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कविता का हिंदी में अर्थ / व्याख्या पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें। शक्ति और क्षमा (Shakti or Kshama) क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल सबका लिया सहारा, क्षमाशील हो रिपु -समक्ष तुम हुये विनत जितना ही, अत्याचार सहन करने का कुफल यही होता है, क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो , तीन दिवस तक पंथ मांगते रघुपति सिंधु किनारे, उत्तर में जब एक नाद भी उठा नही सागर से, सिंधु देह धर त्राहि-त्राहि करता आ गिरा शरण में,
सच पूछो तो शर में ही बसती है दीप्ति विनय की, सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है, --रामधारी सिंह दिनकर (Ramdhari Singh Dinkar) हिंदी में अर्थ / भावार्थ - कविता शक्ति और क्षमा - रामधारी सिंह दिनकरसन्दर्भ / (शक्ति और क्षमा) : इस कविता में भीम अपने बड़े भाई युधिष्ठिर से उनके अति नरम स्वभाव के लिए शिकायत कर रहा है और बता रहा है कि कैसे उनके विनम्र स्वभाव के कारण उनकी छवि एक कायर की बन चुकी है। वह एक उदहारण के माध्यम से अपनी बात युधिष्ठिर को समझाने की कोशिश करता है कि राम जब समुन्द्र से रास्ता देने की प्रार्थना करते रहे तो समुन्द्र ने उनकी एक ना सुनी , पर जब राम ने धनुष उठाया तो समुंद्र को उनकी बात माननी पड़ी। वह यह समझाने का प्रयत्न कर रहा है की कुछ जगह कार्य सिद्धि के लिए बल प्रयोग करना ही पड़ता है। आइये देखते हैं कविता का शब्दशः अर्थ। मित्रो इसका अर्थ लिखते हुए कई शब्दों का शाब्दिक अर्थ न लेकर मैंने वास्तविक या व्यावहारिक अर्थ लिखा है जिससे वाक्य का सही अर्थ (जो कवि कहना चाहता है) बन सके। क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल सबका लिया सहारा, क्षमाशील हो रिपु -समक्ष तुम हुये विनत जितना ही, अत्याचार सहन करने का कुफल यही होता है, क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो , सिंधु देह धर
त्राहि-त्राहि करता आ गिरा शरण में, सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है, --रामधारी सिंह दिनकर (कवि) Meaning / Explanation in English - Poem Shakti aur Kshama - Power and Forgiveness - Ramdhari Singh DinkarContext : In this poem, Bhima is complaining to his elder brother Yudhishthira for his very soft nature and telling him how his humble nature has made his iamge of a coward person. He tries to explain to Yudhishthira through an example that when Lord Rama prayed sea to give him way to Lanka, the sea did not listen to him, but when Rama raised the bow, the sea had to obey him. He is trying to explain that sometimes, force is necessary for accomplishment of work. Let us see the word by word meaning of the poem. Friends, while writing its meaning, I have written the actual or practical meaning of many words without taking the literal meaning, to make the relevant meaning of the sentence (which Poet wants to convey). क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल सबका लिया सहारा, क्षमाशील हो रिपु -समक्ष तुम हुये विनत जितना ही, अत्याचार सहन करने का कुफल यही होता है, क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो , सिंधु देह धर त्राहि-त्राहि करता आ गिरा शरण में, सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है, --Ramdhari Singh Dinkar (Poet) प्रश्न - उत्तर (Question and Answer)बच्चों , वैसे तो मैंने सभी पंक्तियों के अर्थ ऊपर हिंदी एवं English में दिए हैं। प्रत्येक पंक्ति के अर्थ में मैंने सभी कठिन शब्दों के अर्थ भी दिए हैं , जिनसे कोई भी आसानी से NCERT की किताबों के प्रश्नो (Questions) के उत्तर बड़ी आसानी से दे सकता है। लेकिन फिर भी यदि आपको किसी विशेष प्रश्न (Question) के उत्तर देने में कठिनाई हो रही है तो कृपया मुझे कमेंट में लिखें या पर ईमेल करें। मुझे आपकी सहायता करने में अत्यंत खुशी होगी। शायद आप यह भी पढ़ना चाहें : हिंदी कहानी - साँप ने काटना छोड़ा है फुफकारना नहीं (Hindi Story - Snake Gave Up Bite But Not Hiss) अपनी रूचि अनुसार और पढ़ें : उत्कृष्ट हिंदी कविताऐं रुचिकर हिंदी कहानियाँ ज्ञानवर्धक लेख व्यावहारिक हिंदी ज्ञान महापुरुषों की जीवनियां मित्रो , यदि आपके पास कोई अच्छी कविता है जो आप इस ब्लॉग पर प्रकाशित करना चाहते हैं तो मुझे पर बताएं। Friend, if you have any good poem which you wish to publish at this blog, then please let me know at क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो उसको क्या जो दन्तहीन विषरहित विनीत सरल हो meaning?उसको क्या जो दंतहीन, विषरहित, विनीत, सरल हो ।
हिंदी में अर्थ : किसी को माफ़ करना (क्षमा) केवल उसी साँप (भुजंग) को शोभा देता है (शोभती), जिसके पास जहर / विष (गरल) हो। वो (साँप) क्या माफ़ करेगा (क्षमा करेगा) जिसके दाँत ना हो. (दंतहीन), हरेक के लिए झुकता हो (विनीत) और जो साधारण सा (सरल) हो।
क्षमा शोभती उस भुजंग को किसकी कविता है?क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो: रामधारी सिंह "दिनकर"
क्षमा किसकी रचना है?शक्ति और क्षमा / रामधारी सिंह "दिनकर"
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