कृषि की परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है। यह मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि कृषि से विभिन्न प्रकार की खाद्यान्न सामग्रियों का उत्पादन किया जाता है जिस पर विश्व के संपूर्ण प्राणी एवं जीव जन्तुओ निर्भर करते है। कृषि को दृष्टि में रखते हुए कृषि के प्रकार इस प्रकार है। Show कृषि के प्रकारभारत में कृषि के प्रकार, krishi ke prakar कृषि के प्रकार कितने होते हैं? भारत में कितने प्रकार की कृषि होती है? कृषि के प्रकार इस प्रकार है -
आर्द्र कृषिभारत के जिन भागों में 100 से 200 सेमी. की वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में और समतल धरातल पर कॉप मिट्टी की प्रधानता पायी जाती हैं। वहां आर्द्र खेती की जाती हैं। इन भागों में चावल की वर्ष में दो फसलें ली जाती हैं। पश्चिम बंगाल, ब्रम्हपुत्र की घाटी, केरल, पूर्वी तट के दक्षिणी भाग तथा पूर्वी भारत के अन्य प्रदेशों में आर्द्र कृषि का अधिक प्रचलन हैं। जिन क्षेत्रों में आदिवासि की अधिकता हैं।जैसे नागालैंड, त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय, अरूणाचलप्रदेश और पष्चिमी घाट वहां चलवासी कृषि की जाती हैं। 200 सेमी. से अधिक वर्षा होने से मिट्टी में नमी बनी रहती हैं और वर्ष में दो तीन फसलें लेने के बाद जंगल काटकर नये खेत बना दिये जाते हैं और पुराने खेत अनुपजाऊ हो जाने से त्याग दिये जाते हैं। कृषि किसे कहते हैं | krishi kise kahate hainकृषि एक बहुत प्रचलित व्यवसाय है। मानव सभ्यता के विकास में स्थाई कृषि एक महत्वपूर्ण चरण था, भूमि अथवा मिट्टी को जोतने, बीज बोकर बीज उत्पन्न करने, इसके साथ ही सहायक के रूप में पशु पालने मत्स्यअखेट करने एवं वानिकी की संपूर्ण कार्य प्रणाली की कला एवं विज्ञान को कृषि कहते हैं। इस प्रकार कृषि के बीज उत्पन्न करने एवं पशुपालन, मत्स्यअखेट, वानिकी सभी सम्मिलित हैं। इसी व्यवसाय से विश्व की समस्त जनसंख्या को भोजन प्राप्त होता है एवं वस्त्र व आवास संबंधी अधिकांश आवश्यक्ताओं की पूर्ति होती है। कृषि के प्रकारआपका सवाल :- कृषि के कितने प्रकार है, कृषि के प्रकार लिखिए?
1. स्थानांतरण कृषि :- स्थानांतरण कृषि किसे कहते हैं ? इस कृषि के अंतर्गत कृषक अपना कृषि क्षेत्र बदलते रहता है। वनों को काटकर तथा झाड़ियों को जलाकर छोटे से भूखंड को साफ कर हल या अन्य किसी औजार द्वारा खोदकर उसमें बीज बो दिया जाता है। इस कृषि में मोटे अनाज जैसे - मक्का, ज्वार, बाजरा आदि उत्पन्न किए जाते हैं। जिन्हें स्थानांतरण कृषि कहा जाता है। 2. बागाती कृषि :- बहुत से देशों में किसी बागानों के रूप में किया जाता है। बड़ी-बड़ी उपजें बागानों में उत्पन्न होती हैं। भगति कृषि मे यह विशेषताएं पाई जाती है :- बागाती कृषि या बागान कृषि की विशेषताएं
3. गहनभरण कृषि :- यह कृषि उन देशों में विकसित हुई है। जहां उपजाऊ भूमि की कमी तथा जन आधिक्य पाया जाता है। अधिकांश मानसूनी देशों में यह कृषि की जाती है। 4. भूमध्यसागरीय कृषि :- इस कृषि का विस्तार भूमध्यसागरीय जलवायु प्रदेशों में हुआ है। यहां पर शीतकाल में वर्षा होती है तथा ग्रीष्म काल शुष्क रहता है। इस जलवायु की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यहाँ दो प्रकार की फसलें उगाई जाती है |
5. व्यापारिक कृषि:- व्यापार के उद्देश्य से की जाने वाली कृषि को व्यापारिक कृषि कहते हैं। यह कम जनसंख्या वाले देशों में यह कृषि की जाती है। रूस, अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया आदि देश इसके अंतर्गत आते हैं। व्यापारिक कृषि की विशेषता
6. मिश्रित खेती :- मिश्रित खेती में कृषि कार्यों के साथ-साथ पशुपालन व्यवसाय भी किया जाता है, यहां पर कुछ फसलों का उत्पादन मानव के लिए तथा कुछ का उत्पादन पशुओं के लिए किया जाता है। इन प्रदेशों में चौपाये, भेड़, बैल, बकरियां, गधे आदि भी पाए जाते हैं। इस प्रकार कि की जाने वाली कृषि को हम मिश्रित खेती करते हैं। 7. फलों एवं सब्जियों की कृषि :- नगरीय केंद्रों में समीपवर्ती कृषि क्षेत्रों में एवं फल एवं सब्जियों का उत्पादन अधिक मात्रा में किया जाता है बाजार केंद्र का नजदीक एवं परिवहन साधनों की सुविधा के आधार पर इस कृषि का विकास हुआ है। कैलिफोर्निया घाटी, फ्लोरिडा, अंध महासागर के तटीय प्रदेशों में यह कृषि की जाती है। 8. शुष्क कृषि :- यह कृषि पूर्णता वर्षा पर निर्भर रहती है। देश की कुल कृषि भूमि के 70% भाग पर या कृषि की जाती है। इन स्थानों में दालें, तिलहन, मूंगफली, ज्वार, बाजरा और मक्के की कृषि की जाती है। शुष्क प्रदेशों में शुष्क कृषि तकनीक को अपनाते हुए कृषि की जाती है जो निम्नानुसार है।
9. सहकारी कृषि :- ऐसे कृषि क्षेत्रों में छोटे-छोटे खेतों के स्वामी को सामूहिक खेती करने हेतु प्रेरित किया गया। सभी कृषक अपनी-अपनी कृषि योग्य जमीन मिलाकर फार्म बना लेते हैं। वह सभी मिलकर मालिक की तरह लगन और छमता से कार्य करते हैं। तथा उत्पादन से अपनी खेत की रकम को बराबर बात लेते हैं। भारतवर्ष में भी इस कृषि पद्धति को प्रोत्साहन दिया जा रहा। 10. विस्तृत कृषि :- जीन क्षेत्रों में कृषि योग्य भूमि अधिक उपलब्ध होती है, वहां यह कृषि की जाती है, यहां अधिकांशतः कृषि मशीनों द्वारा की जाती है इसका कारण यह है कि यहां श्रम शक्ति का अभाव पाया जाता है। वहां भी कृषि भूमि के बड़े-बड़े फार्म बनाए जाते हैं। इस प्रकार की कृषि संयुक्त राज्य अमेरिका, अर्जेंटीईना, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्राजील आदि देशों में की जाती है। भारत में कृषि कितने प्रकार के हैं?भारत में होने वाली विभिन्न प्रकार की कृषि. निर्वाह खेती (Subsistence Farming) ... . बागवानी कृषि (Horticulture Agriculture) ... . गहन कृषि (Intensive Farming) ... . स्थानांतरित कृषि (Shifting Agriculture) ... . व्यापक कृषि (Extensive Agriculture) ... . वाणिज्यिक कृषि (Commercial Agriculture) ... . सूखी भूमि खेती (Dryland Farming). भारतीय कृषि का प्रमुख प्रकार क्या है?सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की हिस्सेदारी 2020-21 में बढ़कर 19.9 प्रतिशत हो गई, जो 2019-20 में 17.8 प्रतिशत थी। पिछली बार सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान 20 प्रतिशत था जो 2003-04 में था। भारतीय कृषि का प्रमुख प्रकार निर्वाह कृषि है। अत: विकल्प 4 सही है।
कृषि को कितने भागों में बांटा गया है?कृषि को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जाता है -
भारतीय कृषि क्या है?कृषि, भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। भारत में कृषि सिंधु घाटी सभ्यता के दौर से की जाती रही है। १९६० के बाद कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति के साथ नया दौर आया। सन् २००७ में भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि एवं सम्बन्धित कार्यों (जैसे वानिकी) का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में हिस्सा 16.6% था।
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