वर्तमान समय में भारत की जनसंख्या विस्फोट की स्थिति में है। जनसंख्या वृद्धि की दर जीवन्त - जाग्रत बुद्धिमान - मनीषियों एवं विभूतिवानों के लिए एक चुनौती है। जिसे उन्हें स्वीकार करना ही पड़ेगा। जनसंख्या की अनियंत्रित वृद्धि के कारण संसार पर भुखमरी का संकट तीव्र गति से बढ़ता जा रहा है। Show
विश्व विख्यात लंदन के जनसंख्या विशेषज्ञ श्री हरमन वेरी ने संसार को सावधान करते हुए लिखा है ‘‘आगामी सन्-2050 में संसार की हालत महाप्रलय से भी बुरी हो जायेगी। तब धरती पर न तो इतने लोगों के लिए पर्याप्त भोजन मिल सकेगा, न शुद्ध वायु न पानी न बिजली। देश की उत्पादकता ही राष्ट्रीय विकास का आधार है। वैश्वीकरण की नीतियों के कारण ही बेरोजगारों की फौज खड़ी है। जनसंख्या वृद्धि के कारणअध्ययन की दृष्टि से भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण हैं :-
1. जन्म-दरकिसी देश में एक वर्ष में जनसंख्या के प्रति हजार व्यक्तियों में जन्म लेने वाले जीवित बच्चों की संख्या ‘जन्म-दर’ कहलाती है। जन्म-दर अधिक होने पर जनसंख्या वृद्धि भी अधिक होती है, भारत में जन्म-दर बहुत अधिक है। सन् 1911 में जन्म-दर 49.2 व्यक्ति प्रति हजार थी, लेकिन मृत्यु-दर भी 42.6 व्यक्ति प्रति हजार होने के कारण वृद्धि दर कम थी। उच्च जन्म-दर के कारण वृद्धि दर मन्द थी। सन् 1971 की जनगणना में जन्म-दर में मामूली कमी 41.2 व्यक्ति प्रति हजार हुई, लेकिन मृत्यु-दर 42.6 व्यक्ति प्रति हजार से घटकर 19.0 रह गयी इसलिए वृद्धि दर बढ़कर 22.2 प्रतिशत हो गई। 2. मृत्यु दरकिसी देश में जनसंख्या के प्रति हजार व्यक्तियों पर एक वर्ष में मरने वाले व्यक्तियों की संख्या को मृत्यु दर कहतें हैं। किसी देश की मृत्यु दर जितनी ऊॅंची होगी जनसंख्या वृद्धि दर उतनी ही नीची होगी। भारत में सन् 1921 की जनगणना के अनुसार मृत्यु दर में 47.2 प्रति हजार थी, जो सन् 1981-91 के दशक में घटकर 11.7 प्रति हजार रह गयी अर्थात् मृत्यु दर में 35.5 प्रति हजार की कमी आयी। अत: मृत्यु दर नीची हुई तो जनसंख्या दर ऊॅंची हुई। मृत्यु दर में निरन्तर कमी से भारत में वृद्धों का अनुपात अधिक होगा, जनसंख्या पर अधिक भार बढ़ेगा। जन्म दर तथा मृत्यु दर के अन्तर को प्राकृतिक वृद्धि दर कहा जाता है। मृत्यु दर में कमी के फलस्वरूप जनसंख्या में वृद्धि हो जाती है।
3. प्रवासजनसंख्या के एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरण को प्रवास कहते हैं। जनसंख्या की वृद्धि में प्रवास का भी प्रभाव पड़ता है। बांग्लादेश के सीमा से लगे राज्यों में जनसंख्या वृद्धि का एक बड़ा कारण प्रवास है त्रिपुरा, मेघालय, असम के जनसंख्या वृद्धि में बांग्लादेश से आए प्रवासी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, क्योंकि इन राज्यों में जन्म-दर वृद्धि दर से कम है। ऐसा माना जाता है कि भारत की आबादी में लगभग 1 प्रतिशत वृद्धि दर में प्रवास प्रमुख रूप से उत्तरदायी है। 4. जीवन प्रत्याशाजन्म-दर एवं मृत्यु-दर के अन्तर को प्राकृतिक वृद्धि दर कहा जाता है। मृत्यु-दर में कमी के कारण जीवन प्रत्याशा में बढ़ोत्तरी होती है। सन् 1921 में भारत में जीवन प्रत्याशा 20 वर्ष थी जो आज बढ़कर 63 वर्ष हो गया है, जो वृद्धि दर में तात्कालिक प्रभाव डालता है। जीवन प्रत्याशा में बढ़ोत्तरी से अकार्य जनसंख्या में वृद्धि होती है। 5. विवाह एवं सन्तान प्राप्ति की अनिवार्यताहमारे यहां सभी युवक व युवतियों के विवाह की प्रथा है और साथ ही सन्तान उत्पत्ति को धार्मिक एवं सामाजिक दृष्टि से आदरपूर्ण माना जाता है। 6. अशिक्षा एवं अज्ञानताआज भी हमारे देश में अधिकांश लोग निरक्षर है। अशिक्षा के कारण अज्ञानता का अंधकार फैला हुआ है। कम पढे लिखे होने के कारण लोगों को परिवार नियोजन के उपायों की ठीक से जानकारी नहीं हो पाती है। लोग आज भी बच्चों को ऊपर वाले की देन मानते है। अज्ञानता के कारण लोगों के मन में अंधविश्वास भरा है। 7. बाल विवाहआज भी हमारे देश में बाल विवाह तथा कम उम्र में विवाह जैसी कुप्रथाएँ प्रचलित है। जल्दी शादी होने के कारण किशोर जल्दी माँ बाप बन जाते है। इससे बच्चे अधिक पैदा होते है। उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पडता है। कम उम्र में विवाहित होने वाले अधिकांश युवा आर्थिक रूप से दूसरों पर आश्रित होते है तथा बच्चे पैदा कर अन्य आश्रितो की संख्या बढाते है। परिणामस्वरूप कमाने वालो की संख्या कम और खाने वालो की संख्या अधिक हो जाती है। अत: सरकार ने 18 वर्ष से कम उम्र में लडकियों की तथा 21 वर्ष से कम उम्र मे लडको की शादी कानूनन अपराध घोषित किया है। 8. अंधविश्वासआज भी अधिकांश लोगों का मानना है कि बच्चे ईश्वर की देन है ईश्वर की इच्छा को न मानने से वे नाराज हो जाएंगे। कुछ लोगों का मानना है कि संतान अधिक होने से काम में हाथ बंटाते है जिससे उन्हे बुढापे में आराम मिलेगा। परिवार नियोजन के उपायों को मानना वे ईश्वर की इच्छा के विरूद्ध मानते है। इन प्रचलित अंधविश्वास से जनसंख्या में नियंत्रण पाना असंभव सा लगता है। 9. लडके की चाह मे लडकियाँ पैदा करनालोग सोचते है कि लडका ही पिता की जायदाद का असली वारिस होता है तथा बेटा ही अंतिम संस्कार तक साथ रहता है और बेटियाँ पराई होती है। इससे लडके लडकियों में भेदभाव को बढावा मिलता है। बेटे की चाह में लकड़ियाँ पैदा करते चले जाते है। लडके लडकियो के पालन पोषण में भी भेदभाव किया जाता है। व्यवहार से लेकर खानपान में असमानता पाई जाती है। परिणामस्वरूप लडकियाँ युवावस्था या बुढ़ापे में रोगों के शिकार हो जाती है। इसके अलावा कई पिछडे इलाको तथा कम पढे लिखे लोगों के बीच मनोरंजन की कमी के कारण वे कामवासना को ही एकमात्र संतुष्टि तथा मनोरंजन का साधन समझते है जिससे जनसंख्या बढती है। 10. जनसंख्या वृद्धि के अन्य कारणभारत में जनसंख्या वृद्धि के अन्य भी कई कारण हैं, जैसे- संयुक्त परिवार प्रथा, गरीबी, निम्न जीवन-स्तर व अशिक्षा आदि ऐसे अनेक कारण हैं जो जनसंख्या की वृद्धि में सहायक हो रहे हैं। जनसंख्या वृद्धि रोकने के उपायबढ़ती हुई जनसंख्या को रोकना जनसंख्या समाधान के लिए उपाय है -
(1) सीमित परिवार - प्रत्येक देश की आर्थिक क्षमता के अनुसार ही वहाँ जनसंख्या होनी चाहिए। अतः परिवारों में सन्तान की संख्या प्रति परिवार एक या अधिक से अधिक दो सन्तान तक ही अनिवार्यतः सीमित की जानी चाहिए। इसके लिए गर्भ निरोधक गोलियाँ, अन्य विधियाँ एवं बन्ध्याकरण आपरेशन (पुरूष व महिलाओं का) निश्चित समय पर निरन्तर अपनाया जाना अनिवार्य है। ऐसी व्यवस्था का विरोध करने वालों का सामाजिक बहिष्कार एवं सरकारी सुविधा से वंचित किया जाना ही एकमात्र उपाय है। (2) विवाह आयु में वृद्धि - विवाह की आयु लड़कियों के लिए 20 वर्ष एवं लड़कों के लिए 23 से 25 वर्ष की जानी चाहिए। (3) सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार - सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति प्रत्येक नागरिक को जागरूक बनाने के लिए प्राथमिक कक्षाओं से ही इसकी अनिवार्य शिक्षा दी जाये। Tags: jansankhya vriddhi ke karan, jansankhya vriddhi ke karan evm upay, bharat men jansankhya vriddhi ke karan नगरीकरण बढ़ने के क्या कारण है?नगरीकरण की प्रक्रिया को तभी बढ़ावा मिलेगा जब गैर-कृषि क्षेत्रों में गतिविधियाँ बढ़े, उनसे नगरीय क्षेत्रों में रोजगार निर्मित हो तथा जिसके फलस्वरूप भारी कृषि श्रम शक्ति का एक भाग गैर कृषि गतिविधियों में स्थानांतरित हो ।
नगरीय जनसंख्या से आप क्या समझते हैं?पिछले कुछ दशकों से नगरीय जनसंख्या में हो रही वृद्धि में छत्तीसगढ़ भी अपवाद नहीं है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ में नगरीय जनसंख्या लगभग 59.37 लाख है, जो कि प्रदेश की कुल जनसंख्या का 23.24 प्रतिशत है, जबकि देश का यह प्रतिशत 31.16 है।
नगरीय कारण क्या है?नगर क्षेत्रों का भौतिक विस्तार या उसके क्षेत्रफल, जनसंख्या आदि में बेतहाशा वृद्धि 'नगरीकरण' कहलाता है। यह एक वैश्विक परिवर्तन है। संयुक्त राष्ट्र संघ की परिभाषा के अनुसार- "ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का शहरों में जाकर रहना और काम करना भी 'नगरीकरण' है।"
नगरीकरण के प्रमुख प्रभाव क्या है?नगरीकरण का प्रमुख कारण जनसंख्या वृद्धि एंव शहरो में रोजगार की संम्भावना के उद्धेष्य से ग्रामिण क्षेत्रो के लोगो का शहरो मे प्रवास हैं। शहरीकरण के कारण शहरो का विकास ग्रमिण क्षेत्रो की तुलना अधिक तेजी के साथ हो रहा है।
|