कर्मभूमि पुस्तक के लेखक कौन है? - karmabhoomi pustak ke lekhak kaun hai?

कर्मभूमि  
कर्मभूमि पुस्तक के लेखक कौन है? - karmabhoomi pustak ke lekhak kaun hai?

मुखपृष्ठ
लेखक प्रेमचंद
देश भारत
भाषा हिंदी
विषय साहित्य
प्रकाशक वाणी प्रकाशन
प्रकाशन तिथि २००२
पृष्ठ २९६
आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰

कर्मभूमि प्रेमचन्द का राजनीतिक उपन्यास है जो पहली बार १९३२ में प्रकाशित हुआ। आज कई प्रकाशकों द्वारा इसके कई संस्करण निकल चुके हैं। इस उपन्यास में विभिन्न राजनीतिक समस्याओं को कुछ परिवारों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। ये परिवार यद्यपि अपनी पारिवारिक समस्याओं से जूझ रहे हैं तथापि तत्कालीन राजनीतिक आन्दोलन में भाग ले रहे हैं।

कथानक[संपादित करें]

उपन्यास का कथानक काशी और उसके आस-पास के गाँवों से संबंधित है। आन्दोलन दोनों ही जगह होता है और दोनों का उद्देश्य क्रान्ति है। किन्तु यह क्रान्ति गाँधी जी के सत्याग्रह से प्रभावित है। गाँधीजी का कहना था कि जेलों को इतना भर देना चाहिए कि उनमें जगह न रहे और इस प्रकार शांति और अहिंसा से अंग्रेज सरकार पराजित हो जाए। इस उपन्यास की मूल समस्या यही है। उपन्यास के सभी पात्र जेलों में ठूस दिए जाते हैं। इस तरह प्रेमचन्द क्रान्ति के व्यापक पक्ष का चित्रण करते हुए तत्कालीन सभी राजनीतिक एवं सामाजिक समस्याओं को कथानक से जोड़ देते हैं। निर्धनों के मकान की समस्या, अछूतोद्धार की समस्या, अछूतों के मन्दिर में प्रवेश की समस्या, भारतीय नारियों की मर्यादा और सतीत्व की रक्षा की समस्या, ब्रिटिश साम्राज्य के दमन चक्र से उत्पन्न समस्याएँ, भारतीय समाज में व्याप्त धार्मिक पाखण्ड की समस्या पुनर्जागरण और नवीन चेतना के समाज में संचरण की समस्या, राष्ट्र के लिए आन्दोलन करने वालों की पारिवारिक समस्याएँ आदि इस उपन्यास में बड़े यथार्थवादी तरीके से व्यक्त हुई हैं।


'कर्मभूमि' का नायक अमरकांत एक अस्थिर गांधीवादी के रूप में चित्रित किया गया है। अमरकांत तत्कालीन मध्यमवर्ग का प्रतिनिधि है, जिसकी मूल-प्रवृत्ति स्थिति के प्रति समझौतावादी है, उसकी राजनीतिक दृष्टि एवं चारित्रिक दृढ़ता अविश्वसनीय है। गांधीवाद से प्रभावित जन समुदाय की भावना, सामूहिक सत्याग्रह, गांवों के रचनात्मक कार्यक्रम का चित्रण पूरी आस्था से किया गया है। इनके सभी चरित्रों द्वारा लेखक ने राष्ट्रीय चेतना, आदर्श पारिवारिक व्यवस्था आदि में गांधी दर्शन स्पष्ट किया है।

समालोचना[संपादित करें]

प्रेमचन्द की रचना कौशल इस तथ्य में है कि उन्होंने इन समस्याओं का चित्रण सत्यानुभूति से प्रेरित होकर किया है कि उपन्यास पढ़ते समय तत्कालीन राष्ट्रीय सत्याग्रह आन्दोलन पाठक की आँखों के समक्ष सजीव हो जाता हैं। छात्रों तथा घटनाओं की बहुलता के बावजूद उपन्यास न कहीं बोझिल होता है न कहीं नीरस। प्रेमचन्द हर पात्र और घटना की डोर अपने हाथ में रखते हैं इसलिए कहीं शिथिलता नहीं आने देते। आदर्शोन्मुख यथार्थवाद से ओतप्रोत कर्मभूमि उपन्यास प्रेमचन्द की एक प्रौढ़ रचना है जो हर तरह से प्रभावशाली बन पड़ी है।

अन्य विकि परियोजनाओं में[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • कर्मभूमि (गद्यकोश)
  • कर्मभूमि (हिन्दी समय)
  • कर्मभूमि प्रेमचन्द उपन्यास (कविता हिन्दी कविता पर) Archived 2020-10-27 at the Wayback Machine

कर्मभूमि के लेखक कौन है?...


धर्महिंदूलेखक

Raghuveer Singh

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कर्मभूमि पुस्तक के लेखक कौन है? - karmabhoomi pustak ke lekhak kaun hai?

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नमस्कार आपको प्रश्न कर्मभूमि के लेखक तो देखिए कर्मभूमि के लेखक हैं वह मुंशी प्रेमचंद है जहां मुंशी प्रेमचंद जी हैं वह कर्मभूमि के लेखक हैं

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कर्मभूमि पुस्तक के लेखक कौन है? - karmabhoomi pustak ke lekhak kaun hai?

3 जवाब

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ऐसे और सवाल

कर्मभूमि रचना है?...

उसका ऑफिस नहीं कर्मभूमि रचना है तो मैं आपको बताना चाहूंगा कर्मभूमि मुंशी प्रेमचंद कीऔर पढ़ें

Raghuveer Singh👤Teacher & Advisor🙏

कर्मभूमि किसकी रचना है?...

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RAVI RANJAN KUMARTeacher

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Manvendra Singh RathoreTeacher

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Manvendra Singh RathoreTeacher

कर्मभूमि किसका समाधि स्थल है?...

कर्म भूमि शंकर दयाल शर्मा का समाधि स्थल हैऔर पढ़ें

KrishanTeacher

कर्मभूमि का समास विग्रह बताइए...

कर्म भूमि का समास विग्रह है कर्म है जो भूमि यानी कि वह भूमि जोऔर पढ़ें

RajeshTeacher

कर्मभूमि के रचयिता कौन है?...

आकर मैं तुम्हें का जो राइटर है राइटर के नाम पर प्रेमचंद...और पढ़ें

SubhasishJunior Volunteer

कर्मभूमि किसकी रचना है?...

कर्मभूमि उपन्यास है जिसे मुंशी प्रेमचंद जी ने लिखा हैऔर पढ़ें

प्रदीप कुमारResearcher

कर्मभूमि रचना किस कवि की है?...

जी आपका प्रश्न है कर्मभूमि रचना किस कवि की है कर्म भोग मुंशी प्रेमचंद द्वाराऔर पढ़ें

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कर्मभूमि रचना के लेखक कौन है?

कर्मभूमि प्रेमचन्द का राजनीतिक उपन्यास है जो पहली बार १९३२ में प्रकाशित हुआ।

कर्मभूमि उपन्यास का प्रमुख पात्र कौन है?

इस उपन्यास में लाला समरकांत, उनके पुत्र अमरकांत, पुत्रवधु सुखदा, रेणुकांत (सुखदा का पुत्र), पुत्री नैना सकीना, हाफिज़ हलीम और उनके पुत्र सलीम, धनीराम और उनके पुत्र मनीराम, डॉ. शांतिकुमार और स्वामी आत्मानन्द, गूदड़, प्रयाग, काशी, सलोनी और मुन्नी आदि की कहानी है।

कर्म भूमि का क्या अर्थ है?

कर्मभूमि का हिंदी अर्थ कर्म करने का स्थान; कर्म-क्षेत्र। कर्मों या कृत्यों के लिए उपयुक्त भूमि

कर्मभूमि उपन्यास का उद्देश्य क्या है?

' कर्मभूमि' में भी प्रेमचंद के अन्य उपन्यासों की भांति ही महान उद्देश्य निहित हैं। अछूतों एवं किसानों का उद्धार तथा दम्भी एवं विलासी व्यक्तियों के जीवन तथा चरित्र में परिवर्तन लाना ही उनका मुख्य उद्देश्य था।