Solution : प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक अंतरा भाग-2 में संकलित कविता कालिया का गीत से उद्धृत है। यह कविता जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित है एवं उनके प्रसिद्ध नाटक .चंद्रगुप्त. से ली गयी है। प्रस्तुत पंक्ति में देवसेना की वेदना का परिचय मिलता है। वह स्कंदगुप्त से प्रेम कर बैठती है परन्तु स्कंदगुप्त के हृदय में उसके लिए कोई स्थान नहीं है। जब देवसेना को इस सत्य का पता चलता है, तो उसे बहुत दुख होता है। वह स्कंदगुप्त को छोड़कर चली जाती है। उन्हीं बीते पलों को याद करते हुए वह कह उठती है कि मैंने प्रेम के भ्रम में अपनी जीवन भर की अभिलाषाओं रूपी भिक्षा को लुटा दिया है। अब मेरे पास अभिलाषाएँ बची ही नहीं है। अर्थात् अभिलाषों के होने से मनुष्य के जीवन में उत्साह और प्रेम का संचार होता है। परन्तु आज उसके पास ये शेष नहीं रहे हैं। Page No 5:Question 2:कवि ने आशा को बावली क्यों कहा है? Answer:'आशा' बहुत बलवती होती है परन्तु इसके साथ ही वह बावली भी होती है। आशा यदि डूबे हुए को सहारा देती है, तो उसे बावला भी कर देती है। प्रेम में तो आशा बहुत अधिक बावली होती है। वह जिसे प्रेम करता है, उसके प्रति हज़ारों सपने बुनता है। फिर उसका प्रेमी उसे प्रेम करे या न करे। वह आशा के सहारे सपनों में तैरता रहता है। यही कारण है कि आशा बावली होती है। Page No 5:Question 3:"मैंने निज दुर्बल..... होड़ लगाई" इन पंक्तियों में 'दुर्बल पद बल' और 'हारी होड़' में निहित व्यंजना स्पष्ट कीजिए। Answer:'दुर्बल पद बल' देवसेना के बल की सीमा का ज्ञान कराता है। अर्थात देवसेना अपने बल की सीमा को बहुत भली प्रकार से जानती है। उसे पता है कि वह बहुत दुर्बल है। इसके बाद भी वह अपने भाग्य से लड़ रही है। 'होड़ लगाई' पंक्ति में निहित व्यंजना देवसेना की लगन को दर्शाता है। देवसेना भली प्रकार से जानती है कि प्रेम में उसे हार ही प्राप्त होगी परन्तु इसके बाद भी पूरी लगन के साथ प्रलय (हार) का सामना करती है। वह हार नहीं मानती। Page No 5:Question 4:काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए- (क) श्रमित स्वप्न की मधुमाया ......... तान उठाई। (ख) लौटा लो .......................... लाज गँवाई। Answer:(क) इस काव्यांश की विशेषता है कि इसमें स्मृति बिंब बिखरा पड़ा है। देवसेना स्मृति में डूबी हुई है। उसे वे दिन स्मरण हो आते हैं, जब उसने प्रेम को पाने के लिए अथक प्रयास किए थे परन्तु वह असफल रही। अब उसे अचानक उसी प्रेम का स्वर सुनाई पड़ रहा है। यह उसे चौंका देता है। विहाग राग का उल्लेख किया गया है। इसे आधी राती में गाया जाता है। स्वप्न को कवि ने श्रम रूप में कहकर गहरी व्यंजना व्यक्त की है। स्वप्न को मानवी रूप में दर्शाया है। गहन-विपिन एवं तरु-छाया में समास शब्द हैं। इन पंक्तियों के मध्य देवसेना की असीम वेदना स्पष्ट रूप से दिखती है। (ख) इस काव्यांश की विशेषता है कि इसमें देवसेना की निराशा से युक्त हतोत्साहित मनोस्थिति का पता चलता है। स्कंदगुप्त का प्रेम वेदना बनकर उसे प्रताड़ित कर रहा है। 'हा-हा' शब्द पुनरुक्ति प्रकाश अंलकार का उदाहरण हैं। Page No 5:Question 5:देवसेना की हार या निराशा के क्या कारण हैं? Answer:सम्राट स्कंदगुप्त से राजकुमारी देवसेना प्रेम करती थी। उसने अपने प्रेम को पाने के लिए बहुत प्रयास किए। परन्तु उसे पाने में उसके सारे प्रयास असफल सिद्ध हुए। यह उसके लिए घोर निराशा का कारण था। वह इस संसार में बंधु-बांधवों रहित हो गई थी। पिता पहले ही मृत्यु की गोद में समा चुके थे तथा भाई भी युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुआ था। वह दर-दर भिक्षा माँगकर गुजरा कर रही थी। उसे प्रेम का ही सहारा था। परन्तु उसने भी उसे स्वीकार नहीं किया था। Page No 6:Question 1:कार्नेलिया का गीत कविता में प्रसाद ने भारत की किन विशेषताओं की ओर संकेत किया है? Answer:प्रसाद जी ने भारत की इन विशेषताओं की ओर संकेत किया है- 1. भारत पर सूर्य की किरण सबसे पहले पहुँचती है। 2. यहाँ पर किसी अपरिचित व्यक्ति को भी घर में प्रेमपूर्वक रखा जाता है। 3. यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भूत और आदित्य है। 4. यहाँ के लोग दया, करुणा और सहानुभूति भावनाओं से भरे हुए हैं। 5. भारत की संस्कृति महान है। Page No 6:Question 2:'उड़ते खग' और 'बरसाती आँखों के बादल' में क्या विशेष अर्थ व्यंजित होता है? Answer:'उड़ते खग' में अप्रवासी लोगों का विशेष अर्थ व्यंजित होता है। कवि के अनुसार जिस देश में बाहर से पक्षी आकर आश्रय लेते हैं, वह हमारा देश भारत है। अर्थात भारत बाहर से आने वाले लोगों को आश्रय देता है। भारत लोगों को आश्रय ही नहीं देता बल्कि यहाँ आकर उन्हें सुख और शांति भी प्राप्त होती है। यह भारत की विशेषता है। 'बरसाती आँखों के बादल' पंक्ति से विशेष अर्थ यह व्यंजित होता है कि भारतीय अनजान लोगों के दुख में भी दुखी हो जाते हैं। वह दुख आँखों में आँसू के रूप में निकल पड़ता है। Page No 6:Question 3:काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए- Answer:प्रस्तुत काव्यांश में उषा का मानवीकरण कर उसे पानी भरने वाली स्त्री के रूप में चित्रित किया गया है। इन पंक्तियों में भोर का सौंदर्य सर्वत्र दिखाई देता है। कवि के अनुसार भोर रूपी स्त्री अपने सूर्य रूपी सुनहरे घड़े से आकाश रूपी कुएँ से मंगल पानी भरकर लोगों के जीवन में सुख के रूप में लुढ़का जाती है। तारें ऊँघने लगते हैं। भाव यह है कि चारों तरफ भोर हो चुकी है और सूर्य की सुनहरी किरणें लोगों को उठा रही हैं। तारे भी छुप गए हैं। (क) उषा तथा तारे का मानवीकरण करने के कारण मानवीय अंलकार है। (ख) काव्यांश में गेयता का गुण विद्यमान है। अर्थात इसे गाया जा सकता है। (ग) जब-जगकर में अनुप्रास अलंकार है। (घ) हेम कुंभ में रूपक अलंकार है। Page No 6:Question 4:'जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा'- पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। Answer:इसका तात्पर्य है कि भारत जैसे देश में अजनबी लोगों को भी आश्रय मिल जाता है, जिनका कोई आश्रय नहीं होता है। कवि ने भारत की विशालता का वर्णन किया है। उसके अनुसार भारत की संस्कृति और यहाँ के लोग बहुत विशाल हृदय के हैं। यहाँ पर पक्षियों को ही आश्रय नहीं दिया जाता बल्कि बाहर से आए अजनबी लोगों को भी सहारा दिया जाता है। Page No 6:Question 5:प्रसाद शब्दों के सटीक प्रयोग से भावाभिव्यक्ति को मार्मिक बनाने में कैसे कुशल हैं? कविता से उदाहरण देकर सिद्ध कीजिए। Answer:प्रसाद जी शब्दों के माध्यम से अपने भावों की अभिव्यक्ति को भी बड़े मार्मिक बना देते हैं। वह शब्दों के साथ इस तरह खेलते हैं मानो कोई कठपुतली को धागों में पिरोकर नचा रहो हो। उनकी भावाभिव्यक्ति इतनी मार्मिक होती है कि हृदय द्रवित हो उठता है। उदाहरण के लिए देखें- (क) आह! वेदना मिली विदाई! (ख) लगी सतृष्णा दीठ थी सबकी, (ग) लौटा लो यह अपनी थाती कवि ने इन पंक्तियों में देवसेना के हृदय के भावों को बड़ी मार्मिकता से उभारा है। इससे देवसेना के अंदर व्याप्त वेदना और दुख का पता चलता है। Page No 6:Question 6:कविता में व्यक्त प्रकृति-चित्रों को अपने शब्दों में लिखिए। Answer:प्रसाद जी के अनुसार भारत देश बहुत सुंदर और प्यारा है। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भुत है। यहाँ सूर्योदय का दृश्य बड़ा मनोहारी होता है। सूर्य के प्रकाश में सरोवर में खिले कमल तथा वृक्षों का सौंदर्य मन को हर लेता है। ऐसा लगता है मानो यह प्रकाश कमल पत्तों पर तथा वृक्षों की चोटियों पर क्रीड़ा कर रहा हो। भोर के समय सूर्य के उदित होने के कारण चारों ओर फैली लालिमा बहुत मंगलकारी होती है। मलय पर्वत की शीतल वायु का सहारा पाकर अपने छोटे पंखों से उड़ने वाले पक्षी आकाश में सुंदर इंद्रधनुष का सा जादू उत्पन्न करते हैं। सूर्य सोने के कुंभ के समान आकाश में सुशोभित होता है। उसकी किरणें लोगों में आलस्य निकालकर सुख बिखेर देती है। Page No 6:Question 1:कविता में आए प्रकृति-चित्रों वाले अंश छाँटिए और उन्हें अपने शब्दों में लिखिए। Answer:(क) सरस तामरस गर्भ विभा पर-नाच रही तरुशिखा मनोहर। तालाब में स्थित कमलों पर तथा वृक्षों की चोटियों पर पढ़ने वाली सूर्य की किरणें ऐसी प्रतीत हो रही हैं मानो नाच रही हों। (ख) लघु सुरधनु से पंख पसारे-शीतल मलय समीर सहारे। मलय पर्वत पर बहने वाली हवा के सहारे छोटे पखों द्वारा उड़ते पक्षी ऐसे प्रतीत होते हैं मानो आकाश में इंद्रधनुष उभर आया हो। Page No 6:Question 2:भोर के दृश्य को देखकर अपने अनुभव काव्यात्मक शैली में लिखिए। Answer:भोर का उजियारा फैला मटमैले आकाश में, (नोट: विद्यार्थी इस प्रकार स्वयं कविता लिख सकते हैं। यह कविता आपको समझाने हेतु दी गई है। अत: इसकी नकल न करें।) Page No 6:Question 3:जयशंकर प्रसाद की काव्य रचना 'आँसू' पढ़िए। Answer:इसे विद्यार्थियों को स्वयं करना है। Page No 6:Question 4:जयशंकर प्रसाद की कविता 'हमारा प्यारा भारतवर्ष' तथा रामधारी सिंह दिनकर की कविता 'हिमालय के प्रति' का कक्षा में वाचन कीजिए। लघु सुर धनु का आशय क्या है?लघु सुरधनु पक्षी के पंखों को कहा गया है।
पंख पसारे में कौन सा अलंकार है?' ऊपर दी गई पंक्तियों में लघु सुरधनु से पंख पसारे में सुरधनु और पंख की आपस में तुलना की गई है, इसलिये यहाँ पर उपमा अलंकार है।
|