मुख्य कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं ?

मुख्य कार्यपालिका का अर्थ (mukhya karyapalika kya hai)

mukhya karyapalika arth, karya, karyapalika ke prakar;मुख्य कार्यपालिका प्रशासन तंत्र के शीर्ष पर स्थित उस संस्था को कहते है जो कि प्रशासन को चलाने के लिये उत्तरदायी निकाय होती है, या प्रशासन को चलाने वाली सभी अधिकारी या कर्मचारी उसके आधीन रहकर शासन की नीतियों को क्रियान्वित करते है। 

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शासन के तीन अंग होते है--

1. कार्यपालिका 

2. विधायिका

3. न्यायपालिका।

कार्यपालिका शासन की नीतियों को लागू करती है, विधायिका इन नीतियों को बनाती है। न्यायपालिका इनके मुताबिक न्याय करती है। बनाने से पालन करने वाला ज्यादा महत्वपूर्ण निकाय है। इसके तीन अंग होते है--

1. मुख्य कार्यपालिका 

2. मंत्री-परिषद् 

3. प्रशासिका।

मुख्य कार्यपालिका से हमारा तात्पर्य उस व्यक्ति या व्यक्ति समूह से होता है जो किसी देश की प्रशासनिक व्यवस्था का अध्यक्ष होता है। 

अलफ्रेड डी. ग्रेनिया के शब्दों मे," कार्यपालिका वह अंग है जो किसी प्रकार के संगठन की नीतियों के निर्माण निर्धारण तथा कार्यान्वयन मे महत्वपूर्ण भाग लेती है। यह इनके लिए सामान्य मार्ग भी निश्चित करती है।" 

संसदात्मक शासन प्रणाली मे मुख्य दो कार्यपालियें होती है-- 

1. वास्तविक कार्यपालिका 

2. नाममात्र की कार्यपालिका।

कार्यपालिका संबंधी समस्त कार्यों के लिये यह उत्तरदायी होती है। सभी अधिकारी, कर्मचारी, मंत्री इसी के अधीन रहकर कार्य करते है। यही समस्त अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति करती है। 

कार्यपालिका के प्रकार <p>मुख्य कार्यपालिका लोक प्रशासन का शीर्ष है। अलग-अलग शासन व्यवस्थाओं मे मुख्य कार्यपालिका का स्वरूप अलग-अलग होता है। कार्यपालिका के मुख्य प्रकार इस प्रकार है--</p><p><b>1. अध्यक्षात्मक कार्यपालिका</b>&nbsp;</p><p>अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली मे मुख्य कार्यपालिका संबंधी शक्तियों का वास राष्ट्रपति मे होता है।&nbsp;</p><p>डाॅ. गारनर के अनुसार," इस प्रकार की पद्धति से राज्य का मुखिया नाम मात्र की कार्यपालिका नही होता, वरन् वास्तविक कार्यपालिका होता है और शक्तियों का वास्तव मे प्रयोग करता है, जो संविधान तथा कानून के अनुसार उनको मिलती है।&nbsp;</p><p>अमेरिका तथा फ्रांस के राष्ट्रपति मुख्य&nbsp; कार्यपालिका है। इस शासन व्यवस्था मे मुख्य कार्यपालिका के रूप मे राष्ट्रपति मन्त्रिमण्डल के परामर्श के विरुद्ध निर्णय ले सकता है।</p><p><b>2. मन्त्रिमण्डलात्मक या संसदात्मक कार्यपालिका&nbsp;</b></p><p>इस शासन प्रणाली मे दो प्रकार की मुख्य कार्यपालिका होती है। एक नाममात्र की और दूसरी वास्तविक। नाममात्र की कार्यपालिका के रूप मे राष्ट्रपति या राजा, रानी होते है, शासन उन्ही के नाम से चलता है परन्तु, वास्तविक आवश्यक रूप से व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी होता है। मंत्रिमण्डल का कार्यकाल तो अनिश्चित होता है। इस कारण इससे मुख्य कार्यपालिका अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली की भांति शक्तिशाली नही होती, परन्तु यदि मंत्रिमण्डलीय कार्यपालिका मे प्रधानमंत्री सशक्त व्यक्ति है और उसे संसद और दल का पूर्ण समर्थन प्राप्त है तो भी वह शक्तिशाली मुख्य कार्यपालिका हो जाता है।</p><p><b>3. बहुल कार्यपालिका</b>&nbsp;</p><p>इस व्यवस्था मे कार्यपालिका संबंधी शक्तियों का प्रयोग संघीय परिषद् करती है। इस कार्यपालिका का कार्यकाल निश्चित है। व्यवस्थापिका इसे समय से पूर्व हटा नही सकती, इसलिये यह बहुल कार्यपालिका भी सशक्त कार्यपालिका होती है। यह व्यवस्था स्विट्जरलैंड मे ही है और सफलतापूर्वक चल रही है।</p><p><b><script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"> 4. साम्यवादी कार्यपालिका &lt;/p&gt;&lt;p&gt;लगभग सभी साम्यवादी राष्ट्रों मे शासन व्यवस्था एक जैसी होती है इसलिए साम्यवादी देशो के प्रमुख सोवियत रूस का उदाहरण देना सही रहेगा। रूस मे प्रेसिडियम नामक एक संस्था है। प्रेसिडियम एक समिति है जो संसद के अधिवेशन न होने की अवस्था मे संसद (सुप्रीम सोवियत) का कार्य करती है। प्रेसिडियम का अध्यक्ष राष्ट्रपति होता है, परन्तु यह मुख्य कार्यपालिका नही है। वास्तव मे रूस मे साम्यवादी दल अत्यंत प्रभावशाली है तथा शासन पर उसका नियंत्रण है। साम्यवादी दल का महामंत्री रूस का सार्वाधिक शक्तिशाली व्यक्ति होता है। व्यावहारिक रूप से वही मुख्य कार्यपालिका होता है। साम्यवादी दल का महामंत्री जब प्रधानमंत्री हो तो उस समय प्रधानमंत्री मुख्य कार्यपालिका होता है और जब वह राष्ट्रपति हो तो उस समय राष्ट्रपति मुख्य कार्यपालिका है।&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;5. अधिकनायकवादी कार्यपालिका&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;इस व्यवस्था मे अधिनायक ही मुख्य कार्यपालिका होता है। उसमे शासन की सर्वोच्च शक्ति निहित होती है। वह स्वयं ही सम्पूर्ण प्रशासन का नियंत्रण और संचालन करता है। वह एक सशक्त मुख्य कार्यपालिका होता है। जैसे-- पाकिस्तान अथवा बंगलादेश के सैनिक शासक।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;6. एकल कार्यपालिका&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;एकल कार्यपालिका से हमारा तात्पर्य कार्यपालिका के ऐसे संगठन से है जिसके अंतर्गत निर्णयात्मक और अन्तिम रूप से कार्यपालिका की समस्त शक्ति एक व्यक्ति के हाथ मे केन्द्रित रहती है।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;&lt;script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"&gt; <ins class="adsbygoogle" style="display:block;text-align:center" data-ad-layout="in-article" data-ad-format="fluid" data-ad-client="ca-pub-4853160624542199" data-ad-slot="5627619632"></ins> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); 7. नाममात्र की तथा वास्तविक कार्यपालिका &lt;/p&gt;&lt;p&gt;नाममात्र की कार्यपालिका के आशय उस पदाधिकारी से होता है जिसे संविधान द्वारा समस्त प्रशासनिक शक्तियाँ प्रदान की गई हो, लेकिन व्यवहार मे वह इस शक्ति का प्रयोग नही करता। उदाहरण के लिये भारत का राष्ट्रपति, ब्रिटेन का राजा आदि।&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;दूसरी ओर जो निकाय अथवा पदाधिकारी इस शक्ति का वास्तव मे उपयोग करता है वह वास्तविक कार्यपालिका कहलाता है। ब्रिटेन और भारत का मंत्रिमण्डल वास्तविक कार्यपालिका है। यह भेद संसदीय शासन व्यवस्थाओं मे ही पाया जाता है।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;8. उत्तरदायी तथा अनुत्तरदायी कार्यपालिका&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;जिन देशों मे कार्यपालिका व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी होती है, उन्हे उत्तरदायी कार्यपालिका कहा जाता है। विधायिका इस कार्यपालिका से प्रश्न पूछ सकती है, अविश्वास प्रस्ताव द्वारा इसे हटा सकती है। भारत और ब्रिटेन मे मंत्रिमण्डल उत्तरदायी कार्यपालिका के उदाहरण है। इसके विपरीत जिन देशों मे कार्यपालिका व्यवस्था के प्रति उत्तरदायी नही होती वहां अनुत्तरदायी कार्यपालिका होती है। उदाहरण के लिये संयुक्त राष्ट्र अमेरिका का राष्ट्रपति।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;9. राजनीतिक तथा स्थायी कार्यपालिका&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;राजनीतिक कार्यपालिका का चुनाव जनता द्वारा एक निश्चित कार्याविधि के लिए किया जाता है। मंत्रिमण्डल, राष्ट्रपति, महापौरा आदि राजनीतिक कार्यपालिका के उदाहरण है। स्थायी कार्यपालिका से अपेक्षा की जाती है कि वह राजनीतिक दृष्टि से निष्पक्ष रहकर जो भी सरकार बने उसके साथ सहयोग करे।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;10. स्थानीय कार्यपालिका&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;जो कार्यपालिका, स्थानीय स्तर पर कार्य करती है उन्हें स्थानीय कार्यपालिएं कहते है। नगर निगम का महापौरा, नगर पालिका अध्यक्ष, ग्राम पंचायत, जनजद पंचायत आदि इसके उत्तम उदाहरण है।&lt;/p&gt;&lt;h2 style="text-align:center"&gt;मुख्य कार्यपालिका के कार्य (mukhya karyapalika karya)&lt;/h2&gt;&lt;p&gt;मुख्य कार्यपालिका के कार्य इस प्रकार है--&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;1. नियोजन&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;समस्त देश के लिये प्रशासन की एक विस्तृत योजना बनाना मुख्य कार्यपालिका का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। इसी योजना पर प्रशासन की सफलता व असफलता निर्भर करती है। इस योजना का स्पष्ट और व्यापक होना आवश्यक है। प्रशासक के दिमाग मे पहले वह नक्शा स्पष्ट होना चाहिए जो वह करना चाहता है तथा जिसके अनुसार वह कार्य करना चाहता है।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;2. संगठन&lt;/b&gt;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;योजना या नक्शा बनाने के बाद इसमे रंग भरने का प्रश्न आता है। योजना के अनुरूप मुख्य प्रशासक संगठन का ढांचा खड़ा करता है। इसके लिये सामग्री और साधन जुटाता है। इस सामग्री और साधनों का ढंग से उचित समायोजन करता है।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;3. कर्मचारियों की नियुक्ति&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;एक योजना बनाने और उस योजना के अनुरूप संगठन का ढांचा खड़ा करने के बाद मुख्य कार्यपालिका को प्रशासन के संचालन के लिये उपयुक्त कर्मचारियों की नियुक्ति करना पड़ती है। मुख्य कार्यपालिका विभिन्न विभागों मे लाखों कर्मचारियों की नियुक्ति करती है।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;4. निर्देशन&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;कर्मचारियों की नियुक्ति करने से प्रशासन का कार्य सुचारू रूप से नही चलने लगता है बल्कि नियुक्ति के बाद प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने के लिये मुख्य कार्यपालिका को अपने अधिकारियों और कर्मचारियों को उचित निर्देश देकर कार्य का लक्ष्य व उद्देश्य बताने पड़ते है।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;5. समन्वय&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;मुख्य कार्यपालिका को अपने द्वारा स्थापित प्रशासन के विभिन्न विभागों मे समन्वय भी स्थापित करना पड़ता है। समन्वय कार्यों का उचित बंटवारा एवं कार्यों के बीच आपस मे इस प्रकार का उचित समायोजन है जिससे आपस मे विरोध उत्पन्न न हो। एक विभाग और दूसरे विभाग मे यदि विरोध हो तो प्रशासन का लक्ष्य कभी पूरा नही हो सकता। अतः समन्वय द्वारा विभागों मे आपस मे विरोध के स्थान पर सहयोग स्थापित करना पड़ता है।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;6. प्रतिवेदन&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;प्रतिवेदन का अर्थ मूल्यांकन होता है। किसी भी कार्य का मूल्यांकन आवश्यक होता हैं। प्रशासन का मुख्य कार्य नीतियों का क्रियान्वितीकरण होता हैं। इस दिशा मे कार्य का मूल्यांकन होना आवश्यक है ताकि यह पता लगे कि प्रशासनिक कार्यों, उद्देश्यों व लक्ष्यों मे कहाँ तक सफलता मिली है, इस हेतु प्रशासन की रिपोर्ट तैयार कराई जाती है।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;&lt;script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"&gt; <ins class="adsbygoogle" style="display:block" data-ad-format="fluid" data-ad-layout-key="-6t+ed+2i-1n-4w" data-ad-client="ca-pub-4853160624542199" data-ad-slot="5830977226"></ins> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); 7. वित्त व्यवस्था &lt;/p&gt;&lt;p&gt;लोक प्रशासन का कार्य चलाने के लिये मुख्य प्रशासक को वित्तीय साधनों की व्यवस्था करनी पड़ती है। उसे बर्ष भर का अथवा 5 वर्ष के लिये बजट बनाना पड़ता है। इसमे आय-व्यय का विवरण होता है। इस बजट की स्वीकृति उपयुक्त प्राधिकरण से लेनी पड़ती है।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;8. प्रशासकीय कार्यों का निरीक्षण एवं नियंत्रण करना&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;मुख्य कार्यपालिका प्रशासकीय अधिकारियों के कार्यों का निरीक्षण करने का कार्य भी करती है ताकि वे अपनी शक्तियों का दुरूपयोग न करें। मुख्य कार्यपालिका उनके कार्यों की जांच करती है और इस प्रकार प्रशासन पर नियंत्रण बनाए रखती है। प्रशासकीय अधिकारियों को प्रोत्साहन देने का कार्य भी मुख्य कार्यपालिका का है।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;पढ़ना न भूलें;&amp;nbsp;&lt;a href="https://www.kailasheducation.com/2021/01/mukhya-karyapalika-ki-shaktiyan-mahatva.html" target="_blank"&gt;मुख्य कार्यपालिका की शक्तियां, आवश्यकता व महत्व&lt;/a&gt;&lt;/p&gt;&lt;div dir="ltr" trbidi="on"&gt;&lt;span style="font-size:large"&gt;&lt;b&gt;&lt;script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"&gt; 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मुख्य कार्यपालिका से आप क्या समझते हो?

मुख्य कार्यपालिका से हमारा तात्पर्य उस व्यक्ति या व्यक्ति समूह से होता है जो किसी देश की प्रशासनिक व्यवस्था का अध्यक्ष होता है। अलफ्रेड डी. ग्रेनिया के शब्दों मे," कार्यपालिका वह अंग है जो किसी प्रकार के संगठन की नीतियों के निर्माण निर्धारण तथा कार्यान्वयन मे महत्वपूर्ण भाग लेती है।

मुख्य कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं इसके आवश्यक गुण लिखिए?

कार्यपालिका प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए सभी प्रशासनिक तथा नीति सम्बन्धी निर्णय लेती है। विधायिका द्वारा निर्मित कानूनों को अमली जामा पहनाने के लिए वह महत्वपूर्ण पदों पर कर्मचारियों व अधिकारियों की नियुक्ति करती है। प्रशासन को चलाने के लिए सभी आवश्यक विभागों की स्थापना भी कार्यपालिका ही करती है।

कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए?

कार्यकारिणी (अंग्रेज़ी: Executive) सरकार का वह अंग होती हैं जो राज्य के शासन का अधिकार रखती हैं और उसकी ज़िम्मेदारी उठाती हैं। कार्यकारिणी क़ानून को कार्यान्वित करती हैं और उसे लागू करती हैं

भारत के मुख्य कार्यपालिका कौन है?

संघीय (केन्द्रीय) सरकार के तीन अंग हैं- विधायिका (संसद) कार्यपालिका ( राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्री परिषद) और न्यायपालिका (सर्वोच्च न्यायालय)। इस पाठ में हम केन्द्र तथा राज्यों में सरकार के एक अंग कार्यपालिका अंग के बारे में पढ़ेंगे। राज्यपाल की स्थिति, शक्तियों और कार्यों का समझ सकेंगे। "