भाषा और शिक्षा में क्या संबंध है? - bhaasha aur shiksha mein kya sambandh hai?

विषयसूची

  • 1 शिक्षा में भाषा की क्या भूमिका है?
  • 2 भाषा का सामाजिक महत्व क्या है?
  • 3 भाषा और समाज के बीच क्या संबंध है?
  • 4 समाज के निर्माण में भाषा की क्या भूमिका है?
  • 5 भाषा और समुदाय एक दूसरे को कैसे प्रभावित करते हैं?
  • 6 भाषा समाज को कैसे प्रभावित करती है?
  • 7 क्या कहते हैं हम भाषा का उपयोग करते हैं?
  • 8 क्या कहते हैं ध्वनियों को भाषा कहते हैं?
  • 9 क्या किसी राष्ट्रभाषा को राष्ट्रभाषा बनाया जा सकता है?

शिक्षा में भाषा की क्या भूमिका है?

इसे सुनेंरोकेंभाषा के बिना हम दैनिक कार्य नहीं कर सकते हैं। इसलिए मनुष्य के जीवन के लिए इसका महत्व बढ़ जाता है। बच्चा समाज में ही भाषा सीखता है व प्रयोग करता है, जिससे उसकी भाषा विकसित होती है। भाषा से सामाजिक व्यक्तिव का विकास होता है जिससे सामाजिक दक्षता भी बच्चों के अंदर पैदा होती है।

भाषा का सामाजिक महत्व क्या है?

इसे सुनेंरोकेंभाषा की सहायता से ही किसी समाज विशेष या देश के लोग अपने मनोगत भाव अथवा विचार एक-दूसरे पर प्रकट करते हैं। दुनिया में हजारों प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं। भाषा अभिव्यक्ति का सर्वाधिक विश्वसनीय माध्यम है। यही नहीं, यह हमारे समाज के निर्माण, विकास, अस्मिता, सामाजिक व सांस्कृतिक पहचान का भी महत्वपूर्ण साधन है।

भाषा और समाज के बीच क्या संबंध है?

इसे सुनेंरोकेंभाषा और समाज का संबंध अभिन्न है। मनुष्य के पास भाषा सीखने की क्षमता होती है, किंतु वह भाषा को तभी सीख पाता है जब उसे एक भाषायी समाज का परिवेश प्राप्त होता है। एक ओर समाज के माध्यम से ही भाषा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचती है, तो दूसरी ओर भाषा के माध्यम से समाज संगठित और संचालित होता है।

अंतर सांस्कृतिक संप्रेषण में भाषा की क्या भूमिका है?

इसे सुनेंरोकेंभाषा का सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ ही भाषा के संप्रेषण का प्रयोजन है। यह भाषा का अर्थ पक्ष है। अर्थ के संदर्भ में हम सूचनाओं के आदान-प्रदान में योगदान करते हैं। जनसंचार तथा दूर संचार के माध्यम से व्यापक संप्रेषण संभव हो पाया था।

शिक्षा का मुख्य माध्यम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंशिक्षा का माध्यम अपनी मातृभाषा भी हो सकती है और दूसरी भाषा भी। इसलिए भाषा किसी-न-किसी उद्देश्य या प्रयोजन के संदर्भ में सीखी अथवा सिखाई जाती है, लेकिन मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने का मुख्य उद्देश्य अपने समाज और देश में संप्रेषण प्रक्रिया को सुदृढ़, व्यापक और सशक्त बनाना होता है। यही उनकी मातृभाषा है।

समाज के निर्माण में भाषा की क्या भूमिका है?

इसे सुनेंरोकेंभाषा एक सामाजिक संपत्ति है। इससे शिक्षित समाज का भी विकास, नव निर्माण संभव है। भौगोलिक, सांस्कृतिक और व्यवहारपरक विभिन्नता के कारण भाषा का प्रयोग भी सीमित व विशिष्ट होता है। इसके जरिये ही समाज भी सीमित विशिष्ट बनता है।

भाषा और समुदाय एक दूसरे को कैसे प्रभावित करते हैं?

इसे सुनेंरोकेंएक ही भाषा-समुदाय में स्तरों के ये भेद भाषा-प्रयोग में भी भेद लाते हैं और भाषा सामाजिक स्तर के अनुसार विविध रूप और आकार ग्रहण करती है। । । जब हम यह कहते हैं कि भाषा एक सामाजिक वस्तु है तथा भाषा और समाज का गहरा संबंध होता है तो हमारे लिए समाज को केवल एक समाज के रूप में देखना ही पर्याप्त नहीं होता ।

भाषा समाज को कैसे प्रभावित करती है?

इसे सुनेंरोकेंभाषा के बिना अस्मिता की पहचान नहीं होती। आज अगर किसी समाज को उसकी भाषा से काट दिया जाय और उसकी जगह हम उसे कोई दूसरी भाषा दे दें तो इससे हम उसकी अस्मिता को भी कहीं न कहीं से प्रभावित करते हैं। भाषा ही वह सर्वश्रेष्ठ तत्व है जिसके द्वारा हम मूल्यों का सृजन करते हैं।

अंतर सांस्कृतिक संप्रेषण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंअंतर्वैयक्तिक संप्रेषण तब होता है जब साथ-साथ दूसरे व्यक्ति से विचार विमर्श करते हैं और एक दूसरे को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं। वस्तुतः अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण मानवीय विचार विमर्श की नींव है और साक्षात्कार लेने की प्रक्रिया में अंतर्निहित है।

किस भाषा का वैज्ञानिक रूप होता है?

हर भाषा का एक वैज्ञानिक रूप होता है। उसी प्रकार हिन्दी भाषा का भी विज्ञान है और इस भाषा को विज्ञान की दृष्टि से ब्रजभाषा, अवधी, बैसवाडी तथा बुंदेली हिन्दी की बोलियों के रूप में स्वीकार है। राजस्थानी, भोजपुरी, मगही तथा मैथिली व्यवहार की दृष्टि से उसकी बोलियाँ मानी जाती हैं।

क्या कहते हैं हम भाषा का उपयोग करते हैं?

जब से मानव अस्तित्व में आया तब से ही भाषा का उपयोग कर रहा है चाहे वह ध्वनि के रूप में हो या सांकेतिक रूप में या अन्य किसी रूप में। भाषा हमारे लिए बोलचाल का माध्यम होती है। संप्रेषण का माध्यम होती है।

क्या कहते हैं ध्वनियों को भाषा कहते हैं?

विचारों को व्यक्त करने के लिए भाषा की आवश्यकता होती है। अत: हम यह कह सकते हैं कि जिन ध्वनियों द्वारा मनुष्य आपस में विचार विनिमय करता है उसे भाषा कहते हैं। इसको हम इस प्रकार भी कह सकते हैं- सार्थक ध्वनियों का समूह जो हमारी अभिव्यक्ति का साधन हो, भाषा कहलाता है।

क्या किसी राष्ट्रभाषा को राष्ट्रभाषा बनाया जा सकता है?

क्या किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाया जा सकता है। किसी भी देश की राष्ट्रभाषा उसे ही बनाया जाता है जो उस देश में व्यापक रूप में फैली होती है। संपूर्ण देश में यह संपर्क भाषा व्यवहार में लाई जाती है।

https://www.youtube.com/watch?v=5d85hS3TF1I

हर भाषा का एक वैज्ञानिक रूप होता है। उसी प्रकार हिन्दी भाषा का भी विज्ञान है और इस भाषा को विज्ञान की दृष्टि से ब्रजभाषा, अवधी, बैसवाडी तथा बुंदेली हिन्दी की बोलियों के रूप में स्वीकार है। राजस्थानी, भोजपुरी, मगही तथा मैथिली व्यवहार की दृष्टि से उसकी बोलियाँ मानी जाती हैं।

जब से मानव अस्तित्व में आया तब से ही भाषा का उपयोग कर रहा है चाहे वह ध्वनि के रूप में हो या सांकेतिक रूप में या अन्य किसी रूप में। भाषा हमारे लिए बोलचाल का माध्यम होती है। संप्रेषण का माध्यम होती है।

विचारों को व्यक्त करने के लिए भाषा की आवश्यकता होती है। अत: हम यह कह सकते हैं कि जिन ध्वनियों द्वारा मनुष्य आपस में विचार विनिमय करता है उसे भाषा कहते हैं। इसको हम इस प्रकार भी कह सकते हैं- सार्थक ध्वनियों का समूह जो हमारी अभिव्यक्ति का साधन हो, भाषा कहलाता है।

क्या किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाया जा सकता है। किसी भी देश की राष्ट्रभाषा उसे ही बनाया जाता है जो उस देश में व्यापक रूप में फैली होती है। संपूर्ण देश में यह संपर्क भाषा व्यवहार में लाई जाती है।

शिक्षा में भाषा की क्या भूमिका है?

साथ ही शैक्षिक विकास की दृष्टि से बच्चों की प्रारम्भिक शिक्षा यदि उनके घर की भाषा या मातृभाषा में दी जाती है तो विषय में प्रवेश सरल और रुचिकर तो होगा ही वह संस्कृति को भी जीवंत रखेगा। उनकी सामाजिक भागीदारी, लगाव और दायित्व बोध में भी बढ़ोत्तरी होगी। अपनी भाषा सीखते हुए और उस माध्यम से अन्य विषयों को सीखना सुखद होगा।

भाषा के विकास में शिक्षा का क्या योगदान है समझाइए?

भाषा मनुष्य के विकास की आधारशिला है। अब तक जो भी विकास हुआ है वह सब भाषा के माध्यम से ही हुआ है । भाषा मानव व समाज दोनों के विकास के लिए जरूरी है।

भाषा की शिक्षा क्यों दी जाती है?

सामान्यतः भाषा को वैचारिक आदान-प्रदान का माध्यम कहा जा सकता है। भाषा का उपयोग शिक्षण प्रक्रिया में बच्चों में अर्थग्रहण और अभिव्यक्ति कौशल के विकास के लिए किया जाता है। भाषा की शिक्षा से बच्चे किसी भी लिखित या मौखिक भाषा के अर्थ को प्रभावपूर्ण रूप से ग्रहण कर सकते हैं।

भाषा की भूमिका क्या है?

भाषा विचारों को व्यक्त करने का एक प्रमुख साधन है। भाषा मुख से उच्चारित होने वाले शब्दों और वाक्यों आदि का वह समूह है, जिनके द्वारा मन की बता बतलाई जाती है। भाषा की सहायता से ही किसी समाज विशेष या देश के लोग अपने मनोगत भाव अथवा विचार एक-दूसरे पर प्रकट करते हैं। दुनिया में हजारों प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं।