में आराम मिलती है. लोअर बैक को स्ट्रैचिंग की मदद से दर्द को कम किया जा सकता है. योगा भी साइटिका में मददगार है. प्रशिक्षक की देख-रेख में योगा किया जाए, तो इससे राहत मिलती है.

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    Tags: Health, Lifestyle

    FIRST PUBLISHED : November 01, 2021, 22:03 IST

    कमर की नस में दर्द क्यों होता है?

    यह समस्या ज्यादातर नसों से संबंधित होती हैं। दर्द के सही कारण का पता चल जाए तो उपचार आसान हो जाता है। कई बार लोग शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द या नसों में खिंचाव होने पर स्वयं या फिर किसी के कहने पर लंबे समय तक दवा का सेवन करते रहते हैं, जो रोग का समाधान नहीं है। किसी भी समस्या में विशेषज्ञ से जांच कराएं।

    नसों में दर्द किसकी कमी से होता है?

    किस विटामिन की कमी से होता है नसों में दर्द खसतौर पर अगर आपके शरीर में विटामिन बी6 और विटामिन बी12 की कमी है तो इस तरह की परेशानी हो सकती है. अगर आपके शरीर में लंबे समय तक विटामिन बी की कमी बनी रहती है और समय पर इसका उपचार नहीं किया तो इससे आपका नर्व डैमेज हो सकता है.

    अगर कमर की नस दब जाए तो क्या करना चाहिए?

    दबी हुई नस को खोलने के लिए पान वाला चूना लें। इस चूने को पानी, दही, लस्सी या जूस में से किसी के साथ भी ले सकते हैं। आपको एक दिन में चुटकी भर चूना लेना है। इस बात का ध्यान रखें कि सुबह- सुबह खाली पेट इस नुस्खे क आजमाएं, जो आपकी दबी हुई नस को खोलने का काम करेगा।

    नसों में दर्द होने का क्या मतलब है?

    नसों में दर्द एक स्वास्थ्य स्थिति है जो नसों को प्रभावित करती है. इसके होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. इसमें मस्तिष्क, रीढ़, या नसों की चोट, अत्यधिक शराब का सेवन, कोई दवा, विटामिन बी12 या बी1 की कमी, नसों को कम रक्त की आपूर्ति, डायबिटीज, दिल का दौरा और संक्रमण आदि शामिल हैं.