Advertisement Remove all ads Show Advertisement Remove all ads Short Note निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए - कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा। Advertisement Remove all ads Solutionकोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा। (1) अनुप्रास अलंकार - उक्त पंक्ति में 'क' वर्ण की एक से अधिक बार आवृत्ति हुई है, इसलिए यहाँ अनुप्रास अलंकार है। (2) उपमा अलंकार - कोटि कुलिस सम बचनु में उपमा अलंकार है। क्योंकि परशुराम जी के एक-एक वचनों को वज्र के समान बताया गया है। Concept: पद्य (Poetry) (Class 10 A) Is there an error in this question or solution? Advertisement Remove all ads Chapter 2: तुलसीदास - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद - प्रश्न-अभ्यास [Page 15] Q 10.2Q 10.1Q 10.3 APPEARS INNCERT Class 10 Hindi - Kshitij Part 2 Chapter 2 तुलसीदास - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद Advertisement Remove all ads कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा पंक्ति में कौन से अलंकार हैं?(ग) तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा। बार बार मोहि लागि बोलावा|| (घ) लखन उतर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु। बढ़त देखि जल सम बचन बोले रघुकुलभानु||
कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है क अनुप्रास ख यमक ग श्लेष घ उपमा?'कोटि कुलिस सम बचनु' में अनुप्रास अलंकार है, क्योंकि इसमें 'क' वर्ण की दो बार आवृत्ति हुई है। 'अनुप्रास अलंकार' की परिभाषा के अनुसार जब किसी काव्य रचना में किसी वर्ण या शब्द की एक से अधिक बार आवृत्ति हो तो वहां पर अनुप्रास अलंकार होता है।
कोटि कुलस सम बचनु तुम्हारा पंक्ति में कौनसा अर्थालंकार है?(ख) ''कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा।'' उपमेय 'बचन' की उपमान 'कुलिस' से समानता दिखाने पर यहाँ उपमा अलंकार है।
कुलिस सम बचनु कैसे वचन होते हैं?मारतहू पा परिअ कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा | ब्यर्थ धरहु धनु बान रोकी ॥ सुराई || तुम्हारें || कुठारा।। जो बिलोकि अनुचित कहेउँ छमहु महामुनि धीर । सुनि सरोष भृगुबंसमनि बोले गिरा गंभीर ।।
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