कृष्ण भगवान को भोग क्या लगाया जाता है? - krshn bhagavaan ko bhog kya lagaaya jaata hai?

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भगवान श्री कृष्ण को क्यों लगाया जाता है छप्पन भोग? जानें पौराणिक कथा

कृष्ण भगवान को भोग क्या लगाया जाता है? - krshn bhagavaan ko bhog kya lagaaya jaata hai?

बाल लीला करने और नटखट मिजाज के चलते श्री कृष्ण की प्रसिद्धि बाल्यकाल से ही थी

Krishna Ko 56 Bhog: आज भी जब हम कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Jnamashtmi) मनाते हैं, तो लड्डू गोपाल को 56 प्रकार के भोग लगा ...अधिक पढ़ें

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  • Last Updated : December 27, 2021, 19:06 IST

    Krishna Ko 56 Bhog: हम सभी को भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण (Lord Krishna) के बारे पता है. भगवान श्री कृष्ण को हम कई अन्य नामों से भी जानते हैं. बचपन से बाल लीला करने और नटखट मिजाज के चलते श्री कृष्ण की प्रसिद्धि बाल्यकाल से ही थी. श्री कृष्ण ने कंस वध से लेकर कुरुक्षेत्र (Kurukshetra) की रणभूमि तक में मानव को जीवन जीने की कला सिखाई. आज गीता का ज्ञान कलयुग में मनुष्यों के लिए मोक्ष का एक मार्ग है और. हर व्यक्ति गीता के ज्ञान को अपने में समाहित करना चाहता है. भगवान श्री कृष्ण बचपन से ही खाने के बड़े शौकीन थे, और आज भी जब हम कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Jnamashtmi) मनाते हैं, तो लड्डू गोपाल को 56 प्रकार के भोग लगाए जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्यों भगवान श्री कृष्ण को 56 प्रकार के भोग लगाए जाते हैं. यदि नहीं तो चलिए आज हम आपको बताते है कि आखिर क्यों भगवान श्री कृष्ण को 56 प्रकार के भोग लगाए जाते हैं

    इसलिए लगाया जाता है 56 भोग
    जैसा कि हम सभी जानते है भगवान श्री कृष्ण का बाल्यकाल गोकुल में बीता. उनकी माता यशोदा उन्हें प्रतिदिन आठ प्रहर मतलब दिन में आठ बार भोजन कराती थीं. ऐसा वृतांत मिलता है कि एक बार देवराज इंद्रा गोकुल वासियों से रुष्ट हो गए और उन्होंने गोकुल पर बारिश का कहर बरसाया.

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    तब भगवान श्री कृष्णा ने सात दिनों तक बिना खाये-पिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली में उठाये रखा और सातवें दिन जब बारिश रुक गई और गोकुल वासी गोवर्धन के नीचे से निकल आये तब उन्हें ध्यान आया कि कान्हा ने तो सात दिनों से कुछ खाया ही नहीं है. तब माता यशोदा और सभी गोकुलवासियों ने श्री कृष्ण के लिए सात दिन और आठ प्रहर (7 दिन X 8 पहर = 56) के हिसाब से छप्पन प्रकार के अलग अलग पकवान बनाये और लड्डू गोपाल को खिलाए.

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    अन्य मान्यता के अनुसार
    एक अन्य मान्यता के अनुसार एक बार गोकुल की गोपियों ने भगवान श्री कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए एक माह तक लगातार यमुना नदी में स्नान किया, और माता कात्यायनी की पूरी श्रद्धा से पूजा की. ताकि श्री कृष्ण ही उन्हें पति रूप में मिले. श्री कृष्ण को जब यह बात पता चली तो श्री कृष्ण ने सभी गोपियों को उनकी इच्छापूर्ति होने का आश्वासन दिया. इसी बात से प्रसन्न होकर सभी गोपियों ने श्री कृष्ण के लिए अलग अलग छप्पन प्रकार के व्यंजन बनाये. छप्पन भोग में वही व्यंजन होते हैं जो मुरली मनोहर को पंसद थे. आमतौर पर इसमें अनाज, फल, ड्राई फ्रूट्स, मिठाई, पेय पदार्थ, नमकीन और अचार जैसी चीजे़ं शामिल होती हैं.

    (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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    Tags: Religion, धर्म

    FIRST PUBLISHED : December 27, 2021, 19:06 IST

    इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, 18 और 19 अगस्त, दो तारीखों की बताई जा रही हैं क्योंकि इस साल अष्टमी तिथि 18 अगस्त की रात 09 बजकर 20 मिनट से लेकर 19 अगस्त की रात 10 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। तिथि और चंद्रमा के आधार पर 18 अगस्त की मध्यरात्रि में जन्माष्टमी मनाना ज्यादा उचित है हालांकि वैष्णव परंपरा के लोग 19 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार मना सकते हैं। इस दिन लोग शालिग्राम, लड्डू गोपाल के रूप में उनकी पूजा करते हैं और कुछ व्रत उपवास रखकर श्रीकृष्ण से विशेष प्रार्थना करते हैं। वहीं इस दिन श्रीकृष्ण जी को छप्पन प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाने की परंपरा भी है। इस भोग को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। श्रीकृष्ण को अर्पित किए जाने वाले इन 56 व्यंजनों के अलग-अलग नाम होते हैं लेकिन श्रीकृष्ण को छप्पन भोग ही क्यों लगते हैं? दरअसल, इससे भी कई रोचक कथाएं जुड़ी है जिनका अपना ही विशेष महत्व है।

    कृष्ण भगवान को भोग क्या लगाया जाता है? - krshn bhagavaan ko bhog kya lagaaya jaata hai?

    चलिए आपको श्रीकृष्ण के 56 भोग की कथाओं के बारे में ही बताते हैं। वैसे तो भगवान श्री कृष्ण के छप्पन भोग से कई कथाएं जुड़ी हुई हैं। लेकिन सबसे प्रचलित कथा के अनुसार, कहा जाता है कि माता यशोदा अपने बाल गोपाल को रोज आठ प्रहर मतलब दिन में 8 बार भोजन कराती थीं लेकिन जब श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पूजा के कराए जाने पर देवराज इंद्र बृजवासियों से नाराज हो गए थे तो उन्होंने क्रोध में खूब वर्षा बरसाई थी ताकि बृजवासी माफी मांगने पर मजबूर हो जाए लेकिन बृज वासियों की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाया और सभी बृज वासियों को इसी पर्वत के नीचे आने को कहा।

    7 दिन तक बिना खाए पिए उठाया था गोवर्धन पर्वत 

    कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने 7 दिनों तक बिना खाए-पिए गोवर्धन पर्वत को उठाए रखा। जब इंद्र को अपनी भूल का अहसास हुआ तो उन्होंने खुद क्षमा मांगी। सातवें दिन जब बारिश रूकी तो उनकी मां यशोदा ने बृजवासियों संग मिलकर उन्होंने 7 दिनों के 8 पहर के हिसाब से  (7*8=56)  कान्हा के लिए छप्पन भोग बनाए थे। तभी से श्रीकृष्ण की पूजा में उन्हें छप्पन व्यंजनों का महाभोग लगाने की परंपरा है। इस भोज में भात-दाल, चटनी, कढ़ी, घेवर, दलिया, मक्खन इलायची से लेकर जलेबी जैसे कई व्यंजन शामिल हैं।

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    एक महीने तक गोपियों ने किया था यमुना में स्नान

    एक अन्य मान्यता के अनुसार,  एक बार गोकुल की गोपियों ने श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए एक माह तक लगातार यमुना नदी में स्नान किया और माता कात्यायनी की पूजा की ताकि श्री कृष्ण ही उन्हें पति रूप में मिले। जब ये बात श्रीकृष्ण को पता चली तो श्री कृष्ण ने सभी गोपियों को उनकी इच्छापूर्ति होने का आश्वासन दिया। इसी से खुश होकर गोपियों ने श्री कृष्ण के लिए अलग-अलग छप्पन प्रकार के व्यंजन बनाए। छप्पन भोग में वही व्यंजन होते हैं जो मुरली मनोहर को पंसद थे। ज्यादातर इसमें अनाज, फल, ड्राई फ्रूट्स, मिठाई, पेय पदार्थ, नमकीन और अचार जैसी चीजे़ं शामिल होती हैं।

    कमल की 3 परतों में होती है 56 पंखुड़ियां

    छप्पन भोगी से जुड़ी एक अन्य कहानी के मुताबिक,  गौ लोक में श्रीकृष्‍ण और राधा एक दिव्य कमल पर विराजते हैं। उस कमल की 3 परतों में 56 पंखुड़ियां होती हैं और हर एक पंखुड़ी पर एक प्रमुख सखी और बीच में भगवान विराजते हैं इसलिए 56 भोग लगाया जाता है।

    कृष्ण भगवान को भोग क्या लगाया जाता है? - krshn bhagavaan ko bhog kya lagaaya jaata hai?

    छप्पन भोग से जुड़ा गणित भी है। जैसेः कड़वा, तीखा, कसैला, अम्ल, नमकीन और मीठा ये छह रस या स्वाद होते हैं। इन छह रसों के मेल से 56 प्रकार के खाने योग्य व्यंजन बनाए जा सकते हैं इसलिए 56 भोग का मतलब है कि वह सभी प्रकार का खाना जो हम भगवान को भोग के रूप में अर्पित कर सकते हैं। अब तो आप जान गए होंगे कि श्रीकृष्ण को छप्पन भोग क्यों लगाए जाते थे। आप लल्ला को किस व्यंजन का भोग लगाएंगे हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। छप्पन भोग से जुड़ी जुड़ी पौराणिक कथाएं आप भी जानते हैं तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं । 

    भगवान श्रीकृष्ण के 56 भोग का नाम

    1. भक्त (भात),2. सूप (दाल),3. प्रलेह (चटनी),4. सदिका (कढ़ी),5. दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी),6. सिखरिणी (सिखरन),7. अवलेह (शरबत),8. बालका (बाटी), 9. इक्षु खेरिणी (मुरब्बा),10. त्रिकोण (शर्करा युक्त),11. बटक (बड़ा),12. मधु शीर्षक (मठरी),13. फेणिका (फेनी),14. परिष्टाश्च (पूरी),15. शतपत्र (खजला),16. सधिद्रक (घेवर)17. चक्राम (मालपुआ),18. चिल्डिका (चोला),19. सुधाकुंडलिका (जलेबी),20. धृतपूर (मेसू),21. वायुपूर (रसगुल्ला),22. चन्द्रकला (पगी हुई),23. दधि (महारायता),24. स्थूली (थूली)25. कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी), 26. खंड मंडल (खुरमा), 27. गोधूम (दलिया), 28. परिखा, 29. सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त), 30. दधिरूप (बिलसारू), 31. मोदक (लड्डू), 32. शाक (साग) 33. सौधान (अधानौ अचार), 34. मंडका (मोठ), 35. पायस (खीर) 36. दधि (दही), 37. गोघृत, 38. हैयंगपीनम (मक्खन), 39. मंडूरी (मलाई), 40. कूपिका 41. पर्पट (पापड़), 42. शक्तिका (सीरा), 43. लसिका (लस्सी), 44. सुवत, 45. संघाय (मोहन), 46. सुफला (सुपारी), 47. सिता (इलायची), 48. फल, 49. तांबूल, 50. मोहन भोग, 51. लवण, 52. कषाय, 53. मधुर, 54. तिक्त, 55. कटु, 56. अम्ल।

    लड्डू गोपाल को क्या क्या भोग लगाना चाहिए?

    कृष्ण जी को मक्‍खन-मिश्री और लड्डू अति प्रिय हैं, इसलिए कृष्ण जी को इनका भोग लगाएं. इसके अलावा मौसमी फलों का भोग भी लगा सकते है. दोपहर के समय लड्डू गोपाल को उस भोजन का भोग लगाएं, जो स्वयं के लिए बनाया हो. पर इस बात का ध्यान रखें कि भोजन में लहसुन और प्याज कुछ भी ना हो.

    कृष्ण भगवान को क्या भोग लगाना चाहिए?

    भगवान कृष्ण का सबसे पसंदीदा भोग है माखन और मिसरी कै। बचपन से ही मैया यशोदा भगवान कृष्ण को माखन में मिसरी मिलाकर खिलाया करती थी। इसलिए जन्माष्टमी वाले दिन आप भी उन्हें माखन संग मिसरी मिलाकर भोग लगाएं।

    भगवान श्रीकृष्ण को खाने में क्या पसंद है?

    भगवान श्रीकृष्ण को माखन बहुत पसंद है ये तो जगजाहिर है। भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों में भी माखन मिश्री का ही भोग लगाया जाता है। बाल-गोपाल खाने पीने के इतने शौकीन थे कि इसके लिए वो दूसरों के घरों में चोरी तक कर लेते थे।

    56 भोग में क्या क्या आता है?

    आमतौर पर छप्पन भोग में माखन मिश्री, खीर, बादाम का दूध, टिक्की, काजू, बादाम, पिस्ता, रसगुल्ला, जलेबी, लड्डू, रबड़ी, मठरी, मालपुआ, मोहनभोग, चटनी, मूंग दाल का हलवा, पकौड़ा, खिचड़ी, बैंगन की सब्जी, लौकी की सब्जी, पूरी, मुरब्बा, साग, दही, चावल, इलायची, दाल, कढ़ी, घेवर, चिला और पापड़ होती है।