लेंस आंखों में कैसे डालते हैं? - lens aankhon mein kaise daalate hain?

स्यूडोफेकिया (pseudophakia) को फेक लेंस (fake lens) भी कहते हैं। इस शब्‍द का इस्‍तेमाल तब क‍िया जाता है जब आपकी आंखों के नैचुरल लेंस को न‍िकालकर आर्ट‍िफ‍िश‍ियल लेंस लगाया जाता है। जि‍स लेंस को लगाते हैं उसे इंट्राकुलर लेंस (intraocular lens IOL) या स्यूडोफेकिया लेंस भी कहा जाता है। फेक लेंस मुख्‍य तौर पर चार तरीके के होते हैं। मल्‍टीफोकल आईओएल- ज‍िन लोगों का दूर और पास दोनों का वि‍जन कमजोर होता है उन्‍हें मल्‍टीफोकल लेंस लगाया जाता है। मोनोफोकल आईओएल- ये सबसे कॉमन लेंस है। क‍िसी भी पॉवर पर ये लेंस लगाए जा सकते हैं। इसके अलावा एकोमोडेट‍िव आईओएल और टोर‍िक आईओएल भी मरीजों को लगाया जाता है। 

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स्यूडोफेकिया लेंस लगाने की जरूरत क्‍यों पड़ती है? (What causes Pseudophakia) 

अगर क‍िसी व्‍यक्‍त‍ि की आंखों से कैटरैक्‍ट या मोत‍ियाब‍िंद न‍िकाला गया है तो आंखों में स्‍यूडोफेक‍िया लेंस लगाने की जरूरत पड़ सकती है। लेंस की मदद से रेट‍िना पर लाइट फोकस करने में मदद म‍िलती है। जैसे-जैसे आप बूढ़े होते हैं, आपके लेंस में कैटरैक्‍ट होने की आशंका बढ़ने लगती है और आंखों से द‍िखना बंद हो जाता है। इसके अलावा ज‍िन लोगों को आंखों से द‍िखना ब‍िल्‍कुल बंद हो जाता है उनकी आंखों में भी लेंस इम्‍प्‍लांट क‍िया जाता है। 

क‍िन लक्षणों के होने से स्यूडोफेकिया लेंस लगाया जाता है 

  • 1. अगर आपकी आंखें कमजोर हैं 
  • 2. अगर आपको आंखों से रंग ठीक से नजर नहीं आते 
  • 3. रात को साफ नजर नहीं आता 
  • 4. धूप, हेडलाइट जैसी तेज रौशनी देखने से आंखें चौंध‍िया जाती हैं
  • 5. डबल व‍िजन की समस्‍या 
  • 6. चश्‍मे का नंबर जल्‍दी-जल्‍दी बदलना 
  • 7. पास और दूर की चीजों में फोकस न बनना 
  • 8. पढ़ते या काम करते समय ज्‍यादा लाइट की जरूरत पड़ना 

आंखों में फेक लेंस कैसे लगाया जाता है? (Procedure of fake lens implant)

लेंस आंखों में कैसे डालते हैं? - lens aankhon mein kaise daalate hain?

पहला स्‍टेप 

फेक लेंस इम्‍प्‍लांट करना है या नहीं ये आप नहीं तय कर सकते। क‍िस मरीज को इस लेंस की जरूरत होगी ये डॉक्‍टर ही तय करते हैं। इसके ल‍िए डॉक्‍टर र‍ेटि‍नल टेस्‍ट करते हैं ज‍िसमें प्‍यूप‍िल्‍स में ड्राप डालकर चेक क‍िया जाता है क‍ि कहीं कोई बीमारी तो नहीं है आंखों में। इसके अलावा स्‍ल‍िट लैम्‍प टेस्‍ट भी क‍िया जाता है ज‍िसमें ड‍िवाइस की मदद से आंखें टेस्‍ट क‍ी जाती है। कई बार व‍िजुअल आई चेकअप भी क‍िया जाता है ज‍िसमें डॉक्‍टर आपको अक्षर पढ़ने के ल‍िए कहते हैं। 

दूसरा स्‍टेप 

फेक लेंस लगाने के ल‍िए डॉक्‍टर आंखों की सर्जरी करते हैं। सर्जरी से पहले आपकी आंखों के मुताब‍िक सही लेंस का साइज ओर शेप तय क‍िया जाता है। सर्जरी के दौरान आंखों में ड्रॉप डालकर प्युप‍िल को बड़ा करते हैं। आंखों के आसपास का ह‍िस्‍सा साफ करके आंखों को सुन्‍न कर द‍िया जाता है। इसके बाद आंखों का नैचुरल लेंस न‍िकालकर फेक लेंस लगाया जाता है। इसके ल‍िए डॉक्‍टर छोटा चीरा लगाते हैं। चीरा लेजर से भी लगाया जा सकता है। नया लेंस लगाने के बाद आंखों को कुछ समय के लि‍ए ढक द‍िया जाता है। सर्जरी वाले द‍िन ही मरीज को ड‍िस्‍चार्ज कर द‍िया जाता है। 

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इंट्राकुलर लेंस कब तक काम करते हैं? (How long the fake lens will last for)

इन लेंस की कोई एक्‍सपायरी नहीं होती। इंट्राकुलर लेंस स‍िलिकॉन या एक्रेल‍िक मटेर‍ियल से बनते हैं इसल‍िए ये बॉडी पर कोई बुरा र‍िएक्‍शन नहीं छोड़ते और न ही इनसे कोई एलर्जी होती है। इन लेंस को बदलने की जरूरत नहीं पड़ती इसल‍िए ये लगने के बाद हमेशा चलते हैं। अगर क‍िसी स्‍थ‍ित‍ि में व्‍यक्‍त‍ि को लेंस से परेशानी है तो इसे बदला जा सकता है पर इसका फैसला डॉक्‍टर ही लेते हैं। 

स्यूडोफेकिया लेंस के साइड इफेक्‍ट्स 

कुछ केस में लेंस गलत तरह से लगने से स्‍यूडोफेक‍िया के साइड इफेक्‍ट्स नजर आने लगते हैं। अगर आपको बहुत कम या ज्‍यादा व‍िजन महसूस हो रहा है तो ये लेंस के साइड इफेक्‍ट हो सकते हैं। आप तुरंत डॉक्‍टर से संपर्क करें।

  • लेंस के गलत तरह से प्‍लेस होने के कारण भी द‍िक्‍कत आ सकती है। जब लेंस ख‍िसक जाता है तो आंखों से धुंधला नजर आने लगता है।
  • रेट‍िना में सूजन या सर्जरी के बाद बहुत ज्‍यादा पानी न‍िकलने पर भी आपको डॉक्‍टर से संपर्क करना चाह‍िए।
  • इसके अलावा स्‍यूडोफेक‍िया लेंस से कुछ केस में ब्‍लीड‍िंग, इंफेक्‍शन, आंख में प्रेशर बढ़ने की समस्‍या आद‍ि हो सकती है इसलि‍ए अच्‍छे डॉक्‍टर से सर्जरी करवाएं। 

अपनी आंखों के नैचुरल लेंस को हेल्‍दी कैसे रखें? (Tips to keep your natural eye lens healthy)

लेंस आंखों में कैसे डालते हैं? - lens aankhon mein kaise daalate hain?

हम सब चाहते हैं क‍ि हमें कभी सर्जरी और दवाओं की जरूरत न पड़े। फेक लेंस एक आधुन‍िक मेडिकल टेक्‍नोलॉजी है ज‍िसे वक्‍त आने पर इस्‍तेमाल क‍िया जा सकता है पर कुछ आसान तरीके हैं ज‍िन्‍हें अपनाकर आप अपनी आंखों के नैचुरल लेंस को कैटरेक्‍ट जैसी बीमार‍ी से बचा सकते हैं- 

  • 1. अपनी आंखों का रेगुलर चेकअप करवाएं। इससे कैटरेक्‍ट जल्‍दी पकड़ आ जाएगा या आंख से जुड़ी कोई अन्‍य बीमारी है तो उसका पता जल्‍द लग जाएगा। 
  • 2. अगर आप धूम्रपान करते हैं तो इस लत को छोड़ दें। मेड‍िटेशन, काउंसल‍िंग और अन्‍य तरीकों की मदद से आप स्‍मोक‍िंग छोड़ सकते हैं। 
  • 3. हेल्‍दी आंखों के लि‍ए डाइट को बेहतर बनाएं। अपनी डाइट में फल और सब्‍ज‍ियों को एड करें। एंटीऑक्‍सीडेंट्स से आपकी आंखें स्‍वस्‍थ रहेंगी। 
  • 4. अगर आपको डायब‍िटीज है तो आंखों में कैटरैक्‍ट का खतरा बढ़ जाता है इसल‍िए शुगर लेवल को कंट्रोल में रखें। 
  • 5. बाहर जाने से पहले चश्‍मा जरूर लगाएं। इससे आपकी आंखों पर धूप की क‍िरणें सीधे नहीं पड़ेंगी। 

स्यूडोफेकिया लेंस लगाने के बाद 90 प्रत‍िशत लोगों को साफ नजर आने लगता है। सर्जरी के बाद आपको पढ़ने या ड्राइव करने के ल‍िए चश्‍मा लगाने की जरूरत पड़ सकती है। 

आंखों में लेंस कैसे लगाई जाती है?

सर्जरी से पहले आपकी आंखों के मुताब‍िक सही लेंस का साइज ओर शेप तय क‍िया जाता है। सर्जरी के दौरान आंखों में ड्रॉप डालकर प्युप‍िल को बड़ा करते हैं। आंखों के आसपास का ह‍िस्‍सा साफ करके आंखों को सुन्‍न कर द‍िया जाता है। इसके बाद आंखों का नैचुरल लेंस न‍िकालकर फेक लेंस लगाया जाता है।

आंख के लेंस की कीमत कितनी है?

रायपुर के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. दिनेश मिश्रा का कहना है कि मोतियाबिंद के बाद आंख में लगाए जाने वाले लेंस की कीमत पर भी कोई नियंत्रण नहीं है। 600 से लेकर एक लाख तक का लेंस बाजार में उपलब्ध है।

आंखों के लिए कौन सा लेंस अच्छा होता है?

टोरिक लेंस मोनोफोकल और मल्टीफोकल ये दोनों ही प्रकार के लेंस केवल आँख की गोलाकार पावर को सही कर सकते हैं। हालांकि, यदि आपको दृष्टिवैषम्य भी है तो आपको इसे ठीक करने के लिए टोरिक लेंस की जरूरत पड़ेगी। इसलिए, दृष्टिवैषम्य का रोगी या तो एक मोनोफोकल टोरिक लेंस या एक मल्टीफोकल टोरिक लेंस में से चुनाव कर सकता है।

कांटेक्ट लेंस कितने दिन तक चलते हैं?

आंखों के लेंस के प्रकार - Contact lens types in hindi डेली डिस्पोजेबल - इनका उपयोग केवल एक बार किया जाता है और फिर फेंक दिया जाता है। टू वीकली डिस्पोजेबल - ये लेंस दो हफ्ते तक पहने जा सकते हैं और फिरफेंखने पड़ते हैं। मंथली डिस्पोजेबल - ये लेंस एक महीने तक पहने जा सकते हैं और उसके बाद बदलना पड़ता है।