मांग में खुजली होने से क्या होता है - maang mein khujalee hone se kya hota hai

हम सभी ने अक्सर देखा है हमारे साथ हुई कोई प्राकृतिक घटना भविष्य की ओर इशारा करती हैं. जी हाँ, अक्सर ही हमारे साथ या हमारे शरीर में होने वाली घटना हमें भविष्य के बारे में बताती है. ऐसे में समुद्र शास्त्र के अनुसार शरीर में खुजली होने के भी कई संकेत है जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं. जी हाँ, आइए जानते हैं.

हाथों में खुजली होने के कारण - कहते हैं यदि किसी व्यक्ति के दाएं हाथ की हथेली खुजली होती है तो इसका मतलब है कि उसे जल्द ही धन लाभ होने वाला है वहीं अगर बाएं हाथ में खुजली होती है तो धन का व्यय होने वाला है. 


आंख के आसपास खुजली - कहा जाता है आंख में या उसके आस-पास खुजली होना कहीं से पैसा आने का संकेत है.


सीने में खुजली - कहते हैं अगर पुरुषों के सीने में किसी समय खुजली होती है तो उन्हें पिता की संपत्ति मिल सकती है और अगर महिलाओं के सीने पर खुजली हो तो उनकी संतान को किसी प्रकार की बीमारी हो सकती है.


होंठों पर खुजली - कहा जाता है अगर होठों पर खुजली हो रही है तो कहीं से स्वादिष्ट भोजन मिलने वाला है.


पीठ पर खुजली - कहते हैं अगर पीठ पर खुजली हो रही है तो इसका मतलब है कि आपके यहां बीमारी और कष्ट दस्तक दे रहे हैं.


पैरों में खुजली - कहा जाता है पैरों में खुजली हो तो आप यात्रा पर कहीं घूमने क लिए जा सकते हैं.


सिर में खुजली - कहा जाता है सिर के पिछले हिस्से पर खुजली हो तो आपके ऑफिस या कार्यस्थल पर कोई बड़ी उपलब्धि मिलने वाली है वहीं आपका प्रमोशन हो सकता है.

प्यार के मामले में पहल नहीं कर पाते हैं इस राशि के लड़के

एक ग्लास पानी से पता करें कि आपके घर में भूत है या नहीं

जिस महिला के ये दो अंग होते हैं बड़े, चमका देती हैं ससुरालवालों की किस्मत

खुजली दिमागी बीमारी है?

4 मार्च 2016

अक्सर आप लोगों को खुजलाते देखते होंगे. ख़ुद भी दिन में कई बार ऐसा करते होंगे. कभी आपने सोचा कि आख़िर खुजली क्यों होती है? क्यों अपनी ही देह पर खरोंचने का मन होता है?

इन सवालों के जवाब ढूंढें, उससे पहले आपको एक अमरीकी वैज्ञानिक जेआर ट्रेवर का क़िस्सा सुनाते हैं. अपने 40वें जन्मदिन पर ट्रेवर को अपने शरीर में खुजली महसूस हुई. अगले 40 साल उन्होंने इसकी वजह ढूंढ़ने, इसका इलाज करने में गुज़ार दिए.

वह दुनिया से चली गईं, मगर खुजली का मर्ज़ नहीं गया. उन्होंने खुजलाते-खुजलाते अपनी चमड़ी तक उधेड़ ली. इसके टुकड़े बड़े-बड़े वैज्ञानिकों को भेजे, ताकि बीमारी पता चल सके. यहां तक कि अपनी खुजली पर रिसर्च पेपर तक लिख डाला.

उन्हें शक था कि खुजली की यह बीमारी एक घुन की वजह से हुई. एक डॉक्टर ने उन्हें मनोवैज्ञानिक के पास जाने की सलाह दी. मगर ट्रेवर ने उस वैज्ञानिक को भी गच्चा दे दिया. वह मर गईं, मगर बीमारी नहीं मरी.

आज हमें पता है कि ट्रेवर को किसी घुन ने परेशान नहीं किया था. उन्हें दिमाग़ी बीमारी थी. जिसका नाम है 'डेलुज़री पैरासिटोसिस'. यह है ज़ेहन में किसी बीमारी का वहम. कई बार ये आमतौर पर होने वाली खुजली से हो जाता है और ट्रेवर जैसे लोगों में मामला गंभीर हो जाता है.

मगर मसला यह है कि खुजली से धरती का कमोबेश हर इंसान जूझता है.

आज साइंस ने इतनी तरक़्क़ी कर ली है. मगर, मज़े की बात यह है कि खुजली की जो परिभाषा आज चलन में है, वह आज से कोई साढ़े तीन सौ बरस पहले एक जर्मन डॉक्टर सैमुअल हैफ़ेनरेफ़र ने तय की थी.

उन्होंने लिखा था खुजली शरीर को महसूस होने वाली ऐसी सनसनी है, जो खुजलाने से शांत होती है. यही परिभाषा आज भी चलन में है. दिक़्क़त यह है कि इससे खुजली को लेकर हमारी समझ ज़रा भी बेहतर नहीं होती.

वैज्ञानिक नज़रिए से देखें, तो खुजली और दर्द में ज़्यादा फ़र्क़ नहीं. असल में हमारी त्वचा में ऐसी नसों का जाल बिछा है जो हमारी रीढ़ की हड्डी और उसके ज़रिए दिमाग़ से जुड़ी हैं. इन्हें तंत्रिकाएं कहते हैं.

इनका काम हमारे शरीर पर आने वाले ख़तरे से दिमाग़ को आगाह करना होता है. जब यह ख़तरा मामूली होता है, तो इससे खुजली का अहसास होता है. मगर ख़तरा बड़ा हुआ, तो दर्द महसूस होता है. वैसे कुछ वैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि दर्द और खुजली का अहसास कराने वाली तंत्रिकाएं अलग-अलग होती हैं.

खुजली हमें कई वजह से हो सकती है. मसलन, कीड़े के काटने से या चमड़ी सूखने से या एक्ज़ीमा, सोराइसिस जैसी बीमारियों की वजह से. ब्रेन ट्यूमर, जिगर की बीमारी, एड्स जैसी बीमारियों से भी कई बार खुजली महसूस होती है.

इसके अलावा कई बार खुजली मनोवैज्ञानिक कारणों से भी होती है. कुछ लोगों में खुजलाने की आदत, जुनून की हद तक होती है. खुजलाने की ऐसी सनक चढ़ती है कि वो कई बार अपना नुक़सान तक कर बैठते हैं.

खुजली महसूस होने पर लोग नाख़ूनों से खुजलाते हैं. वैज्ञानिक कहते हैं कि इससे उस ख़ास जगह की तंत्रिकाएं शांत होती हैं क्योंकि खुजली एक तरह से हल्का दर्द है. जिसे लोग सहलाकर, खुजलाकर दूर करते हैं. कई बार बर्फ़ लगाने या सेंकने से भी खुजली दूर हो जाती है. मगर कई बार दर्द की दवा खाने से खुजली होने भी लगती है.

वैसे दर्द और खुजली में बुनियादी फ़र्क़ यह है कि दर्द होने की सूरत में हम उस चीज़ से दूर भागते हैं, जिसकी वजह से दर्द होता है. जैसे जलती हुई मोमबत्ती के क़रीब हाथ ले जाएंगे तो तकलीफ़ होगी. इसीलिए हम वहां से फ़ौरन हाथ हटा लेते हैं.

मगर खुजली में इसके उलट होता है. जहां खुजली होती है, वहां हमारा हाथ तुरंत पहुँच जाता है. मतलब शरीर का वह हिस्सा हमारा ध्यान अपनी तरफ़ खींचने के लिए खुजली का अहसास कराता है.

ये क़ुदरती देन है हमें. इससे हम कई ख़तरों से ख़ुद को बचा लेते हैं. जैसे किसी कीड़े के काटने से खुजली होगी, तो हम उस जगह को देखेंगे, कीड़े को हटाएंगे ताकि वह फिर न काट ले. ऐसे ही कोई झाड़ या कांटा हाथ या पैर से छू जाए, तो फ़ौरन खुजली महसूस होती है. हम उस कांटे से बचने का तरीक़ा निकालते हैं.

असल में जब कोई कीड़ा हमें काटता है या कांटा चुभता है तो वहां से हिस्टामाइन नाम का केमिकल निकलता है. ये हमारी रीढ़ की हड्डी तक संदेश पहुंचाता है कि कुछ गड़बड़ है.

रीढ़ की हड्डी फ़ौरन हाथ को निर्देश देती है उस जगह की खोज-ख़बर लेने के लिए. कई बार खुजलाने से काम चल जाता है. वरना फिर रीढ़ की हड्डी ये परेशानी हमारे शरीर के हेड ऑफ़िस यानी दिमाग़ को रिपोर्ट करती है.

वैसे खुजली, छुआछूत की बीमारी जैसी है. आसपास किसी को खुजलाते देखेंगे तो आपका हाथ भी ख़ुद-ब-ख़ुद चल पड़ता होगा कई बार. जैसे आसपास बैठे लोग झपकी लें तो आपको भी जम्हाई आने लगती है, ठीक वैसे ही.

बंदरों में एक दूसरे को देखकर खुजलाने की आदत आम है. एक बार तो वैज्ञानिकों ने खुजली पर लेक्चर का आयोजन किया. उसमें ज़्यादातर लोग पूरे वक़्त खुजलाते ही रहे.

कई बार खुजली से तकलीफ़ के बजाय राहत महसूस होती है. 1948 में अमरीका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी ने बाक़ायदा इस पर रिसर्च पेपर छापा जिसमें एक डॉक्टर जॉर्ज बिशप ने लिखा था कि खुजली होने पर वह कई बार ख़ुद को ज़ोर से खरोंचकर तकलीफ़ देते हैं. असल में उन्हें इससे राहत मिलती थी.

यही वजह है कि कई बार आपके प्रिय परिजन जब आपकी पीठ खुजाते हैं तो आपको अच्छा लगता है.

अमरीकी कवि ओडगन नैश ने लिखा था, "ख़ुशी वो अहसास है जो हर उस जगह खुजाने से महसूस होता है जहां खुजली होती है"

ख़ुशी की यह परिभाषा, शायद खुजली करने वालों के लिए थी. यानी हर इंसान के लिए.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

प्राइवेट पार्ट में खुजली क्यों होती है?

योनि में खुजली के कई संभावित कारण होते हैं लेकिन सामान्य कारणों में संक्रमण, जैसे यीस्ट इंफेक्शन थ्रश (thrush) और योनि का सूखापन (जो मेनोपॉज के बाद आम है) शामिल हैं। योनि में खुजली होने का एक अन्य बेहद आम कारण घरेलू और पर्सनल क्लीनिंग उत्पादों में मौजूद केमिकल्स द्वारा होने वाली जलन या एलर्जिक रिएक्शन है।

बाएं पैर में खुजली होने का मतलब क्या है?

बाएं पैर में खुजली होने का मतलब बाएं यानि उल्टे पैर में खुजली होना एक अशुभ संकेत है और इसका मतलब है कि आने वाले समय में आपको कोई बड़ा नुकसान होने वाला है. इसलिए अभी से सतर्क हो जाइए. अगर आपके उल्टे पैर में खुजली हो रही है कि ध्यान रखें कि किसी भी यात्रा पर ना जाएं. इस दौरान की यात्रा आपको अशुभ प्रभाव दे सकती है.

बाएं हाथ में खुजली होने से क्या होता है?

यदि किसी व्‍यक्ति के दाएं हाथ की हथेली खुजलाती है तो इसका मतलब है कि उसे जल्‍द ही धन लाभ होने वाला है। वहीं इसका उलटा यदि बाएं हाथ में खुजली होती है तो धन का व्‍यय होता है।

दाहिने पैर के तलवे में खुजली होने का क्या मतलब होता है?

अगर आपके पैर के निचले हिस्से में खुजली होती है तो आप इन उपायों से इसे ठीक कर सकते हैं. पैरों के निचले हिस्से में खुजली होने का कारण हर किसी में अलग-अलग होते हैं. ये समस्या या तो किसी तरह के कीड़े के काटने से हो सकती है या फिर किसी चिकित्सा समस्या की वजह से. ऐसे में सबसे पहले आपको इसके सही कारणों को समझना बेहद जरूरी है.