हिंदी कक्षा 11 में कई महत्वपूर्ण पाठ हैं जिनमें से परीक्षा में सवाल आते ही आते हैं। इनमें से एक पाठ है मियाँ नसीरुद्दीन। मियाँ नसीरुद्दीन शब्दचित्र हम-हशमत नामक संग्रह से लिया गया है। इसमें खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन के व्यक्तित्व, रुचियों और स्वभाव का शब्दचित्र खींचा गया है। मियाँ नसीरुद्दीन अपने मसीहाई अंदाज से रोटी पकाने की कला और उसमें अपनी खानदानी महारत बताते हैं। वे ऐसे इंसान का भी प्रतिनिधित्व करते हैं जो अपने पेशे को कला का दर्जा देते हैं और करके सीखने को असली हुनर मानते हैं। चलिए पढ़ते हैं मियाँ नसीरुद्दीन class 11 के पाठ के बारे में विस्तार से। Show
This Blog Includes:
लेखिका परिचयमियाँ नसीरुद्दीन class 11 में लेखिका परिचय इस प्रकार है: Source – DWकृष्णा सोबती का जन्म 1925 ई. में पाकिस्तान के गुजरात नामक स्थान पर हुआ। इनकी शिक्षा लाहौर, शिमला व दिल्ली में हुई। इन्हें साहित्य अकादमी सम्मान, हिंदी अकादमी का शलाका सम्मान, साहित्य अकादमी की महत्तर सदस्यता सहित अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया। रचनाएँकृष्णा सोबती ने अनेक विधाओं में लिखा। उनके कई उपन्यासों, लंबी कहानियों और संस्मरणों ने हिंदी के साहित्यिक संसार में अपनी दीर्घजीवी उपस्थिति सुनिश्चित की है। इनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं- उपन्यास-जिंदगीनामा, दिलोदानिश, ऐ लड़की, समय सरगम। यह भी पढ़ें: (Varnamala) वर्णमाला का प्रयोग कहाँ किया जाता है साहित्यिक परिचयहिंदी कथा साहित्य में कृष्णा सोबती की विशिष्ट पहचान है। वे मानती हैं कि कम लिखना विशिष्ट लिखना है। यही कारण है कि उनके संयमित लेखन और साफ-सुथरी रचनात्मकता ने अपना एक नित नया पाठक वर्ग बनाया है। उन्होंने हिंदी साहित्य को कई ऐसे यादगार चरित्र दिए हैं, जिन्हें अमर कहा जा सकता है, जैसे- मित्रो, शाहनी, हशमत आदि। भारत-पाकिस्तान पर जिन लेखकों ने हिंदी में कालजयी रचनाएँ लिखीं, उनमें कृष्णा सोबती का नाम पहली कतार में रखा जाएगा। यह कहना उचित होगा कि यशपाल के झूठा-सच, राही मासूम रज़ा के आधा गाँव और भीष्म साहनी के तमस के साथ-साथ कृष्णा सोबती का जिंदगीनामा इस प्रसंग में विशिष्ट उपलब्धि है। संस्मरण के क्षेत्र में हम-हशमत कृति का विशिष्ट स्थान है। इसमें उन्होंने अपने ही एक, दूसरे व्यक्तित्व के रूप में हशमत नामक चरित्र का सृजन कर एक अद्भुत प्रयोग का उदाहरण प्रस्तुत किया है। इनके भाषिक प्रयोग में विविधता है। उन्होंने हिंदी की कथा-भाषा को एक विलक्षण ताजगी दी है। संस्कृतनिष्ठ तत्समता, उर्दू का बाँकपन, पंजाबी की जिंदादिली, ये सब एक साथ उनकी रचनाओं में मौजूद हैं। पाठ का सारांशमियाँ नसीरुद्दीन class 11 का पाठ का सारांश नीचे दिया गया है-
पाठ के शब्दार्थमियाँ नसीरुद्दीन class 11 पाठ के शब्दार्थ नीचे दिए गए हैं-
पाठ के प्रश्न और उत्तरमियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा क्यों कहा गया है ? उत्तर:- मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा कहा गया है क्योंकि वे साधारण नानबाई नहीं हैं। वे खानदानी नानबाई हैं। अन्य नानबाई केवल रोटी पकाते हैं, पर मियाँ नसीरुद्दीन अपने पेशे को कला मानते है। उनके पास छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने का हुनर है। वे अपने को सर्वश्रेष्ठ नानबाई बताते हैं। लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास क्यों गई थीं? उत्तर:- लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास पत्रकार की हैसियत से गई थी। वे उनकी नानबाई कला के बारे में जानकारी प्राप्त कर उसे प्रकाशित करना चाहती थी। बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी क्यों खत्म होने लगी? उत्तर:- बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी लेखिका की बातों में खत्म होने लगी क्योंकि उन्हें किसी खास बादशाह का नाम मालूम ही न था। वे जो बातें बता रहे थे वे बस सुनी-सुनाई थीं। उस तथ्य में सच्चाई नहीं थी। लेखिका को डींगे मारने के बाद उसे सिद्ध नहीं कर सकते थे। मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अंधड़ के आसार देख यह मज़मून न छेड़ने का फ़ैसला किया – इस कथन के पहले और बाद के प्रसंग का उल्लेख करते हुए इसे स्पष्ट कीजिए। उत्तर:- बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी लेखिका की बातों में खत्म होने लगी उसके बाद वे किसी को भट्टी सुलगाने के लिए पुकारने लगे। तभी लेखिका के पूछने पर उन्होंने बताया वे उनके कारीगर हैं। तभी लेखिका के मन में आया के पूछ लें आपके बेटे-बेटियाँ हैं, पर उनके चहेरे पर बेरुखी देखी तो उन्होंने उस विषय में कुछ न पूछना ही ठीक समझा। पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखिका ने कैसे खींचा है? उत्तर:- मियाँ नसीरुद्दीन सत्तर वर्ष की आयु के हैं। मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखिका ने कुछ इस प्रकार खींचा है – लेखिका ने जब दुकान के अंदर झाँका तो पाया मियाँ चारपाई पर बैठे बीड़ी का मज़ा ले रहे हैं। मौसमों की मार से पका चेहरा, आँखों में काइयाँ भोलापन और पेशानी पर मँजे हुए कारीगर के तेवर। मियाँ नसीरुद्दीन की कौन-सी बातें आपको अच्छी लगीं? उत्तर:- मियाँ नसीरुद्दीन की निम्नलिखित बातें हमें अच्छी लगीं – तालीम की तालीम ही बड़ी चीज़ होती है – यहाँ लेखक ने तालीम शब्द का दो बार प्रयोग क्यों किया है? क्या आप दूसरी बार आए तालीम शब्द की जगह कोई अन्य शब्द रख सकते हैं? लिखिए। उत्तर:- लेखिका ने तालीम शब्द का प्रयोग दो बार किया है। क्रमशः उनका अर्थ ‘काम की ट्रेनिंग’ और ‘शिक्षा’ है। हम दूसरी बार आए तालीम शब्द की जगह शब्द रख सकते हैं – ‘तालीम की शिक्षा’। मियाँ नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं जिसने अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया। वर्तमान समय में प्रायः लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं। ऐसा क्यों? उत्तर:- मियाँ नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं। पहले उनके दादा साहिब थे आला नानबाई मियाँ कल्लन, दूसरे उनके वालिद मियाँ बरकतशाही नानबाई थे। वर्तमान समय में प्रायः लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं क्योंकि पारंपरिक व्यवसाय की ओर लोगों की रूचि कम हो गई हैं, लोग अब पढ़-लिखकर तकनीकी और शैक्षिक व्यवसाय की ओर जाना पसंद करते हैं। मियाँ, कहीं अखबारनवीस तो नहीं हो? यह तो खोजियों की खुराफ़ात है – अखबार की भूमिका को देखते हुए इस पर टिप्पणी करें। उत्तर:- अखबारनवीस पत्रकार को कहते हैं। अखबार की समाज को जागृत करने में अहम भूमिका होती हैं। अखबार जनता को न्याय भी दिला सकता है। परंतु आज-कल के अखबार में बातों को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर लिखते है जिससे लोगों में उनका प्रभाव कम हो गया है। बच्चे को मदरसे भेजने के उदाहरण द्वारा मियाँ नसीरुद्दीन क्या समझाना चाहते थे? उत्तर: ‘बच्चे को मदरसे भेजा जाए और वह कच्ची में न बैठे, न पक्की में, न दूसरी में और जा बैठा सीधा तीसरी में तो उन तीन किलासों का क्या हुआ?’ यह उदाहरण देकर मियाँ यह समझाना चाहते हैं कि उन्होंने भी पहले बर्तन धोना, भट्ठी बनाना और भट्ठी को आँच देना सीखा था, तभी उन्हें रोटी पकाने का हुनर सिखाया गया था। खोमचा लगाए बिना दुकानदारी चलानी नहीं आती। स्वयं को खानदानी नानबाई साबित करने के लिए मियाँ नसीरुद्दीन ने कौन-सा किस्सा सुनाया? उत्तर: स्वयं को संसार के बहुत से नानबाइयों में श्रेष्ठ साबित करने के लिए मियाँ ने फरमाया कि हमारे बुजुर्गों से बादशाह सलामत ने यूँ कहा-मियाँ नानबाई, कोई नई चीज़ खिला सकते हो ? चीज़ ऐसी जो न आग से पके, न पानी से बने! बस हमारे बुजुर्गों ने वह खास चीज़ बनाई, बादशाह ने खाई और खूब सराही लेखक ने जब उस चीज का नाम पूछा तो वे बोले कि ‘वो हमें नहीं बताएँगे!’ मानो महज एक किस्सा ही था, पर मियाँ से जीत पाना बड़ा मुश्किल काम था। बादशाह का नाम पूछे जाने पर मियाँ बिगड़ क्यों गए? उत्तर: मियाँ नसीरुद्दीन एक ऐसे बातूनी नानबाई थे जो स्वयं को सभी नानबाइयों से श्रेष्ठ साबित करने के लिए खानदानी और बादशाह के शाही बावर्ची खाने से ताल्लुक रखनेवाले कहते थे। वे इतने काइयाँ थे कि बस जो वे कहें उसे सब मान लें, कोई प्रश्न न पूछे। ऐसे में बादशाह का नाम पूछने से पोल खुलने का अंदेशा था जो उन्हें नागवार गुजरा और वे उखड़ गए। उसके बाद उन्हें किसी भी सवाल का जवाब देना अखरने लगा। पाठ के अंत में मियाँ अपना दर्द कैसे व्यक्त करते हैं? उत्तर: मियाँ ने लंबी साँस खींचकर कहा-‘उतर गए वे ज़माने और गए वे कद्रदान जो पकाने-खाने की कद्र करना जानते थे! मियाँ अब क्या रखा है….निकाली तंदूर से-निगली और हज़म!’। मियाँ नसीरुद्दीन के इस कथन में गुम होती कला की इज्जत का दर्द बोल रहा है। वर्तमान युग में कला के पारखी और सराहने वाले नहीं हैं। भागदौड़ में न कोई ठीक से पकाता है और यदि कोई अच्छी रोटी पकाकर भी दे दे तो खानेवाले यूं ही दौड़ते-भागते खा लेते हैं, कला की इज्जत कोई नहीं करता। इसी दृष्टिकोण के चलते हमारे देश में अनेक पारंपरिक कलाएँ दम तोड़ रही हैं। मियाँ नसीरुद्दीन का पत्रकारों के प्रति क्या रवैया था? उत्तर: उनका मानना था कि अखबार पढ़ने और छापनेवाले दोनों ही बेकार होते हैं। आज पत्रकारिता एक व्यवसाय है, जो नई से नई खबर बढिया से बढ़िया मसाला लगाकर पेश करते हैं। कभी-कभी तो खबरों को धमाकेदार बनाने के लिए तोड़-मरोड़ डालते हैं। मियाँ की नज़र में काम करना अखबार पढ़ने से कहीं अधिक अच्छा काम है। बेमतलब के लिखना, छापना और पढ़ना उनकी नज़र में निहायत निकम्मापन है। इसलिए उन्हें अखबारवालों से परहेज है। ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ शब्द चित्र का प्रतिपाद्य बताइए। उत्तर: इस अध्याय में लेखिका ने खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन के व्यक्तित्व, रुचियों और स्वभाव का वर्णन करते हुए यह बताया है कि मियाँ नसीरुद्दीन नानबाई का अपना काम अत्यन्त ईमानदारी और मेहनत से करते थे। यह कला उन्होंने अपने पिता से सीखी थी। वे अपने इस कार्य को किसी भी कार्य से हीन नहीं मानते थे। उन्हें अपने खानदानी व्यवसाय पर गर्व है। वे छप्पन तरह की रोटियाँ बना सकते थे। वे काम करने में विश्वास रखते हैं। लेखिका का संदेश यही है कि हर काम को गंभीरता व मेहनत से करना चाहिए। कोई भी व्यवसाय छोटा या बड़ा नहीं होता। पंचहजारी अंदाज से क्या अभिप्राय है? पंचहजारी अंदाज-बड़े सेनापतियों जैसा अंदाज। मुगलों के समय में पाँच हजार सिपाहियों के अधिकारी को पंचहजारी कहते थे। यह ऊँचा पद होता था। नसीरुद्दीन में भी उस पद की तरह गर्व व अकड़ थी। मियाँ ने लेखिका को घूरकर क्यों देखा? मियाँ नसीरुद्दीन को शक था कि कहीं लेखिका अखबार वाली तो नहीं हैं। वे उन्हें खुराफाती मानते हैं जो खोज करते रहते हैं। इस कारण उन्होंने लेखिका को घूरकर देखा। मियाँ ने किन-किन खानदानी व्यवसायों का उदाहरण दिया? क्यों? मियाँ ने नगीना साज़, आईनासाज़, मीना साज़, रफूगर, रंगरेज व तेली-तंबोली व्यवसायों का उदाहरण दिया। उन्होंने लेखिका को समझाया कि इन लोगों के पास नानबाई का ज्ञान नहीं है। खानदानी पेशे को अपने बुर्जुगों से ही सीखा जाता है। मियाँ किस सोच में खो गए? मियाँ से जब अद्भुत चीज के बारे में पूछा गया तो वे सोच में पड़ गए। वास्तव में मियां को ऐसी चीज के बारे में पता ही नहीं था। उन्होंने अपने बुजुर्गों की प्रशंसा के लिए यह बात कह दी थी। मियाँ किस बात का दावा करते हैं? मियाँ इस बात का दावा करते हैं कि खानदानी नानबाई कुछ भी पका सकता है। रोटी आँच से पकती है, झूठ से नहीं। मियाँ किस बात से भड़क उठे? मियाँ ने बताया कि उनके पूर्वज बादशाह के नानबाई थे तो लेखिका ने उनसे बादशाह का नाम पूछा। इस बात पर भड़क उठे। तुनकी क्या है? इसकी विशेषता बताइए? तुनकी विशेष प्रकार की रोटी है। यह पापड़ से भी अधिक पतली होती है। मियाँ के आगे क्या काँध गया? मियाँ को अपने पुराने जमाने के दिन याद आने लगे जब लोग उनकी दुकान से तरह-तरह की रोटियाँ लेने आते थे। मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान कहाँ स्थित थी? मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान जामा मस्जिद के पास मटिया महल के गद्वैया मोहल्ले में थी। अखबार वालों के बारे में उनकी क्या राय है? अखबार वालों के बारे में मियाँ की राय पूर्वाग्रह से ग्रस्त है। वे अखबार बनाने वालों के साथ-साथ अखबार पढ़ने वालों को भी निठल्ला मानते हैं। इससे लोगों को कोई फायदा नहीं मिलता। MCQs1. ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ नामक पाठ की लेखिका का नाम है- उत्तर= B 2. ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ नामक पाठ में किसके व्यक्तित्व का शब्द-चित्र अंकित किया गया है? उत्तर= C 3.मियाँ नसीरुद्दीन किस कला में प्रवीण थे? उत्तर= D 4. मियाँ नसीरुद्दीन कैसे इंसान का प्रतिनिधित्व करते थे? उत्तर= C 5. जब लेखिका गढ़ैया मुहल्ले से गुजर रही थी तो उसे एक दुकान से कैसी
आवाज़ सुनाई दी?” उत्तर= A 6. पटापट आटे के ढेर को सानने की आवाज़ को सुनकर लेखिका ने क्या सोचा था? उत्तर= B 7. मियाँ नसीरुद्दीन कितने प्रकार की रोटी बनाने के लिए मशहूर हैं? उत्तर= D 8. लेखिका ने मियाँ नसीरुद्दीन से सबसे पहले कौन-सा प्रश्न किया था? उत्तर= A 9. मियाँ नसीरुद्दीन ने लेखिका को क्या समझा था? उत्तर= C 10. मियाँ नसीरुद्दीन ने अखबार के विषय में क्या
कहा था? उत्तर= A 11. अखबार बनाने वाले और अखबार पढ़ने वाले दोनों को मियाँ नसीरुद्दीन ने क्या कहा था? उत्तर= B 12. लेखिका के अनुसार नसीरुद्दीन का खानदानी पेशा क्या था? उत्तर= D 13. मियाँ नसीरुद्दीन अपना उस्ताद किसे मानते हैं? उत्तर= A 14. मियाँ नसीरुद्दीन के वालिद का नाम था- उत्तर= C 15. मियाँ नसीरुद्दीन के दादा का क्या नाम था? उत्तर= A 16. ‘काम करने से आता है, नसीहतों से नहीं’ ये कथन किसका है? उत्तर: D 17. ‘तालीम की तालीम भी बड़ी चीज़ होती है’-इस वाक्य में दूसरी बार प्रयुक्त तालीम का क्या अर्थ है- उत्तर: B 18. ‘कोई ऐसी
चीज खिलाओ जो न आग से पके, न पानी से बने’ ये शब्द किसने कहे थे? उत्तर: A Source: Alpana VermaFAQsमियाँ नसीरुद्दीन कौन थे? मियाँ नसीरुद्दीन एक ऐसे बातूनी नानबाई थे जो स्वयं को सभी नानबाइयों से श्रेष्ठ साबित करने के लिए खानदानी और बादशाह के शाही बावर्ची खाने से ताल्लुक रखने वाले कहते थे। वे इतने काइयाँ थे कि बस जो वे कहें उसे सब मान लें, कोई प्रश्न न पूछे। खानदानी नानबाई से क्या अभिप्राय है? नानबाई उस व्यक्ति को कहते हैं जो कई तरह की रोटियाँ बनाने और बेचने का काम करता है। यहाँ मियाँ नसीरुद्दीन नामक खानदानी नानबाई का जिक्र हुआ है। मियाँ नसीरुद्दीन के खानदान का पैसा क्या था? नसीरुद्दीन का खानदानी पेशा नानबाई बनाने का था। वह अपनी आजीविका के लिए एक दुकान चलाते थे, जहाँ पर वह नानबाई बनाते थे। नानबाई एक विशेष प्रकार की रोटी होती है, जिसको बनाने की कला में नसीरुद्दीन को महारत हासिल थी। मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा क्यों कहा गया है? मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा कहा गया है क्योंकि वे साधारण नानबाई नहीं हैं। वे खानदानी नानबाई हैं। अन्य नानबाई रोटी केवल पकाते हैं, पर मियाँ नसीरुद्दीन अपने पेशे को कला मानते है। उनके पास छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने का हुनर है। मियाँ नसीरुद्दीन के पिता का क्या नाम था? उनका पिता का नाम मियाँ शराफत था। मियाँ नसीरुद्दीन किस कला में प्रवीण थे? मियाँ नसीरुद्दीन अपने मसीहाई अंदाज से रोट्री पकाने की कला और उसमें अपनी खानदानी महारत बताते हैं। वे ऐसे इंसान का भी प्रतिनिधित्व करते हैं जो अपने पेशे को कला का दर्जा देते हैं और करके सीखने को असली हुनर मानते हैं। ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ किस लिए मशहूर थे? मियाँ नसीरुद्दीन एक ऐसे बातूनी नानबाई थे जो स्वयं को सभी नानबाइयों से श्रेष्ठ साबित करने के लिए खानदानी और बादशाह के शाही बावर्ची खाने से ताल्लुक रखनेवाले कहते थे। वे इतने काइयाँ थे कि बस जो वे कहें उसे सब मान लें, कोई प्रश्न न पूछे। मियाँ नसीरुद्दीन कितने प्रकार की रोटियां बनाना जानते थे? मियाँ नसीरुद्दीन अपने पेशे को कला मानते है। उनके पास छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने का हुनर है। मियाँ नसीरुद्दीन सिर हिलाते समय कैसे दिखे? कभी-कभी पंचहजारी अंदाज में सिर हिलाते हैं 1 वे कभी दूसरे आदमी के सामने आँखों के कंचे फेरते हैं, कभी आँखें तरेरते हैं। बीड़ी के कश खींचने में वे माहिर हैं। बातों में वे बड़ी लंबी-लंबी फेंकते हैं। आशा करते हैं कि आपको मियाँ नसीरुद्दीन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली होगी। यदि आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं तो आज ही हमारे Leverage Edu एक्सपर्ट्स को 1800572000 पर कॉल करें और 30 मिनट का फ्री सेशन बुक करें। मियाँ नसीरुद्दीन ने अखबार के विषय में क्या कहा था?मियाँ चारपाई पर बैठे बीड़ी पी रहे थे। उनके चेहरे पर अनुभव और आँखों में चुस्ती व माथे पर कारीगर के तेवर थे। लेखिका के प्रश्न पूछने की बात पर उन्होंने अखबारों पर व्यंग्य किया। वे अखबार बनाने वाले व पढ़ने वाले दोनों को निठल्ला समझते हैं।
अखबार वालों के बारे में मियां की क्या राय है?अखबार वालों के बारे में मियाँ की राय पूर्वाग्रह से ग्रस्त है। वे अखबार बनाने वालों के साथ-साथ अखबार पढ़ने वालों को भी निठल्ला मानते हैं। इससे लोगों को कोई फायदा नहीं मिलता।
मियाँ नसीरुद्दीन की कौन सी विशेषताएं आपको प्रभावित करती हैं?मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा इसलिए कहा गया है क्योंकि वह अपने मसीहाई अंदाज से रोटी पकाने की कला का बखान करता है तथा इसमें वह अपनी खानदानी महारत बताता है । नानबाई रोटी बनाने की कला में माहिर है । अन्य नानबाई रोटियाँ तो पकाते हैं, पर मियाँ नसीरुद्दीन अपने पेशे को कला मानता है ।
मियाँ नसीरुद्दीन कितने प्रकार की रोटी बनाने के लिए मशहूर हैं *?➲ मियाँ नसीरुद्दीन 56 तरह की रोटी बनाने में माहिर थे।
|