कवि नौका विहार के समय संसार के क्रम के बारे में क्या सोचते हैं? - kavi nauka vihaar ke samay sansaar ke kram ke baare mein kya sochate hain?

                                                              कबीरदास💢 भक्तिकाल के निर्गुण भक्ति शाखा के  ज्ञानाश्रयी कवि 

💢 रामानंद का शिष्य 

💢 अनपढ़ फकीर 

💢 देशाटन और साधुओं की संगति से ज्ञानी बने

💢 गुरु को प्रमुख स्थान 

💢 धर्मदास ने उनकी वाणियों का संग्रह " बीजक " नाम के ग्रंथ मे किया 

💢 बीजक का तीन खंड -साखी,सबद और रमैनी

       1.साखी -कबीर की शिक्षाओं और सिद्धांतों का निरूपण  

       2.सबद -गेय पद है जिसमें पूरी तरह संगीतात्मकता विद्यमान है 

       3.रमैनी -कबीर के रहस्यवादी और दार्शनिक विचार

💢 कबीरदास की राम - निर्गुण-निराकार ब्रह्म  

💢 कबीर का सारा जीवन सत्‍य की खोज तथा असत्‍य के खंडन में व्‍यतीत हुआ। 

💢 कबीर सन्त , कवि और समाज सुधारक 

💢 सधुक्कड़ी या खिचड़ी  भाषा 

💢  जनभाषा का प्रयोग 

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💢 कबीरदास को वाणी का डिक्टेटर नाम दिया  - हज़ारी प्रसाद द्विवेदी जी  

१. "सतगुरु की महिमा अनँत, अनँत किया उपगार। लोचन अनँत उघारिया, अनँत दिखावनहार ॥"

   सद्गुरु की महिमा अनन्त है। उसका उपकार भी अनन्त है। उसने मेरी अनन्त दृष्टि खोल दी, जिससे मुझे उस अनन्त प्रभु का दर्शन प्राप्त हो गया

२."चौसढी दीवा जोई करें  चौदह चंदा मांहि  तिहि घर किसको चांदना,जिहि घर गोविन्द नाही" 

ईश्वर भक्ति के बिना केवल कलाओं और विद्याओं की निपुणता मात्र से मनुष्य का कल्याण सम्भव

नहीं है। ईश्वर की कृपा नहीं है तो जो ज्ञान हमने पाया है ,उसका उपयोग कर नहीं पायेंगे |

3‘पासा पकड़ा प्रेम का पारी किया शरीर सतगुरु दांव बताइया खेले दास कबीर’ 

प्रेम और भक्ति के बारे में इस दोहा में बताया है |प्रेम लौकिक है और भक्ति अलौकिक |साधक याने मानव प्रेम के पीछे पड जाते है गुरु उसको साधना के क्षेत्र में दिशा निर्देश दे कर परमात्मा से मिलने का मौका देता है |

"चकवी बिछुटी रैणि की, आइ मिली परभाति।जे जन बिछुटे राम सूँ, ते दिन मिले न राति॥"

चकई (एक पक्षी) रात भर अपने प्रिय से बिछुड़ने के कारण रोते रहते है |सुबह होने पर दोनों का मिलन होता है और वे खुश हो जाते है |मगर परमात्मा से बिछुड़नेवाले जीवात्मा को फिर कभी परमात्मा से मिल नहीं पायेंगे |

"बिरहनि ऊभी पंथ सिरि, पंथी बूझै धाइ।एक सबद कहि पीव का, कब रे मिलैगे आइ " परमात्मा से मिलने की रास्ता पूछ कर बिरहिनी ( जीवात्मा) रास्ते पर खड़े है|परमात्मा से बिछुड़नेवाले जीवात्मा फिर कभी परमात्मा से मिल नहीं पायेंगे | वहाँ तक जाने की रास्ता  किसी को भी पता नहीं है |

सप्रसंग व्याख्या कीजिए - "चकवी बिछुटी रैणि की, आइ मिली परभाति। जे जन बिछुटे राम सूँ, ते दिन मिले न राति॥" ये पंक्तियाँ हिंदी साहित्य के स्वर्ण युग के रूप में विख्यात हिंदी साहित्य के ज्ञानाश्रयी भक्ति शाखा के कवि कबीरदास जी का है |चकई (एक पक्षी) रात भर अपने प्रिय से बिछुड़ने के कारण रोते रहते है |सुबह होने पर दोनों का मिलन होता है और वे खुश हो जाते है |मगर परमात्मा से बिछुड़नेवाले जीवात्मा को फिर कभी परमात्मा से मिल नहीं पायेंगे | इन पंक्तियों में कबीरदास जी जीवात्मा और परमात्मा के मिलन के बारे में बता रहा है |ईश्वर से दूर हो जाने पर पुनः ईश्वर से मिलना आसन काम नहीं होगा |

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अध्याय दो -सूरदास  ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि सूरदास हिंदी साहित्य के [सूर्य]  भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक  वल्लभाचार्य के शिष्य वल्लभाचार्य से   पुष्टिमार्ग की दीक्षा रचनाएँ (१) सूरसागर -  सूरदास अक्षय की कीर्ति का आधार,बाल चेष्टाओं का विश्व कोश  (२) सूरसारावली-कृष्ण विषयक कथात्मक और सेवा परक पदों का गान किया उन्ही के सार रूप में उन्होंने सारावली की रचना की (३) साहित्य-लहरी - राधा -कृष्ण लीला का वर्णन सूर के कृष्ण प्रेम और माधुर्य प्रतिमूर्ति है व्रज भाषा कोकिल रचनाएँ व्रज भाषा में सूर का भ्रमरगीत वियोग-शृंगार का ही उत्कृष्ट ग्रंथ अष्टछाप के प्रमुख कवि वात्सल्य रस का अवतार प्रेम के कवि I  सूरदास यहाँ बता रहा है , प्रभु को छोड़कर जो इधर-उधर सुख खोजता है, वह मूढ़ है।परम सुख जो है वह प्रभु से ही हमें मिलेंगे| परमात्मा जहाज़ के समान है |उस जहाज़ से बाहर जानेवाले पंछी (जीवात्मा ) ज़रूर वापस जहाज़ पर ही आयेंगे| कमलनयन (श्रीकृष्ण) को छोड़ कर किसी अन्य देव के पास जाने के लिए मैं तैयार नही हूँ | कमल के रस का आस्वादन करनेवाला भ्रमर कभी भी करील का कड़वा फल नहीं चखेगा| परम पवित्र गंगा नदी को छोड़ कर दुरमति लोग ही कूप से पानी लाने निकलेंगे  IIजीवन रूपी पंछी के उड़ जाने के बाद मानव का तन और तरुवर एक समान है | देह पर अहंकार करना व्यर्थ है | हमारे शरीर सी जीवां रूपी पंछी पंछी उड़ जाने के बाद हम शव बाण जाते है |जिन लोगों केलिए हम हमारा जीवन बिताया था ,वही लोग हमारे शरीर को या तो जलाएंगे या मिट्टी में डालेंगे| जलाने से हमारा शरीर राख बन जाता है और मिट्टी में डालने से किसी अन्य जानवर हमारे तन को खा जाते है |इसलिए सूरदास बता रहा है तन पर घमंड करना व्यर्थ है |परमात्मा पर भरोसा करके जीवन चलाने पर ही हमारी भलाई है|कृष्ण परमात्मा को अपने अआप को समर्पित करके जीवन चलाना है |

सुनीए - सूरदास पद मलयालम व्याख्या IIIश्रीकृष्ण यशोदा मैया से शिकायत कर रहा है- मेरी चोटी नागिन जैसा है और भैया का लम्बा |माँ तुमने कही थी दूध पीने से और बाल को अच्छी तरह संभालने से बाल लम्बी हो जाएगी|लेकिन कुछ हुआ नहीं |तुम तो मुझे कच्ची दूध पिला रही हो और मखन और और रोटी भैया को दे रहे हो | शायद इसलिए ही मेरी बाल नागिन जैसे ही रहते है |सूरदास कह रहा है,इन भाइयों की जोड़ी चिरायु रहे |सुनिए -- सूरदास पद मलयालम व्याख्या

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नौका विहार सुमीत्रानंदन पन्त

नौका विहार १ ऑडियो क्लास हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक  Chhayavaad refers to the era of Neo-romanticism  सुमित्रानंदन पंत आधुनिक हिन्दी साहित्य के एक युग प्रवर्तक कवि हैं। जन्म कौसानी नामक ग्राम में 20 मई 1900 ई॰ को हुआ।कवि के बचपन का नाम 'गुसाईं दत्त' था। हिंदी साहित्य सेवा के लिए उन्हें पद्मभूषण(1961), ज्ञानपीठ(1968)[, साहित्य अकादमी, तथा सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार[ जैसे उच्च श्रेणी के सम्मानों से अलंकृत छायावाद का घोषणा पत्र - पल्ल्व प्रकृति का माँ,सहचरी और प्रिया रूप में चित्रण देश प्रेम से जुडी रचनाएँ - ग्राम्या और युगवाणी गांधीवाद से जुडी रचनाएँ- युगवाणी मार्क्सवाद से जुडी रचनाएँ -युगवाणी ,ग्राम्या,युगांत अरविंदो दर्शन से जुडी रचनाएँ -स्वर्ण किरण,स्वर्ण धूलि,उत्तरा ,वाणी 'रूपाभ पत्रिका  का सम्पादन 

       शान्त वातावरण में क्षीण धार वाली गंगा बालू के बीच मन्द-मन्द बहरही  है | यह सुन्दर दृश्य देखनेवाले कवि को लगता है ,दुबले-पतले शरीर वाली सुन्दर तापस कन्या  दूध जैसी सफेद शय्या पर गर्मी से व्याकुल होकर लेटी हुई हो। गंगारूपी  तपस्विनी अपनेचन्द्र-मुख को अपने  कोमल हाथों पर रखकर लेटी हुई हो |नीला आसमान कवि को गंगा की अंचल जैसा लग रहा है | सुंदर  गंगा का तट कवि को खुली पड़ी रेतीली सीपी पर चन्द्रमा रूपी मोती की चमक यानी चाँदनी जैसा लाग रहा है | दर्पण के समान गंगा का जल शान्त एवं निश्चल है । चाँदनी रात के प्रथम प्रहर में गंगा के तट से छोटी-छोटी नावें अपने पालरूपी पंख खोलकर सुन्दर हंसिनियों के समान धीमी-धीमी गति से गंगा में तैरने लगीं। कालाकाँकर के राजभवन का प्रतिबिम्ब गंगा जल में देखते वक्त कवि भाव  विभोर हो रहा है | नौका चलने के कारण जल में तरंगें उठती हैं, जिससे जल में प्रतिबिम्बित आकाश इस छोर से उस छोर तक हिलता हुआ-सा प्रतीत होता है। गंगा में रह-रहकर उठने वाली चंचल लहरें  अपने आँचल की आड़ में तारे रूपी छोटे-छोटे जगमगाते दीपकों को छिपाने की कोशिश कर रही है | शुक्र तारे की परछाई जल में सुन्दर-सी परी की तरह तैरती हुई दिख रही है।                         गंगा नदी  के बीच से चाँदनी  में चमक रेतीले तट, गंगा की धारा रूपी नायिका के पतले कोमल शरीर का आलिंगन करना चाहनेवाला नायक जैसा लग  रहा है| तट पर स्थित  वृक्ष कवि को नीले आकाश के विशाल नेत्रों की तिरछी कोनों  जैसा लगता  है  और धरती को एकटक निहार रहे हैं। गंगा की धारा के मध्य स्थित उस द्वीप को देख कवि को ऐसा आभास हो रहा है, जैसे कोई छोटा-सा बालक अपनी माता की छाती से लगकर सो रहा हो। गंगा नदी के ऊपर एक पक्षी को उड़ते देख कवि सोचने लगता है कि यह चकवा है, जो भ्रमवश जल में अपनी ही छाया को चकवी समझ कर वहीं उड  रही  है |                   पतवारों के चलने से  नदी के शान्त जल में उठने वाली लहरें कवि को चाँदी के साँपों-जैसा लग रहा है |जल हिलते वक्त वे आगे की ओर रेंगती हुई प्रतीत हो रही हैं। लहरों में एक ही चन्द्रमा से सौ-सौ चन्द्रमा और एक-एक तारा से  सौ-सौ तारे बनकर झिलमिला रहे हैं। कवि को लग रहा है गंगा रूपी खेत में लहरों रूपी लताएँ फल-फूल रही हैं|  नौका दूसरे किनारे की ओर बढ़ते वक्त कवि के मन में सौ सौ विचार उठ रहा है |                                 संसार का क्रम भी नदी की धारा के समान  है। नदी की धारा  निरन्तर बहती चली आ रही है, आगे बह चुके जल का स्थान पीछे का जल ले लेता है, उसी प्रकार जीवन का बहाव भी निरन्तर है। आकाश का विस्तार शाश्वत है, चाँदनी शाश्वत है, लहरों का ऐश्वर्य शाश्वत है| जीवनरूपी नौका का विहार निरन्तर चलता  रहता है| जीवनरूपी नौका चलाने वाले ईश्वर जीवन की गति में जन्म एवं मृत्यु का शाश्वत क्रम बनाए हैं|माया में न पड़ते हुए हमे जीवन  रुपी  नौका पर विहार करना है ,उस परमात्मा में विलीन होना है

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                           जूही की कली- निराला सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' हिन्दी कविता के छायावादी युग के प्रमुख कवियों में से थे विष पीकर अमृत बरसाने वाला कविहिन्दी में मुक्तछंद के प्रवर्तक यथार्थ को प्रमुखता से चित्रित किया  समन्वय,  मतवाला के संपादक  निराला ने हिंदी कविता को एक आग दी, जो आज तक जल रही है 'अनामिका' काव्य संकलन की कविता (१९३२रचनाएँ

 कविता-संग्रह : आराधना, गीतिका, अपरा, परिमल,  तुलसीदास, कुकुरमुत्ता ...........उपन्यास : बिल्लेसुर बकरिहा, अप्सरा, अलका, कुल्लीभाट.......... कहानी-संग्रह : सुकुल की बीवी, लिली, चतुरी चमार, महाभारत, सम्पूर्ण कहानियाँ। कविता का सारांश  'जूही की कली ' निराला की प्रथम रचना के रूप में विखाय्त है |इसमें जूही की कली और मलयानिल का मानवीकरण किया गया है | वसंत ऋतू में ,वन वल्लरी पर जूही की कली सो रही थी|उसकी आशिक मलयानिल कहीं दूर गये थे |वसंत ऋतू की मादक रात में अपनी प्रेयसी की याद आने पर वह जंगल,सागर,पहाड़ सब पार करके जूही की कली के पास पहुँचते है |तब जूही की कली मलयानिल के सपनों में खोई निश्चल सो रही थी |अपने प्रेमी के आने के बारे न जानने के कारण वो अपने प्रेमी के स्वागत में उठती नही है |इससे पवन को क्रोध आता है और अपने झोंको को तेज गति से चलाने लगता है |तब जूही की कली जाग उठती है और अपने पास अपने आशिक को देख कर खुश हो जाती है | दोनों प्रेमी-प्रेमिका प्रेम के रंग में डूब जाते हैं | यहाँ प्रकृति का सुंदर वर्णन कवी ने किया है |

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सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय" नाच सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय" प्रयोगवाद एवं नई कविता को साहित्य जगत में प्रतिष्ठित करने वाले कवि प्रेम और प्रकृति के कवि  सैनिक और विशाल भारत नामक पत्रिकाओं का संपादन कविता संग्रह - भग्नदूत, इत्यलम, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इंद्र धनु रौंदे हुए ये, अरी ओ करूणा प्रभामय, आंगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, सागर-मुद्रा, महावृक्ष के नीचे, और ऐसा कोई घर आपने देखा है।कहानी-संग्रह : विपथगा, परंपरा, कोठरी की बात, शरणार्थी, जयदोल, ये तेरे प्रतिरूप |उपन्यास: शेखर: एक जीवनी, नदी के द्वीप, अपने अपने अजनबी।यात्रा वृत्तांत: अरे यायावर रहेगा याद, एक बूंद सहसा उछली।निबंध संग्रह : सबरंग, त्रिशंकु, आत्मनेपद, आधुनिक साहित्य: एक आधुनिक परिदृश्य, आलवाल,संस्मरण :स्मृति लेखाडायरियां : भवंती, अंतरा और शाश्वती।विचार गद्य :संवत्‍सर1978 में कितनी नावों में कितनी बार पर भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार

नाच कविता का सारंश कवि कहता है -"मैं तनी हुई रस्सी पर नाचता हूँ|यह रस्सी दो खंभों के बीच तनी हुई है |उस रस्सी पर तीखी रौशनी पडती है |इसलिए लोग मेरा नाच देख पा रहे है |लेकिन मेरा नाच मैं देख नहीं पा रहा हूँ | खंभों के बीच असल में मैं नाचता नहीं हूँ ,रस्सी का तनाव ढीला करने के लिए इस और से उस और दौड़ रहा हूँ |लोग सिर्फ मेरा नाच देख रहा है |दुसरे किसी की और उनका ध्यान जाता ही नहीं | 'नाच' प्रयोगवाद,नई कविता आदि के प्रवर्तक अज्ञेय की दार्शनिक कविता है |दो खंभों के बीच तनी हुई रस्सी पर नाचनेवाले नर्तक का दृश्य कवि को एक दार्शनिक तथ्य की और ले जाता है |हमारी जिंदगी जन्म और मृत्यु के बीच का सफर है |इस कविता का दो खंभे जन्म और मृत्यु का प्रतीक है|रस्सी हमारे जीवन का प्रतीक है|नाचनेवाला हम सब है |दो खंभों के बीच हम जीने केलिए दौड़ रहे है| जीने के लिए लोग कई काम कर रहे है |काम को ही लोग देख रहे है |काम करनेवाले को, काम कहाँ हो रहा है.इसकी आवश्यकता क्या है ?आदि के बारे में तो सोचता ही नही|यह समकालीन समाज की समस्या है |दुनिया में स्वार्थता बढ़ रहे है |हम एक दुसरे को पहचानने के लिए भूल जा रहे है |मानियता खत्म हो रहे है-धीरे,धीरे | हम सिर्फ दर्शक के रूप में बदल रहे है |नाच देख कर वाह वाह करने वाला समाज और नचानेवाले समाज का अंतर बहुत है |

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मौसियाँ -अनामिका हिंदी भाषा की  जानी मानी उपन्यासकार ,कहानीकार व कवयित्री हैंआलोचना : पोस्ट -एलियट पोएट्री, स्त्रीत्व का मानचित्र , तिरियाचरित्रम, उत्तरकाण्ड, मन मांजने की जरुरत, पानी जो पत्थर पीता है।शहरगाथा : एक ठो शहर, एक गो लड़कीकहानी संग्रह : प्रतिनायकउपन्यास : अवांतरकथा, पर कौन सुनेगा, दस द्वारे का पिंजरा, तिनका तिनके पासअनुवाद : नागमंडल (गिरीश कर्नाडकविता संग्रह : गलत पते की चिट्ठी, बीजाक्षर, अनुष्टुप, समय के शहर में, खुरदुरी हथेलियाँ, दूब धान घर में लडकी गर्भिणी होने की खबर सुनकर मौसियाँ बारिश में धूप की तरह थोड़ी समय के लिए पहुंच रही है |अपने हाथ के बने स्वेटर,लड्डू और साड़ी लेकर आनेवाली मौसियाँ गर्भिणी को ढेर साड़ी बातें बता देती है|जीवन के प्रत्येक समस्याओं से कैसे बचना है ?कैसे अच्छे खाना पकाना है ?ये सब बालबनाने के बीच वे बता देती है |कम ही समय में सुखी परिवार चलाने की सीख मौसियाँ देती है |चालीस के आसपास आयुवाली मौसी के पास इलाज के रूप में हंसी और प्रार्थना ही है|इनसे वे औरों को तसल्ली दे रही है |इसके बदले में उन्हें मुहल्ले की अम्म्मागिरी मिलती है बीसवीं सदी तक पहुँचनें पर हम कई चीज़ों को कूडागाडी में डाल चुकी है|मौसीपन,बुआपन जैसे रिश्तों को आज समाज में स्थान नहीं है |सब लोग अपने भलाई के बारे में सोच रहे है |औरों के बारे में सोचता ही नहीं | आज हमारे समाज में रिश्ता कम हो रहे है |यह परिवार और समाज की भलाई के लिए हितकर नहीं है |यही संदेश कवयित्री इस कविता में दे रही है| 👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏बेटी -सरिता शर्मा छत्तीसगढ़ में जन्म हिंदी के सशक्त कवयित्री कन्या भ्रूण हत्या के विरुद्ध आवाज़ उठनेवालीबेटी प्रार्थना  करती है - जन्म से  पहले मुझे मत मारो और कुछ न दे दो ,जीने का मौक़ा दे दो जीने का अधिकार बेटी को भी है संसार देखने का मौक़ा के लिए रोनेवाली बेटी बेटा और बेटी को समान दृष्टि से देखना 👀 कन्या भ्रूण माँ की कोख से प्रार्थना कर रही है -मुझे मत मारो|जीने का हक मुझे भी है|मुझे और कुछ नहीं चाहिए,जीने का मौक़ा दे दीजिए |प्यार दुलार मत दे दो मुझे ,बस जन्म के पहले मत मारो |अपने को मारने केलिए तैयार होनेवालों से भ्रूण पूछ रही है -मेरा दोष क्या है ?मैं तुम लोगोंका ही अंश हूँ|जीने का हक मुझे भी है |अपने रिश्तेदारों को देखने का मौका मुझे मिलना ही है | भ्रूण आगे कह रही है ,लड़का ही अच्छा है यह विचार सही नहीं है|लडकों के समान लडकियों को भी अपनी परिवार के नाम रोशन करने की क्षमता है |बुढ़ापे में मान -बाप को सहायता देने की क्षमता लडकियों को भी है |अपनी पुरानी द्रष्टि बदल कर देखो |अब वह समय आ गया है | कन्या भ्रूण जन्म लेकर धीरे -धीरे चलते वक्त,उसकी तुतलाहट सुनते वक्त तुम्हें जरूर ख़ुशी मिलेंगे |मानवीय गुणों का पालन करते हुए अपने और अपने पति के परिवार के नाम रोशन करने की अपनी क्षमता दिखाने का मौका तो दे दो |👀 होनेवाला बच्चा कन्या हिया ,इसकी जानकारी मिलने पर परिवार के लोग भ्रूण हत्या करने केलिए तैयार हो रहे है |'बेटी'नामक कविता में कवयित्री इस प्रथा के खिलाफ आवाज़ उठा रही है | 👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀

 मुक्ति - अरुण कमल

💢 हिंदी साहित्य के प्रख्यात कवि 💢'आलोचना' का संपादक 💢 कविता - अपनी केवल धार,सबूत,नये इलाके में ,पुतली में संसार ,मैं वो शंख महाशंख💢 आलोचना- कविता और समय ,गोलमेज💢साक्षात्कार- कथोपकथन

    अरुणकमल हिंदी साहित्य के विख्यात कवि है |आपके द्वारा विरचित एक प्रमुख कविता है 'मुक्ति'|हमारे समाज के मध्यवर्ग की विडम्बना एक स्कूल अध्यापक के द्वार इस कविता में व्यक्त किया है | 👶   कवि बता रहा है "मैं ने पढ़ाते वक्त अपने बच्चे को को मारा"| मार मिलने पर बच्चा नहीं रोया |इसके बदले स्वयं कवि ने ही रोया |मार का निशान बच्चे के पाँव पर स्पष्ट दिख रहा था |बच्चा अपना पाँव देखता रहा | मन शान्त होने पर मास्टर पिता उस घटना के बारे में सोचता है और मह्सूस करता है कि दोष बच्चे का नहीं,अपना ही है | अपने बच्चे पर ध्यान देने के बारे में वह सोचा ही नहीं था ,इसके परिणाम स्वरुप बच्चे को मार खाना पड़ा |      अध्यापक अब सेवानिवृत हो चुके है |फिर भी सुबह से ही दूसरों के बच्चों को ट्यूशन देने के लिए निकल रहे है |रात तक ट्यूशन ही ट्यूशन |अध्यापक घर से निकलते वक्त और वापस आते वक्त बच्चे सोते होंगे|इसलिए ही पिता और बच्चे के बीच रिश्ता नहीं है |बच्चा क्या कर रहा है ,पढ़ रहा है या खेल रहा है ,यह उसको पता नहीं| समकालीन दुनिया में कई घरों में यही हाल है |इस तरह परिवार में अलगाव की भावना बढ़ रहा है |कवि सूचित कर रहा है ,यह देश केलिए हित कर नहीं है | समाज का निर्माण करने का दायित्व अध्यापक को है |समाज का निर्माण करनेवाले अध्यापक को अपने परिवार के लिए कुछ धन बचाने और ख़ुशी के साथ जीवन बिताने का मौका नहीं है |कवि बताना चाहता है मध्यवर्गीय परिवार में यही हाल हमें मिलेंगे |अक्सर सेवा निवृत होने के बाद लोग आराम से जियेंगे|लेकिन मध्यवर्गीय परिवार में यह संभव नहीं है|रोटी कमाने केलिए उन्हें जीवन भर मेहनत करना पड रहा है |

    कर्तव्य को प्रमुखता देने के कारण अध्यापक अपने परिवार को ध्यान नहीं दे पाया |इसलिए अध्यापक बता रहा है ,मेरे बच्चे को मारने का अधिकार मुझे नहीं है |क्योंकि उसके बारे में मैं सोचा ही नहीं था |समकालीन समाज में किसी को भी एक दुसरे को सुनने का वक्त नहीं है |इसका असर परिवार में ज्यादा पड रहा है|परिवार के लोगों के बीच बढ़ रहे अलगाव समाज में समस्याएँ पैदा कर रहा है |इसकी और भी लेखक हमारा ध्यान आकृष्ट कर रहा है |

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प्यासा कुआँ -ज्ञानेन्द्र्पति           ज्ञानेंद्रपति हिंदी साहित्य के समकालीन कवी है |पर्यावरण सम्बन्धी विषयों पर ढेर सारी रचनाओं के द्वारा समाज को जगाने की कोशिश कवि ने किया है |'प्यासा कुआँ'कविता में मानव के द्वारा पर्यावरण हो रहे अत्याचार का वर्णन हुआ है |विकास की और पल प्रति पल बढनेवाला मानव पर्यावरण से दूर हो रहा है |यही इस कविता का मुख्य आशय है |           सालों से बारिश की पानी से भरा वह कुआँ सबके प्यास बुझाते रहे|प्यास क्या है ?यह कुआँ को मालुम ही नहीं था | |फिर भी वह प्यास बुझाता रहा |लेकिन, आज कुआँ प्यासा है |क्योंकि कुआँ से पानी लाने कोई आता ही नहीं |कुआँ के पास ही हैण्ड पम्प लगाया |इसलिए कुआँ से पानी लेने की कोई आवश्यकता ही नहीं |

         पानी लाने  वाले बाल्टी की आवाज़ सुनने की इच्छा से बैठनेवाले कुआँ की और एक दिन अचानक एक प्लास्टिक बोतल आ गिरा |पानी पीकर किसी ने बोतल फेंका था|उसके बाद कई बोतल आते रहे और साथ ही अन्य कचरा भी|उस तरह कुआँ आज एक कूडादान बन गया है |  

           मानव पहले कुआँ से पानी ले कर ही   बाद में हैण्ड पम्प,मोटर आदि आये|मानव कुआँ से दूर हो गए |वक्त के बदलने के साथ मानव प्लास्टिक बोतल की पानी सर्वश्रेष्ठ घोषित किया |विकास के प्रत्येक चरण में मानव प्रकृति से दूर हो रहे है|कवि पूछ रहा है पर्यावरण को भूलकर हो रहे विकास कैसे स्थाई हो  पाएँगे ?

              पर्यावरण  के प्रति हमारा ध्यान आकृष्ट करना कवि का मुख्य उद्देश्य है |      

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                गगन गिल -इस तरह 

            गगन गिल समकालीन हिंदी कवयित्री है |’एक दिन लौटेगी लड़की’ कविता श्रृंखला के प्रकाशन से आस्वद्कों का ध्यान उस पर पड़ी |विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं के साहित्य सम्पादन करने के बाद अब पूर्णकालिक लेखन में मग्न है | रचनाओं के लिए कई सम्मान भी गगन गिल जी को मिल चुकी है |’इस तरह ‘नामक कविता में यात्रा के माध्यम से जीवन की यात्रा का वर्णन की है | 

            पहाड़ी इलाके की यात्रा के बारे में लेखिका बता रही है |पहाड़ के ऊपर चढ़ते वक्त यात्री के पैर टकराकर पत्थर नीचे गिर जाता है |नीचे घाटी में बह रही नदी यात्री में डर पैदा करता है | पत्थर कहाँ गिरा ? इसकी कोई सूचना हीं नहीं मिलता |यात्री असमंजस में पड़ जाता है - आगे जाना है या वापस जाना है |उस वक्त नीच ऊपर चट्टान से सर हिला रहे नीला फूल और यात्री को झूमते हुए ऊपर उठनेवाले तितलियाँ यात्री को आगे बढने की प्रेरणा देता है | इस तरह वह आगे बढ़ता है | 

             प्रकृति में अकेलापन भोगनेवाला और भी है ,यह यात्री में आत्मविश्वास जगाते है और वह आगे निकलते है |अकेले में मुस्कुरानेवाले है बच्चे,फूल,तितलियाँ और कुछ बूढ़े |कहाँ जाना है यह पता नहीं होने पर वह मुस्कुराते है और प्रकृति अपने साथ है जानने पर वह आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते है |यात्रायें तो ऐसा ही है |

             इस कविता में वर्णित यात्रा हमारा जीवन है |एक मंजिल से दूसरी मंजिल तक हम बढ़ते रहते है |जन्म लेने के बाद मृत्यु तक हमें सैर करते रहना है|बीच में बाधाएं जरूर होंगे |मगर बाधाओं को पार करके आगे बढने की प्रेरणा हमें किसी न किसी प्रकार मिलते रहेंगे | विश्वास हमें आगे ले जायेंगे कि आगे कुछ भलाई हमारे इंतज़ार कर रहा है |

पत्र

किसी माध्यम पर लिखे गए संदेश को पत्र कहते है |पत्र लेखन का कार्य पारिवारिक जीवन से लेकर

व्यापार तथा अन्य क्षेत्रो में प्रयोग किया जाता है |

                         पत्रों के प्रकार (Types of letters In Hindi) :

अनौपचारिक पत्र (Informal letter )

व्यक्तिगत पत्र


औपचारिक पत्र (Formal letter)

👉 प्रार्थना पत्र – Request Letter

👉व्यवसायिक पत्र – Business Letter

👉 सरकारी/कार्यालयी पत्र – Official Letter

👉 नौकरी के लिए आवेदन पत्र - Application for job

👉 संपादक के नाम पत्र - Letter to Editor

👉 शिकायत पत्र -Complaint letter

      अनौपचारिक पत्र  नमूना 

स्थान ………

तिथि …………

पूजनीय /प्यारा /प्यारी /प्रिय

सादर प्रणाम/ बहुत प्यार

पत्र लिखने का कारण ----------

आपका /तुम्हारा

हस्ताक्षर

अनौपचारिक पत्र क्यों लिखा जाता है ?

  1. अपने  मित्रों,रिश्तेदारों आदि को निजी संदेश भेजने 
  2. बधाई,शोक संदेश ,आमत्रण आदि के लिए 

पत्रों के गुण

.सरलता - पत्र की भाषा सरल होनी चाहिए | सरल पत्र पाठक के मन पर अत्यधिक प्रभाव डालेंगे |

.स्पष्टता -  पत्रों में अपनी बात स्पष्ट तथा विनम्रता से व्यक्त करना है |

संक्षिप्तता  -  अपनी बात संक्षिप्त रूप में व्यक्त करना चाहिए |     

☈.शिष्टाचार - पत्र  लिखनेवाले और पानेवाले के बीच के रिश्ते के अनुसार आदर,मित्रता को सूचित करने के लिए

प्यरा/प्रिय/  प्यारा /पूजनीय.जैसे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए

☈.आकर्षणीयता -पत्र आकर्षक एवं सुंदर होना चाहिए |

औपचारिक पत्र

औपचारिक पत्र के गुण             

औपचारिक पत्र की भाषा सरल, एवं  स्पष्ट होनी चाहिए। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); औपचारिक पत्र स्पष्ट रूप से विषय प्रस्तुत करना चाहिए औपचारिक पत्र संक्षिप्त होना चाहिए औपचारिक पत्र आकर्षक तथा मौलिक होना चाहिए औपचारिक पत्र स्वतः सम्पूर्ण होना चाहिए औपचारिक पत्र शिष्टता पूर्ण व्यवहार होना चाहिए                    औपचारिक पत्र प्रारूप (Draft)

प्रेषक (From)

     नाम (Name)

     पता (Address)   

सेवा में  (To)

       ***************

    *************

    *************

विषय (subject)-------------------

प्रिय महोदय/महोदया

      1.पत्र की कूल सामग्री

      2.आभार या धन्यवाद ज्ञापन

      3.समापन सूचक शब्द

 भवदीय /भवदीया

हस्ताक्षर

नाम

स्थान

तिथि 

I छुट्टी केलिए आवेदन पत्र 

प्रेषक

    रवी रंजन पी

    बी.बी.ए प्रथम वर्ष

    सरकारी कोलेज .कालीकट

 सेवा में  

    प्राचार्य

    सरकारी कोलेज .कालीकट

विषय  - छुट्टी के लिए आवेदन पत्र

प्रिय महोदय/महोदया

      मैं आपके महाविद्यालय के बी.बी.ए प्रथम वर्ष का छात्र हूँ|पिछले दो महीनों से

 तबीयत ठीक नहीं होने के कारण कोलेज में आ नहीं सका | आपसे निवेदन है प्रस्तुत

 अवधि के लिए मुझे छुट्टी दिया जाय |

      मुझे उम्मीद है आप मेरा पत्र पर उचित कार्यवाही करेंगे |

      धन्यवाद  

भवदीय /भवदीया

हस्ताक्षर

नाम

स्थान

तिथि 

   II पुस्तक सूची के लिए आवेदन पत्र प्रेषक आसिफ वी.के पुस्तकालय अध्यक्ष के.वी.एम् कोलेज दिल्ली  सेवा मेंप्रबन्धक विनोद पुस्तक मन्दिर वाराणसी  विषय : पुस्तक सूची २०२१ हेतु (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});  महोदय           आपके प्रकाशन समूह द्वारा प्राकशित नये पुस्तक सूची भेजने का कष्ट करें| पुस्तकालय के लिए किताब खरीदने के लिए यह अत्यंत आवश्यक है |        धन्यवाद सहित                                      आपका                                                    हस्ताक्षर                                                  आसिफ वी.के                                     पुस्तकालय अध्यक्ष तारीखस्थान 

III बैंक में खाता खोलने के लिए आवेदन पत्रप्रेषकआतिरा सी फ्लैट नम्बर ३ फेरी हैट्स,कोच्ची   सेवा मेंप्रबन्धकस्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया कोच्ची  विषय : बैंक में खाता (Account )खोलने हेतु आवेदन पत्र  महोदय           मैं कोच्चिन के फेरी हैट्स में रहनेवाली हूँ |आपके शाखा में एक खाता खोलने की इच्छा है | जीरो बालंस खाता खोलने के लिए सभी प्रमाण पत्र साथ में संलग्न की है |         धन्यवाद सहित|                                     आपका                                                   हस्ताक्षर                                     आतिरा सी तारीखस्थान IV नौकरी के लिए आवेदन पत्र   लूलू इंटर नाशानल लिमिटड में लेखाकार(Accountant) का पद खाली है |३०.०६.२१ के मलयाल मनोरमा अखबार में आये विज्ञापन के अनुसार  प्रस्तुत  पद के लिए आवेदन पत्र तैयार  कीजिए  प्रेषक ------------------------------------सेवा में प्रबन्धक लूलू इंटर नाशानल लिमिटडकोच्चिन विषय : लेखाकार पद के लिए आवेदन पत्रसन्दर्भ :३०.०६.२१ के मलयाल मनोरमा अखबार में आये विज्ञापन महोदय ,         ३०.०६.२१ के मलयाल मनोरमा अखबार में आये विज्ञापन के अनुसार मैं लेखाकार के पद के लिए आवेदन पत्र भेज रहा हूँ|मेरा जीवनवृत (biodata)नीचे दिया गया है|

नाम -----

पता -----

शैक्षणिक  योग्यता 

१.हायर सेकेंडरी -केरला सरकार-  प्रथम श्रेणी 2000 

२.बी.कोम -केरला विश्व विद्यालय -प्रथम श्रेणी  2003 

३.एम्.कोम -प्रथम श्रेणी -केरला विश्व विद्यालय -2005  

४.टाली -केलत्रोन 2006 

अनुभव 

पिछले पाँच सालों से कोच्चिन शिपियार्ड में लिपिक के रूप में कर्मरत |

आपसे निवेदन है प्रस्तुत पद के लिए मेरा आवेदन पत्र स्वीकार करें |

आपके पत्र की प्रतीक्षा में 

    धन्यवाद सहित|                                                    आपका                                                   हस्ताक्षर                                                  नाम     (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});  स्थान  तारीख संलग्न प्रमाण पत्र एव अनुभव के प्रतिलिपि  v  संपादक के नाम पत्र अपने इलाके के पानी प्रदूषण के बारे में हिंदुस्तान टाइम्स के सम्पादक केनाम पर एक पत्र लिखिए  प्रेषक ...................

...................

...................सेवा में संपादक हिंदुस्तान टाइम्स नईदिल्ली विषय : पानी प्रदूषण के बारे में सूचना हेतू |महोदय             हमारे इलाके के पानी प्रदूषण के बारे में सूचना देने के लिए यह पत्र लिख रहा हूँ|मेरा घर यमुना नदी के तट परहै | मेरे घर के सामने ढेर सारे कारखाने है | उनसे प्रदूषित जल यमुना नदी  में बहते रहते है |इसके कारण नदी की पानी पूर्णतः विषमय हो चुकी है |अधिकारीयों से कई बार शिकायत करने पर भी वे इस पर ध्यान देता ही नहीं|जल प्रदूषण के कारण हमारे इलाके के लगभग सभी किसी न किसी बीमारी का शिकार बन चुके है |आपसे निवेदन है हमारी व्यथा समाज के सम्मुख प्रस्तुत करने की सहायता दें |   धन्यवाद सहित|  आपका   हस्ताक्षर    नाम स्थान तारीखपारिभाषिक शब्द         ज्ञान के किसी विशेष विधा में प्रयोग किये जानेवाले शब्दों को पारिभाषिक शब्द कहते है |१.Abstract - उप संक्षेप २.Academic कौंसिल -विध्या सभा  ३.Acceptance-स्वीकृति ४.Accident policy  -दुर्घटना बीमापत्र ५.Account -लेखा/खाता ७. Accountant -लेखापाल  ८.Accountant  General -  महालेखापाल ९.Acconts डिपार्टमेंट-लेखा विभाग १०.Acknowledgemnt-स्वीकृति/पावत्ति   ११. Act –अधिनियम१२. Action – कार्यवाही१३. Adaptioन –अनुकूलन१४. Additional Deputy Secretary – अतिरिक्त उप सचिव१५. Adjournment- स्थगन१६.Administrator –प्रशासक१७ Administratioन –प्रशासन१८.Advance- अग्रिम-धन१९.Advance payment – अग्रिम भुगतान२०.Advisory – सलाहकार२१.Agreement –संविदा/समझौता२२.Allegation-अभियोग२३.Allocation – बंटवारा२४.Allotment –बंटनी २५.Allowance- भत्ता   

२६.Amalgamation -एकीकरण 

२७.Amendment -संशोधन 

२८.Amount -धनराशी 

२९.Anticipatory-प्रत्याशित 

३०.Appointment-नियुक्ति 

३१.Approval-अनुमोदन   

३२ Assessment कर- निर्धारण 

३३.Assistnant-सहायक 

३४.Assistnant Professor-सहायक आचार्य 

३५.Assistant Inspector General -सहायक महा निरीक्षक 

३६.Bill-हुंडी /विधेयक/बिल 

३७ .Bonafide-प्रामाणीक   

३८.Bond -प्रतिज्ञापक 

३९. Bonus-लाभांश 

४०.Budget -बजट/आय-व्ययक   

४१.Cabinet-मंत्रीमंडल 

४२.Cancellation--रद्दीकरण 

४३.Candidate -परीक्षार्थी 

४४.capital-पूँजी 

४५.capitalization-पूँजीकरण 

४६cash book-रोकड़ -लें देन 

४७.cash transaction-नकदी लेन -देन 

४८.casual leave -आकस्मिक अवकाश 

४९.causion money-ज़मानत 

५०.centralization - केन्द्रीयीकृत 

५१.chancellor -कुलाधिपती  

५२.vice chancellor-कुलपती  

५३.Manager-प्रबन्धक   

५४.editor-संपादक   

५५.Incometax department  -आय कर विभाग 

५६.Life Insurance Corporation-जीवन बीमा निगम 

५७.Assistant Professor-सहायक आचार्य 

५८.Principal- प्राचार्य 

५९.Registrar-कुलसचिव 

६०.Cashier-रोकडिया 

  अनुवाद 

    किसी भाषा  में कही या लिखी गयी बात का किसी दूसरी भाषा में सार्थक परिवर्तन अनुवाद (Translation) कहलाता है। 'अनुवाद'शब्द अनु+वाद से बना है |संस्कृत शब्द 'वद' का अर्थ है 'बोलना'|उसके आगे 'अनु' उपसर्ग लगाने से अनुवाद शब्द बनता है|इसका अर्थ होता है 'पुनः कथन या 'बाद में कहना '|

     अनुवाद करने के लिए दो भाषाओं की आवश्यकता है -श्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा |

     श्रोत भाषा - जिस भाषा से अनुवाद करना है |

     लक्ष्य भाषा - जिस भाषा में अनुवाद करना है 

     अनुवाद करनेवाले व्यक्ति को अनुवादक (Translator) कहते है |

अनुवादक के गुण 

👉 श्रोत भाषा का सही ज्ञान 

👉 लक्ष्य भाषा का सही ज्ञान 

👉 विषय का ज्ञान 

👉 तटस्थता 

अनुवाद के प्रकार 

👉 शब्दानुवाद 

👉 भावानुवाद 

👉 छायानुवाद 

👉 सारानुवाद 

👉 व्याख्यानुवाद

👉 आशु अनुवाद 

👉 रूपांतरण 

      Revision 

  अब तक जो पढ़ा है ,देखिए दो मिनुट में

  काव्यसर्गम ,अनुवाद एवं पत्राचार


नौका विहार के समय जीवन और मृत्यु के संदर्भ में कवि के मन में क्या विचार आता है?

प्र० – नौकाविहार के समय जीवन और मृत्यु के सन्दर्भ में कवि के मन में क्या विचार आता है ? उ०- नौका – विकार के समय जीवन और मृत्यु के सन्दर्भ में कवि के मन में यह विचार आता है कि जन्म के पश्चात् सदैव मृत्यु और मृत्यु के पश्चात् सदैव जन्म है । इसी प्रकार यह जीवनरूपी नौका का विहार निरन्तर चलता रहता है ।

नौका विहार कविता का भावार्थ क्या है?

हे जगत् और जीवन के अंर्तयामी भगवान जीवन और मरण के आर-पार जीवन का नौका विहार भी शाश्वत है। अर्थात् जन्म के पश्चात् मृत्यु और मृत्यु के पश्चात् जन्म जीवन का अटल धर्म है। नौका विहार के आनन्द में मैं तो अपनी सता को ही भूल बैठा, मुझे अपनी भी सुध नहीं रही, किन्तु यह तो जीवन का चिरन्तन प्रमाण है ।

नौका विहार के समय कवि को दूर से दिखने वाले तट कैसे प्रतीत होते हैं?

(ii) नौका-विहार के समय कवि को दूर से दिखने वाले तट कैसे प्रतीत हो रहे हैं? उत्तर: जब कवि की नाव गंगा के मध्य धार में पहुँचती है, तो वहाँ से चन्द्रमा की चाँदनी में चमकते हुए रेतीले तट स्पष्ट दिखाई नहीं देते हैं

नौका विहार के कवि कौन है?

नौका-विहार / सुमित्रानंदन पंत - कविता कोश