किसी भी मंत्र की सिद्धि कैसे करें? - kisee bhee mantr kee siddhi kaise karen?

जब मंत्र, साधक के भ्रूमध्य या आज्ञा-चक्र में अग्नि- अक्षरों में लिखा दिखाई दे, तो मंत्र-सिद्ध हुआ समझाना चाहिए। यह बात किसी साधु महात्मा या धार्मिक प्रवचन करने वाले व्यक्ति द्वारा नहीं कही गिया है। पुणे के अंतरिक्ष अनुसन्धान केंद्र में शोध कर रहे डा. एस नारायण ने कही है।

अंतरिक्ष यात्रा की तैयारी कर रहे शोधार्थियों पर प्रयोगों के दौरान उन्हें लगा कि यात्रा के समय आवश्यक मनोबल बनाए रखने में मंत्र जप सहयोगी हो सकता है। इस विचार के बाद मंत्रशक्ति पर अनुसंधान शुरू किया तो पाया कि जप में चित्त की एकाग्रता ही सफलता की गारंटी है।

डा.नारायण के अनुसार मंत्र का सीधा सम्बन्ध ध्वनि से है। ध्वनि प्रकाश, ताप, अणु-शक्ति, विधुत -शक्ति की भांति एक प्रत्यक्ष शक्ति है। मन्त्रों में नियत अक्षरों का एक खास क्रम, लय और आवर्तिता से उपयोग होता है। इसमें प्रयुक्त शब्द का निश्चित भार, रूप, आकार, शक्ति, गुण और रंग होता हैं। एक निश्चित उर्जा, फ्रिक्वेन्सि और वेवलेंथ होती हैं।

डा. नारायण के अनुसार इन बारीकियों का धयान रखा जाए तो मंत्रों की मिट्टी से बनायी गई आकृति से भी उसी तरह की ध्वनी आती है। उदाहरण के लिए गीली मिट्टी से ॐ की पोली आकृति बनाई जाए और उसके एक सिरे पर फूंक मारी जाए तो ॐ की ध्वनि स्पष्ट सुनाई देती है जैसे पास ही कोई ओम मन्त्र का उच्चारण कर रहा हो। जप के दौरान उत्पन्न होने वाली ध्वनि एक कम्पन लाती है।

उस से सूक्ष्म ऊर्जा-गुच्छ पैदा होते है और वे ही घनीभूत होकर मन्त्र को सफल बनाते हैं। सफलता की उस प्रक्रिया पर ज्यादा कुछ कहना जल्दबाजी होग। सिर्फ उन की सफलता के लक्षणों की बारे में बताया जा सकता है। सफलता के जो लक्षण हैं उनमें कुछ इस प्रकार है। जब बिना जाप किये साधक को लगे की मंत्र-जाप स्वतः चल रहा हैं तो मंत्र की सिद्धि होनी अभिष्ट हैं।

साधक सदैव अपने इष्ट -देव की उपस्थिति अनुभव करे और उनके दिव्य-गुणों से अपने को भरा समझे तो मंत्र-सिद्ध हुआ जाने। शुद्धता, पवित्रता और चेतना का उर्ध्गमन का अनुभव करे, तो मंत्र-सिद्ध हुआ जानें मंत्र सिद्धि के पश्चात साधक की शुभ और सात्विक इच्छाए पूरी होने लगती हैं।

एक समय था जब मनुष्य अपने किसी भी कार्य की पूर्णता के लिए मंत्रों का सहारा लेता था | ऐसा करने से उसके कार्य पूर्ण भी होते थे | किन्तु आज के मनुष्य का तो धर्म से ही विश्वास उठता जा रहा है | ऐसे में उन्हें मंत्रों की शक्ति का आभास कराना कल्पना मात्र ही होगा | मंत्र साक्षात् देवों की ही अंश होते है | मंत्र जप द्वारा देवों को खुश करने की परम्परा आदि काल से चली आ रही है | वैसे तो मंत्र अपनी शक्ति कभी नहीं खोते और इनका जप कभी व्यर्थ नहीं जाता | किन्तु यदि संकल्प के साथ किसी भी मंत्र का नियमित रूप से जप किया जाये तो इनका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है | संकल्प के साथ व्यक्ति जिस भी कार्य को ध्यान में रखकर मंत्र जप करता है उसे सफलता अवश्य मिलती है |

आज हम आपको किसी भी मंत्र को सिद्ध करने की बड़ी ही सरल और संक्षिप्त विधि के विषय में जानकारी देने वाले है | किसी भी मंत्र को सिद्ध करने के लिए स्वयं पर और अपने ईष्ट देव पर द्रढ़(अटूट) विश्वास होना चाहिए | जितना आप मन को एकाग्र करके मंत्र का जप करेंगे, मंत्र भी अति शीघ्रता से सिद्ध होने लगेगा |

मंत्र सिद्ध कैसे करे :

किसी भी मंत्र की सिद्धि कैसे करें? - kisee bhee mantr kee siddhi kaise karen?

मंत्र सिद्ध करने की विधि :

मंत्र सिद्धि में समय की अवधि :

किसी भी मंत्र को सिद्ध करने का समय 21 से 41 दिन का होता है | यदि आपके पास समय का थोड़ा अभाव है तो आप 21 दिन का संकल्प लेकर सुबह और शाम दोनों समय मंत्र जप कर सकते है | अन्यथा आप मंत्र सिद्ध करने का यह कार्य 41 दिन में ही संपन्न करने का प्रयत्न करें तो अधिक उत्तम है | 41 दिन के समय में आप दिन में सिर्फ एक ही निश्चित समय पर मंत्र जप करें | यदि महिलाएं मंत्र सिद्ध करती है तो वे इसे 21 दिन का संकल्प लेकर पूर्ण करने का प्रयास करें | महिलाएं ध्यान दे : इन 21 दिनों में उनको मासिक धर्म नहीं आना चाहिए | वे अपना समय मासिक के बीच का निर्धारित कर मंत्र का संकल्प ले सकती है |

मंत्र सिद्धि में मंत्र जप करने की विधि : –

मंत्र सिद्ध/Mantra Siddhi करते समय जब आप पहले दिन मंत्र जप करते है तो आप मंत्र को मुख से बोलकर करें | जैसे-जैसे आपका मंत्र में रमण होने लगता है अब आप मंत्र को सिर्फ होठों से बुदबुदाना शुरू करें(उच्चारण बिल्कुल धीमे स्वर में करें) | और 4 से 5 दिन के बाद अब आप मंत्र को मन ही मन जप करना शुरू कर दे | मन ही मन मंत्र का उच्चारण सामान्य बोलकर किये गये मंत्र उच्चारण की अपेक्षा 1000 गुना अधिक प्रभावी माना गया है |

किसी भी मंत्र की सिद्धि कैसे करें? - kisee bhee mantr kee siddhi kaise karen?

मंत्र सिद्ध करते समय सरल व संक्षिप्त पूजा विधि :

आप जिस भी देव या देवी के मंत्र को सिद्ध करने जा रहे है | उस देव या देवी की फोटो को पूर्व दिशा की तरफ एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित कर ले | आप जिस मंत्र को सिद्ध करने वाले है उस मंत्र को एक पेपर पर साफ-साफ लिखकर फोटो के नीचे रख दे | चौकी के दायें तरफ एक मिटटी के कलश में पानी भरकर रख दे | एक ऐसा नारियल जो बिना पानी का हो और हिलाने पर बजता हो, इस नारियल पर लाल कपड़ा लपेटकर इसके ऊपर लाल धागा लपेट दे, अब इसे मिटटी के पानी वाले कलश के ऊपर रख दे |

अब जल पात्र के थोड़ा आगे एक मिटटी के दिए में घी का दीपक प्रज्वल्लित करें | अब आप श्री गणेश जी की स्थापना करें | एक मिटटी की डली पर लाल धागा लपेटकर उसे कुमकुम से तिलक करें | अब इसे एक कटोरी में थोड़े चावल रखकर उसमें इसे रख दे | इस प्रकार से आप गणेश जी स्थापना कर सकते है | गणेश जी को देव की फोटो के ठीक आगे चौकी पर ही रखे |

एक पात्र में जल भरकर साथ में रख ले | दो पात्र में चावल और चीनी भी साथ में रख ले | मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष की अभिमंत्रित माला व गौमुखी भी साथ रखे | थोड़ी घास जिसे दूब कहते है लेकर इसे अच्छे से धोकर लाल धागे से नीचे से बांध दे | इसे आप जल के पात्र में रख दे |

अब आप चौकी के सामने आसन बिछाकर बैठ जाए | सबसे पहले सभी दिशाओं और स्वयं को पवित्र करें | दूब(घास) द्वारा जल के सभी दिशाओं में छींटे देते हुए बोले : हे परमपिता परमेश्वर मैं सभी दिशाओं और स्वयं को इस पूजा के लिए पवित्र करता हूँ | अब पृथ्वी को हाथ से स्पर्श कर हाथ को माथे से लगाते हुए बोले : ॐ आधार भूमे नमः , जन्म भूमे नमः , कर्म भूमे नमः | अब दीपक की तरफ हाथ जोड़ते हुए सूर्य देव का ध्यान करते हुए उन्हें नमन करें |

अब आप गणेश जी के स्तुति मंत्र द्वारा उनका स्मरण करें | और बोले हे गणेश जी आओ और अपना स्थान ग्रहण करो | अब सभी देवी व देवतों का समरण करते हुए बोले : सभी देव व देवी आओ व अपना स्थान ग्रहण करें | थोड़े चावल लेकर इन्हें चौकी फोटो के बाए तरफ रखते हुए बोले : हे पित्र देव आओ और अपना स्थान ग्रहण करो | अब आप जिस भी देव या देवी का मंत्र जप कर रहे है उनका आव्हान करें : हे ईष्ट देव आओ और अपना स्थान ग्रहण करो |

अब सभी देव व देवी जिनकी स्थापना हमने की है उनका दूब द्वारा 4 – 4 बार छींटे देते हुए बोले : हे देव मैं आपके पाँव धुलवाता हूँ , हाथ धुलवाता हूँ , आचमन करवाता हूँ और स्नान करवाता हूँ | लाल धागे के 3 छोटे-छोटे टुकड़े गणेश जी को समर्पित करें : यह उनके लिए वस्त्र , उपवस्त्र और यज्ञोपवित है | इसी प्रकार से वरुण देव – पित्र देव और अपने ईष्ट देव को लाल धागे के 3 छोटे -छोटे टुकड़े वस्त्र -उपवस्त्र और याग्योवापित के रूप में समर्पित करें |

अब सभी देवों को चावल – कुमकुम व मीठा समर्पित करें | अब सभी देवों को फिर से जल समर्पित करें | अब हाथ जोड़कर सभी देवों का ध्यान करें |

Mantra Siddhi Sankalp Vidhi :

मंत्र सिद्ध करते समय संकल्प इस प्रकार ले :

यह सब कार्य करने के उपरांत अब आपका मुख्य कार्य आरम्भ होता है | अब आप मंत्र जप के लिए संकल्प ले सकते है | संकल्प इस प्रकार ले : दाए हाथ की हथेली में थोडा जल लेकर बोले : हे परमपिता परमेश्वर मैं(अपना नाम बोले ) गोत्र (अपना गोत्र बोले ) अपने कार्य की सिद्धि के लिए ….देव के मंत्र जप कर रहा हूँ मेरे कार्य में मुझे सफलता प्रदान करें | ऐसा कहते हुए जल को नीचे जमीन पर छोड़ते हुए बोले : ॐ श्री विष्णु -ॐ श्री विष्णु – ॐ श्री विष्णु |

इस प्रकार से संकल्प लेने के उपरांत आप मंत्र जप शुरू कर सकते है | आप जिनते समय भी मंत्र जप करते है नियमित रूप से उसी संख्या में और उसी समय पर मंत्र जप करें | मंत्र जप पूर्ण होने पर फिर से हाथ में थोड़ा जल लेकर इस प्रकार से बोले : हे परमपिता परमेश्वर मैंने ये जो मंत्र जप किये है इन्हें मैं अपने कार्य की पूर्णता हेतु श्री ब्रह्म को अर्पित करता हूँ, ऐसा कहते हुए जल को नीचे जमीन पर छोड़ते हुए बोले : ॐ श्री विष्णु -ॐ श्री विष्णु – ॐ श्री विष्णु | अब आप अपने आसन का एक कोना मोड़कर अपना स्थान छोड़ सकते है |

41 दिन पूर्ण होने पर एक हवन का आयोजन करें | इस हवन में जितने मंत्र जप आपने 41 दिन की अवधि में कुल संख्या में किये है उनके दशांश भाग से हवन में मंत्र की आहुतियाँ दे | ऐसा करने से आपका मंत्र सिद्ध हो जाता है और आपको अपने कार्य में सफलता भी अवश्य मिलती है | बाद में नियमित रूप से इस मंत्र का जप दो या 5 मिनट के लिए अवश्य  करते रहे | ऐसा करने से मंत्र में शक्ति बनी रहती है |

कौन सा मंत्र जल्दी सिद्ध होता है?

हे राम रमन्ते योगीनः यस्मिन् स रामः। 4- महालक्ष्मी मंत्र का हर रोज 108 बार या उससे अधिक बार जप करने से भरपूर धन की प्राप्ति होने का साथ जीवन की समस्त निर्धनता हमेशा के लिए दूर हो जाती है। ।। ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः ।।

किसी भी मंत्र को सिद्ध कैसे करें?

जिस मंत्र की साधना करनी हो पहले विधिपूर्वक जितना हर रोज जप सकें उतना प्रतिदिन जप कर सवा लाख बार जप पूरा कर मंत्र साधना करें। फिर जिस कार्य को करना चाहते हैं 108 बार या 21 बार जैसा मंत्र में लिखा हो- उतनी बार जप करने से कार्य सिद्ध होता है। मंत्र शुद्ध अवस्था में जपना चाहिए।

कैसे पता चलेगा कि मंत्र सिद्ध हो गया है?

साधक सदैव अपने इष्ट -देव की उपस्थिति अनुभव करे और उनके दिव्य-गुणों से अपने को भरा समझे तो मंत्र-सिद्ध हुआ जाने। शुद्धता, पवित्रता और चेतना का उर्ध्गमन का अनुभव करे, तो मंत्र-सिद्ध हुआ जानें मंत्र सिद्धि के पश्चात साधक की शुभ और सात्विक इच्छाए पूरी होने लगती हैं।

कोई भी मंत्र कितने दिन में सिद्ध होता है?

सुबह के समय पूर्व की ओर मुख करके 7 दिन तक लगातार 3 बार इस मंत्र का जप करने से कार्य में सिद्धि मिलनी शुरू हो जाती है.