भारतीय इतिहास में गुप्तकाल को स्वर्ण युग की संज्ञा दी जाती है। इतिहास में स्वर्ण युग उस काल को कहा जाता है जिसमें राज्य और प्रजा का चतुर्दिक विकास होता है। निस्सन्देह गुप्तकाल में भारत की बहुमुखी प्रगति हुई और अन्य राष्ट्रों के सम्मुख हमारे देश का मस्तक उन्नत हुआ। इस काल में सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक विकास हुआ और प्रजा की आध्यात्मिक, मानसिक तथा भौतिक प्रगति हुई। Show
भारतीय इतिहास में गुप्तकाल को स्वर्ण युग कहे जाने के निम्नांकित मुख्य कारण हैं-
महान् सम्राटों का युग
राजनीतिक एकता का गुण
शान्ति तथा सुव्यवस्था का युग
साहित्य के उत्कर्ष का युग
वैज्ञानिक उन्नति का युग
कला की चरमोन्नति का युग
वैदिक सभ्यता तथा संस्कृति की रक्षा का युग
धार्मिक सहिष्णुता का युग
विदेशों में भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के प्रसार का युग
गुप्त काल को स्वर्ण काल कहने की समीक्षा
किन्तु कुछ ऐसे भी तत्व मौजूद थे जो इस युग के महत्त्व को कम करते हैं।
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किस काल को स्वर्ण काल कहा जाता है और क्यों?भारतीय इतिहास में गुप्तकाल को स्वर्ण युग की संज्ञा दी जाती है। इतिहास में स्वर्ण युग उस काल को कहा जाता है जिसमें राज्य और प्रजा का चतुर्दिक विकास होता है। निस्सन्देह गुप्तकाल में भारत की बहुमुखी प्रगति हुई और अन्य राष्ट्रों के सम्मुख हमारे देश का मस्तक उन्नत हुआ।
भक्ति काल को स्वर्ण काल कहा जाता है कैसे?भक्तिकाल में तुलसी दास, कबीर दास, मीरा बाई, सूरदास, आदि जैसे महान संत कवि हुए जिन्हो ने समाज को एक नई शिक्षा दी और लोगो को अपने ईश्वर तक जाने का मार्ग दिखाया इन्ही सब कारणों के कारण भक्ति काल को स्वर्ण काल भी कहा जाता है ।
भारतेंदु युग को स्वर्ण युग क्यों कहा जाता है?हिंदी साहित्य में भक्तिकाल को स्वर्ण युग कहा गया है | क्योंकि इस काल में हिंदी साहित्य को कई महान कवियों की प्राप्ति हुई जैसे कबीर तुलसी सूरदास जिनके कारण भारत मैं भक्ति आंदोलन की शुरुआत हुई और उनके द्वारा लिखा गई रचनाएं कालजाये भी हुई और कई प्रकार के रस अलंकार का भी इस काल में उपयोग किया गया जो आम जनता के नजरों में आई ...
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