खरगोश की आंखों जैसा लाल में कौन सा अलंकार है - kharagosh kee aankhon jaisa laal mein kaun sa alankaar hai

विषयसूची

  • 1 खरगोश की आंखों जैसा लाल सवेरा कौन सा बिम्ब है?
  • 2 पतंग के बारे में कभी क्या बताता है?
  • 3 बांस की सबसे पतली कमानी क्या है?
  • 4 मराठी में पतंग को क्या बोलते हैं?
  • 5 घंटी बजाने में कौन बिंब है?

खरगोश की आंखों जैसा लाल सवेरा कौन सा बिम्ब है?

इसे सुनेंरोकेंयह चाक्षुस बिंब है। भादों मास के जाते ही सवेरा अपनी परी चमक के साथ प्रकट होने लगता है। शरद् का प्रात: लीन सूर्य लाल चमकीला होता है। इसे देखकर खरगोश की आँखों का बिंब सामने उभरता है।

पतंग के बारे में कभी क्या बताता है?

इसे सुनेंरोकेंकवि का कथन है कि अगर बच्चे अपने पतंगों को उड़ाते हुए कभी मकानों के खतरनाक किनारों से गिर जाते हैं। तत्पश्चात यदि वे बच जाते हैं तो उनमें और साहस और निडरता पैदा हो जाती है। इन खतरनाक किनारों से बचने के बाद वे और भी निडरता के साथ सुनहरे सूर्य के सामने आते हैं।

शरद क्या चलाते हुए आता है?

इसे सुनेंरोकेंकवि शरद का मानवीकरण करते हए कहता है कि वह अपनी नयी चमकीली साइकिल को तेज गति में चलाते हए और ज़ोर-ज़ोर से घंटी बजाते हुए पुलों को पार करते हुए आ रहा है। * कवि कहता है कि शरद ने आकाश को मुलायम कर दिया है ताकि पतंग ऊपर उड़ सके। यह ऐसा माहौल बनाता है कि दुनिया मनसे हलकी और रंगीन चीज़ उड़ सके।

दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

इसे सुनेंरोकेंकाव्य सौन्दर्य –’ दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए’ , ‘डाल की तरह लचीले वेग से अकसर ‘इनमे उपमा अलंकार हैं । ‘पेंग भरना ‘ मुहावरे का सुंदर और सार्थक प्रयोग हुआ है ।

बांस की सबसे पतली कमानी क्या है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर — (क) पतंग।

मराठी में पतंग को क्या बोलते हैं?

इसे सुनेंरोकेंपतंग—पु. १ एक झाड. याच्या लांकडाचा रंग तांबडा असतो. त्या पासून गुलाल करतात.

पतंग बाजो के पैर कैसे कहे गए हैं?

इसे सुनेंरोकेंपतंगबाजों के पैर कैसे कहे गए हैं? (घ) सपाट।

पतंग कविता में पतंग किसका प्रतीक है?

इसे सुनेंरोकेंकपास बच्चों की कोमल भावनाओं व उनकी मासूमियत का प्रतीक है। प्रश्न 5: पतगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं- बच्चों का उड़ान से कैसा सबध बनता हैं? पतंग बच्चों की कोमल भावनाओं की परिचायिका है।

घंटी बजाने में कौन बिंब है?

इसे सुनेंरोकेंशरद् का प्रात: लीन सूर्य लाल चमकीला होता है। इसे देखकर खरगोश की आँखों का बिंब सामने उभरता है। शरद् ऋतु के आगमन में उस बालक का बिंब साकार होता है जो अपनी नई साइकिल चलाता, घंटी बजाता आता है।

https://www.youtube.com/watch?v=0Gnhz_53BEQ

सवेरा हुआ

खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा

शरद आया पुलों को पार करते हुए

अपनी नई चमकीली साइकिल तेजं चलाते हुए

घंटी बजाते हुए जो़र- जो़र से

चमकीले इशारों से बुलाते हुए।

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पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं-बच्चों का उड़ान से कैसा सबंध बनता है?


कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि जब पतंग उड़ती है तो बच्चों का मन भी उसके साथ उड़ता है। पतंग उड़ाते समय वे अत्यधिक उत्साहित हो जाते हैं। उनका मन भी पतंग के साथ- साथ उड़ता है। बच्चे पतंग के साथ पूरी तरह जुड़े रहते हैं। इसके साथ उनका अटूट संबंध बन जाता है। पतंग के आकाश में ऊपर जाते समय बच्चों का मन भी हिलोरे लेने लगता है। उन्हें पतंग के अतिरिक्त और कुछ दिखाई नहीं देता।

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‘सबसे तेज बौछारें गयी, भादों गया’ के बाद प्रकृति में जो परिवर्तन कवि ने दिखाया है, उसका वर्णन अपने शब्दों मे करें।


भादों के महीने में तेज वर्षा होती है बौछारें पड़ती हैं। बौछारों के जाते ही भादों का महीना समाप्त हो जाता है। इसके बाद क्वार (आश्विन) का महीना शुरू हो जाता है। इसके आते ही प्रकृति में अनेक प्रकार के परिवर्तन आ जाते हैं-

अब सवेरे का सूरज खरगोश की औंखों जैसा लाल-लाल दिखाई देने लगता है अर्थात् सूरज की लालिमा बढ़ जाती है।

शरद् ऋतु का आगमन हो जाता है। गर्मी से छुटकारा मिल जाता है। ऐसा लगता है कि शरद अपनी साइकिल को तेज गति से चलाता हुआ आ रहा है।

सवेरा चमकीला होने लगता है।

फूलों पर तितलियाँ मँडराती दिखाई देती हैं। बच्चे भी तितलियों के समान प्रतीत होते हैं।

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बिंब स्पष्ट करें-

सबसे तेज बौछारें गईं भादों गया

सवेरा हुआ

खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा

शरद आया पुलों को पार करते हुए

अपनी नई चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए

घंटी बजाते हुए जोर-जोर से

चमकीले इशारों से बुलाते हुए और

आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए

कि पतंग ऊपर उठ सके।


प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने गतिशील बिंब की योजना की है। यह चाक्षुस बिंब है। भादों मास के जाते ही सवेरा अपनी परी चमक के साथ प्रकट होने लगता है। शरद् का प्रात: लीन सूर्य लाल चमकीला होता है। इसे देखकर खरगोश की आँखों का बिंब सामने उभरता है। शरद् ऋतु के आगमन में उस बालक का बिंब साकार होता है जो अपनी नई साइकिल चलाता, घंटी बजाता आता है। मुलायम वातावरण में ही कोई चीज ऊपर उठ पाती है। मुलायम आकाश की कल्पना मनोहर है। इसमें पतंग का उड़ना एक अनोखे दृश्य की सृष्टि करता है।

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सोचकर बताएँ कि पतंग के लिए सबसे हल्की और रंगीन बीज, सबसे पतला कागज, सबसे पतली कमानी जैसे विशेषणों का प्रयोग क्यों किया है?


पतंग हल्की होने पर ही आकाश में उड़ पाती है। वह जितनी हल्की होती है उतनी ही ऊँची और दूर तक जाती है। उसे हल्का बनाने के लिए ही उससे संबंधित सभी चीजों को हल्का और पतला बताया गया है। ये विशेषण पतग को हल्की एवं आकर्षक (रंगीन) बनाते हैं। यह कविता बाल सुलभ चेष्टाओं और क्रियाकलापों का चित्रांकन करती है। बच्चों का मन भी अत्यंत कोमल और हल्का होता है।

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जन्म से ही वे अपने साथ लाने हैं कपास-कपास के बारे में सोचें कि कपास से बच्चों का क्या संबंध बन सकता है?


बच्चे अपने जन्म से ही अपने साथ कपास लाते हैं-कपास से बच्चों का संबंध कोमलता, नाजुकता से बन सकता है। कपास की प्रकृति निर्मल निश्छल एवं कोमल होती है। बच्चे भी इसी प्रकृति के होते हैं। बच्चे भी कपास की भांति कोमल एवं स्वच्छ मन होते हैं वे निष्कपट होते हैं। कपास नरम और मुलायम होती है तथा बच्चे भी जन्म से सुकुमार होते हैं। अत: दोनों में गहरा संबंध है।

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खरगोश की आँखों जैसा लाल में कौन सा अलंकार है?

* 'खरगोश की आंखों जैसा लाल सवेरा' में उपमा अलंकार है ।

खरगोश की आंखों जैसा लाल सवेरा में कौन सा बिम्ब?

इस काव्यांश में गतिशील बिंब को साकार किया गया है। इस पंक्ति में चाक्षु बिंब भी विद्यमान है। भादों के जाते ही सुबह नई चमक-दमक के साथ आती है। शरद ऋतु की भोर को खरगोश की आँखों के समान लाल दिखाया गया है।