मन में गलत विचार आने से कैसे रोके? - man mein galat vichaar aane se kaise roke?

  • Hindi News
  • कार्यक्रम
  • जियो शान से

Show

Feedback

...नहीं आएंगे मन में गलत विचार

...नहीं आएंगे मन में गलत विचार

कभी-कभी न चाहने पर भी मन में बुरे विचार आ जाते हैं. जिसके बाद व्यक्ति गलत कर्म करता है. इसके पीछे विशेष ग्रह जिम्मेदार होता है. राशि के अनुसार जानिए मन में गलत विचार न आने के उपाय.

आजतक के नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट और सभी खबरें डाउनलोड करें

  • मन में गलत विचार आने से कैसे रोके? - man mein galat vichaar aane se kaise roke?

  • मन में गलत विचार आने से कैसे रोके? - man mein galat vichaar aane se kaise roke?

संबंधित ख़बरें

  • मन में गलत विचार आने से कैसे रोके? - man mein galat vichaar aane se kaise roke?

    15:52

    अगर भटक जाए घर का मुखिया....

  • मन में गलत विचार आने से कैसे रोके? - man mein galat vichaar aane se kaise roke?

    14:50

    ...इसलिए भटक जाते हैं बच्चे

  • मन में गलत विचार आने से कैसे रोके? - man mein galat vichaar aane se kaise roke?

    15:05

    जानें आज कैसा रहेगा आपका दिन

  • मन में गलत विचार आने से कैसे रोके? - man mein galat vichaar aane se kaise roke?

    15:40

    जानें आज कैसा रहेगा आपका दिन

  • मन में गलत विचार आने से कैसे रोके? - man mein galat vichaar aane se kaise roke?

    17:44

    जियो शान से में जानें कैसे निकाले फंसे हुए पैसे को

लेटेस्ट

    जब भी आपका मन घबराता है, क्या आप भी सबसे बुरी स्थिति के बारे में सोचने लगती हैं? आंख बंद करने पर भी कुछ अच्छा नहीं दिखता, बल्कि बुरी चीज़ों का ही ख्याल आता है। जैसे कोई घर से बाहर गया है तो कहीं उसका एक्सीडेंट तो नहीं हो जाएगा या फिर कोई बहुत देर तक फोन ना उठाएं तो क्या उसके साथ कुछ गलत तो नहीं हो गया? या अगर रिजल्ट आने वाला तो खुद का फ़ेल होना ही नज़र आता है? कुछ अच्छी चीज़ भी हो रही हो जो उसकी बुरी साइड ही दिमाग में आती रहती है अगर ऐसा है तो डरने की कोई बात नहीं है। ये बिलकुल नॉर्मल है। 

    हम सभी के मन में नेगेटिव विचार आते हैं। ऐसे में अक्सर हमारे आस-पास वाले एक ही सलाह देते हैं, ‘अरे अच्छा अच्छा सोचो। नेगेटिव मत सोचो’। वाओ, जैसे हमें तो ये तरीका पता ही नहीं था! 

    बेहद ज़रूरी है आपके लिए हर सुबह खुद से बात करना - रिसर्च

    लेकिन सवाल ये है कि किसी भी परिस्थिति में हम अच्छी पॉसिबिलिटी की बजाय सबसे बुरा रिजल्ट ही क्यों सोचते हैं? हमारे दिमाग को नेगेटिव ख्यालों से इतना लगाव क्यों है? 

    Table of Contents

    मन में गलत विचार आने से कैसे रोके? - man mein galat vichaar aane se kaise roke?

    • साइकोलॉजी इसे कहती है ‘नेगेटिव बायस
    • ये हमारी जिंदगी को कैसे प्रभावित करता है?
    • कैसे निपटें नेगेटिव बायस से?
    • खुद से नेगेटिव बातें करना बंद करें
    • हर घटना की अच्छाई और बुराई दोनों बताएं
    • नये तरीकों का इस्तेमाल करें

    साइकोलॉजी इसे कहती है ‘नेगेटिव बायस’ 

    मन में गलत विचार आने से कैसे रोके? - man mein galat vichaar aane se kaise roke?

    2001 में साइकोलॉजिस्ट्स पॉल रोज़िन और एडवर्ड रोइज़मैन ने इसे नाम दिया ‘नेगेटिव बायस’ यानि दिमाग का नेगेटिव ख्यालों की तरफ झुकाव। नाम भले ही इसे अब मिला हो लेकिन सभी के दिमाग में अच्छे से पहले बुरे ख्याल आने की बात बाबा आदम के ज़माने से चली आ रही है। 

    इसकी वजह अब इन वैज्ञानिकों ने स्पष्ट की है। वजह ये है कि हमारे दिमाग पर अच्छी घटनाओं से ज्यादा असर बुरी घटनाओं का पड़ता है। दरअसल अच्छी घटनाओं को दिमाग सुरक्षित रख लेता है लेकिन उसे लगता है कि हर बुरी घटना से उसे हमारे शरीर को बचाना होगा। इसीलिए बुरी घटना होने पर दिमाग ज़्यादा एक्टिव हो जाता है और वो बात लम्बे समय के लिए हमारी सोच का हिस्सा बन जाती है। 

    पीरियड्स के दौरान सेक्स को लेकर सोच-विचार? ये कारण बदल देंगे आपकी सोच

    उदहारण के लिए ज़रा ये सोचिए। किसी दिन आप ऑफिस में बहुत अच्छे से तैयार होकर गईं। हर किसी ने आपके लुक्स, आपके बालों और आपके कपड़ों की दिल खोलकर तारीफ़ की। लेकिन घर वापस लौटते हुए किसी पड़ोसी आंटी ने कह दिया कि ये रंग आप पर अच्छा नहीं लग रहा है! घर लौटने से लेकर सोते समय तक आपके दिमाग में कौन सी बात घूमेगी? आपकी बेस्ट फ़्रेंड का ये कहना कि आप करीना कपूर जैसी लग रही हैं या उन अनजान आंटी की टिप्पणी? 

    हमारा दिमाग हमें हर बुरी परिस्थिति से सुरक्षित रखने के लिए इतना आतुर होता है कि हम बुरी ख़बरों और बुरे हालात से चिपक जाते हैं और अच्छी बातें सुन भी नहीं पाते। 

    ऑफ़िस जाते वक्त क्या आपको भी आते हैं ये अजीबोगरीब ख़्याल

    ये हमारी जिंदगी को कैसे प्रभावित करता है?

    नेगेटिव बायस हमारे काम कर पाने की क्षमता, निर्णय लेने की शक्ति, आपसी रिश्तों और हमारी खुशियों को प्रभावित करता है। हमारे दिमाग का दो-तिहाई हिस्सा सिर्फ बुरी खबरों पर ही फोकस करने लगता है, जिससे हम अच्छी घटनाओं की जगह बुरी घटनाओं को ही आकर्षित करते हैं। 

    किसी व्यक्ति से कह देना कि ‘पॉजिटिव सोचो’ कोई मदद नहीं करता। अगर वो सोच पाते तो जरूर सोच रहे होते! हमारे पूर्वज जो गुफाओं में रहते थे, उनका दिमाग हमेशा किसी खतरे पर ही फोकस रहता था। उन्हें ध्यान रखना पड़ता था कि उनका सामना किसी जंगली जानवर से न हो जाए या उन्हें अगले टाइम का भोजन मिलेगा या नहीं। हमारे दिमाग में अभी भी उस काल की घटनाएं छिपी हुई हैं। 

    कैसे निपटें नेगेटिव बायस से?

    हम सभी अपने जीवन में कम या ज्यादा नेगेटिव होते हैं। लेकिन घबराइए नहीं। कुछ आसान से टिप्स से आप अपने सोचने-समझने की क्षमता को बेहतर इस्तेमाल कर पाएंगे। 

    1. खुद से नेगेटिव बातें करना बंद करें 

    जब आपके साथ कुछ बुरा होता है और आप उस बारे में सोचने से खुद को नहीं रोक पाते, देखिए कि आप खुद के बारे में किस एंगल से सोच रहे हैं? क्या आप खुद को इस घटना के लिए जिम्मेदार मानते हुए कोस रहे हैं? 

    अगर ऐसा है तो रुक जाइए। 

    जब भी आप किसी बुरी परिस्थिति में फंसें, खुद को कोसना सबसे पहले बंद करें। खुद को समझाएं कि कुछ चीजें आपके कंट्रोल में नहीं होतीं। खुद को माफ़ करना सीखें। माना कि ये बेहद मुश्किल है, लेकिन उतना ही ज़रूरी भी। 

    2. हर घटना की अच्छाई और बुराई दोनों बताएं 

    जब भी आप किसी बुरी घटना के बारे में दूसरों को बताएं, ध्यान रखें कि उसके अच्छे और बुरे दोनों पहलू बताएं। जब हम ज़ोर से किसी घटना के बारे में बोलते हैं, दूसरों से ज्यादा उसका असर हम पर पड़ता है। इसलिए सिर्फ दूसरों को ही नहीं, बल्कि खुद को भी ऐसी घटनाओं की अच्छाई और बुराई दोनों बताएं। इससे आपको खुद के बारे में कम नेगेटिव महसूस होगा। 

    3. नये तरीकों का इस्तेमाल करें 

    जब भी आपको महसूस हो कि आप नेगेटिव ख्यालों के बीच फंस रही हैं, कुछ ऐसे काम करें जिनसे आपको खुशी महसूस हो। टहलें, म्यूजिक सुनें, कोई मज़ेदार टीवी शो देखें या कुछ हल्का-फुल्का पढ़ें। इससे आपका ध्यान बुरे ख्यालों से दूर होगा और आपका मन शांत रहेगा। 

    पॉजिटिव और नेगेटिव ख्याल हम सभी की ज़िन्दगी का हिस्सा हैं। ज़रूरी है कि हम उनको खुद पर हावी ना होने दें। मानसिक स्वास्थ्य और पॉजिटिविटी से जुड़ी ऐसी सी स्टोरीज़ के लिए पढ़ती रहें idiva हिंदी। 

    Read iDiva for the latest in Bollywood, fashion looks, beauty and lifestyle news.

    दिमाग में फालतू विचार क्यों आते हैं?

    कोई व्यक्ति ऑब्सेशन नामक मानसिक रोग से पीड़ित होता है, तो उसके मन में विचार दिशाहीन तरीके से बार-बार आते हैं। ऐसे में रोगी न चाहते हुए भी इन व्यर्थ के विचारों में उलझा रहता है और गंभीर तनाव महसूस करता है। किसी न भूलने वाली यातना की तरह से अनचाहे विचार रोगी के सामाजिक व व्यावसायिक जीवन तक को नष्ट कर सकते हैं

    मन में अच्छे विचार कैसे लाएं?

    आपका मस्तिष्क ही आपका भविष्य निर्माण करता है। खुद को अच्छे वाक्यों से प्रेरित करते रहें। नकारात्मक सोच एवं विचारों से बचने के लिए जरूरी है कि स्वयं को मोटिवेट करते रहें। स्वयं को मोटिवेट करने के लिए महापुरुषों के कथनों को पढ़ें, सक्सेसफुल लोगों की जीवनी, प्रेरणादायक कहानियां, पर्सनल डेवलपमेंट आर्टिकल पढ़ें।

    अपने विचारों को शुद्ध कैसे करें?

    अपने शरीर/ मांसपेशियों को आराम देने से, आपका मन साफ होने के साथ-साथ आपको अच्छी नींद भी आएगी!.
    ज़्यादा सोचने से माइग्रेन का ख़तरा उत्पन्न होता है। ... .
    अपने मन को साफ होने में लगने वाले समय की चिंता ना करें। ... .
    एक किसी उद्देश्य का निर्माण कर लें। ... .
    दौड़ने जाएँ। ... .
    खुद से और अपने आसपास मौजूद लोगों के लिए दयाभाव और प्रेमभाव रखें।.

    फालतू के विचारों से कैसे बचें?

    अगर आप इसके बारे में सोचते हैं, तो किसी के साथ में बात शुरू करने की कोशिश करें। इस तरह से आपका ध्यान उस बुरी परिस्थिति पर होने के बजाय, उस इंसान के द्वारा बोली जाने वाली बातों में रहेगा। अगर आप उन्हें डेली देखा करते हैं, तो फिर उन्हें अपने मन में एक अलग ही इंसान की तरह इमेजिन करें। पानी पियेँ।