court order - फोटो : amar ujala Show हाईकोर्ट के तीन जजों की पूर्णपीठ ने अपने महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि उपनिबंधक को बैनामा (रजिस्ट्री) रद्द करने का अधिकार नहीं है। यदि बैनामा फर्जी कराया गया है, तब भी उपनिबंधक उसे रद्द नहीं कर सकते हैं। इसकी अधिकारिता सिर्फ सिविल कोर्ट को है। बैनामा निरस्त कराने के लिए सिविल वाद ही दायर किया जा सकता है। याची कुसुम लता की याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर, न्यायमूर्ति आरएसआर मौर्या और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की पीठ ने सुनवाई की। याची ने 27 अगस्त 2014 को महेश चंद्र से जमीन खरीदी और इसका बैनामा करा लिया। बाद में पता चला कि महेश चंद्र इसी जमीन को शीला राय को भी बेंच चुके हैं और उन्होंने भी जमीन का बैनामा करा रखा है। इसकी शिकायत आईजी निबंधन मैनपुरी से की गई। आईजी ने उपनिबंधक को धोखे से कराए गए बैनामे को रद्द करने का आदेश दिया। इसे याचिका में चुनौती दी गई। उपनिबंधक के बैनामा निरस्त करने की अधिकारिता को लेकर हाईकोर्ट के दो विरोधाभासी निर्णय थे। इसे देखते हुए एकल पीठ ने प्रकरण पूर्णपीठ को संदर्भित कर दिया। पूर्णपीठ ने अपने फैसले में कहा कि बैनामा करने के बाद भूमि स्वामी के अधिकार उस भूमि पर समाप्त हो जाते हैं। वह दोबारा उसका बैनामा नहीं कर सकता है। दूसरा तथ्य यह भी है कि उपनिबंधक को किसी संपत्ति का बैनामा करने से पहले उसके स्वामित्व का निर्धारण करने की अधिकारिता नहीं है। यदि बैनामा धोखे से कराया गया है, तो उसे निरस्त करने की अधिकारिता सिविल कोर्ट को ही है। हाईकोर्ट इस संबंध में आदेश नहीं दे सकता है। बैनामा दाखिल खारिज कितने दिन में होता है?90 दिनों में अनिवार्य होगा जमीन का दाखिल-खारिज
क्या दाखिल खारिज कैंसिल हो सकता है?वहीं अगर प्रॉपर्टी की बिक्री करने वाले को उस संपत्ति की पूरी कीमत नहीं मिल पाई है तो वह व्यक्ति अपनी आपत्ति दर्ज करा करके इसका दाखिल खारिज रुकवा सकता है और ऐसी स्थिति में प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री रद्द हो जाएगी.
दाखिल खारिज नहीं होने पर क्या होगा?दाखिल खारिज न कराने से होते हैं कई और नुकसान
इसके अलावा किसी प्राकृतिक आपदा में होने वाले नुकसान के बाद सरकारी राहत सिर्फ उन्हीं लोगों को मिलती है जिनकी प्रॉपर्टी का दाखिल खारिज हुआ रहता है. जिस प्रॉपर्टी का दाखिल खारिज नहीं होता, उस प्रॉपर्टी के एवज में आप किसी बैंक से लोन भी नहीं ले सकते हैं.
उत्तर प्रदेश में दाखिल खारिज का क्या नियम है?वास्तव में दाखिल खारिज को ही म्युटेशन कहा जाता है। अर्थात दोनों एक ही चीज़ हैं। इसमें सरकारी राजस्व दस्तावेजों में संपत्ति पूराने नाम से हटाकर ने नए मालिक के नाम में किया जाता है। यदि दुर्भाग्यवश भू स्वामी या संपत्ति के मालिक की मृत्यु हो जाती है तो इस इस्तिथि में भी दाखिल खरिज कराना अनिवार्य हो जाता है।
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