विषयसूची लखनवी अंदाज पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने खीरा खाने से मना क्यों किया?इसे सुनेंरोकेंलेखक ने खीरा खाने से मना इसलिए कर दिया है क्योंकि जिस तरह नवाब साहब ने उनसे खीरा खाने के लिए पुछा था उससे साफ-साफ पता लगता है कि नवाब साहब बिल्कुल भी इछुक नहीं थे उन्हें खीरा देने में तो लेखक उनका यही व्यवहार देखकर खीरा खाने से मना कर दिया होगा। लखनवी अंदाज में लेखक ने किस वर्ग पर कटाक्ष किया है और क्यों? इसे सुनेंरोकें’लखनवी अंदाज़’ व्यंग्य किस सामाजिक वर्ग पर कटाक्ष करता है? उत्तरः ‘लखनवी अंदाज़’ व्यंग्य सामंती वर्ग पर कटाक्ष करता है, जो आज भी अपनी झूठी शान बनाए रखना चाहता है। नवाब साहब का मुंह प्लावित क्यों हो रहा था?इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब ने बहुत करीने से खीरे की फाँकों पर जीरा-मिला नमक और लाल मिर्च की सुर्खी बुरक दी। उनकी प्रत्येक भाव-भंगिमा और जबड़ों के स्फुरण से स्पष्ट था कि उस प्रक्रिया में उनका मुख खीरे के रसास्वादन की कल्पना से प्लावित हो रहा था। नवाब साहब को क्या गवारा न था? इसे सुनेंरोकेंAnswer: नवाब साहब की असुविधा और संकोच के कारण का अनुमान करने लगे। संभव है, नवाब साहब ने बिल्कुल अकेले यात्रा कर सकने के अनुमान में किफ़ायत के विचार से सेकंड क्लास को टिकट खरीद लिया हो और अब गवारा न हो कि शहर का कोई सफेदपोश उन्हें मँझले दर्जे में सफर करता देखे। … लेखक खीरा क्यों नहीं खाना चाहता था?इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब की भाव-भंगिमा देखकर लेखक के मन में यह विचार आया कि नवाब साहब का मुँह खीरे के स्वाद की कल्पना से ही भर गया है। पूर्व में इनकार कर चुकने के कारण आत्मसम्मान की रक्षा के लिए लेखक ने खीरा खाने से इंकार कर दिया। लेखक ने नवाब साहब के खीरे खाने के आग्रह को क्यों नकार दिया था जबकि लेखक के मुँह में पानी भर आया था? इसे सुनेंरोकें➲ लेखक ने नवाब साहब के खीरे खाने के आग्रह को इसलिए नकार दिया क्योंकि लेखक को नवाब साहब का व्यवहार पसंद नहीं आया था। जब लेखक डिब्बे में दाखिल हुआ था तो नवाब साहब ने लेखक से बात करने में कोई रुचि नहीं दिखाई। लेखक की बात का कोई उत्तर नहीं दिया, इसी कारण लेखक के आत्मसम्मान को ठेस पहुंची। लेखक ने क्या कह कर खीरा खाने से मना कर दिया?इसे सुनेंरोकेंलेखक ने ‘शुक्रिया’ कहकर मना कर दिया। लेखक ने सोचा कि जब खीरे के स्वाद और गंध की कल्पना से पेट नवाब ने बहुत तरीके से खीरे धोकर छीले, काटे और जीरा मिला भर जाने की डकार आ सकती है तो बिना विचार, घटना और पात्रों नमक-मिर्च बुरककर तौलिए पर सजाते हुए पुनः लेखक से खाने का के इच्छा मात्र से नई कहानी भी बन सकती है। नवाब साहब की कौन सी बात लेखक को अच्छी नहीं लगी? इसे सुनेंरोकेंलेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं? लेखक ने डिब्बे में प्रवेश किया तो वहाँ पहले से ही एक सज्जन पुरुष पालथी लगाए सीट पर बैठे थे। उनके सामने खीरे रखे थे। लेखक को देखते ही उनके चेहरे के भाव ऐसे हो गए जैसे लेखक का आना अच्छा नहीं लगा। ठाली बैठने पर लेखक की क्या आदत थी?इसे सुनेंरोकेंAnswer: यशपाल-लखनवी अन्दाज़ ठाली बैठे, कल्पना करते रहने की पुरानी आदत है। लेखक की यह पुरानी आदत थी कि वह जब अकेला होता अथवा खाली होता तो अनेक प्रकार की कल्पनाएं करने लग जाता था क्योंकि वह एक लेखक है इसलिए कल्पना के आधार पर अपनी रचनाएँ करता है। अंततः नवाब साहब ने खीरे की फाँकों का क्या किया? इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब ने बहुत नजाकत और सलीके से खीरा काटा, उन पर नमक-मिर्च लगाया। उन नमक-मिर्च लगी खीरे की फाँकों को खाया नहीं अपितु सूँघकर खिड़की से बाहर फेंक दिया था। उनकी इस हरकत का यह कारण होगा कि वे एक नवाब थे, जो दूसरों के सामने खीरे जैसी आम खाद्य वस्तु खाने में शर्म भव करते थे। लेखक को देखकर नवाब साहब को असुविधा क्यों हुई?इसे सुनेंरोकेंलेखक को देखकर उन्हें असुविधा और संकोच हो रहा था। लेखक ने उनकी असुविधा और संकोच के कारण का अनुमान लगाया कि नवाब साहब यह नहीं चाहते होंगे कि कोई उन्हें सेकंड क्लास में यात्रा करते देखें। यह उनकी रईसी के विरुद्ध था। नवाब साहब ने आम लोगों द्वारा खाए जाने वाले खीरे खरीद रखे थे। Download Solved CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 4 2019 PDF to understand the pattern of questions asks in the board exam. Know about the important topics and questions to be prepared for CBSE Class 10 Hindi board exam and Score More marks. Here we have given Hindi A Sample Paper for Class 10 Solved Set 4. Board –
Central Board of Secondary Education, cbse.nic.in हल सहित सामान्य • इस प्रश्न-पत्र में चार खण्ड है – क, ख, ग, घ | खण्ड ‘क’ : अपठित बोध (ii) इस गद्यांश का शीर्षक होगा-प्रकृति और हम। (iii) लेखक भौतिक वस्तुओं की इच्छा को गलत नहीं मानता। आत्मा और पदार्थ दोनों ही अस्तित्व का हिस्स है व एक-दूसरे से तादात्म्य रखते है अत: भौतिक पदार्थों की इच्छा रखना किसी भी दृष्टिकोण से शर्मनाक या गैर आध्यात्मिक बात लेखक नहीं मानता। (iv) समृद्धि अपने साथ सुरक्षा तथा विश्वास लाती है, जो अंतत: हमारी आजादी को बनाए रखने में सहायक है इसलिए सर्वत्र समृद्धि होने को आवश्यक माना गया है। (v) लेखक ने बताया कि प्रकृति का स्वभाव है कि वह कोई काम आधे-अधूरे मन से नहीं करती। मौसम में बगीचे में फूलों की बहार दिखती है तो ऊपर ब्रहमाण्ड अनंत तक फैला दिखाई देता है। कहीं कोई कमी दिखाई नहीं देती।। 2. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर
लिखिए- खण्ड ‘ख’ : व्याकरण 4. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तित कीजिए: 5. निम्नलिखित वाक्यों के रेखांकित पदों का व्याकरणिक परिचय दीजिए- 6. (क) निम्न काव्यांश में कौन-सा रस है? सोभित कर नवनीत लिए। घुटुरुन चलत रेनु तन मंडित मुख दधि-लेप किए। चारु कपोल लोल लोचन, गोरोचन तिलक दिए। खण्ड ‘ग’ : पाठ्यपुस्तक व पूरक पाठ्यपुस्तक नवाब साहब ने बहुत करीने से खीरे की फॉकों पर जीरा-मिला नमक और लाल मिर्च की सुखी बुरक दी। उनकी प्रत्येक भाव-भंगिमा और जबड़ों के स्फुरण से स्पष्ट था कि उस प्रक्रिया में उनका मुख खीरे के रसास्वादन की कल्पना से प्लावित हो रहा था। हम कनखियों से देखकर सोच रहे थे, मियाँ रईस बनते हैं, लेकिन लोगों की नज़रों से बच सकने के खयाल में अपनी असलियत पर उतर आए हैं। नवाब साहब ने फिर एक बार हमारी ओर देख लिया, ‘वल्लाह, शौक कीजिए, लखनऊ का बालम खीरा है!’ नमक-मिर्च छिड़क दिए जाने से ताज़े खीरे की पनियाती फाँकें देखकर पानी मुँह में ज़रूर आ रहा था, लेकिन इनकार कर चुके थे। आत्मसम्मान निबाना ही उचित
समझा, उत्तर दिया शुक्रिया इस वक्त तलब महसूस नहीं हो रही, मेदा भी जरा कमजोर है, किबला शौक फरमाएँ।’ (ख) नवाब साहब की भाव-भंगिमा देखकर लेखक के मन में यह विचार आया कि नवाब साहब का मुँह खीरे के स्वाद की कल्पना से ही भर गया है। (ग) पूर्व में इनकार कर चुकने के कारण आत्मसम्मान की रक्षा के लिए लेखक ने खीरा खाने से इंकार कर दिया। 8. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए (ख) नवाब साहब ने खीरों को अच्छी तरह से धोया और तौलिए से पोंछकर तौलिये पर रखा। जेब से चाकू निकाला और उससे दोनों खीरों के सिर काटकर झाग निकाले और बहुत सावधानी से छीलकर फाँकों को तौलिये पर तरीके से सजाया। फिर नवाब साहब ने खीरों की फॉकों पर जीरा मिला नमक-मिर्च बुरक दिया। (ग) लेखिका की दृष्टि में माँ का स्वतंत्र व्यक्तित्व नहीं था। माँ का
त्याग, धैर्य और सहिष्णुता विवशता से उत्पन्न थी। व्याख्यात्मक हल : लेखिका स्वयं स्वतंत्र विचारों वाली, अपने अधिकार और कर्तव्य को समझने वाली थी पर माँ पिताजी की हर ज्यादती को अपना प्राप्य समझकर सहन करती। माँ की असहाय मजबूरी में लिपटा उनका त्याग, सहनशीलता कभी भी लेखिका का आदर्श न बन सकों। 9. निम्न पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- 10. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए- (ख) शिशु पुत्र की मधुर दंतुरित मुसकान को देखकर कवि का मन सरसता तथा स्निग्धता से भरकर आनंदित हो उठता है, पारिवारिक जीवन अच्छा है इससे मनुष्य के मन में आनन्द और उत्साह का संचार होता है तथा वह अनेक कठिनाइयों को सरलता से पार कर लेता है। (ग) मृग को चमकती रेत में जल का आभास होता है और वह उसके पीछे दौड़ताफिरता है कितु वह उसका भ्रम ही होता है। मानव भी जीवन-भर इसी प्रकार सुखऐश्वर्य के पीछे दौड़ता-फिरता है। (घ) सहस्रबाहू से धनुष को तोड़ने वाले की तुलना परशुराम की वास्तविकता से अवगत न होने की अवस्था थी। फिर भी ‘सहस्रबाहू ने अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध कामधेनु गाय का बलपूर्वक अपहरण’ किया। राम ने जनक की इच्छा और विश्वामित्र की आज्ञा से धनुष -भंग किया था। राम का दोष नहीं था, सहस्रबाहु अपराधी था। 11. ‘माता का आँचल’ पाठ में लेखक द्वारा पिता के संग खेलने तथा माता के संग भोजन करने का वर्णन कीजिए। खण्ड ‘घ’ : पठित अवबोधनम्। अथवा (ख) पश्चिम की ओर बढ़ते कदम अथवा (ग) अनुशासन का महत्व अनुशासन शब्द ‘शासन’ में ‘अनु’ उपसर्ग के जुड़ने से बना है, इस तरह अनुशासन का शाब्दिक अर्थ है-शासन के पीछे चलना। प्रायः माता-पिता एवं गुरुजनों के आदेशानुसार चलना ही अनुशासन कहलाता है, किन्तु यह अनुशासन का सीमित अर्थ है व्यापक रूप में स्वशासन अर्थात् स्वयं को आवश्यकतानुरूप नियंत्रण में रखना ही अनुशासन है। इसके व्यापक अर्थ में, शासकीय कानून के पालन से लेकर सामाजिक मान्यताओं का सम्मान करना ही नहीं, बल्कि स्वस्थ रहने के लिये शारीरिक नियमों का पालन करना भी शामिल है। अत: व्यक्ति जहाँ रहता हैं, वहाँ के नियम, कानून, सामाजिक मान्यताओं के अनुरूप आचरण करना ही अनुशासन कहलाता है। अक्सर कहा जाता है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। अत: समाज की सरंचना के विभिन्न तत्वों को समन्वित एवं संतुलित रखना मनुष्य का कत्र्तव्य है। अनुशासन के बिना किसी भी समाज या राष्ट्र में अराजकता एवं अव्यवस्था का माहौल व्याप्त हो जाता है। उदाहरण के लिये, यदि परिवार के सदस्य अनुशासित न हो , तो उस परिवार में अव्यवस्था घर कर जाती है, सरकारी कार्यालयों में यदि सरकारी कर्मचारी अनुशासन के नियमों का पालन न करें तो वहाँ भी भ्रष्टाचार फैल जाता है। अत: अनुशासन किसी भी राष्ट्र तथा समाज का मूल आधार है। कहावत है-जैसा शासन होगा, वैसा अनुशासन होगा। यदि हम स्वयं को नियंत्रित नहीं रखते है तो हमारा व्यवहार असंतुलित हो जायेगा व चारित्रिक पतन की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी। परिवार, समाज, देश का मुखिया जैसा आचरण करते हैं अन्य सदस्य भी उसी के समान व्यवहार करते हैं। अत: सफलता का आधार अनुशासन ही है। खेल के मैदान में भी अनुशासित टीम सफलता पाती है। प्राय: अनुशासनहीनता का परिणाम हमें जीवन में मिलने वाली असफलताओं के रूप में भुगतना पड़ता है। चरित्र, कार्य, व्यवहार सभी पर अनुशासन के सकरात्मक प्रभाव दिखाई देते हैं। महात्मा गाँधी, स्वामी विवेकानन्द, सुभाषचन्द बोस, दयानंद सरस्वती आदि का जीवन अनुशासन के कारण ही सफल व प्रेरणादायी बन सका। विद्यार्थी जीवन में तो अनुशासन का महत्व और भी बढ़ जाता है। राष्ट्र की प्रगति अनुशासित नागरिकों पर निर्भर होती है। हमें सर्वप्रथम स्वयं पर अनुशासन का अंकुश लगाना होगा, तब ही दूसरे अनुशासित हो पायेंगे। 13. अपने प्रधानाचार्य को पत्र
लिखकर अनुरोध कीजिए कि ग्रीष्मावकाश में विद्यालय में रंगमंच प्रशिक्षण के लिए एक कार्यशाला राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सहयोग से आयोजित की जाए। इसकी उपयोगिता भी लिखिए। मुझे इस सूचना के मिलते ही इतनी प्रसन्नता हुई कि मैं खुशी से उछल पड़ी और दौड़कर मम्मी, पापा को भी ये खुशखबरी सुनायी और सब काम को छोड़कर तुम्हें बधाई लिख रही हूँ। मेरी ओर से तुम्हें हार्दिक बधाई। मेरे मम्मी-पापा भी तुम्हें आशीर्वाद भेज रहे हैं। आज समूचा देश तुम्हारी इस सफलता पर गौरवान्वित हो रहा है। ईश्वर करें तुम्हारी खेल-प्रतिभा दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि करें मैं तो यही कहूँगी कि तुम और आगे बढ़ों और बढ़ी।। इस पथ का उद्देश्य यही है श्रांत भवन में टिका रहना। किन्तु पहुँचना उस सीमा पर जिसके
आगे राह नहीं। 14. आपको राजधानी एक्सप्रेस में यात्रा के दौरान एक अटैची मिली है। उसके मालिक तक पहुँचाने के लिए 25-50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए। We hope the Solved CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 4, help you. If you have any query regarding CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Solved Set 4, drop a comment below and we will get back to you at the earliest. लेखक ने खीरा खाने से क्यों मना?खीरा खाने की इच्छा होते हुए भी लेखक ने उसे खाने से इंकार क्यों कर दिया? नवाब साहब की भाव-भंगिमा देखकर लेखक के मन में यह विचार आया कि नवाब साहब का मुँह खीरे के स्वाद की कल्पना से ही भर गया है। पूर्व में इनकार कर चुकने के कारण आत्मसम्मान की रक्षा के लिए लेखक ने खीरा खाने से इंकार कर दिया।
लेखक ने खीरा न खाने का क्या कारण बताया ?`?Answer. Answer: लेखक ने नवाब साहब से खीरा न खाने का कारण यह बताया कि उनकी खीरा खाने की इच्छा नहीं हैं।
लेखक को खीरा खाने से इनकार करने का अफसोस क्यों हो रहा था?नवाब साहब ने साधारण से खीरों को इस तरह से संवारा कि वे खास हो गए थे। खीरों की सजावट ने लेखक के मुँह में पानी ला दिया था परंतु वे पहले ही खीरा खाने से इंकार कर चुके थे। अब उन्हें अपना भी आत्म-सम्मान बचाना था। इसीलिए नवाब साहब के दुबारा पूछने पर उन्होंने मैदा (अमाशय) कमजोर होने का बहाना बनाया।
लेखक ने खीरा खाने से क्यों इंकार कर दिया था 1 Point?Answer. लेखक ने खीरा खाने से इंकार कर दिया क्योंकि उसको खीरा पसंद नहीं था और खीरा कड़वा भी था।
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