कृष्ण भगवान का व्रत कैसे करते हैं? - krshn bhagavaan ka vrat kaise karate hain?

जब-जब भी असुरों के अत्याचार बढ़े हैं और धर्म का पतन हुआ है तब-तब भगवान ने पृथ्वी पर अवतार लेकर सत्य और धर्म की स्थापना की है। इसी कड़ी में भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में भगवान कृष्ण ने अवतार लिया।

चूंंकि भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे अतः इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी अथवा जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन स्त्री-पुरुष रात्रि बारह बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झांंकियांं सजाई जाती हैं और भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है।

कृष्ण भगवान का व्रत कैसे रखा जाता है?

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत-पूजन कैसे करें, 10 जरूरी बातें.
उपवास की पूर्व रात्रि को हल्का भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।.
उपवास के दिन प्रातःकाल स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएंं।.
पश्चात सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्‌पति, भूमि, आकाश, खेचर, अमर और ब्रह्मादि को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर मुख बैठें।.

कान्हा जी का व्रत कौन से दिन रखा जाता है?

जन्माष्टमी का व्रत हर साल भाद्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस साल भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि 19 अगस्त 2022 को है।

कृष्ण भगवान को क्या क्या चढ़ता है?

मान्यता है कि भगवान कृष्ण को सबसे अधिक पसंद माखन मिश्री, पंचामृत और पंजीरी होती है। कहते हैं कि भगवान कृष्ण को जो प्रसाद चढ़ाया जाता है उस भोग को बाल भोग कहा जाता है। पंजीरी: जन्माष्टमी में बनाई गई पंजीरी में आटे का प्रयोग नहीं होता है क्योंकि इसका सेवन व्रती भी करती हैं।

भगवान श्रीकृष्ण को खाने में क्या पसंद है?

भगवान कृष्ण को मोर पंख, माखन और मिश्री, धनिया की पंजीरी, बांसुरी बहुत पसंद है इसलिए जिस समय भगवान का झूला सजाएं ध्यान रखें कि ये सारी चीजें उनके आसपास हों. इसके अलावा कई ऐसी राशियां हैं जिनपर भगवान कृष्ण की विशेष कृपा रहती है.