नौकरशाही उस व्यवस्था को कहते हैं जिसके अंतर्गत सरकारी कार्यों का संचालन एवं निर्देशन उन व्यक्तियों के हाथों में होता है जो प्रशासन द्वारा इस कार्य के लिए नियुक्त किये जाते हैं। ये कर्मचारी विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर नियुक्त किये जाते हैं। इस अवस्था में कार्य स्वयं ही निर्जीव मशीन की भाँति सोपान-विधि की सहायता से होता जाता है। ये कर्मचारी जनता की अपेक्षा अपने उच्च अधिकारियों के प्रति अधिक उत्तरदायी होते हैं। Show
नौकरशाही का अर्थनौकरशाही अंग्रेजी शब्द में ब्यूरोक्रेसी (Bureaucracy) का हिन्दी रूपान्तर है। ब्यूरोक्रेसी शब्द फ़्रांसीसी शब्द ब्यूरो (Bureau) से बना है, जिसका अर्थ है ‘‘मेज’’ या डेस्क (Desk) । मेज का यह अर्थ लिखने वाली मेज से है। इसीलिए ब्यूरोक्रेसी को फाइनर (Finer) ने मेज प्रशासन (Desk Government) कहकर सम्बोधित किया है। ब्यूरो का दूसरा अर्थ ‘‘पद’’ अथवा ‘‘पदस्थान’’ भी होता है। इससे स्वाभाविक तौर पर ब्यूरोक्रेसी का अर्थ होता है ‘‘अधिकारियों का शासन’’। अंग्रेजी के ‘‘ब्यूरोक्रेसी’’ के लिए हिन्दी में अनेक शब्दों का प्रयोग किया जाता है जैसे-नौकरशाही, सेवकतंत्र, अधिकारी, राज्य आदि। इन शब्दों में नौकरशाही ही सबसे अधिक प्रचलित है। नौकरशाही की परिभाषामैक्स वेबर- यह एक प्रकार का प्रशासकीय संगठन है, जिनमें विशेष योग्यता, निष्पक्षता तथा मनुष्यता का अभाव आदि लक्षण पाये जाते हैं। यदि मैक्स वेबर की परिभाषा की विवेचना करें तो ऐसा प्रतीत होता है कि इसमें निम्न तत्त्व सम्मिलित हैं: यह एक प्रकार की प्रशासनिक व्यवस्था है, इस प्रशासनिक व्यवस्था की निम्न विशेषताएँ हैं-
मैक्स वेबर ने आगे लिखा है कि ये तत्व लोक प्रशासन में ‘नौकरशाही सत्ता’ अथवा निजी उद्योगों में ‘नौकरशाही प्रबन्ध व्यवस्था’ का निर्माण करते हैं। उसने लिखा है कि इसमें निम्न विशेषताएँ और पायी जाती हैं।
लास्की-यह एक व्यवस्था है जिसका पूर्ण-रूपेण नियंत्रण अधिकारियों के हाथों में होता है और वे इतने स्वेच्छाचारी होते हैं कि उन्हें नागरिकों की निंदा करते समय भी शंका एवं हिचकिचाहट नहीं होती है। लास्की ने नौकरशाही की जो परिभाषा दी है, उससे इसकी निम्न विशेषताएँ स्पष्ट होती हैं:
बर्नार्ड शा-सत्ता के उपासक उच्च पदाधिकारियों की सामन्तशाही का दूसरा नाम नौकरशाही है। मोजर, विंफग्सले और स्टाल-यह (नौकरशाही) वह क्रमिक प्रशासन रचना है, जिसकी जटिल मशीन में प्रत्येक अधिकारी एक पुर्जे के समान है। इस संगठन में कोई भी वस्तु संयोग पर नहीं छोड़ी जाती है। पहले ही सभी संबंधों को परिभाषित कर दिया जाता है तथा यही सत्ता का त्रिकोणस्तूप (Pyramid) उत्तरदायित्व के स्तरों में क्षैतिज रूप से विभाजित किया जाता है। अतएव एक अर्थ में नौकरशाही संघठनाधार के ऊपर (Supra Organic) है। डीन पाल-इसको सामान्य तथा जटिल शर्तों के अन्तर्गत संयुक्त हुए अनेक व्यक्तियों के व्यवस्थित पारस्परिक कार्यों से पृथक नहीं किया जा सकता। विल्सन-विल्सन ने नौकरशाही की परिभाषा निम्न दो रूपों में की है:-
फिफनर-नौकरशाही एक नमूने पर कर्तव्यों तथा व्यक्तियों का व्यवस्थित संगठन है, जो सामूहिक प्रयत्नों के उद्देश्यों को सबसे अधिक प्रभावशाली ढंग से प्राप्त कर सकता है। नौकरशाही के प्रकारनौकरशाही को प्रमुख रूप से निम्न चार भागों से विभाजित किया जा सकता है-
1. जातिगत नौकरशाहीजातिगत नौकरशाही जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट होता है, इसका आधार जाति होती है। यह वह नौकरशाही है जिसमें विशिष्ट जाति के व्यक्ति को काम पर लगाया जाता है। व्यक्ति को काम के लिए चुनाव की योग्यता ‘जाति’ होती है। इस प्रकार की नौकरशाही का आधार एक जाति है-एक वर्ग-विशेष होता है। माक्र्स का विचार है कि यह उन लोगों के वर्गीय सम्बन्धों से पैदा होती है जो नियंत्रण के प्रमुख स्थानों पर होते हैं। इस प्रणाली में वही व्यक्ति अधिकारी हो सकते हैं जो उच्चतर जातियों या वर्गों में पैदा होते हैं। उदाहरण के लिए प्राचीन भारत में ब्राह्मण और क्षत्रिय ही अधिकारी हो सकते थे। माक्र्स ने लिखा है कि ऊँचे पदों के लिए ऐसी योग्यताएँ कर दी जाती हैं कि उसमें एक विशेष वर्ग को ही प्राथमिकता मिलती है। भारत में मुगल शासन में बाबर से लेकर औरंगजेब तक शासन जातिगत नौकरशाही के अंतर्गत ही था। 2. अभिभावक नौकरशाहीइस प्रकार की नौकरशाही में ऐसे विद्वानों का आधिपत्य होता है जो शास्त्रोक्त आचरण में दीक्षितय् होते हैं। इस प्रकार की पद्धति एक ओर न्यायपूर्ण, शुद्ध, कार्यवुफशल, दक्ष और उपकारी होती है तो दूसरी ओर अनुत्तरदायित्वपूर्ण और अधिकारपूर्ण भी होती है। अभिभावक नौकरशाही का एक उदाहरण दिया जा सकता है। 1640 से 1740 तक प्रशिया (Prussia) की लोक सेवा। 3. संरक्षक नौकरशाहीइस प्रकार की नौकरशाही को लूट-पद्धति के नाम से भी जाना जाता है। संरक्षक नौकरशाही का घर संयुक्त राज्य अमेरिका में रहा है। यद्यपि 17वीं शताब्दी के मद्य तक ‘यूनाइटेड विंफग’ में भी इसका बोलबाला था। इस प्रकार की नौकरशाही का बोलबाला वहाँ होता है, जहाँ सरकारी पद किसी व्यक्तिगत अनुग्रह या राजनैतिक पुरस्कार के रूप में प्राप्त होता है। माक्र्स ने इस प्रकार नौकरशाही को फ्प्रविधिक कुशलता की कमी, ढ़ीले अनुशासन, त्रुटिपूर्ण मार्ग, उत्साह में कमीय् आदि के कारण दोषी ठहराया है। 4. योग्यता नौकरशाहीनौकरशाही पद्धति का अन्तिम और चौथा प्रकार योग्यता-नौकरशाही है। इस प्रकार की नौकरशाही में कर्मचारियों की भर्ती व नियुक्ति उनकी योग्यता को देखते हुए की जाती है। योग्यता के परीक्षण के आधार-लिखित, मौखिक या उपाधि सम्बन्धी या तीनों ही हो सकते हैं। इसके आधार पर प्रतियोगी परीक्षाओं के द्वारा सेवाओं के लिए कुशल, सक्षम और योग्य कर्मचारियों की खोज की जाती है। दूसरे शब्दों में इसका प्रयत्न यह रहता है कि लोक सेवा के लिए सर्वोत्तम लोगों को भर्ती किया जाये, जिनके गुणों की माप समाज स्वीकृत मापदण्डों की सहायता से की जा सके। सभी सभ्य देशों में इस प्रकार की पद्धति का प्रचलन है। सरकारी नौकरी में नियुक्ति अब वर्ग-भेद सम्बन्धी विचारों पर आधारित है। अब यह भेंट और अनुग्रह भी नहीं रह गयी है और न ही सरकारी नौकर अब लोगों का स्वयं नियुक्ति अभिभावक ही हैं। आधुनिक युग में जबकि प्रजातंत्र का विकास होता जा रहा है इस प्रकार के अधिकारियों की दो विशेषताएँ हो गई हैं-
नौकरशाही की विशेषताएंप्रत्येक कार्य के निष्पादन हेतु कुछ विधियाँ पद्धतियाँ होती हैं। नौकरशाही भी एक प्रकार की प्रशासन की पद्धति है। इस पद्धति का निर्माण अधिकारियों के द्वारा होता है। नौकरशाही की परिभाषाओं से ही इसकी विशेषताओं का आभास होता है। इन्हीं परिभाषाओं आदि को ध्यान में रखते हुए इसकी निम्नलिखित विशेषताएँ प्रस्तुत की जा सकती हैं- 1. शासन संचालन की वैज्ञानिक पद्धति-प्राचीन समय से लेकर आधुनिक समय तक हम देखते हैं कि शासन का संचालन करने के लिए अनेकानेक पद्धतियाँ हैं। इन सभी पद्धतियों की भाँति नौकरशाही भी एक विशेष प्रकार की वैज्ञानिक पद्धति है। 2. विशिष्ट कर्तव्यों से परिपूर्ण-नौकरशाही के अन्तर्गत विभिन्न कर्मचारी, अधिकारी या पदाधिकारी होते हैं। ये सभी लोग मिलकर विशिष्ट संगठन का निर्माण करते हैं। इन पदाधिकारियों की मौलिक विशेषता यह है कि इन्हें एक विशिष्ट प्रकार के कर्तव्यों को पूरा करना पड़ता है। प्रत्येक पदाधिकारी के कर्तव्य पूर्व निश्चित और परिभाषित होते हैं। ये पदाधिकारी इन विशिष्ट कार्य-क्षेत्रों से बाहर नहीं जाते हैं और उसी की परिधि के अंदर चक्कर लगाते हैं। प्रत्येक प्रकार की अवस्था में पदाधिकारी अपने आचरण के लिए कार्यपालिका के प्रति उत्तरदायी होता है। प्रत्येक कर्मचारी कर्तव्यों के पालन में एक-दूसरे को सहयोग देते हैं। चाहे बड़ा से बड़ा अधिकारी क्यों न हो। 3. पद-सोपान पद्धति-अनेक प्रकार के अधिकारियों द्वारा नौकरशाही व्यवस्था का निर्माण किया जाता है। इन अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है। यह नियुक्ति पद-सोपान पद्धति के आधार पर होती है। इसमें सभी अधिकारियों के पद निश्चित होते हैं। वुफछ अधिकारियों का पद ऊँचा होता है, तो वुफछ अधिकारियों का पद नीचा होता है। प्रत्येक निम्न श्रेणी का अधिकारी अपने से ऊँची श्रेणी के लिए उत्तरदायी होता है। इसके साथ ही इन अधिकारियों के लिए जिन कर्त्तव्यों का प्रसारण होता है, वह ऊपर से नीचे की ओर होता है। प्रत्येक अधिकारी चाहे वह ऊँचे पद का हो या नीचे पद का, कानून के द्वारा जकड़ा रहता है। इसमें कार्यों का संचालन उचित माध्यम (Through Proper Channel) के द्वारा होता है। निम्नतम अधिकारी उच्चतम अधिकारी तक पहुँचने के लिए अनेक सोपान पार करता है। इसी प्रकार उच्चतम अधिकारी को निम्नतम अधिकारी तक पहुँचने में अनेक श्रेणियाँ पार करनी पड़ती हैं। इस पद-सोपान के बिना नौकरशाही अपंग हो सकती है। 4. कर्त्तव्यपालन के स्पष्ट आदेश-नौकरशाही पद्धति के अन्तर्गत ऐसी व्यवस्था की जाती है कि इस व्यवस्था से जुड़े प्रत्येक सदस्य अपने विशिष्ट कर्त्तव्यों का अच्छी तरह से पालन आवश्यक रूप से करें। इस पद्धति में प्रत्येक सदस्य को विशिष्ट कर्त्तव्यों का पालन हर-हालत में करना ही पड़ता है अन्यथा सदस्यों को पदच्युत कर दिया जाता है। कर्त्तव्यों के पालन के लिए सत्ता का स्पष्ट रूप से विभाजन किया जाता है। 5. व्यक्तित्व एवं स्वभाव में अन्तर-प्रशासनिक व्यवस्था हेतु निर्मित नौकरशाही पद्धति की खास विशेषता यह है कि यह दो प्रकार के मानव व्यक्तित्वों एवं मानव स्वभावों को जन्म देती है।
कर्मचारी या अधिकारी जब अपने दफ्रतर से बाहर रहता है तो उसका व्यक्तित्व दलीय रहता है। तब व्यक्तिगत विचारों को महत्व प्रदान किया जाता है। किन्तु कार्यालय में आने पर उस व्यक्ति का व्यक्तित्व सरकारी हो जाता है। ऐसा इसलिए किया गया है कि पदाधिकारी अपने व्यक्तिगत कार्यों में दलीय व्यक्तित्व का प्रयोग न कर पायें। 6. कागजी कार्यवाही को महत्व-प्रजातंत्र के युग में जहाँ लिखित संविधान की व्यवस्था हो, ऐसे देश में नौकरशाही के सारे कार्य कागजों पर होते हैं। व्यवहार में ये कार्य भले ही न हो अथवा देर से हों। इस कागजी कार्यवाही को ‘कागजी घोड़ा दौड़ाना’ भी कहा जाता है। इसका सीधा अर्थ यह है कि यथार्थ रूप में काम न होकर काम फाइलों में होता है और फाइलें एक टेबुल से दूसरी टेबुल में घूमती रहती हैं। इसका पहला कारण तो यह है कि कर्मचारी लगन, उत्साह और जिम्मेदारी से काम नहीं करते हैं। साथ ही, काम की मात्रा इतनी अधिक होती है कि इसके लिए पर्याप्त समय का अभाव होता है। उनके पास कितना भी महत्त्वपूर्ण निजी काम क्यों न हो, वे साधारण से सरकारी काम को प्राथमिकता देंगे। इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि ‘सरकारी व्यक्तित्व’ ‘निजी व्यक्तित्व’ पर हावी होता है। मौखिक या मुंह-जवानी बात को अधिकारी महत्व नहीं देते हैं। 7. व्यवस्थित दस्तावेज या अभिलेख-नौकरशाही पद्धति की यह भी एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है कि इसमें कर्मचारियों या अधिकारियों को अभिलेखों और दस्तावेजों पर अत्यधिक निर्भर रहना पड़ता है। इस पद्धति में पफाइलों, कागजों, अभिलेखों, लिखा-पढ़ी आदि को महत्व प्रदान किया जाता है। इन दस्तावेजों और अभिलेखों के अभाव में पदाधिकारी काम नहीं कर सकते हैं। 8. सिद्धान्त और व्यवहार में अन्तर-नौकरशाही की एक विशेषता यह भी है कि इसमें सिद्धान्त और व्यवहार में अन्तर पाया जाता है। कर्मचारी सिद्धान्त में जो आदर्श रखते हैं, वही व्यवहार में परिवर्तित हो जाते हैं। जो कर्मचारी सिद्धान्त में जनता के रक्षक कहलाते हैं, वे ही व्यवहारिक रूप में जनता के भक्षक बन जाते हैं। वस्तुत: नौकरशाही पद्धति के अन्तर्गत कर्मचारियों के ‘कथनी और करनी’ में भेद पाया जाता है। 9. योग्यता और कुशलता को महत्व-नौकरशाही में उन्हीं व्यक्तियों को स्थान दिया जाता है, जो कार्यकुशल और मेधावी होते हैं। पदाधिकारियों में इतनी कुशलता होनी चाहिए कि वे अपना काम तो व्यवस्थित तरीकों से करें ही साथ ही अपने आधीन पदाधिकारियों के कार्यों पर नियंत्रण रख सवेंफ एवं निरीक्षण कर सके। कार्यकुशल और मेधावी व्यक्ति वे होते हैं जो इसके लिए चुने जाते हैं। चाहे यह चुनाव आई.ए.एस. अधिकारी का हो या अन्य अधिकारियों का। 10. गोपनीयता-नौकरशाही व्यवस्था में सरकारी कार्यों की गोपनीयता को बनाये रखा जाता है। कोई भी पदाधिकारी सरकारी कार्यों की गोपनीयता को समाप्त नहीं कर सकता। 11. प्रशिक्षण-नौकरशाही पद्धति की अन्तिम विशेषता यह है कि इसमें भिन्न-भिन्न व्यक्तियों को भिन्न-भिन्न कार्यों का सम्पादन करना पड़ता है। कार्यों का सम्पादन अच्छी तरह से हो, इसके लिए कर्मचारियों को इस कार्य से सम्बन्धित प्रशिक्षण दिया जाता है। नौकरशाही के लाभनौकरशाही, किसी सरकार या राष्ट्र की रीढ़ होती है। सरकारें बदलती हैं, परंतु नौकरशाही अपने निर्धारित ढांचे में कार्यरत रहती है। नौकरशाही के लाभ इस प्रकार हैं-
नौकरशाही के दोषनौकरशाही के जहाँ लाभ हैं, वहाँ नौकरशाही के अनेक दोष भी हैं, जो इस प्रकार हैं-
नौकरशाही के ये दोष, अधिकारियों का स्वभाव बन जाते हैं। इसलिए ये दोष अनेक दोषों को जन्म देते हैं। इनको दूर करने के लिए ये उपाय किये जाने आवश्यक हैं-
Tags: Naukarshahi kya hai नौकरशाही से आप क्या समझते हैं स्पष्ट करें?किसी बड़ी संस्था या सरकार के परिचालन के लिये निर्धारित की गयी संरचनाओं एवं नियमों को समग्र रूप से अफसरशाही, नौकरशाही या ब्यूरोक्रैसी (bureaucracy) कहते हैं। तदर्थशाही (adhocracy) के विपरीत इस तंत्र में सभी प्रक्रियाओं के लिये मानक विधियाँ निर्धारित की गयी होती हैं और उसी के अनुसार कार्यों का निष्पादन अपेक्षित होता है।
नौकरशाही से आप क्या समझते हैं इसके गुण और दोष?नौकरशाही-व्यवस्था में कर्मचारियों की स्थिति निर्जीव मशीन के पुर्जे की तरह होती है, अतः वे रूढ़िवादी प्रवृत्ति के होते हैं और समाज की नवीन आवश्यकताओं एवं परिवर्तनों पर ध्यान नहीं देते. वे वास्तविकता से अपने को दूर रखते हैं. यही कारण है कि लोगों में उनके प्रति घृणा उत्पन्न हो जाती है.
समाजशास्त्र में नौकरशाही क्या है?नौकरशाही की उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि यह वह व्यवस्था है जहां सरकारी कार्यों का संचालन ऐसे व्यक्तियों के हाथो मे होता है जो विशेष प्रशिक्षण प्राप्त, कानूनों का अक्षरशः पालन करने वाले, विधानमंडल द्वारा पारित नियमों को श्रेष्ठ समझने वाले तथा जो जनहित से परे रहते है।
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