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जानें कैसे कर्म लाते हैं आपके जीवन में खुशी और दुखजिन्दगी की राहें आसान नहीं है इसमें सुख है तो दुख भी, आनंद है तो चिन्ता भी अपनापन है तो परायापन भी। ईश्वरीय रचना यहीं है कि हर चीज के दो पहलू हैं एक के बिना दूसरा अकल्पनीय और अधूरा...लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 26 Mar 2016 09:17 AM जिन्दगी की राहें आसान नहीं है इसमें सुख है तो दुख भी, आनंद है तो चिन्ता
भी अपनापन है तो परायापन भी। ईश्वरीय रचना यहीं है कि हर चीज के दो पहलू हैं एक के बिना दूसरा अकल्पनीय और अधूरा है। मानस का प्रसंग है -- निषाद राज कहते हैं " कैकय नंदनि मंदमति कठिन कुटिलपनु कीन्ह । जेहि रघुनंदन जानकिहि सुख अवसर दुखु दीन्ह ।। जीवन यापन की सारी वस्तुएं भगवान द्वारा प्रदत्त है पर आलसी , कामचोर उसे नहीं पा सकता । मनुष्य को ईश्वर ने असीमित शक्ति दी है , बुद्धि , विवेक और पुरुषार्थ दिया है जिसके बल पर क्या हासिल नहीं किया जा सकता ? आलस्य और कायरता का ही फ़ल है कि भीख माँगना एक व्यवसाय का रूप लेता जा रहा है। शारीरिक और मानसिक रूप से पूर्ण सक्षम होने पर भी कुछ बच्चे जवान लडके- लडकियाँ, स्ञी पुरुष भीख माँगते दिख जाएंगे । भय और अतृप्त वासना ही समस्त दुखों की जड़ हैं। जीवन भर मनुष्य जीविका के प्रपंच में उलझा रहता है। मैं और मेरा , तू और तेरा का जाल बुनकर स्वयं उसी में उलझा हुआ अनेकों प्रकार के अनैतिक कर्मो में लगा रहता है । भविष्य के भय को सोचकर हम अपना वर्तमान भी बिगाड़ लेता
हैं और श्रेय मार्ग को छोड कर प्रेय मार्ग का अनुगामी हो जाता है जिसमें दुख के सिवा कुछ है ही नहीं। इस मार्ग पर चलने वाले लोग जीवन की सत्यता मृत्यु को भी नकारने लगते हैं और भविष्य के लिए नैतिक अनैतिक तरीका अपना कर संग्रह में लगे रहते हैं। निज प्रभुमय देखहि जगत, केहि सन करहिं विरोध। (वाराणसी से ) मनुष्य को कौन कौन से कर्म करने चाहिए?अच्छे व बुरे दोनों प्रकार के कर्मों का फल मिलता है। यदि मानव अच्छे कर्म करता है तो वह इस जन्म के साथ अगले जन्म में भी सुख भोगेगा लेकिन बुरे कर्म करेगा और जीवों की हिंसा, दूसरों को परेशान करेगा तो उसे अगले भव में नरक या तिरमन्स गति मिलेगी।
मनुष्य को कर्म कैसे करना चाहिए?त्याग और परहित से बढ़ कर कोई सुख नहीं हैं इसे यथा सम्भव अपने आचरण में लाना चाहिए । कभी किसी अंधे को सड़क पार कराकर , किसी प्यासे को पानी पिला कर देखिए ,लोगों से मधुर व्यवहार करके देखिए इसमें आपका कोई पैसा खर्च नहीं होगा पर अतुलनीय सुख की प्राप्ति होगी। विश्वास करना सीखिए ।
मनुष्य का कर्म क्या होता है?कर्म हिंदू धर्म की वह अवधारणा है, जो एक प्रणाली के माध्यम से कार्य-कारण के सिद्धांत की व्याख्या करती है, जहां पिछले हितकर कार्यों का हितकर प्रभाव और हानिकर कार्यों का हानिकर प्रभाव प्राप्त होता है, जो पुनर्जन्म का एक चक्र बनाते हुए आत्मा के जीवन में पुनः अवतरण या पुनर्जन्म की क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं की एक प्रणाली की ...
कर्मो का फल कौन देता है?उन्होंने कहा कि कर्म का फल कोई परमात्मा नहीं देता। व्यक्ति जो करता है, वही उसे मिलता है। अच्छे कर्म करता है तो अच्छा फल मिल जाता है, बुरे कर्म करता है तो बुरा फल मिल जाता है। पक्का हुआ आम कभी कड़वा नहीं हो सकता वो सदैव मीठा ही रहता है।
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