मानवाधिकार के अंतरराष्ट्रीय संदर्भ पर एक लेख लिखें - maanavaadhikaar ke antararaashtreey sandarbh par ek lekh likhen

मानवाधिकार के अंतरराष्ट्रीय संदर्भ पर एक लेख लिखें - maanavaadhikaar ke antararaashtreey sandarbh par ek lekh likhen

संदर्भ

वर्तमान समय में यह देखा जा रहा है कि विभिन्न राष्ट्रों द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है।

परिचय

वर्तमान समय में संपूर्ण विश्व के समक्ष ऐसे कई मुद्दे हैं जो सीधे मानवाधिकार हनन से जुड़े हैं। सीरिया में मानवाधिकार संकट, अफगानिस्तान के तालिबान शासन में अल्पसंख्यकों तथा महिलाओं के मानवाधिकारों का हनन तथा म्यांमार में सैन्य शासन वर्तमान में मानवाधिकारों के हनन के ज्वलंत उदाहरण हैं। इसके साथ ही अमेरिका द्वारा विभिन्न देशों याथा बांग्लादेश, म्यांमार, कोरिया इत्यादि पर प्रतिबंध लगाया जाना यह प्रदर्शित करता है कि विश्व में मानवाधिकारों पर राष्ट्रों द्वारा संकट उत्पन्न हो रहा है।

मानवाधिकार पुनर्जागरण के दौर में प्राकृतिक न्याय तथा मानववाद के सिद्धांतों से प्रेरित अधिकार है जो मनुष्य को मात्र मनुष्य होने के कारण प्राप्त होते हैं। यह अधिकार न सिर्फ गरिमा पूर्ण जीवन के लिए आवश्यक है बल्कि मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास में भी सहायक होते हैं। राष्ट्रों द्वारा इन अधिकारों का हनन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों के स्रोतों की क्षीणता को प्रदर्शित करता है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों के स्रोत

साम्राज्यवाद तथा निरंकुश राजतंत्र से संघर्ष के उपरांत मानववाद तथा पुनर्जागरण के दृष्टिकोण ने मानवाधिकारों की एक लंबी श्रृंखला तैयार की। मानवाधिकार मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय संधियों, न्यायिक अभिलेखों, समझौतों इत्यादि से प्रेरित होते हैं जिनका वर्णन निम्नवत है।

संधियां

संधियां अन्तर्राष्ट्रीय विधि की एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं, जो पक्षकार राष्ट्रों पर बाध्यकारी होती हैं। इस समय सम्पूर्ण विश्व में मानवाधिकार से सम्बन्धित अनेक संधियां विद्यमान हैं तथा उनका अनुपालन भी किया जा रहा है। इस क्रम में सबसे महत्त्वपूर्ण सन्धि संयुक्त राष्ट्र चार्टर है, जो सभी राष्ट्रों पर बाध्यकारी है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अतिरक्त कई अन्य संधियां भी मानवाधिकार को मजबूत करती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संधियां दो प्रकार की होती हैं :-

  1. सामान्य संधि
  2. विशिष्ट संधि

ऐसी संधियां जिनमें विश्व समुदाय के अधिकतर राष्ट्र पक्षकार होते हैं, सामान्य संधियां कहलाती हैं। समय के साथ ये संधियां अन्तर्राष्ट्रीय विधि के नियमों को निश्चित रूप देती हैं, जो विश्व समुदाय के सभी सदस्य राष्ट्रों पर बाध्यकारी होते है। यह उन राष्ट्रों पर भी लागू होती हैं जो इस संधि के पक्षकार नहीं हैं। जबकि विशिष्ट सन्धियों की श्रेणी में द्विपक्षीय सन्धियाँ या बहुपक्षीय संधियां आती हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय विधि के अनुच्छेद 38 (1) के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय 'सामान्य' तथा 'विशिष्ट' दोनों ही सन्धियों को लागू कराता है।

रूढ़ि –

अन्तर्राष्ट्रीय विधि स्रोतों में रूढ़ि का भी स्थान है। कतिपय रूढ़ियाँ भी राज्यों पर बाध्यकारी प्रभाव रखती है। संयुक्त राज्य में भी यह मत व्यक्त किया गया है कि मानवाधिकार के सम्बन्ध में रूढ़िगत विधियां भी लाभकारी होती हैं। वर्तमान समय में अनेक रूढ़ियाँ मानवाधिकार की परिधि में सम्मिलित की जा चुकी हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय रूढ़ि के अस्तित्व को स्थापित करने के क्रम में मुख्य रूप से तीन तत्वों की उपस्थिति की अपेक्षा की जाती है जो निम्नलिखित हैं :-

  1. अवधि
  2. निरन्तरता
  3. सामान्यतया

संयुक्त राष्ट्र के अन्तर्गत मानव अधिकारों से सम्बन्धित अन्य अन्तर्राष्ट्रीय दस्तावेज

संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनेक अन्तर्राष्ट्रीय घोषणाओं, संकल्पों तथा अनुशंसाओं को अंगीकार किया जा चुका है, जिसमें मानव अधिकारों को व्यापक रूप से मान्यता प्रदान की गई है। सर्वाधिक महत्वपूर्ण घोषणा सन्-1948 की मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा है। इसके साथ ही नागरिक, राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय दस्तावेज हैं, जिनका प्रयोग मानवाधिकार के विधि के रूप में किया जाता है।

न्यायिक निर्णय

न्यायपालिका द्वारा दिए गए निर्णय भी मानवाधिकारों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के निर्णय भी परिसीमित ही है, अर्थात कई बार राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय को सम्प्रभुता को चुनौती के आधार पर अस्वीकार कर देते हैं। मानवीय अधिकारों के मुद्दों पर राष्ट्रीय न्यायालय के निर्णयों से अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार विधि में व्यापक विकास हुआ है। उदाहरण के लिए भारत के उच्चतम न्यायलय ने महिलाओं, समलैंगिक वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति इत्यादि वंचित वर्गों के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण निर्णय दिए गए हैं।

शासकीय अभिलेख

संयुक्त राष्ट्र तथा उसके सहायक संस्थाओं की नियमावालियों से निर्मित शासकीय अभिलेख भी मानवाधिकार सम्बन्धी विधियों के स्रोतों का कार्य करते हैं। इसमें प्रमुख हैं- मानवाधिकारों के लिए ह्यूमैन राइट्स जर्नल, ह्यूमैन राइट्स रिव्यू, यूरोपियन रिव्यू तथा अन्य अन्तर्राष्ट्रीय निकायों के तत्वावधान में किये गये कार्य। इन अभिलेखों द्वारा विभिन्न मानवाधिकारों की स्थापना हुई है।

चुनौतियाँ

यद्यपि अंतरराष्ट्रीय विधि के स्रोत बहुत अधिक है परंतु अभी भी इनका पूर्ण विकास नहीं हो पाया है। जिसके निम्नलिखित कारण है :-

  • कई बार राष्ट्र संप्रभुता को सर्वोच्च मानकर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय तथा संयुक्त राष्ट्र के चार्टर अथवा अभिसमयों को मान्यता नहीं देते जिसके कारण वे प्रायः मानवाधिकारों का हनन करते रहते हैं। उदाहरण स्वरूप वर्तमान में अफगानिस्तान की तालिबान सरकार। इसके अतिरिक्त भूतकाल की मिस्र या अरब राष्ट्रों की तानाशाह सरकारें इसी आधार पर मानवाधिकारों का हनन करती रही हैं।
  • अभी भी संपूर्ण विश्व में लोकतंत्रात्मक सरकारें नहीं हैं। उदाहरण के लिए चीन में एकल पार्टी लोकतंत्र है जो लोकतंत्र के तत्वार्थ को प्राप्त नहीं करता। लोकतंत्र की अनुपस्थिति में मानवाधिकारों की बात करना असहज प्रतीत होता है।
  • अभी भी विश्व में मूलभूत आवश्यकता यथा भोजन, वस्त्र तथा आवास इत्यादि की कमी है इस स्थिति में मानवाधिकारों तक पहुंच स्थापित कर पाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
  • कई अराजक तत्वों यथा आईएसआईएस, बोको हराम इत्यादि के द्वारा मानवीय मूल्यों को कुचला जाता है जो अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार हेतु संकट है।

निष्कर्ष

यद्यपि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानव अधिकारों को सुनिश्चित करने के संदर्भ में बहुत सारी चुनौतियां है फिर भी अमेरिका, यूरोपियन संघ, भारत, भूटान जैसे देश मानव अधिकारों तथा लोकतंत्र को जीवित करने के प्रयास में निरंतर प्रयत्नशील हैं। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा लोकतांत्रिक शिखर सम्मलेन या डेमोक्रेसी समिति बुलाया गया जिसमें लोकतंत्र सहित मानवाधिकारों पर चर्चा की गई। यह संपूर्ण विश्व के मानव अधिकार समर्थकों हेतु अच्छा संकेत है।

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2

  • अंतरराष्ट्रीय संबंध


मानवाधिकार क्या है विस्तार से समझाइए?

मानवाधिकार वे अधिकार हैं जो किसी भी व्यक्ति को जन्म के साथ ही मिल जाते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो किसी भी व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और प्रतिष्ठा का अधिकार ही मानव अधिकार है।

मानवाधिकार पर निबंध कैसे लिखें?

मानवाधिकारों को सार्वभौमिक अधिकार कहा जाता है जिसका प्रत्येक व्यक्ति अपना लिंग, जाति, पंथ, धर्म, संस्कृति, सामाजिक/आर्थिक स्थिति या स्थान की परवाह किए बिना हकदार है। ये वो मानदंड हैं जो मानव व्यवहार के कुछ मानकों का वर्णन करते हैं और कानून द्वारा संरक्षित हैं। पृथ्वी पर रहने वाले हर इंसान को जीवित रहने का अधिकार है।

मानव अधिकार से आप क्या समझते हैं मानवाधिकार के प्रकार बताइए?

परिचय मानव अधिकार विश्व भर में मान्य व्यक्तियों के वे अधिकार हैं जो उनके पूर्ण शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए अत्यावश्यक हैं इन अधिकारों का उदभव मानव की अंतर्निहित गरिमा से हुआ है। विश्व निकाय ने 1948 में मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा को अंगीकार और उदघोषित किया।

मानवाधिकार का उद्देश्य क्या है?

सही उत्तर शांति और सुरक्षा स्थापित करना है। मानवाधिकारों का मुख्य उद्देश्य शांति और सुरक्षा स्थापित करना है।