मेसोपोटामिया में शहरी जीवन का क्या महत्व है? - mesopotaamiya mein shaharee jeevan ka kya mahatv hai?

मेसोपोटामिया का यूनानी अर्थ है "दो नदियों के बीच"। यह इलाका दजला (टिगरिस) और फ़ुरात (इयुफ़्रेटीस) नदियों के बीच के क्षेत्र में पड़ता है। इसमें आधुनिक इराक़ बाबिल ज़िला, उत्तरपूर्वी सीरिया, दक्षिणपूर्वी तुर्की तथा ईरान का क़ुज़ेस्तान प्रांत के क्षेत्र शामिल हैं। यह कांस्ययुगीन सभ्यता का उद्गम स्थल माना जाता है। यहाँ सुमेर, अक्कदी सभ्यता, बेबीलोन तथा असीरिया के साम्राज्य अलग-अलग समय में स्थापित हुए थे। हड़प्पा सभ्यता को मेसोपोटामिया में 'मेलुहा' कहा गया है।

मेसोपोटामिया पश्चिमी एशिया का एक ऐतिहासिक क्षेत्र है , जो टाइग्रिस-यूफ्रेट्स नदी प्रणाली के भीतर स्थित है , जो उपजाऊ वर्धमान के उत्तरी भाग में है, आधुनिक दिनों में लगभग सभी इराक , कुवैत , सीरिया के पूर्वी भागों, दक्षिण-पूर्वी तुर्की और क्षेत्रों के साथ-साथ हैं। तुर्की-सीरियाई और ईरान-इराक सीमाएँ । [1]

  • सुमेरियन और अकाडियन ( अश्शूरियों और बेबीलोनियों सहित) ने लिखित इतिहास (सी। 3100 ईसा पूर्व) की शुरुआत से 539 ईसा पूर्व में बाबुल के पतन तक मेसोपोटामिया का वर्चस्व कायम किया, जब यह अचमेनिद साम्राज्य द्वारा जीत लिया गया था । यह 332 ईसा पूर्व में सिकंदर महान के पास गिर गया, और उनकी मृत्यु के बाद, यह यूनानी सेल्यूसीड साम्राज्य का हिस्सा बन गया।

लगभग 150 ईसा पूर्व, मेसोपोटामिया पार्थियन साम्राज्य के नियंत्रण में था । मेसोपोटामिया रोमनों और पार्थियनों के बीच एक युद्ध का मैदान बन गया, जिसमें मेसोपोटामिया के पश्चिमी भाग अल्पकालिक रोमन नियंत्रण में आ गए। ई। 226 में, मेसोपोटामिया के पूर्वी क्षेत्र सस्सानीद फारसियों के लिए गिर गए। रोमन और बीजान्टिन के बीच मेसोपोटामिया का विभाजन (395 ईस्वी से बीजान्टिन) और सासनीद साम्राज्य सासैनियन साम्राज्य के फारस की 7 वीं शताब्दी के मुस्लिम विजय और लेवंत के मुस्लिम विजय के बाद तक चला। 1 शताब्दी ईसा पूर्व और तीसरी शताब्दी ईस्वी के बीच एडियोबिन , ओसरोइन और हटरा के बीच मुख्य रूप से नव-असीरियन और ईसाई मूल के मेसोपोटामियन राज्यों का अस्तित्व था।

मेसोपोटामिया लगभग 10,000 ईसा पूर्व से नवपाषाण क्रांति के शुरुआती विकास का स्थल है। इसकी पहचान "मानव इतिहास के कुछ सबसे महत्वपूर्ण विकासों से प्रेरित है, जिसमें पहिये का आविष्कार, पहली अनाज की फसलों का रोपण और श्राप लिपि, गणित , खगोल विज्ञान और कृषि का विकास " शामिल है।
स्थापित c. 3800 ईसा पूर्व

अधिक जानकारी: इराक का इतिहास, मध्य पूर्व का इतिहास और प्राचीन निकट पूर्व का कालक्रम

प्राचीन निकट पूर्व का इतिहास लोअर पैलियोलिथिक काल में शुरू होता है। उसमें, उरुक चतुर्थ काल (c। 4 सहस्राब्दी ईसा पूर्व) में एक चित्रमय स्क्रिप्ट के साथ लेखन, और वास्तविक ऐतिहासिक घटनाओं का प्रलेखित रिकॉर्ड - और निचले मेसोपोटामिया के प्राचीन इतिहास - मध्य-तृतीय सहस्राब्दी ईसा पूर्व में क्यूनिफॉर्म रिकॉर्ड के साथ शुरू हुआ प्रारंभिक राजवंशीय राजा। यह पूरी प्रागितिहास 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के अंत में या तो आचमेनिद साम्राज्य के आगमन के साथ, या 7 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में मुस्लिम विजय और खलीफा की स्थापना के साथ समाप्त होती है, जहां से इस क्षेत्र को इराक के रूप में जाना जाने लगा। इस अवधि के लंबे समय में, मेसोपोटामिया ने दुनिया के सबसे प्राचीन अति विकसित और सामाजिक रूप से जटिल राज्यों में से कुछ को रखा।

यह क्षेत्र उन चार नदी सभ्यताओं में से एक था जहाँ लेखन का आविष्कार हुआ था, साथ ही मिस्र में नील नदी घाटी, भारतीय उपमहाद्वीप में सिंधु घाटी सभ्यता और चीन में पीली नदी थी। मेसोपोटामिया ने ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण शहरों जैसे उरुक , निप्पुर , नीनवेह , असुर और बेबीलोन के साथ-साथ एरिडु शहर, अक्कादियन राज्यों, उर के तीसरे राजवंश , और विभिन्न असीरियन साम्राज्यों जैसे ऐतिहासिक राज्य रखे । मेसोपोटामिया के कुछ महत्वपूर्ण नेता उर-नम्मू (उर के राजा), अक्कड़ के सरगुन (जिन्होंने अक्कादियन साम्राज्य की स्थापना की), हम्मुराबी (जिन्होंने ओल्ड बेबीलोनियन राज्य की स्थापना की), अशूर-उदबलीत II और तिग्लथ-पाइल्ससर I (जो स्थापित हुए) असीरियन साम्राज्य)।

वैज्ञानिकों ने जर्मनी के एक प्राचीन कब्रिस्तान में पाए गए शुरुआती किसानों के 8,000 साल पुराने अवशेषों से डीएनए का विश्लेषण किया। उन्होंने आनुवंशिक हस्ताक्षरों की तुलना आधुनिक आबादी से की और आज के तुर्की और इराक में रहने वाले लोगों के डीएनए के साथ समानता पाई।

प्राचीन मेसोपोटामिया धर्म[संपादित करें]

द बर्नि रिलीफ , प्रथम बेबीलोन वंश , लगभग 1800 ई.पू.

स्थायी नग्न देवी की प्रतिमा, पहली शताब्दी ईसा पूर्व - पहली शताब्दी ईस्वी सन्

प्राचीन मेसोपोटामिया धर्म पहले रिकॉर्ड किया गया था। मेसोपोटामिया का मानना ​​था कि दुनिया एक सपाट डिस्क थी, एक विशाल, पवित्र स्थान और उससे ऊपर, स्वर्ग से घिरा हुआ। वे यह भी मानते थे कि पानी हर जगह, ऊपर, नीचे और किनारों पर है, और यह कि ब्रह्मांड इस विशाल समुद्र से पैदा हुआ था। इसके अलावा, मेसोपोटामिया धर्म बहुदेववादी था। यद्यपि ऊपर वर्णित मान्यताओं को मेसोपोटामियावासियों के बीच आम तौर पर आयोजित किया गया था, लेकिन क्षेत्रीय विविधताएं भी थीं। ब्रह्मांड के लिए सुमेरियन शब्द ए -की है , जो देव एन और देवी की को संदर्भित करता है। उनके पुत्र एनिल, वायु देवता थे। उनका मानना ​​था कि एनिल सबसे शक्तिशाली देवता थे। वह पैंथियन के मुख्य देवता थे। सुमेरियों ने दार्शनिक प्रश्न भी प्रस्तुत किए, जैसे: हम कौन हैं ?, हम कहाँ हैं ?, हम यहाँ कैसे पहुंचे? उन्होंने इन सवालों के जवाबों को अपने देवताओं द्वारा प्रदान किए गए स्पष्टीकरण के लिए जिम्मेदार ठहराया

मेसोपोटामिया मूल रूप से दो शब्दो से मिलकर बना है-मेसो+पोटामिया,मेसो Uका अर्थ मध्य (बीच) और पोटामिया का अर्थ नदी है अर्थात दो नदियोँ के बीच के क्षेत्र को मेसोपोटामिया कहा जाता था। पश्चिमी एशिया में फारस की खाड़ी के उत्तर में स्थित वर्तमान इराक को प्राचीन समय में मेसोपोटामिया कहा जाता था मेसोपोटामिया की सभ्यता दजला और फरात दो नदियोँ के मध्य क्षेत्र में जन्म पली और विकसित हुई। इन नदियोँ के मुहाने पर सुमेरिय बीच में बेबीलोनिया तथा उत्तर में असीरिया सभ्यता का विकास हुआ इन सभ्यताओ के विषय में यह कहावत प्रचालित हैै की सुमेरिया ने सभ्यता को जन्म दिया बेबीलोनिया ने उसे उत्पत्ति के चरम शिखर तक पहुँचाया और असीरिया ने उसे आत्मसात किया दुसरे शब्दो में सुमेरिया, बेबीलोनिया और असीरिया इन तीनो सभ्यताओ के सम्मिलन से जो सभ्यता विकसित हुई उसे मेसोपोटामिया की सभ्यता कहा गया। मेसोपोटामिया में चार प्रसिद्ध सभ्यताएं हुईं हैं -सुमेरिया, बेबीलोन, असीरिया, कैल्ड्रिया।[1] दो नदियों दजला और फरात के बीच की धरती पर इंसानी सभ्यता के पहले शहर बसे. ईसा पूर्व चौथी सदी से करीब 3,000 सालों तक मेसोपोटामिया की सभ्यता के सबूत मिलते हैं. ईसा पूर्व पहली सदी आते आते वहां बेबीलोन और निनवे जैसे कई शहर बस चुके थे.

पहला साम्राज्य:- आज जहां इराक और सीरिया जैसे देश स्थित हैं उसी धरती पर कभी मेसोपोटामिया सभ्यता हुआ करती थी. वह प्राचीन सभ्यता उत्तरी असीरिया और दक्षिणी बेबीलोनिया में विभाजित थी. फिर इसे निचले स्तर पर भी कई प्रांतों में बांटा गया था. ईसा पूर्व तीसरी सदी से इन छोटे इलाकों को मिलाकर एक साम्राज्य के रूप में साथ लाया गया.

कृषि करने वाले पहले लोग:-औरत ने ही खेती करने,घर बनाने की शुरूआत की गई । संग्रहकर्ता से शिकारी और फिर किसान और पशुपालक बनने तक का सफर ऐतिहासिक है. इस सभ्यता में इंसान के खेती करने और पशुओं को पालने के पहले साक्ष्य मिलते हैं. उस समय सिंचाई के लिए व्यवस्था भी विकसित की गई और पशुओं के दूध से कई तरह के उत्पाद भी बनने शुरू हुए. दिव्य पदानुक्रम:- इस सभ्यता के लोग आस्तिक थे और कई सारे देवताओं को मानते थे. देवों की भी श्रेणियां थीं. सबसे बड़े देवता को उससे छोटे देवता पूजते थे. इस श्रेणी में सबसे अंत में आता था मानव. जिसे सबको पूजना होता और सबकी आज्ञा का पालन करना होता था. जीवन और धर्म गहराई से जुड़े थे. अंत:- सिकंदर महान ने 331 ईसा पूर्व में मेसोपोटामिया की सभ्यता को नष्ट कर दिया और वहां ग्रीक संस्कृति का प्रचार प्रसार किया. इसी के साथ मेसोपोटामियाई परंपराएं और जीवन दर्शन खो गया. फिर उसे हजार साल बाद फिर से खोद कर निकाला गया और अब इसे लुव्रे म्युजियम में सहेजकर रखा गया है. (लिया अलब्रेष्ट/आरपी)

सुमेरिया की सभ्यता

18 वी शताब्दी तक संसार इस महान मानव सभ्यता के ज्ञान से बहुत दूर था 19 वी शताब्दी के प्रारभ्भ में इंग्लैण्ड व फ्रांस के पुराविदो ने इस सभ्यता को खोज निकाले में सफलता प्राप्त की 1850 ईस्वी में अंग्रेजी पुराविद् रालिन्सन ने बिहिस्तून के पास एक उँचे टीले पर ईरानी शासक डेरियस द्वारा उत्कीर्ण कराया गया एक शिलालेख खोज निकाला इस सिलालेख पर फारसी और बेबीलोनियन भाषा का मिश्रण अंकित था और अधिक प्रयास के बाद रालिन्सन ने इसे पढ़ने में सफलता अर्जित की और परिणामस्वरुप मेसोपोटामिया सभ्यता का आवरण खुल गया।

काले पत्थर से एक दूसरा शिलालेख सन् 1901 में सूसा प्राप्त हुआ इस शिलापट्ट पर बेबीलोनिया की भाषा में एक कानूनी संहिता लिपिबध्द थी। 19 वी सदी 1ए आरभ्भ मेंही सर लियोनार्ड वूली ने ईरान के अति प्राचीन नगर उर के उत्खनन द्वारा कतिपय महत्वपूर्ण अवशेष प्राप्त किये इस नगर की खुदाई में मिट्टी की तख्तियाँ इमारतो के खण्डहर, विभिन्न कलात्मक वस्तुएँ तथा शासकों की समाधिया आदि प्राप्त हुई उत्खनन में प्राप्त विभिनन वस्तुओ व शिलालेखो को पढ़ने के फलस्वरुप मेसोपोटामिया की महान सभ्यता मानव प्रकाश में आयी।

सभ्यता के मूल निवासी

सुमेरियन सभ्यता के जनक कौन थे यह प्रशन अद्यतन विवादगस्त है इस सभ्यता के मूल निवासियो के सम्बन्ध में सुपुष्ट प्रमाणो का अभाव है अत विध्दानो में मतवैभिन्य बना हुआ है कुछ विध्दानो का मत है कि सुमेरिया के मूल निवासी मंगोल अथव द्रविड़ रहें होंगे तो कुछ विध्दानो मत है कि सुमेरियान सभ्यता में आर्य और द्रविड़ सभ्यताओ के तत्वो का समावेश है कुछ इतिहासकारो के अनुसार भूमध्य सागरीय लोग सुमेरिया सभ्यता के जनक थे। लेकिन डा. कीथ का मत है कि सन्धु और सुमेरियन दोनो सभ्यताओ में पर्याप्त सामनता प्रतीत होती है।

सुमेरियन सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ

सुमेरियन सभ्यता प्राचीन विश्व की महानतम सभ्यताओ में से एक थी खनन द्वारा प्राप्त पुरातात्तविक सामग्री व विभिन्न शिलालेखो के आधार पर सुमेरियन सभ्यता का जो जीवन्त रूप व विशेषताएँ उभरकर समाने आयी।

सामाजिक जीवन

सुमेरिया का सामाज मुख्तयता ती वर्गो में विभाजित था प्रथम उच्च वर्ग दूसरा मध्य वर्ग व तीसरा निम्न वर्ग. उच्च वर्ग में राजा शासक , पुरोहित व राज्य के वड़े अधिकारी सम्मिलित थे इन्हे समाज में सर्वाधिक सम्मान प्राप्त था। मध्य वर्ग में वड़े कृषक, व्यापारी आदि थे। तृतीय वर्ग में दास श्रमिक और छोटे किसान होते थे सुमेरियन सामाज में दास प्रथा का प्रचलन था सामाज में स्त्रियों की स्थिति अच्छी थी उन्हें अपनी सम्पत्ति रखने का अधिकार था वे स्वतंत्र व्यवसाय भी कर सकती थी सामाज में स्त्रियों का सम्मान होता था सुमेरिया सामाज में प्राय: लोग एक ही विवाह करते थे किन्तु कतिपय उच्चवर्गीय लोग वहुविवाह भी करते थे, सुमेरियन खान पान व रहन सहन उच्च कोटि का था वे ऊनी तथा सूती वस्त्रो का प्रयोग करते थे पक्के मकानो में रहतें थे स्वच्छता और पवित्रा उनके जीवन के प्रमुख अंग थे। कंगन गले का हार, अँगूठी और कर्णफूल उनके प्रमुख आभूषण थे। गेहूँ , जौ खजूर इनके प्रिय खाद्य पदार्थ थे और समाज में दहेज प्रथा का प्रचन था।

राजनीतिक जीवन

सुमेरियन सभ्यता की काल अवधि निर्धारण के सुपुष्ट प्रमाण उपलब्ध नहीं है फिर भी अधिकांश विध्दान 4500 ईसा पूर्व से लेकर 2550 ईसा पूर्व के से समय से ही इस सभ्यता की अवधि मानते हैं। 3500 ईसा पूर्व तक सुमेरिया में केन्द्रीय शासन स्थापित हो गया था उर, उरुक, किश, निप्पुर, लगाश, उम्मा आदि इस सभ्यता के प्रमुख नगर दे उर के राजा उर एंगर, लगाश के शासक गुड़िया, किश की शासक अजगबाऊ इस सभ्यता के लोकप्रिय शासक थे इन राजाओं के शासनकाल में कला, साहित्य, व्यापार, आदि के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई कलान्तर में 2600 ईसा पूर्व के बाद शासकों ने शक्ति क्षीण होने लगी थी सुमेरिया की सभ्यता में शासन धर्म पर आधारित था राजा को ईश्वर का प्रतीक माना जाता था। सुमेरियन शासकों की कमजोरी का लाभ उठाकर समेटिक जाति की घुमन्तू जीवन जीनेवाली एक शाखा ने आक्रमण कर सम्पूर्ण सुमेरिया अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। सारगो प्रथम इस वंश का शाक्तिशाली शासक था इसके काल सुमेरियन साम्राज्य फारस की खाड़ी से लेकर भूमध्य सागर के मध्य तक फेल गया था कलान्तर में 200 वर्षो के बाद इस वंश का पतन हो गया।

प्रशासन

सुमेरियपा प्राचीन काल में छोटे छोटे नगर राज्यो में विभक्त था प्रत्येक राज्य का स्वतंत्र शासका होता था जिसे सम्भवत फ्तेसी अथवा फ्तेस्ती कहा जाता था खुदाई में प्राप्त भग्नावशेषो से पता चलता है कि राजा एक विशाल महल में रहता था और कई अधिकारियों, कर्मचारियो तथा पुरोहित की सहायता से राजकीय कार्यो व शासन सम्बन्धी कार्यो का संचालन करता था ऐसा प्रतीत होता है कि प्रारम्भ में सुमेरिया में लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली स्थापित थी प्रत्येक नगर राज्य में समय समय पर जनसभा होती थी और राज्य का प्रत्येक वयस्क नागरिक इसका सदस्य होता था इस जनसभा द्वारा ही शासन के कार्य संचालित होते थे किन्तु 3000 ईसा पूर्व के लगभग सुमेरिया में राजतन्त्रीय शासन प्रणाली की स्थापना हुई राजा राज्य शासन का प्रमुख होता था उसका आदेश अन्तिम होता था सुमेरिया में कड़ाई से कानूनों का पालन कराया जाता था। यहाँ दो प्रकार के न्यायालयो की व्यवस्था थी पहला धार्मिक न्यायालय जिनमें पुरेहित निर्णय किया करता था दूसरा राजकीया न्यायालय जिसमें राजा प्रमुख न्यायाधीश होता था। प्रशासनिक कठोरता के कारण समाज में पूर्णतया शान्ति स्थापित थी मुकदमो की सुनवाई का रिकार्ड लिखित रूप में रखा जाता था। बहुत से रिकार्ड मिट्टी की तख्तियो पर उत्खनन से प्राप्त हुए हैं उर एंगर तथा डूँगी आदि शासकों ने कानूनी संहिता का निर्माण भी कराया था परिवार व्यापार तथा सामाजिक जीवन से सम्वन्धित कानून बनाये गये थे।

मेसोपोटामिया में शहरों का क्या महत्व था?

उरुक दुनिया के इतिहास में पहले प्रमुख शहरों में से एक था। यह लगभग 2900 ईसा पूर्व अपने चरम पर पहुंच गया जब इसकी अनुमानित आबादी लगभग 80,000 लोगों की थी जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा शहर बना रहा था। उरुक दक्षिणी मेसोपोटामिया में यूफ्रेट्स नदी के किनारे स्थित था

मेसोपोटामिया के शहरी जीवन की प्रमुख विशेषताएं क्या थी?

मेसोपोटामिया सभ्यता की दो मुख्य विशेषताएं बताइए । [ ] उत्तर - मेसोपोटामिया सभ्यता अपनी समृद्धि, शहरी जीवन, विशाल तथा समृद्ध साहित्य, गणित तथा खगोलशास्त्र के लिए जानी जाती हैं । [ ] मेसोपोटामिया की प्रथम ज्ञात भाषा सुमेरी थी । इसके शहरीकृत दक्षिणी भाग को सुमेर तथा अक्कद कहा जाता था ।

मेसोपोटामिया की शहरी सभ्यता क्या है?

मेसोपोटामिया में चार प्रसिद्ध सभ्यताएं हुईं हैं -सुमेरिया, बेबीलोन, असीरिया, कैल्ड्रिया। दो नदियों दजला और फरात के बीच की धरती पर इंसानी सभ्यता के पहले शहर बसे. ईसा पूर्व चौथी सदी से करीब 3,000 सालों तक मेसोपोटामिया की सभ्यता के सबूत मिलते हैं. ईसा पूर्व पहली सदी आते आते वहां बेबीलोन और निनवे जैसे कई शहर बस चुके थे.

मेसोपोटामिया में शहरीकरण के विकास का कारण क्या था?

प्राचीन मेसोपोटामिया की नहरें तथा प्राकृतिक जल-धाराएँ छोटी-बड़ी बस्तियों के बीच परिवहन के अच्छे साधनों के रूप में कार्य करती थीं। यही कारण था कि जल-परिवहन मेसोपोटामिया में प्रारंभिक शहरीकरण के विकास का एक महत्त्वपूर्ण कारक सिद्ध हुआ।