ललद्यद जी की मृत्यु कब हुई थी? - laladyad jee kee mrtyu kab huee thee?

  1. Home
  2. /
  3. 12th class
  4. /
  5. hindi 12th
  6. /
  7. ललद्यद का जीवन परिचय-

ललद्यद कश्मीरी भाषा की प्रसिद्ध कवित्री रही है। उनका नाम आधुनिक कश्मीरी भाषा के उन्नायको मैं अग्रणी माना जाता है।

ललद्यद जी की मृत्यु कब हुई थी? - laladyad jee kee mrtyu kab huee thee?
ललद्यद का जीवन परिचय

जीवन परिचय-

लोकप्रिय संत कवित्री ललद्यद का जन्म सन 1320 ईस्वी के लगभग कश्मीर स्थित पाम्पोर के सिमपुरा गांव में हुआ था। उन्हें लला, लल्लेश्वरी आदि नामों से भी जाना जाता था। वे जाति और धर्म के भेदभाव पर विश्वास नहीं करती थी। वे धार्मिक आडंबर का विरोध करती थी और प्रेम को सबसे बड़ा जीवन मूल्य मानती थी। उनकी मृत्यु सन 1391 ईस्वी के आसपास मानी जाती है।

Table of Contents

  • जीवन परिचय-
  • काव्यगत विशेषताएं-
  • भाषा शैली-

रचनाएं – वाख

इन्हें भी पढ़ें:- प्रकृति और परिवर्तन | कक्षा-12 अपठित गद्यांश

काव्यगत विशेषताएं-

ललद्यद का अधिकांश साहित्य काव्य रूप में है। अपने काव्य में उन्होंने हिंदी के भक्ति कालीन कवियों के ही समान जाति, धर्म, संप्रदाय आदि के भेदों से ऊपर उठकर ईश्वर की भक्ति पर जोर दिया है। उनके काव्य में धार्मिक आडंबर के विरोध और मानव प्रेम को सर्वोच्च स्थान दिया गया है।

उन्होंने अपनी वाणी मैं जीवन की नश्वरता और इश्वर की अमरता का गायन करते हुए प्रभु भक्ति पर विशेष बल दिया है। उन्होंने जीवन में समभाव अपनाने की प्रेरणा सभी मानवो को दी है। वह अपने एक वाख कहती हैं।

इन्हें भी पढ़ें:- गिरिजाकुमार माथुर का जीवन परिचय

खा खाकर कुछ पाएगा नहीं,
न खाकर बनेगा अहंकारी,
सम खा तभी होगा समभावी
खुलेगी सांकल बंद द्वार की।

भाषा शैली-

ललद्यद अपनी वाखों के लिए प्रसिद्ध है। उनकी काव्य शैली को वाख कहा जाता है। उनकी भाषा लोक जीवन से प्रेरित है अतः ना उसमें पंडितों संस्कृत भाषा का दबाव है और ना दरबारी फारसी का, बल्कि उनके वाखों मैं जनता की सरल भाषा का प्रयोग हुआ है। आधुनिक कश्मीरी भाषा का वह स्तंभ मानी जाती है। वे अपनी भाषा और शैली की स्वाभाविक प्रकृति के कारण आज भी कश्मीरी जनता की स्मृति और वाणी में जीवित है।

इन्हें भी पढ़ें:- तुलसीदास-तुलसीदास का परिचय

Read more – चरित्र एवं आत्मबल पर निबंध।

Read more – मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय

इन्हें भी पढ़ें:- लेखक यशपाल की भाषा शैली-

Recommended

  • मंगलेश डबराल का जीवन परिचय-
  • यह दंतुरित मुसकान पाठ के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर-
  • जॉर्ज पंचम की नाक ( कमलेश्वर)
  • महावीरप्रसाद द्विवेदी का‌ जीवन परिचय-
  • रसखान का जीवन परिचय- Raskhan ka Jeevan Parichay
  • क्रिया विशेषण के भेद-
  • नागार्जुन का जीवन परिचय
  • आत्मकथ्य पाठ के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर-

Post navigation

ललद्यद की मृत्यु कब हुई?

कश्मीरी भाषा की लोकप्रिय संत कवयित्री ललद्यद का जन्म सन् 1320 के लगभग कश्मीर स्थित पाम्पोर के सिमपुरा गाँव में हुआ था। उनके जीवन के बारे में प्रामाणिक जानकारी नहीं मिलती। ललाद को लल्लेश्वरी, लला, ललयोगेश्वरी, ललारिफा आदि नामों से भी जाना जाता है। उनका देहांत सन् 1391 के आसपास माना जाता है।

ललद्यद जी का जन्म कब हुआ था *?

ललद्यद का जीवन परिचय : ललद्यद का जन्म 1320 के आस-पास कश्मीर स्थित पांपोर गांव में हुआ थाललद्यद को लल्लेश्वरी, लला, ललयोगेश्वरी, ललारीफ़ा आदि नामों से भी जाना जाता है। वे चौदहवीं सदी की एक भक्त कवयित्री थी, जो कश्मीर की शैव-भक्ति परम्परा और कश्मीरी भाषा की एक अनमोल कड़ी मानी जाती हैं।

ललद्यद की रचनाओं को क्या कहा जाता है?

ललद्यद की काव्य-शैली को वाख कहा जाता है। जिस तरह हिंदी में कबीर के दोहे, मीरा के पद, तुलसी की चौपाई और रसखान के सवैये प्रसिद्ध हैं, उसी तरह ललद्यद के वाख प्रसिद्ध हैं।

ललद्यद को कश्मीर की क्या कहा जाता है?

कश्मीर की आदि संत-कवयित्री योगिनी ललद्यद (चौदहवीं शताब्दी) कश्मीरी भाषा-साहित्य की विधात्री मानी जाती हैं। ललेश्वरी, लल, लला, ललारिफा, ललदेवी आदि नामों से विख्यात इस कवयित्री को कश्मीरी साहित्य में वही स्थान प्राप्त है जो हिंदी में कबीर को है।