कौन से दशक के अंत में हरित क्रांति शुरू हुई? - kaun se dashak ke ant mein harit kraanti shuroo huee?

हरित क्रांति के जनक बोरलॉग का निधन

13 सितंबर 2009

कौन से दशक के अंत में हरित क्रांति शुरू हुई? - kaun se dashak ke ant mein harit kraanti shuroo huee?

इमेज कैप्शन,

डॉक्टर बोरलॉग ने हरित क्रांति तो लाई लेकिन ज़मीन के उपजाऊपन पर उसका विपरीत असर भी हुआ है

1960 के दशक में कृषि क्षेत्र की काया पलट कर देने वाले वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग ने 95 वर्ष की अवस्था में इस दुनिया को अलविदा कह दिया है.

उन्होंने खेती-बाड़ी में जो अभूतपूर्व बदलाव किए जिसे दुनिया भर में हरित क्रांति के नाम से जाना जाता है. गेहूँ की नई क़िस्मों पर उनके क्रांतिकारी शोध ने ख़ासतौर से विकासशील देशों में खेती-बाड़ी का नक्शा ही बदलकर रखा दिया.

उन्हें कृषि क्षेत्र में इस असाधारण क्रांति के लिए 1970 का नोबेल शांति पुरस्कार भी मिला था.

खेतीबाड़ी नॉर्मन बोरलॉग के जीवन का केंद्र बिंदु था. उनकी परवरिश आयोवा में अपने माता-पिता के खेतों पर हुई. ये वो दौर था जब बहुत से किसानों ने अपनी फ़सलें बर्बाद होते देखी थीं.

नॉर्मन बोरलॉग के दादा ने उनसे विश्वविद्यालय से इस तरह की शिक्षा हासिल करने का अनुरोध किया जिससे भविष्य में फ़सलों की तबाही को शायद रोका जा सके. वास्तव में नॉर्मन बोरलॉग ने उससे कहीं ज़्यादा कर दिखाया.

जिस शोध और कार्य ने नॉर्मन बोरलॉग को दुनिया भर में मशहूर कर दिया, वो काम उन्होंने 1960 के दशक में शुरू किया था जब उन्होंने मैक्सिको में अंतरराष्ट्रीय मक्का और गेहूँ की स्थापना की.

गेहूँ की बीमारियों से लड़ने वाली क़िस्म का विकास करने के बाद उन्होंने पाया कि अगर छोटे पौधे वाली क़िस्में उगाई जाएँ तो तने की जो ऊर्जा बचेगी वो उसके दाने यानी बीज में लग सकेगी जिससे बीज ज़्यादा बढ़ेगा और इस तरह कुल फ़सल उत्पादन ज़्यादा होगा.

इसे इस तरह भी समझा जा सकता है कि अगर गेहूँ की किसी क़िस्म का पौधा बड़ा है तो उसके लिए ख़ासी खाद और अन्य प्राकृतिक ऊर्जा की ज़रूरत होगी और अगर वो ऊर्जा पौधे में कम लगेगी तो दाने यानी बीज को ज़्यादा ऊर्जा मिलेगी इस तरह पैदावार बढ़ेगी.

कामयाबी

वो अपने इस प्रयोग में जल्दी ही कामयाब हो गए. बौने पौधों वाली और ज़्यादा बड़े दाने यानी बीज वाली गेहूँ की क़िस्म लातिन अमरीका में काफ़ी लोकप्रिय हुई. इस क़िस्म की एक ख़ासियत ये भी थी कि यह फ़सलों को होने वाली बीमारियों में ख़ुद को सुरक्षित रख सकती थी.

उसके बाद नॉर्मन बोरलॉग ने गेहूँ की इस नई क़िस्म का 60 हज़ार टन और कुछ खाद वग़ैरा भारत और पाकिस्तान को भेजे जहाँ अकाल की स्थिति बनी हुई थी.

नई क़िस्म के गेहूँ से फ़सल की पैदावार में लगभग 70 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई और उसके बाद तो भारत और पाकिस्तान गेहूँ उत्पादन में आत्मनिर्भर बन गए.

नोबेल संस्थान ने समझ लिया कि नॉर्मन बोरलॉग के इस शोध से लाखों लोगों को भूख से निजात मिलेगी इसलिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चुन लिया गया. वो पुरस्कार ग्रहण करते हुए नॉर्मन बोरॉग ने कहा था,

"यह पुरस्कार पाकर मैं बेहद ख़ुश हूँ लेकिन इसके साथ ज़ाहिर तौर पर बहुत सी ज़िम्मेदारियाँ भी हैं जो कहीं ज़्यादा बड़ी हैं.मेरे ऊपर और भूख के ख़िलाफ़ क्रांति करने वाले उन लड़ाकों की जिन्होंने मेरा साथ देने का फ़ैसला किया, और वो भी बिना किसी फ़ायदे की उम्मीद के."

हालाँकि उनके इस शोध को पर्यावरणवादियों की आलोचना का शिकार भी होना पड़ी है क्योंकि उनके बीजों की और खेती-बाड़ी के तरीक़ों की निर्भरता उर्वरक खादों पर बहुत थी जिससे ज़मीन की उत्पादक क्षमता धीरे-धीरेकम होती जाती है.

नॉर्मन बोरलॉग ने तर्क दिया था कि इन नए तरीक़ों में एक तरह से प्रकृति की संरक्षण भी होगा क्योंकि पैदावार उगाने के लिए कम ज़मीन में फ़सल उगानी होगी और कम तकनीक लगने वाले प्राकृतिक रूप से उगाए जाने वाली खेतीबाड़ी ने दरअसल अकाल की स्थिति पैदा कर दी थी.

भारत में हरित क्रांति को उल्लेखनीय योगदान करने वाले वैज्ञानिक डॉक्टर एमएस स्वामीनाथन नॉर्मन बोरलॉग के योगदान को बहुत बड़ा मानते थे, "नॉर्मन बोरलॉग भूख के ख़िलाफ़ संघर्ष करने वाले महान योद्धा थे. उनका मिशन सिर्फ़ खेतीबाड़ी से पैदावार बढ़ाना ही नहीं था, बल्कि वो ये भी सुनिश्चित करना चाहते थे कि ग़रीब तक अन्न ज़रूर पहुँचे ताकि दुनिया भर में कही भी कोई भी इंसान भूखा ना रहे."

डॉक्टर बोरलॉग ने लगभग 90 वर्ष आयु में भी मैक्सिकों में अपने संस्थान में भी काम जारी रखा और तब उन्होंने विकसाशली देशों के वैज्ञानिकों को नई तकनीकें लागू करने के बारे में प्रशिक्षण भी दिया.

वर्ष 2006 में फ़िलीपीन्स में एक सम्मेलन में उन्होंने कहा था कि दुनिया भर में अब भी बहुत से लोग ग़रीबी और भूख का सामना कर रहे हैं. इंसान की ये हालत विस्फोटक हैं और इन परेशानियों को हमें कभी भूलना नहीं चाहिए.

हरित क्रांति पर आधारित सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी

हरित क्रान्ति के फलस्वरूप देश के कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई। कृषि आगतों में हुए गुणात्मक सुधार के फलस्वरूप देश में ना केवल कृषि उत्पादन हुई अपितु व्यवसायिक कृषि को बढ़ावा मिला, कृषकों के दृष्टिकोण में परिवर्तन हुआ और कृषि आधिक्य में भी वृद्धि हुई है। इस लेख में हमने हरित क्रांति पर आधारित 10 सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी दिया है जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है।

कौन से दशक के अंत में हरित क्रांति शुरू हुई? - kaun se dashak ke ant mein harit kraanti shuroo huee?

कौन से दशक के अंत में हरित क्रांति शुरू हुई? - kaun se dashak ke ant mein harit kraanti shuroo huee?

GK Questions and Answers on the Green Revolution HN

 हरित क्रान्ति के फलस्वरूप गेहूँ, गन्ना, मक्का तथा बाजरा आदि फ़सलों के प्रति हेक्टेअर उत्पादन एवं कुल उत्पादकता में काफ़ी वृद्धि हुई है। हरित क्रान्ति की उपलब्धियों को कृषि में तकनीकि एवं संस्थागत परिवर्तन एवं उत्पादन में हुए सुधार के रूप में निम्नवत देखा जा सकता है- कृषि में तकनीकि एवं संस्थागत सुधार तथा रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग।

1.  20 वीं शताब्दी में नई कृषि रणनीति को अपनाने के लिए भारत में हरित क्रांति की शुरूआत कौन से दशक में की गई थी।

A. 1960 के दशक में

B. 1970 के दशक में

C. 1950 के दशक में

D. 1990 के दशक में

Ans: B

व्याख्या: हरित क्रांन्ति से अभिप्राय देश के सिंचित एवं असिंचित कृषि क्षेत्रों में अधिक उपज देने वाले संकर तथा बौने बीजों के उपयोग से फसल उत्पादन में वृद्धि करना हैं। हरित क्रान्ति भारतीय कृषि में लागू की गई उस विकास विधि का परिणाम है, जो 1970 के दशक में पारम्परिक कृषि को आधुनिक तकनीकि द्वारा प्रतिस्थापित किए जाने के रूप में सामने आई। इसलिए, B ही सही विकल्प है।

2. निम्नलिखित में से किसने भारत में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए 'सदाबहार क्रांति' शब्द का उपयोग किया था?

A. नॉर्मन बोरलॉग

B. एम. एस स्वामीनाथन

C. राज कृष्णा

D. आर. के. वी राव

Ans: B

व्याख्या: एम. एस स्वामीनाथन ने उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि के मार्ग को उजागर करने के लिए 'सदाबहार क्रांति' शब्द का प्रयोग किया था। इसलिए, B ही सही विकल्प है।

3. विश्व में हरित क्रांति के जनक कौन थे?

A. नॉर्मन बोरलॉग

B. एम. एस स्वामीनाथन

C. राज कृष्णा

D. आर. के. वी राव

Ans: A

व्याख्या: हरित क्रांन्ति प्रारम्भ करने का श्रेय नोबल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर नारमन बोरलॉग को जाता हैं। इसलिए, A ही सही विकल्प है।

4. नॉर्मन बोरलाग किस देश के रहने वाले थे?

A. संयुक्त राज्य अमेरिका

B. मेक्सिको

C. ऑस्ट्रेलिया

D. न्यूजीलैंड

Ans: A

व्याख्या: नॉर्मन अर्नेस्ट बोरलॉग नोबेल पुरस्कार विजेता एक अमेरिकी कृषिविज्ञानी थे, जिन्हें हरित क्रांति का पिता माना जाता है। बोरलॉग उन पांच लोगों में से एक हैं, जिन्हें नोबेल शांति पुरस्कार, स्वतंत्रता का राष्ट्रपति पदक और कांग्रेस के गोल्ड मेडल प्रदान किया गया था। इसलिए, A ही सही विकल्प है।

भारत के बहुउद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाओं पर आधारित सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी

 5. भारत की हरित क्रांति का जनक किसे माना जाता है।

A. नॉर्मन बोरलॉग

B. एम. एस स्वामीनाथन

C. राज कृष्णा

D. आर. के. वी राव

Ans: B

व्याख्या: एम एस स्वामिनाथन पौधों के जेनेटिक वैज्ञानिक हैं जिन्हें भारत की हरित क्रांति का जनक माना जाता है। उन्होंने 1966 में मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकिसित किए। उन्हें विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1972 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।  इसलिए, B ही सही विकल्प है।

 6. निम्नलिखित में से कौन हरित क्रांति को संदर्भित करता है?

A. हरी खाद का उपयोग

B. फसलों का उच्च उत्पादन

C. उच्च पैदावार विविधता कार्यक्रम

D. हरित वनस्पति

Ans: C

व्याख्या: हरित क्रांति को ‘नई कृषि रणनीति’ के रूप में  पहली बार भारत में खरीफ के मौसम में अमल में लाया गया था और इसे उच्च उपज देने वाली किस्म कार्यक्रम (HYVP) का नाम दिया गया था। इस कार्यक्रम को एक पैकेज के रूप में पेश किया गया था क्योंकि मुख्य तौर पर यह कार्यक्रम नियमित तथा पर्याप्त सिंचाई, खाद, उच्च उपज देने वाले किस्मों के बीज, कीटनाशकों पर निर्भर था। इसलिए, C सही विकल्प है।

7. भारत में हरित क्रांति _________ के लिए बीज की उच्च पैदावार वाली किस्मों (एचवाईवी) की शुरूआत थी।

A. बाजरा

B. दाल

C. गेहूं

D. तिलहन

Ans: C

व्याख्या: भारत में हरित क्रांति द्वारा गेहूं के बीज की उच्च पैदावार वाली किस्मों (एचवाईवी) की शुरूआत थी। इसलिए, C सही विकल्प है।

भारत में खाद्य अनाज फसलों की खेती पर आधारित सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी

 8. आजादी के बाद और हरित क्रांति के बाद निम्नलिखित में से किस फ़सल के उत्पादन में वृद्धि हुई है?

A. चावल

B. पटसन

C. गेहूं

D. दाल

Ans: C

व्याख्या: हरित क्रांति को ‘नई कृषि रणनीति’ के रूप में  पहली बार भारत में खरीफ के मौसम में अमल में लाया गया था जिसके कारण गेहूं गेहूं के बीज की उच्च पैदावार वाली किस्मों (एचवाईवी) के इस्तेमाल करने पर उसके पैदावार में वृद्धि हो गयी थी। इसलिए, C सही विकल्प है।

9. निम्नलिखित कथनों में से हरित क्रान्ति के बुनयादी तत्व हैं ? 

A. खेती के क्षेत्रों का विस्तार

B. मौजूदा खेत की दोहरी फसल

C. हरित क्रांति की विधि में एचवाईवी बीजों का उपयोग

D. उपरोक्त सभी 

Ans: D

व्याख्या: खेती के क्षेत्रों का विस्तार; मौजूदा खेत की दोहरी फसल; और हरित क्रांति की विधि में एचवाईवी बीजों का उपयोग तीन बुनियादी तत्व हैं। इसलिए, D सही विकल्प है।

10. हरित क्रांति के लिए भारत में आरंभिक साइट के रूप में निम्नलिखित में से कौन सा राज्य चुना गया था?

A. पंजाब

B. तमिलनाडु

C. आंध्र प्रदेश

D. बिहार

Ans: A

व्याख्या: हरित क्रांति के लिए भारत में आरंभिक साइट के रूप में पंजाब राज्य चुना गया था। इसलिए, A सही विकल्प है।

1000+ भारतीय भूगोल पर आधारित सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी

कौन से दशक में के अंत में हरित क्रांति शुरू हुई?

भारत में हरित क्रांन्ति की शुरुआत सन 1966- 67से हुईहरित क्रांन्ति प्रारम्भ करने का श्रेय नोबल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर नारमन बोरलॉग को जाता हैं। हरित क्रांन्ति से अभिप्राय देश के सिंचित एवं असिंचित कृषि क्षेत्रों में अधिक उपज देने वाले संकर तथा बौने बीजों के उपयोग से फसल उत्पादन में वृद्धि करना हैं।

भारत में हरित क्रांति की शुरुआत कहाँ से हुई?

इस अभियान को हरित क्रांति के रूप में जाना जाता है और पंजाब इस क्रांति का केंद्र था. पंजाब में गेहूं और धान की खेती अर्थव्यवस्था पर हावी हो गई और इनका बम्पर उत्पादन कुछ वर्षों में विकास का एक आदर्श बन गया.

पहली हरित क्रांति की शुरुआत कब हुई?

भारत में हरित क्रांति की शुरुआत साल 1966-67 में हुई थी। हरित क्रांति के बाद देश के कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई

भारत में द्वितीय हरित क्रांति की शुरुआत कब हुई थी?

भारत में हरित क्रांति की शुरुआत 1967-1968 में हुई. (9) प्रथम हरित क्रांति के बाद 1983-1984 में द्वितीय हरित क्रांति की शुरुआत हुई, जिसमें अधिक अनाज उत्पादन, निवेश और किसानों को दी जाने वाली सेवाओं का विस्तार हुआ.