Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Muhavare मुहावरे Exercise Questions and Answers. Show
Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran मुहावरेमुहावरे HBSE 9th Class Hindi मुहावरे जब कोई वाक्यांश अपने प्रचलित अर्थ को त्यागकर किसी विशेष अर्थ के लिए प्रसिद्ध हो जाता है, तो उसे मुहावरा कहते हैं; जैसे – ‘आँख दिखाना’ । जब कोई व्यक्ति डॉक्टर को आँख दिखाने के लिए जाता है तब इसका साधारण अर्थ लिया जाता है अर्थात डॉक्टर से आँख की जाँच करवाना चाहता है कि उसे नेत्र रोग है या नहीं। किंतु जब यह कहा जाता है कि उसने मुझे ‘आँख दिखाई’ तो इसका अर्थ होगा कि उसने मेरे प्रति क्रोध व्यक्त किया। अतः ‘आँख दिखाना’ मुहावरा कहा जाएगा। अतः मुहावरा एक विशेष अर्थ को व्यक्त करने वाला वाक्यांश है। मुहावरे (अ – आ) 1. अंगारे बरसना – बहुत अधिक गर्मी पड़ना। 2. अक्ल पर पत्थर पड़ना – बुद्धि नष्ट होना। 3.
अंगूठा दिखाना – साफ इंकार करना। 4. अंधे की लाठी – एकमात्र सहारा। 5. अक्ल के घोड़े दौड़ाना – बहुत सोच – विचार करना। 6. अपना – सा मुँह लेकर रह जाना – लज्जित होना। 7. अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना – अपनी हानि स्वयं करना। 8. अपने मुँह मियाँ मिटू बनना – अपनी प्रशंसा स्वयं करना। 9. अपनी खिचड़ी अलग पकाना – सबसे अलग रहना । 10. अरण्य – रोदन – निष्फल प्रयत्न। 11. अंधे के आगे रोना – निर्दय को अपना दुःख सुनाना। 12.अंग – अंग ढीला होना – बहुत थक
जाना। 13. अंत पाना – रहस्य जानना। 14. आँखों का तारा – बहुत प्यारा। 15. आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना। 16. आँख का काँटा – खटकने वाला व्यक्ति। 17. आँखें खुलना – सावधान होना। 18. आँखें दिखाना – इशारे से धमकाना। 19. आँख रखना – ध्यान रखना। 20. आँखें फेरना – साथ न देना। HBSE 9th Class Hindi मुहावरे 21. आँखों पर परदा पड़ना – भले – बुरे की पहचान न होना। 22. आँखें चुराना – सामने आने से कतराना। 23. आँखें बिछाना – प्रेम सहित स्वागत करना। 24. आँखों में खून उतरना – बहुत गुस्सा आना। 25. आँच न आने देना – जरा भी कष्ट न होने देना। 26. आँचल पसारना – भीख माँगना। 27. आँसू पोंछना – धीरज बँधाना। 28. आकाश – पाताल एक करना बहुत अधिक प्रयत्न करना। 29. आकाश
से बातें करना – बहुत ऊँचा होना। 30. आस्तीन का साँप – विश्वासघाती। 31. आग बबूला होना – अत्यंत क्रोधित होना। 32. आकाश – पाताल का अंतर – बहुत अधिक अंतर। 33. आकाश कुसुम – असंभव कल्पना। 34. आग में कूदना – जान – बूझकर विपत्ति में पड़ना। 35. आटे में नमक – बहुत कम संख्या या मात्रा में होना। 36. आटे दाल का भाव मालूम होना – कष्ट और वास्तविकता का अनुभव होना। 37. आपे से बाहर होना – क्रोध में आना। (इ – ई) 38. इतिश्री करना – समाप्त करना। 39. ईद का चाँद होना बहुत कम दिखाई
देना। 40. ईंट का जवाब पत्थर से देना – दुष्टता का जवाब दुगुनी दुष्टता से देना। 41. ईंट से ईंट बजाना – नष्ट – भ्रष्ट करना। (उ – ऊ) 42. उँगली उठाना – दोष निकालना। 43. उँगली उठना – निंदित होना। 44. उगल देना – भेद प्रकट कर देना। 45. उड़ती चिड़िया पहचानना – दूसरे की वास्तविकता को जान लेना। 46. उठ जाना – मर जाना। 47. उलटी गंगा बहाना – उलटा कार्य करना। 48. उन्नीस – बीस का अन्तर – बहुत कम अंतर। 49. उधेड़बुन में पड़ना –
सोच – विचार करना। 50. ऊँट के मुँह में जीरा – आवश्यकता से बहुत कम वस्तु। (ए – ऐ) 51. एक आँख से देखना – एक समान
समझना। 52. एक ही लकड़ी से हाँकना – एक – सा कठोर व्यवहार करना। 53. एड़ी – चोटी का जोर लगा देना – बहुत प्रयत्न करना। (क) 54. कमर कसना – दृढ़ता से तैयार होना। 55. कमर टूटना – हिम्मत हार जाना। 56. कलम तोड़ना – बहुत सुंदर लिखना।। 57. कन्नी काटना – पास न आना। 58. कदम चूमना – खुशामद करना। 59. कलेजा मुँह को आना – अत्यधिक दुखी होना 60. कलेजा निकालकर रख देना सब कुछ अर्पित कर देना। 61. कलेजा छलनी होना बहुत दुखी होना। 62. कलेजे पर साँप लोटना – ईर्ष्या से जलना। 63. कलेजा ठंडा होना बहुत खुश होना। 64. काँटे बिछाना – रुकावट पैदा करना। 65. किस खेत की मूली होना – प्रभावहीन होना। 66. कुआँ खोदना – हानि पहुँचाने की कोशिश करना। 67. कान खोलना – सावधान करना। 68. कान खड़े होना – सावधान होना।। 69. कान का कच्चा – जो हर एक के कहने में आ जाए। 70. कान कतरना – बहुत चालाक होना। 71. कागज़ी घोड़े दौड़ाना – बेकार की लिखा – पढ़ी करना। 72. कुछ पल का मेहमान – मृत्यु के समीप होना। 73. कोल्हू का बैल – बहुत अधिक परिश्रम करने वाला। 74. कौड़ी को न पूछना – कुछ भी कद्र न होना। 75. कान पर जूं तक न रेंगना – कुछ असर न होना। 76. काम आना – युद्ध में मारा जाना, लाभदायक सिद्ध होना। 77. काफूर होना – दूर होना। (ख) 78. खतरा मोल लेना – संकट में पड़ना। 79. खटाई में पड़ना – किसी काम का बीच में रुक जाना या अधूरा रह जाना। 80. खाक छानना – बेकार फिरना। 81. खाला जी का घर – आसान काम। 82. खेत रहना – युद्ध में मारा जाना। 83. खून का प्यासा – जानी दुश्मन। 84. खून – पसीना एक करना अत्यंत परिश्रम करना। (ग) 85. गर्दन पर सवार होना – अपनी बात मनवाने के लिए बुरी तरह पीछे पड़ना। 86. गर्दन उठाना – विरोध में उठना।। 87. गड़े मुर्दे उखाड़ना – पुरानी बातें फिर से दोहराना। 88. गले में ढोल होना – पीछा न छोड़ने वाली बात होना। 89. गले का हार होना – प्रिय होना। 90. गाँठ का पूरा होना – मालदार। 91. गाँठ बाँधना – अच्छी तरह याद
रखना। 92. गाँठ का पक्का – धन संभालकर रखने वाला। 93.गागर में सागर भरना – थोड़े शब्दों में बहुत अधिक कहना। 94. गाल बजाना – डींग मारना, घमंड से बोलना। 95. गिरगिट की तरह रंग बदलना – किसी बात पर स्थिर न रहना। 96. गुड़ गोबर कर देना – बना बनाया काम बिगाड़ देना। 97. गुदड़ी का लाल – छिपा हुआ गुणवान् व्यक्ति। 98. गूलर का फूल – अप्राप्य वस्तु। 99. गोबर गणेश – सीधा – साधा होना। (घ) 100. घोड़े बेचकर सोना – निश्चित होकर सोना। 101. घाव पर नमक छिड़कना – दुखी को और अधिक दुखी करना। 102. घात में रहना – किसी को हानि पहुँचाने की ताक में रहना। 103. घाट – घाट का पानी पीना – अनुभवी होना। 104. घर में गंगा बहना – घर में अथवा सहज में ही योग्य व्यक्ति का मिल जाना। 105. घड़ियाँ गिनना – उत्सुकता से प्रतीक्षा करना। 106. घाव हरा होना – भूला हुआ दुःख ताजा होना। 107. घास खोदना – व्यर्थ में समय नष्ट करना। 108. घी के दीये जलाना – बहुत प्रसन्न होना। 109. घुन लगना – चिंता के कारण मनुष्य का दुबला हो जाना। (च) 110. चकमा देना – धोखा देना। 111. चाँदी का जूता – रिश्वत देना। 112. चंपत हो जाना – भाग जाना। 113. चाँदी होना – बहुत लाभ होना। 114. चार चाँद लगाना – शोभा और प्रतिष्ठा बढ़ाना। 115. चाँद पर थूकना – बड़े व्यक्तियों की व्यर्थ निंदा करना। 116. चादर तानकर सोना – निश्चिंत हो जाना। 117. चादर से बाहर पाँव पसारना – आमदनी से अधिक खर्च करना। 118. चार सौ बीस होना – धोखेबाज होना। 119. चिकना घड़ा – जिस पर कोई प्रभाव न पड़ना। 120. चारों खाने चित्त होना – पराजित होना। 121. चिराग लेकर ढूँढना – कठिनाई से मिलना। 122.
च्यूटी के पर निकलना – छोटे व्यक्ति का घमंड करना। 123. चिकनी – चुपड़ी बातें करना – खुशामद करना।। 124. चूड़ियाँ पहनना – कायरता दिखाना। 125. चुल्लू भर पानी में डूब मरना – अत्यंत लज्जा की बात। 126. चौकड़ी भूल जाना – अहंकार दूर होना। 127. चोली दामन का साथ – घनिष्ठ संबंध। (छ) 128. छक्के छुड़ाना – बुरी तरह हराना। 129. छठी का दूध याद आना – भारी संकट का सामना करना। 130. छिपा रुस्तम – छिपा हुआ गुणी
व्यक्ति। 131. छीछा लेदर करना – दुर्दशा करना। 132. छप्पर फाड़कर देना – बिना प्रयत्न के धन की प्राप्ति। 133. छाती पर मूंग दलना – सामने रहकर बुरी तरह सताना। 134. छाती पर साँप लोटना – ईर्ष्या से जलना। 135. छीटें कसना – निंदा करना। (ज) 136. जले पर नमक छिड़कना – दुखी दिल को और दुखाना। 137. जंगल में मंगल – निर्जन स्थान में भी आनंद। 138. जहर का यूंट पीना – अपमान को चुपचाप सहना।। 139. जली कटी सुनाना – सच्ची, किंतु कड़वी बातें कहना। 140. जान हथेली पर रखना – बलिदान के लिए तैयार रहना। 141. जमीन पर पाँव न रखना – फूला न समाना। 142. जहर उगलना – ईया के कारण निंदा करना। 143. जान के लाले पड़ना – जान खतरे में पड़ना।। 144. जूतियाँ चटकाना – मारा – मारा फिरना। 145. जी भर आना – दया से द्रवित होना। 146. जी चुराना – बचने का यत्न करना। (झ) 147. झंडा गाड़ना – अधिकार जमा लेना। 148. झख मारना – व्यर्थ समय नष्ट करना। 149. झांसा देना –
धोखा देना। (ट – ठ) 150. टस – से – मस न होना – अपने निश्चय पर अडिग रहना। 151. टट्टी की ओट में शिकार खेलना – गुप्त रूप से षड्यंत्र
रचना। 152. टाँग अड़ाना – हस्तक्षेप करना। 153. टीका – टिप्पणी करना – आलोचना करना। 154. टॉय – टॉय फिस होना – सारी शान बिखर जाना। 155. टेढ़ी
खीर – अति कठिन। 156. टेढ़ी उँगली से घी निकालना – चालाकी से काम निकालना। 157. ठिकाने लगाना – मार डालना। 158. ठन – ठन गोपाल – निर्धन व्यक्ति। (ड – ढ) 159. डंके की चोट – घोषणा के साथ। 160. डूबते को तिनके का सहारा – थोड़ी – सी सहायता। 161. डेढ़ ईंट की मस्जिद
बनाना – अलग रहना। 162. ढोल पीटना – प्रचार करना। (त) 163. तलवे चाटना – खुशामद करना। 164. तारे गिनना – प्रतीक्षा करना। 165. तिल का ताड़ करना – छोटी बात को बड़ा करके बताना। 166. तीन – तेरह करना – बिखेर देना। 167. तीन – पाँच करना – बहाना
करना, टालमटोल करना। 168. तिलांजलि देना – छोड़ देना। 169. तूती बोलना – प्रभाव बढ़ना। (थ) 170. थाली का बैंगन – अस्थिर विचारों का व्यक्ति। 171. थूक कर चाटना – वचन से फिर जाना। 172. थूक से सत्तू सानना – छोटे साधन से बड़ा कार्य करने की आशा करना। (द) 173. दाँत कटी रोटी होना – गहरी मित्रता होना। 174. दाँत खट्टे करना – हराना। 175.
दाँत दिखाना – दीन बनना। 176. दिन फिरना – स्थिति में अच्छा परिवर्तन आना। 177. दाँतों तले उँगली दबाना – आश्चर्यचकित होना। 178. दाहिना हाथ होना बहुत बड़ा सहायक होना। 179. दाल – भात में मूसलचंद – व्यर्थ में दखल देने वाला। 180. दिन – दूनी रात – चौगुनी उन्नति करना – अधिकाधिक उन्नति करना। 181. दुम दबाकर भागना – डरकर भाग जाना। 182. दूध का दूध, पानी का पानी – ठीक – ठीक न्याय होना। 183. दम भरना – दावा करना। 184. दम लेना – विश्राम करना। 185. दम सूखना – भयभीत होना। 186. दंग रह जाना – आश्चर्यचकित
होना। 187. दाल न गलना – सफल न होना। 188. दूर की हाँकना – गप्प मारना। 189. दूध की मक्खी – खटकने वाला। 190. दो टूक बात करना – साफ – साफ बात करना। 191. दूज का चाँद – कभी – कभी दिखाई देना।। 192. दूध के दाँत न टूटना – अनुभवहीन होना। 193. दो नावों पर पाँव रखना – अस्थिर विचार वाला। 194. द्रौपदी का चीर – जिसका अन्त न हो। (ध) 195. धता बताना – चालाकी से टाल देना। 196. धज्जियाँ उड़ाना – टुकड़े – टुकड़े करना। 197. धाक जमाना – प्रभाव डालना। 198. धूप में बाल सफेद करना – अधिक उम्र में अनुभवहीन होना। (न) 199. नमक – मिर्च लगाना – बात को बढ़ा – चढ़ा कर कहना। 200. नाक काटना – मान नष्ट करना। 201. नाक में दम करना – बहुत तंग करना। 202. नाक का बाल – बहुत समीप रहने वाला व्यक्ति। 203. नाक रगड़ना – गिड़गिड़ाना। 204. नाक पर मक्खी न बैठने देना – अपने को बहुत बड़ा समझना। 205. नाक भौंह चढ़ाना – असंतोष प्रकट करना। 206. नाकों चने चबवाना – बुरी तरह हराना। 207. नानी याद आना – कष्ट का अनुभव होना। 208. नौ – दो ग्यारह होना – भाग जाना। (प) 209. पगड़ी उछालना – अपमान करना। 210. पगड़ी सम्भालना – मान – मर्यादा की रक्षा के लिए तैयार होना। 211. पाँचों उँगलियाँ घी में होना – बहुत लाभ
होना। 212. पानी – पानी होना – बहुत लज्जित होना। 213. पापड़ बेलना – कष्ठ उठाना। 214. पत्थर का कलेजा होना – कठोर हृदय होना।। 215. पत्थर की लकीर – अटल बात। 216. पट्टी पढ़ाना – बहकाना। 217. पते की बात कहना – महत्त्वपूर्ण बात कहना। 218. पर्दा – फाश करना – भेद खोलना। 219. पलकों पर बिठाना – बहुत आदर
करना। 220. पहाड़ टूट पड़ना – भारी विपत्ति आना। (फ – ब) 221. फूला न समाना – बहुत आनंदित होना। 222. फूंक – फूंक कर पाँव रखना – सावधान होकर कार्य करना। 223. बंगुला भगत – कपटी व्यक्ति। 224. बगलें झाँकना – बेबसी में लज्जित होना। 225. बड़े घर की हवा खाना – जेल जाना। 226. बरस पड़ना – क्रोधित होना। 227. बट्टा लगाना – कलंकित करना। 228. बछिया का ताऊ – सीधा – सादा या मूर्ख व्यक्ति। 229. बल्लियों उछलना – अत्यंत प्रसन्न होना। 230. बंदर घुड़की – बनावटी धमकी। (भ) 231. भनक पड़ना – उड़ती खबर मिलना। 232. भगीरथ प्रयत्न कठिन, किंतु प्रशंसनीय प्रयत्न। 233. भंडा फोड़ना – भेद खोल देना। (म) 234. मीठी छुरी – ऊपर से मीठा बोलकर हानि पहुँचाना। 235.
माथे पर बल न पड़ना – जरा – सा भी क्रोध न आना। 236. मिट्टी का माधो – मूर्ख। 237. मुँह की खाना – बुरी तरह पराजित होना। 238. मुँह ताकना – सहायता की आशा करना। 239. मुँह पर हवाइयाँ उड़ना – डर जाना।। 240. मुँह लगाना – छूट या ढील दे देना। 241. मुँह में पानी भर आना – खाने को मन ललचाना। 242. मुट्ठी गरम करना – रिश्वत देना। 243. मुट्ठी में करना – काबू में करना। 244. मैदान मारना – विजय प्राप्त
करना। (र) 245. रंग में भंग – आनंद में बाधा पड़ना। 246. रंगा सियार होना – धोखेबाज या कपटी
होना। 247. रोंगटे खड़े होना – भयभीत होना। (ल) 248. लंगोटिया यार – बचपन का साथी। 249. लहू के चूंट पीकर रह जाना – क्रोध को मन में दबा लेना।। 250. लोहा लेना – टक्कर लेना। 251. लोहे के चने चबाना – बहुत कठिन काम करना। 252. लट्ट होना – मोहित होना। 253. लाल – पीला होना – बहुत क्रोधित होना। 254. लाले पड़ जाना – तरस जाना। 255. लुटिया डुबोना – काम बिगाड़ना। 256. लेने के देने पड़ जाना – लाभ की जगह हानि होना। (श – स) 257. श्रीगणेश करना आरम्भ
करना। 258. शैतान की आँत – बहुत लंबा होना। 259. सब्जबाग दिखाना – लोभ देना। 260. सिर उठाना – विरोध करना। 261. स्वाहा
करना नष्ट करना। 262. सात घाट का पानी पीना – बहुत अनुभवी होना। 263. सिर धुनना – पछताना। 264. सोने में सुगंध – एक गुण के साथ दूसरा गुण भी होना। (ह) 265. हथेली पर सरसों उगाना – असंभव काम कर दिखाना। 266. हाथ तंग होना – धन की कमी होना। 267. हाथ – पाँव मारना – पूरा प्रयत्न करना। 268. हाथ पीले करना – विवाह करना। 269. हाथों के तोते उड़ जाना – घबरा जाना। 270. हाथ धोकर पीछे पड़ना – बुरी तरह पीछे लग जाना। Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Tatsam Tadbhav Shabd तत्सम तद्भव शब्द Exercise Questions and Answers. Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran तत्सम तद्भव शब्दतत्सम तद्भव शब्द तत्सम तद्भव शब्द HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 1. उदाहरण- HBSE 9th Class Hindi तत्सम तद्भव शब्द प्रश्न 2. यहाँ कुछ तत्सम और उनके तद्भव रूप दिए जा रहे हैं- क्षीर – खीर Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Paryayvachi Shabd पर्यायवाची शब्द Exercise Questions and Answers. Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran पर्यायवाची शब्दपर्यायवाची पर्यायवाची शब्द Class 9 HBSE प्रश्न 1. जहाँ समानार्थक शब्दों से विद्यार्थी के ज्ञान में वृद्धि होती है वहाँ उसका व्यक्तिगत शब्द-कोश भी समृद्ध होता है। हिंदी पर्यायवाची शब्द संस्कृत, उर्दू, देशी या स्थानीय बोलियों और अंग्रेज़ी से भी लिए जाते हैं। कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण निम्नलिखित हैं Paryayvachi Shabd Class 9th HBSE अन्न – अनाज, शस्य, धान्य। Paryayvachi Shabd Class 9 HBSE कामदेव – अनंग, कंदर्प, मनोज, मनसिज, मदन, मन्मथ। HBSE 9th Class Hindi Vyakaran पर्यायवाची शब्द घर – मकान, आवास, कुल, बैठने का स्थान, कार्यालय। दीन – गरीब, निर्धन, बेचारा, हीन। वाण – तौरी, सर, विशिख, शिलीमुख, नाराच, ईषु। राजा – नरेश, भूपाल, नरेन्द्र, महीपाल, नृप, नृपति। Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Visheshan विशेषण Exercise Questions and Answers. Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran विशेषणविशेषण Visheshan Class 9 HBSE प्रश्न 1. विशेषण Class 9 HBSE प्रश्न 2. विशेषण के भेद Visheshan
Class 9 HBSE प्रश्न 3. 1. गुणवाचक विशेषण: जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम के गुण-दोष, रूप-रंग, आकार, स्थान, काल, दशा, स्थिति, शील-स्वभाव आदि की विशेषता प्रकट करे, उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं; यथा- 2. संख्यावाचक विशेषण: (क) निश्चित संख्यावाचक विशेषण नोट- निश्चित संख्यावाचक विशेषणों में ‘ओं’ लगाकर उन्हें अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण भी बनाया जा सकता है; यथा दर्जनों, सैकड़ों आदि। (ख) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण: 3. परिमाणवाचक विशेषण: नोट- कभी-कभी परिमाणवाचक विशेषण शब्दों में ‘ओं’ प्रत्यय लगाकर भी अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण बन जाते हैं; यथा मनों गेहूँ, सेरों दूध। 4. सार्वनामिक विशेषण: जो सर्वनाम अपने सार्वनामिक रूप में ही संज्ञा की विशेषता प्रकट करें या संज्ञा के विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहा जाता है; जैसे यह घर हमारा है। यह बालक अच्छा है। उस श्रेणी में अध्यापक नहीं है। तुम किस गली में रहते हो। इन वाक्यों में प्रयुक्त शब्द यह, उस, किस आदि सर्वनाम संज्ञा के विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुए हैं, अतः ये सार्वनामिक विशेषण हैं। विशेषण अभ्यास प्रश्न उत्तर Class 9 HBSE सार्वनामिक विशेषण के भेद- सार्वनामिक विशेषण चार प्रकार के होते हैं- (ii) अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण: जिन विशेषणों से संज्ञा की ओर निश्चित संकेत नहीं मिलता, उन्हें अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं; जैसे- (iii) प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण: ये विशेषण संज्ञा की प्रश्नात्मक विशेषता की ओर संकेत करते हैं; यथा- (iv) संबंधवाचक सार्वनामिक विशेषण विशेषण का रूप परिवर्तन Hindi Vyakaran Visheshan HBSE 9th Class प्रश्न
4. विशेषण के उद्देश्य और विधेय स्थिति प्रश्न 5. विधेय-विशेषण: जब विशेषण विशेष्य के पश्चात आता है तो उसे विधेय-विशेषण कहते हैं; जैसे विशेषणों का तुलना में प्रयोग प्रश्न 6. प्रश्न 7. 2. उत्तरावस्था: इसमें दो व्यक्तियों या वस्तुओं की तुलना द्वारा एक को दूसरे से अधिक या न्यून दिखाया जाता है; जैसे 3.
उत्तमावस्था-इसमें दो या अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं की तुलना की जाती है तथा उनमें से किसी एक को सबसे अधिक या सबसे कम श्रेष्ठ दिखाया जाता है; यथा विशेषण की तुलना के कुछ महत्त्वपूर्ण उदाहरण प्रविशेषण प्रश्न 8. विशेषण की रचना प्रश्न 11. सर्वनाम से- क्रिया से- अव्यय से- विद्यार्थियों के
अभ्यासार्थ कुछ महत्त्वपूर्ण विशेषण दिए जा रहे हैं- विशेषण संबंधी महत्त्वपूर्ण बातें यहाँ वीर एवं विद्वान विशेषण होते हुए भी संज्ञा के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. (2) उत्तरावस्था- (3) उत्तमावस्था- प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. (ख) यह – सर्वनाम विशेषण। (ग) थोड़ी – अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण। (घ) यह – सार्वनामिक विशेषण। (ङ) पचास – निश्चित संख्यात्मक विशेषण। प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Avikari Shabd अविकारी शब्द Exercise Questions and Answers. Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्दअविकारी शब्द जिन शब्दों जैसे क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक तथा विस्मयादिबोधक आदि के स्वरूप में किसी भी कारण से परिवर्तन नहीं होता, उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं। अविकारी शब्दों को अव्यय भी कहा जाता है। अव्यय अविकारी शब्द HBSE 9th Class प्रश्न 1. (1) क्रियाविशेषण Avikari Shabd HBSE 9th Class प्रश्न 2. इन दोनों में धीरे-धीरे’ तथा ‘बहुत’ दोनों अव्यय शब्द क्रिया की विशेषता बताने के कारण क्रियाविशेषण हैं। क्रियाविशेषण चार प्रकार के होते हैं (1) कालवाचक, (2) स्थानवाचक, (3) परिमाणवाचक तथा (4) रीतिवाचक। 2. स्थानवाचक क्रियाविशेषण: 3. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण : 4. रीतिवाचक क्रियाविशेषण: नोट – जो क्रियाविशेषण काल, स्थान अथवा परिमाणवाचक नहीं हैं, उन सबकी गणना रीतिवाचक में कर ली जाती है। अतः रीतिवाचक क्रियाविशेषण के भी अनेक भेद हैं 1. निश्चयात्मक – अवश्य, सचमुच, वस्तुतः आदि। क्रियाविशेषण की रचना आविकारी शब्द HBSE 9th Class प्रश्न 3. 1. मूल क्रियाविशेषण: जो शब्द अपने मूल रूप में अर्थात प्रत्यय के योग के बिना क्रियाविशेषण हैं, उन्हें मूल क्रियाविशेषण कहते हैं; जैसे आज, ठीक, निकट, सच आदि। क्रिया-प्रविशेषण विकारी शब्द HBSE 9th Class प्रश्न 4. (2) संबंधबोधक Avikari Shabd In Hindi HBSE 9th Class प्रश्न 5. अन्य संबंधबोधक अव्यय हैं- (3) समुच्चयबोधक Avikari HBSE 9th Class प्रश्न 6. समुच्चयबोधक अव्यय के दो भेद हैं- 2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय: (4) विस्मयादिबोधक प्रश्न 7. विशेषण- अच्छा! तो यह बात है। सर्वनाम- क्या! वह फेल हो गया। क्रिया- हट! पागल कहीं का। (5) निपात प्रश्न 8. परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. 1. क्रियाविशेषण-धीरे-धीरे चलो। – श्याम कल आएगा। प्रश्न 3. स्थानवाचक क्रियाविशेषण- रीतिवाचक क्रियाविशेषण- परिमाणवाचक-क्रियाविशेषण- प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. 2. मधुर : 3. गंदा : 4. तेज़ : उपर्युक्त वाक्यों से यह स्पष्ट है कि विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता को प्रकट करते हैं लेकिन क्रियाविशेषण क्रिया की विशेषता बताते हैं। प्रश्न 8. प्रश्न 9. (ख) पुजारी जी यहाँ आए थे। (क्रियाविशेषण) (ग) उसके सामने बैठो।। (क्रियाविशेषण) Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Kriya क्रिया Exercise Questions and Answers. Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran क्रियाक्रिया क्रिया Class 9 HBSE प्रश्न 1. किसी भी कार्य के दो रूप होते हैं कार्य या तो होता है या फिर किया जाता है; यथा ‘वृक्ष गिर गया।’ इस वाक्य में कार्य स्वयं हुआ है, किन्तु जब हम ऐसा कहते हैं कि ‘वृक्ष गिरा दिया गया है तो इसका अर्थ यह हुआ कि वृक्ष को गिराने का कार्य किसी के.द्वारा किया गया है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि, “कार्य के होने या किए जाने को क्रिया कहते हैं।” धातु Hindi
Vyakaran Kriya HBSE 9th Class प्रश्न 2. क्रिया के भेद HBSE 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया प्रश्न 3. प्रश्न 4. इसी प्रकार ‘सोहन पढ़ रहा है। तो प्रश्न होगा क्या पढ़ रहा है। इसका कुछ उत्तर नहीं मिला तो क्रिया अकर्मक होगी। प्रश्न 5. 1. एककर्मक क्रिया: जिस क्रिया में एक ही कर्म हो, उसे एककर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे-राम पुस्तक पढ़ता है। यहाँ ‘पुस्तक’ एक ही कर्म है। 2. द्विकर्मक क्रिया: 3. अपूर्ण सकर्मक: (ख) वह तुम्हें मानता है। क्रिया के कुछ अन्य भेद 1. संयुक्त क्रिया प्रश्न 1. 2. अपूर्ण क्रिया प्रश्न 1. 3. नामधातु क्रिया प्रश्न 1.
(ख) सर्वनाम से-
(ग) विशेषण से-
4. पूर्वकालिक क्रिया प्रश्न 1. 5. प्रेरणार्थक क्रिया प्रश्न 1. 6. समापिका अथवा प्रधान क्रिया प्रश्न 1. वृत्ति या क्रियार्थ (Mood) प्रश्न 1. 2. विध्यर्थ वृत्ति: 3. सम्भावनार्थ: 4. सन्देहार्थ: 5. संकेतार्थ: क्रिया के विकारी तत्त्व प्रश्न 1. 2. लिंग के आधार पर- 3. वाच्य के अनुसार अभ्यासार्थ लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. अकर्मक क्रिया: सकर्मक क्रिया: प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न
4. प्रश्न 5. प्रश्न
6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. 1. प्रेरणार्थक क्रिया: 2. संयुक्त क्रिया: 3. नामधातु क्रियाएँ: प्रश्न 9. Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Upasarg Va Prathyay उपसर्ग व प्रत्यय Exercise Questions and Answers. Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग व प्रत्ययउपसर्ग उपसर्ग व प्रत्यय HBSE 9th Class प्रश्न 1. हिंदी भाषा में संस्कृत और उर्दू भाषा के शब्दों का भी प्रयोग होता है। इसलिए हिंदी में संस्कृत एवं उर्दू भाषा के उपसर्गों का भी प्रयोग होता है। इसलिए इनका अध्ययन भी हमारे लिए उपयोगी होगा। Upsarg Pratyay Class 9 HBSE (क) संस्कृत के उपसर्ग-संस्कृत के बाइस उपसर्ग हैं। इनसे बने हिंदी में बहु-प्रचलित शब्दों के उदाहरण यहाँ दिए जा रहे हैं-
संस्कृत के कुछ अव्यय जो उपसर्ग की भाँति प्रयुक्त होते हैं; जैसे-
Hindi Vyakaran Pratyay HBSE (ख) हिंदी के उपसर्ग: हिंदी के सामान्य उपसर्ग निम्नलिखित हैं- Upsarg Aur Pratyay HBSE 9th Class (ग) उर्दू (अरबी-फारसी) के उपसर्ग- Upsarg Aur Pratyay Class 9th HBSE (घ) अंग्रेज़ी के उपसर्ग-
प्रत्यय Upsarg Pratyay Class 9th HBSE प्रश्न 1. 1. कृत प्रत्यय अथवा कृदंत प्रत्यय: Hindi Upsarg Class 9 HBSE 1. कृत प्रत्यय (क) कर्तृवाचक कृत प्रत्यय जो कृत प्रत्यय धातु कर्ता अर्थात् क्रिया के करने वाले की ओर संकेत करते हैं उन्हें कर्तवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं। कुछ उदाहरण देखिए- (ख) कर्मवाचक कृत प्रत्यय जो कृत प्रत्यय कर्मवाचक शब्दों की रचना में सहायक होते हैं, उन्हें कर्मवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं; जैसे- (ग) भाववाचक कृत प्रत्यय वे कृत प्रत्यय जो भाववाचक संज्ञाओं की रचना करते हैं, भाववाचक कृत प्रत्यय कहलाते हैं; जैसे- (घ) क्रियावाचक कृत प्रत्यय-जो प्रत्यय क्रिया शब्द बनाते हैं, उन्हें क्रियावाचक कृत प्रत्यय कहते हैं; जैसे- Class 9th Upsarg Pratyay HBSE 2. तद्धित प्रत्यय प्रश्न 2. (1) भाववाचक तद्धित प्रत्यय-जिन प्रत्ययों से भाववाचक संज्ञा शब्दों का निर्माण होता है, उन्हें भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे- (2) कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय-जिन प्रत्ययों के सहयोग से कर्ता की ओर संकेत करने वाले शब्द का निर्माण हो, उन्हें कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे- (3) स्त्रीलिंगवाचक तद्धित प्रत्यय-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से स्त्रीलिंग शब्दों की रचना की जाती है, उन्हें स्त्रीलिंगवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे- (4). गुणवाचक तद्धित प्रत्यय-जिन तद्धित प्रत्ययों के योग से गुणवाचक विशेषण शब्दों की रचना की जाती है, उन्हें गुणवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे- ई – धनी, मानी, ज्ञानी, सुखी, दुःखी, पंजाबी, हिमाचली, गुलाबी। (5) बहुवचनवाचक तद्धित प्रत्यय-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से एकवचन शब्द बहुवचन में बदल जाता है, उसे बहुवचन तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे- ए – लड़के, रुपए, कमरे, उठे, घोड़े, मोटे आदि। (6) लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय-जिन तद्धित प्रत्ययों के प्रयोग से शब्द में लघुता का बोध होने लगे, उन्हें लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे- ई – पहाड़ी, बछड़ी, टुकड़ी आदि। (7) क्रमवाचक तद्धित प्रत्यय-जिन तद्धित प्रत्ययों के प्रयोग से शब्दों में क्रम का ज्ञान हो, उन्हें क्रम बोध तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे- गुना – चारगुना, छहगुना, दुगुना आदि। परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Samas-Prakaran समास-प्रकरण Exercise Questions and Answers. Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरणसमास-प्रकरण वर्गों के मेल से जहाँ संधि होती है, वहाँ शब्दों के मेल से समास बनता है। अन्य शब्दों में, दो या दो से अधिक शब्दों के मिलने से जो एक नया स्वतंत्र पद बनता है, उसे समास कहते हैं। परिभाषा: Samas In Hindi Class 9 HBSE प्रश्न 1. समास Class 9 HBSE प्रश्न 2. 1. अव्ययीभाव समास Samas Class 9 HBSE प्रश्न 1. 2. तत्पुरुष समास Class 9 Hindi Vyakaran Samas HBSE
प्रश्न 1. (i) कर्म तत्पुरुष: (ii) करण तत्पुरुष-जिस समास में करण कारक का लोप हो, उसे ‘करण तत्पुरुष’ समास कहते हैं; जैसे- (iii) संप्रदान तत्पुरुष-जब समास करते समय संप्रदान कारक चिह्न ‘के लिए’ का लोप हो तो वह ‘संप्रदान तत्पुरुष’ कहलाता है; जैसे- (iv) अपादान तत्पुरुष-जिस समास में अपादान कारक चिह्नों ‘से’ (जुदाई) का लोप हो तो उसे ‘अपादान तत्पुरुष समास’ कहते हैं; जैसे- (v) संबंध तत्पुरुष-समास करते
समय जब संबंध कारक चिह्नों (का, के, की आदि) का लोप हो तो वहाँ ‘संबंध तत्पुरुष समास’ होता है; जैसे- (vi) अधिकरण तत्पुरुष-जिस समास में अधिकरण कारक के विभक्ति चिह्नों का लोप किया जाता है, उसे अधिकरण तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे- तत्पुरुष समास के कुछ अन्य उपभेद Hindi Samas Class 9 HBSE प्रश्न 1. (क) नञ् तत्पुरुष Class 9 Vyakaran Samas HBSE प्रश्न 2. (ख) अलुक् तत्पुरुष Samas Prakaran HBSE प्रश्न 3. (ग) उपपद तत्पुरुष समास प्रकरण HBSE प्रश्न 4. (घ) कर्मधारय तत्पुरुष Samas Class 9th HBSE प्रश्न 5. विशेषण-विशेष्य संबंध के उदाहरण- (ङ) द्विगु Class 9th Hindi Samas HBSE प्रश्न 6. 3. द्वंद्व समास प्रश्न 7. 4. बहुब्रीहि समास प्रश्न 8. परीक्षोपयोगी कुछ महत्त्वपूर्ण समास निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह करके समास का नाम लिखें- Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Sarvanam सर्वनाम Exercise Questions and Answers. Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran सर्वनामसर्वनाम Pronoun Class 9 HBSE प्रश्न 1. सर्वनाम का भाषा में बहुत महत्त्व है। सर्वनाम के प्रयोग के द्वारा भाषा की सरलता एवं सुंदरता में वृद्धि होती है। भाषा में पुनरावृत्ति के दोष को सर्वनाम के प्रयोग द्वारा दूर किया जा सकता है; यथा- उपर्युक्त वाक्यों में ‘राम’ शब्द का प्रयोग तीन बार हुआ है जो
उपयुक्त नहीं है। अतः ‘राम’ के स्थान पर उसके सर्वनाम का प्रयोग करने पर भाषा में सरलता एवं शुद्धता की अभिवृद्धि होगी; यथा- Types Of Pronoun Class 9 HBSE प्रश्न 2. 2. निश्चयवाचक सर्वनाम: 3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम: 4. संबंधवाचक सर्वनाम: 5. प्रश्नवाचक सर्वनाम-जिन सर्वनामों से प्रश्नों का बोध हो, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे कौन, क्या, किन, किनसे, किन्हें आदि। उदाहरणार्थ ये वाक्य देखिए 6. निजवाचक सर्वनाम जो सर्वनाम कर्ता के स्वयं के लिए प्रयुक्त हो, उसे निजवाचक सर्वनाम कहते हैं, जैसे अपना, अपने, अपनी आदि। उदाहरणार्थ ये वाक्य देखिए सर्वनाम की रूप-रचना Sarvanam Exercise HBSE HBSE 9th Class प्रश्न 3. रूपावली वर्ग-1 (क) मैं (उत्तम पुरुष)
(ख) तू (मध्यम पुरुष)
(ग) वह (अन्य पुरुष)
रूपावली वर्ग-2 निश्चयवाचक, प्रश्नवाचक तथा संबंधवाचक रूपावली वर्ग-3 अनिश्चयवाचक
रूपावली वर्ग-4 निजवाचक
(नोट-कुछ का रूप वही रहता है।) टिप्पणी: (2) रूपावली के अनुसार उत्तम पुरुष एकवचन ‘मैं’ है किंतु कुछ स्थितियों में उत्तम पुरुष एकवचन अपने लिए ‘हम’ सर्वनाम का भी प्रयोग करता है। जैसे (3) रूपावली के अनुसार मध्यम पुरुष एकवचन ‘तू’ है किंतु कभी-कभी इसका विशेष प्रयोग प्यार-दुलार, अति आत्मीयता तथा कभी-कभी हीनता दिखाने के लिए भी किया जाता है। (4) एकवचन ‘कुछ’ परिमाणबोधक है किंतु बहुवचन ‘कुछ’ संख्याबोधक है। (5) मुझ, हम, तुझ, तुम, इस, इन, उस, उन, किस, किन में निश्चयार्थी ‘ई’ (ही) के योग से निश्चयार्थक रूप बन जाते हैं। Hindi Vyakaran Sarvanam HBSE 9th Class सर्वनामों के पुनरुक्ति रूप कुछ सर्वनाम पुनरुक्ति के साथ प्रयोग में आते हैं। ऐसी स्थिति में उनके अर्थ में कुछ विशिष्टता उत्पन्न हो जाती है। कुछ सर्वनाम संयुक्त रूप में भी प्रयुक्त होते हैं। जैसे-जो, कोई आदि। सर्वनामों की पुनरुक्ति प्रयोगों के कुछ उदाहरण निम्नांकित हैं- Sarvanam In Hindi For Class 9 HBSE परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2.
प्रश्न 3. प्रश्न 4. (2) निजवाचक सर्वनाम के रूप में प्रश्न 5. प्रश्न 6. Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Vakya Prakaran वाक्य प्रकरण Exercise Questions and Answers. Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran वाक्य प्रकरणवाक्य प्रकरण Vakya Prakaran HBSE 9th Class प्रश्न 1. वाक्य प्रकरण HBSE 9th Class प्रश्न 2. कर्ता और क्रिया के अनुसार वाक्य को दो भागों में बाँटा जा सकता है- (ख) विधेय: वाक्य में उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाए, उसे विधेय कहते हैं; जैसे-काले-काले बादल गरजते हैं। इस वाक्य में ‘गरजते हैं विधेय है। वाक्य में कर्ता को अलग करके जो कुछ शेष रह जाता है, वह विधेय कहलाता है। Vakya Rachna Class 9 HBSE प्रश्न 3. प्रश्न
4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. 1. वह स्कूल जाते ही पढ़ने लग गया। (मिश्र वाक्य) 2. परिश्रमी छात्र सबको अच्छे लगते हैं। (मिश्र वाक्य) 3. राष्ट्रगान के शुरू होते ही सब लोग खड़े हो गए। (संयुक्त वाक्य) 4. सुषमा बीमार होने के कारण आज स्कूल नहीं आई। (संयुक्त वाक्य) 5. मेरे बोलने पर भी उसका व्यवहार पूर्ववत् रहा। (मिश्र वाक्य) 6. रमेश के आते ही मोहन चल दिया। (मिश्र वाक्य) 7. मैं तुम्हारे नए मित्र को जानता हूँ। (मिश्र वाक्य) 8. कंडक्टर के सीटी बजाते ही बस चल पड़ी। (संयुक्त वाक्य) 9. सबह वाली बस पकड़कर शाम तक
घर लौट आओ। (संयुक्त वाक्य) 10. गाँव जाने पर वह बीमार हो गया। (मिश्र वाक्य) 11. सड़क पार कर रहा एक व्यक्ति बस से टकराकर मर गया। (मिश्र वाक्य) 12. आप खाना खाकर आराम करें। (संयुक्त वाक्य) 13. अस्वस्थ होने के कारण वह आ नहीं सका। (मिश्र वाक्य) 14. अपराधी होने के कारण उसे सज़ा हुई। (संयुक्त वाक्य) 15. संन्यासी आशीर्वाद देकर लापता हो गया। (संयुक्त वाक्य) 16. परिश्रम करने वाले सफल होंगे। (मिश्र वाक्य) 17. घर जाने पर वह स्वस्थ हो गया। (मिश्र वाक्य) 18. दिन-रात परिश्रम करने पर वह अपना स्वास्थ्य खो बैठा। (संयुक्त वाक्य) 19. अपने पिताजी के स्वास्थ्य के बारे में मुझे बताओ। (मिश्र वाक्य) 20. मुझे
बस में एक दुबला-पतला व्यक्ति दिखाई दिया। (मिश्र वाक्य) 21. वह नहाकर स्कूल चला गया। (संयुक्त वाक्य) 22. मैं अधिक पके फल नहीं खाता हूँ। (मिश्र वाक्य) 23. वर्षा के बंद होते ही हम बाज़ार चले गए। (संयुक्त वाक्य) 24. मैं चाहते हुए भी न आ सका। (संयुक्त वाक्य) 25. पुत्र को देखते ही माता गद्गद् हो गई। (मिश्र वाक्य) 26. मेरा काला घोड़ा तेज़ भागता है। (मिश्र वाक्य) 27. कठोर बनकर भी सहृदय रहो। (संयुक्त वाक्य) 28. मोहित या सोहित में से कोई एक नौकरी करेगा। (संयुक्त वाक्य) 29. पिताजी ने माँ से मंदिर चलने के लिए कहा। (मिश्र वाक्य) 30. मेरे स्टेशन पहुंचने से पहले ही गाड़ी निकल चुकी थी। (मिश्र वाक्य) Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Sangya संज्ञा Exercise Questions and Answers. Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran संज्ञाविकारी जिन शब्दों में लिंग, वचन, कारक, काल, वाच्य आदि के कारण परिवर्तन होता है, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया आदि विकारी शब्द हैं क्योंकि इनके मूल रूप में लिंग, वचन और कारक के कारण परिवर्तन आ जाता है। संज्ञा संज्ञा के विकार Class 9 HBSE Hindi प्रश्न 1. संज्ञा के तीन भेद हैं- Sangya Exercise HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 2. Sangya In Hindi HBSE 9th Class प्रश्न 3. प्रश्न 4. संज्ञा के अन्य दो भेद प्रश्न 5. व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग प्रश्न 6. जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग प्रश्न 7. टिप्पणियाँ: 2. जब कभी भाववाचक संज्ञा शब्द
बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं, तब वे जातिवाचक संज्ञा बन जाते हैं; जैसे- 3. कुछ भाववाचक शब्द मूल शब्द होते हैं; जैसे प्रेम, घृणा आदि। अधिकांश भाववाचक शब्द यौगिक होते हैं; जैसे अच्छाई, बुढ़ापा आदि। भाववाचक संज्ञाओं की रचना प्रश्न 8. भाववाचक संज्ञाओं की रचना संज्ञा के विकारी तत्त्व प्रश्न 1. लड़का से लड़की (लिंग के कारण) वाक्य में स्थिति के अनुसार ही किसी शब्द में परिवर्तन होता है। यही परिवर्तन ही ‘रूपान्तर’ या ‘विकारी तत्त्व’ कहलाता है। अतः स्पष्ट है कि संज्ञा शब्दों में यह विकार लिंग, वचन तथा कारक के कारण होता है। यहाँ हम संज्ञा के विकारी तत्त्वों का अध्ययन करेंगे। लिंग प्रश्न 1. प्रश्न 2. 1. पुल्लिंग: जिन संज्ञा शब्दों से पुरुष जाति का बोध हो, उन्हें पुल्लिंग कहते हैं; जैसे बेटा, हाथी, कुत्ता आदि। टिप्पणी: हिंदी में कुछ ऐसे भी शब्द हैं जिनमें लिंग-परिवर्तन नहीं होता; यथा प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, डॉक्टर, प्रिंसिपल, मैनेजर आदि। इन पदों पर पुरुष भी हो सकते हैं तथा नारी भी। ऐसे पदवाची शब्द उभयलिंगी शब्द कहलाते हैं। लिंग की पहचान की महत्वपूर्ण बातें (क) पुंल्लिंग की पहचान (ख) स्त्रीलिंग की पहचान- (ग) उभयलिंगी शब्द- प्रश्न 2. प्रश्न 3. पुल्लिंग – स्त्रीलिंग (ख) अकारांत शब्दों के अंतिम ‘अ’ या ‘आ’ को ‘ई’ कर देने से- देव – देवी (ग) परिवर्तन के बिना शब्दों के अंत में ‘नी’ प्रत्यय लगाकर सिंह – सिंहनी (घ) परिवर्तन के बिना शब्दों के अंत में ‘आनी’ प्रत्यय जोड़ने से देवर – देवरानी (ङ) अंतिम स्वर में कुछ परिवर्तन करके ‘इन’ प्रत्यय लगाने से नाइ – नाइन (च) अंतिम स्वर के स्थान पर ‘आइन’ प्रत्यय लगाकर तथा अन्य स्वरों में कुछ परिवर्तन करके- लाला – ललाइन (छ) अंतिम ‘अ’ या ‘आ’ को ‘इया’ बनाकर- बंदर –
बंदरिया (ज) शब्दों के अंतिम ‘अक’ को ‘इका’ बनाकर- पाठक – पाठिका (झ) अंतिम ‘वान’ और ‘मान’ के स्थान पर ‘अती’ लगाकर- गुणवान – गुणवती (ञ) कुछ पुल्लिंग शब्दों के स्त्रीलिंग में विशेष रूप बन जाते हैं पुरुष – स्त्री वचन प्रश्न 11. प्रश्न 2. (ख) हिंदी में हस्ताक्षर, प्राण, दर्शन, होश आदि का बहुवचन में
प्रयोग होता है; जैसे (ग) कुछ एकवचन शब्द गण, लोग, जन, समूह, वृंद आदि हिंदी शब्दों के साथ जुड़कर बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं; यथा- (घ) जाति, सेना, दल शब्दों के साथ प्रयुक्त होने से एकवचन का बहुवचन में प्रयोग- (ङ) व्यक्तिवाचक एवं भाववाचक संज्ञाएँ सदा एकवचन में रहती हैं; जैसे (च) कुछ शब्द सदा एकवचन में ही रहते हैं। जैसे-जनता, वर्षा, आग;
जैसे (छ) बहुवचन के स्थान पर एकवचन का प्रयोग-कभी-कभी जातिवाचक संज्ञा अपनी सारी जाति या समूह की बोधक होती हुई भी अधिक संख्या, परिमाण या गुण को सूचित करने के लिए एकवचन में प्रयुक्त होती है; जैसे वचन बदलने के नियम 1. अकारांत शब्दों के अंतिम ‘आ’ को ए कर देने से बहुवचन- अपवाद: नेता, राजा, पिता, योद्धा, मामा, नाना, चाचा, सूरमा आदि शब्द इस नियम के अपवाद हैं। 2. आकारांत तथा अकारांत शब्दों के अंतिम ‘अ’, ‘आ’ को ‘एं’ कर देने से बहुवचन- आकारांत शब्द- 3. इकारांत तथा ईकारांत शब्दों के अंत में ‘याँ’ जोड़ने से बहुवचन। इस अवस्था में ई का इ भी हो जाता है। घोड़ी – घोड़ियाँ 4. उकारांत, ऊकारांत, एकारांत, ओकारांत शब्दों में एँ जोड़कर बहुवचन। ‘ऊ’ का ‘उ’ भी हो जाता है। धेनु – धेनुएँ 5. ‘या’ अथवा ‘इया’ से समाप्त होने वाले शब्दों में केवल अनुस्वार जोड़कर बहुवचन बनाना- बिटिया – बिटियाँ 6. ‘अ’ तथा ‘आ’ से समाप्त होने वाले शब्दों में अंतिम ‘अ’ या ‘आ’ के स्थान पर ओं लगाकर बहुवचन बनाना- घर से – घरों से 7. उकारांत या ऊकारांत शब्दों के अंत में ‘ओं’ प्रत्यय लगाकर बहुवचन बनाना। ऐसे शब्दों में अंतिम ‘ऊ’ को ‘उ’ हो जाता है। ऋतु – ऋतुओं 8. इकारांत तथा ईकारांत शब्दों के संबोधन बहुवचन में ‘यो’ प्रत्यय लगाकर बहुवचन बनाना। प्रत्यय पूर्व स्वर दीर्घ का हस्व हो जाता है। लड़की! – लड़कियो! (ग) कारक प्रश्न 1. परिभाषा: कारकों का रूप प्रकट करने के लिए उनके साथ जो शब्द-चिह्न लगे रहते हैं, उन्हें विभक्ति कहते हैं। इन कारक-चिह्नों को परसर्ग भी कहते हैं। प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. 2. कर्म कारक: 3. करण कारक: 4. संप्रदान कारक: 5. अपादान कारक: 6. संबंध कारक: 7. अधिकरण कारक: कभी-कभी विभक्ति रहित अधिकरण का भी प्रयोग होता है; जैसे- 8. संबोधन कारक: संज्ञा के जिस रूप से किसी को पुकारा जाए, उसे संबोधन कारक कहते हैं। इसमें शब्द से पूर्व है, अरे, ओ, अजी आदि का प्रयोग होता है; जैसे- प्रश्न 5. उपर्युक्त वाक्यों में कारक चिह्नों (ने, को तथा पर) का प्रयोग नहीं हुआ है और ये वाक्य व्याकरण की दृष्टि से ठीक हैं। प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. करण कारक- प्रश्न 9. अनेक बार ‘के मध्य’, ‘के बीच’, ‘के भीतर’ आदि का भी प्रयोग होता है; जैसे- कभी-कभी
विभक्ति रहित अधिकरण का भी प्रयोग होता है; जैसे- प्रश्न 10. प्रश्न 11. कवि अपनी लेखनी से किसकी जय बोलने के लिए कह रहा है?प्रश्न 1: कवि अपनी लेखनी से किसकी जयं बोलने के लिए कह रहा है? उत्तर: देश के शहीदों की।
कलम आज उनकी जय बोल कविता में कवि किसकी जय बोलने के लिए कह रहा है?कलम आज उनकी जय बोल कविता के माध्यम से कवि कहता है हे कलम आज उन वीर शहीदों की विजय का गुणगान कर, उनके प्रशंसां के गीत लिख, जिन सपूतों ने अपना सब कुछ बलिदान करके देश में क्रान्ति की भावना जाग्रत् की है।
कभी जल जल कर बुझ गए थे क्या कहना चाहता है?Answer. Explanation: 'जल-जलकर बुझ गए' से तात्पर्य है प्राण न्यौछावर कर दिए।
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