क्या हम एकादशी में चावल खा सकते हैं? - kya ham ekaadashee mein chaaval kha sakate hain?

अनीता जैन ,वास्तुविद Published by: विनोद शुक्ला Updated Wed, 18 Aug 2021 06:31 AM IST

एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है इसलिए एकादशी को हरि वासर या हरि का दिन भी कहा जाता है। हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष में दो एकादशी पड़ती हैं और इस व्रत को करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। एकादशी स्वयं विष्णु प्रिया है इसलिए इस दिन व्रत, जप-तप, दान-पुण्य करने से प्राणी श्री हरि का सानिध्य प्राप्त कर जीवन-मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है। शास्त्रों में एकादशी व्रत को करने का विशेष नियम बताए गए हैं जिनका पालन करने से व्रत का पूरा फल मिलता है। जो लोग किसी कारण से एकादशी व्रत नहीं कर पाते हैं उन्हें श्री हरि एवं देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए एकादशी के दिन खान-पान एवं व्यवहार में सात्विकता का पालन करना चाहिए।

क्यों नहीं खाते हैं चावल
पौराणिक मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से प्राणी रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म पाता है, किन्तु द्वादशी को चावल खाने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है। कथा के अनुसार माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया और उनका अंश पृथ्वी में समा गया। चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पंन हुए इसलिए चावल और जौ को जीव माना जाता है। जिस दिन महर्षि मेधा का अंश पृथ्वी में समाया,उस दिन एकादशी तिथि थी। अतःइनको जीव रूप मानते हुए एकादशी को भोजन के रूप में ग्रहण करने से परहेज किया गया है ,ताकि सात्विक रूप से विष्णु प्रिया एकादशी का व्रत संपन्न हो सके।

क्या है धार्मिक मान्यता
ज्योतिष मान्यता के अनुसार चावल में जल तत्व की मात्रा अधिक होती है। जल पर चन्द्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है। चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है इससे मन विचलित और चंचल होता है। मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है। एकादशी व्रत में मन का पवित्र और सात्विक भाव का पालन अति आवश्यक होता है इसलिए एकादशी के दिन चावल से बनी चीजें खाना वर्जित कहा गया है।

ऐसा न करें
पौराणिक मान्यता के अनुसार एकादशी में ब्रह्महत्या सहित समस्त पापों का शमन करने की शक्ति होती है। इस दिन मन, कर्म और वचन द्वारा किसी भी प्रकार का पाप कर्म करने से बचने का प्रयास करना चाहिए।
 

इस तिथि पर लहसुन, प्याज, मांस, मछली, अंडा आदि तामसिक आहार के सेवन से भी दूर रहना चाहिए एवं दिन में नहीं सोना चाहिए। इस दिन व्रती किसी की बुराई या चुगली न करें। माता पिता, गुरु या अन्य किसी का दिल न दुखाएं और न ही किसी का अपमान करें।

क्या एकादशी के दिन चावल खा सकते हैं?

चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए इसलिए चावल और जौ को जीव माना जाता है। जिस दिन महर्षि मेधा का अंश पृथ्वी में समाया, उस दिन एकादशी तिथि थी। इसलिए एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित माना गया। मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा के मांस और रक्त का सेवन करने जैसा है।

एकादशी को चावल खाने से क्या होता है?

चावलखाने का धार्मिक कारण कहा जाता है कि जिस दिन उन्होंने अपना शरीर त्यागा उस दिन एकादशी थी। जब महर्षि ने अपना शरीर त्याग दिया तो वह चावल और जौ के रूप में धरती में जन्म लिया। इसी कारण चावल और जौ को जीव के रूप में माना जाता है। एकादशी के दिन इनका सेवन करना यानी महर्षि मेधा के खून और रक्त का सेवन करने के बराबर है।

क्या हम एकादशी में समक चावल खा सकते हैं?

भगवान विष्णु की कृपा दिलाने वाली एकादशी व्रत में चावल का प्रयोग निषेध माना गया है. एक पौराणिक कथा के अनुसार शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने जब अपने शरीर का त्याग किया तो उनके कुछ अंश पृथ्वी में समा गए थे और बाद में उसी स्थान पर चावल और जौ के रूप में उत्पन्न हुए.

एकादशी को क्या क्या नहीं खाना चाहिए?

* एकादशी (ग्यारस) के दिन व्रतधारी व्यक्ति को गाजर, शलजम, गोभी, पालक, इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। * एकादशी पर श्री विष्णु की पूजा में मीठा पान चढ़ाया जाता है, लेकिन इस दिन पान खाना भी वर्जित है। * फलों में केला, आम, अंगूर, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करें।