निकट दृष्टि और दूर दृष्टि में क्या अंतर है? - nikat drshti aur door drshti mein kya antar hai?

HomeSCIENCE (CLASS 6–8)निकट दृष्टि दोष और दूर दृष्टि दोष में अंतर / difference between myopia and hypermetropia

निकट दृष्टि दोष और दूर दृष्टि दोष में अंतर ( difference between myopia and hypermetropia)

निकट दृष्टि और दूर दृष्टि में क्या अंतर है? - nikat drshti aur door drshti mein kya antar hai?

निकट दृष्टि दोष और दूर दृष्टि दोष में अंतर

दृष्टि दोष का मतलब होता है देखने में कमी होना।

आंखों का काम वस्तुओं को देखना होता है और जब इसमें किसी प्रकार की कमी हो जाती है।

अर्थात कभी दूर का नहीं दिखाई देता कभी पास का नहीं दिखाई देता तो इसे दृष्टि दोष कहते हैं

आंखों में कई तरह के दृष्टि दोष होते हैं जिनमें प्रमुख निकट दृष्टि दोष दूर दृष्टि दोष तथा जरा दृष्टि दोष आदि आते है।

निकट दृष्टि दोष || मायोपिया || myopia || short sightedness

इस दोष में नेत्र निकट की वस्तुओं को तो स्पष्ट देख सकता है परंतु अधिक दूरी पर रखी वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है।

अर्थात नेत्र का दूर बिंदु अनंत पर न होकर कम दूरी पर आ जाता है यह दोष 10 से 16 वर्ष की आयु में होता है।

अतः समंजन क्षमता पूर्ण होने के कारण नेत्र का निकट बिंदु भी सामान्य नेत्र के निकट बिंदु (25 सेंटीमीटर) से कम दूरी पर आ जाता है।

निकट दृष्टि और दूर दृष्टि में क्या अंतर है? - nikat drshti aur door drshti mein kya antar hai?

निकट दृष्टि दोष के कारण || reason of myopia

(1) नेत्र लेंस की वक्रता बढ़ जाए जिससे उसकी फोकस दूरी कम हो जाए

(2) लेंस और रेटिना के बीच की दूरी बढ़ जाए अर्थात नेत्र के गोले का व्यास बढ़ जाए।

तब अनंत से चलने वाली किरणें नेत्र में अपवर्तन होकर बजाए रेटिना पर मिलने के रेटिना से पहले ही एक बिंदु पर मिल जाती हैं।अतः दूर पर रखी वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है।

निकट दृष्टि दोष के उपाय ||

इस दोष को दूर करने के लिए एक ऐसे अवतल लेंस के चश्मे का उपयोग किया जाता है।

जिससे अनंत पर रखी वस्तु से चलने वाली किरणें इस लेंस से निकलने पर नेत्र के दूर बिंदु से चली हुई प्रतीत हो तब यह किरणें नेत्र में अपवर्तन होकर रेटिना पर मिलती हैं।

जहां वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिंब बन जाता है इस प्रकार नेत्र को वस्तु स्पष्ट दिखाई देने लगती है

दूर दृष्टि दोष || hypermetropia || long sightedness

इस दोष में नेत्र को दूर की वस्तु में तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु पास की वस्तु में स्पष्ट नहीं दिखाई देती है।

अर्थात नेत्र का निकट बिंदु 25 सेंटीमीटर से अधिक दूर हो जाता है।

अतः जिस मनुष्य के नेत्र में है दोष होता है।उसे पढ़ते समय पुस्तक 25 सेंटीमीटर से अधिक दूर रखनी पड़ती है।

निकट दृष्टि और दूर दृष्टि में क्या अंतर है? - nikat drshti aur door drshti mein kya antar hai?

दूर दृष्टि दोष का कारण || reason of hypermetropia

(1) नेत्र लेंस की वक्रता कम हो जाए जिससे उसकी फोकस दूरी बढ़ जाए।

(2) लेंस तथा रेटिना के बीच की दूरी कम हो जाए।

अर्थात नेत्र के गोले का व्यास कम हो जाए तब अनंत अथवा दूर की वस्तुएं से आने वाली समांतर किरणें नेत्र में अपवर्थी तो कर बजाय रेटिना के रेटिना के पीछे मिलती हैं

दूर दृष्टि दोष के उपाय

इस दोष को दूर करने के लिए एक ऐसे उत्तल लेंस के चश्मे का प्रयोग किया जाता है।

ताकि दोषित  नेत्र से 25 सेंटीमीटर की दूरी पर रखी वस्तु चली किरणें इस लेंस से निकलने पर नेत्र के निकट बिंदु से आती हुई प्रतीत हो।

तब यह  नेत्र में अपवर्तित होकर रेटिना पर मिल जाती हैं और नेत्र को वस्तु स्पष्ट दिखाई देती है।

जरा दूर दृष्टिता

आयु में वृद्धि होने के साथ-साथ मानव नेत्र की समंजन क्षमता घट जाती है।

अधिकांश व्यक्तियों का निकट बिंदु दूर हट जाता है ऐसे व्यक्तियों को पास की वस्तुओं को देखने में कठिनाई होती है तथा दूर की वस्तु भी नही देख पाते इस दोष को जरा दूर दृष्टिता कहते हैं।

जरा दूर दृष्टिता का कारण

यह दोष मांस पेशियों के दुर्बल होने तथा नेत्र लेंस के लचीलापन में कमी आ जाने के कारण उत्पन्न होता है।

जरा दूर दृष्टिता का उपाय

इस दोष को दूर करने के लिए द्विफोक्सी लेंस (Bi focal lenses) का प्रयोग किया जाता है।

चश्मे का ऊपरी भाग अवतल लेंस होता है जो दूर की वस्तुओं को स्पष्ट देखने में सहायता करता है।

निकट दृष्टि दोष और दूर दृष्टि दोष में अंतर || difference between myopia and hypermetropia

निकट दृष्टि दोष
Myopia
दूर दृष्टि दोष
Hypermetropia
निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई देती है दूर की नहीं। दूर की वस्तु स्पष्ट दिखाई देती है पास की नहीं।
इस दोष में नेत्र लेंस की वक्रता बढ़ जाती है जिससे फोकस दूरी कम हो जाती है। नेत्र लेंस की वक्रता घट जाती है,जिससे फोकस दूरी बढ़ जाती है।
इस दोष में किरणें रेटिना के पहले ही प्रतिबिम्ब बना देती है। रेटिना के आगे बनाती है।
इसके उपाय में अवतल लेंस का प्रयोग किया जाता है। उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है।
सौजन्य

दोस्तों आज हम आपके लिए आंखों के दृष्टि दोष से सम्बंधित निकट दृष्टि दोष और दूर दृष्टि दोष में अंतर लेके आये है।

Hindiamrit.com आज आपको निकट दृष्टि दोष किसे कहते है,निकट दृष्टि दोष में कौन सा लेंस प्रयोग होता है,निकट दृष्टि दोष के कारण,निकट दृष्टि दोष का निवारण,दूर दृष्टि दोष किसे कहते है,दूर दृष्टि दोष का कारण,दूर दृष्टि दोष में कौन सा लेंस प्रयोग होता है,दूर दृष्टि दोष का निवारण आदि सभी बातों की जानकारी उपलब्ध कराएगा।

Contents

  • 1 निकट दृष्टि दोष और दूर दृष्टि दोष में अंतर
  • 2 निकट दृष्टि दोष || मायोपिया || myopia || short sightedness
  • 3 निकट दृष्टि दोष के कारण || reason of myopia
  • 4 निकट दृष्टि दोष के उपाय ||
  • 5 दूर दृष्टि दोष || hypermetropia || long sightedness
  • 6 दूर दृष्टि दोष का कारण || reason of hypermetropia
  • 7 दूर दृष्टि दोष के उपाय
  • 8 जरा दूर दृष्टिता
    • 8.1 जरा दूर दृष्टिता का कारण
    • 8.2 जरा दूर दृष्टिता का उपाय
  • 9 निकट दृष्टि दोष और दूर दृष्टि दोष में अंतर || difference between myopia and hypermetropia

निकट दृष्टि दोष और दूर दृष्टि दोष में अंतर

दृष्टि दोष का मतलब होता है देखने में कमी होना।

आंखों का काम वस्तुओं को देखना होता है और जब इसमें किसी प्रकार की कमी हो जाती है।

अर्थात कभी दूर का नहीं दिखाई देता कभी पास का नहीं दिखाई देता तो इसे दृष्टि दोष कहते हैं।

आंखों में कई तरह के दृष्टि दोष होते हैं जिनमें प्रमुख निकट दृष्टि दोष दूर दृष्टि दोष तथा जरा दृष्टि दोष आदि आते है।

हमें निकट दृष्टि दोष और दूर दृष्टि दोष में अंतर जानने से पहले यह जान लेना चाहिए कि निकट दृष्टि दोष किसे कहते हैं, दूर दृष्टि दोष किसे कहते हैं, इनके क्या कारण हैं तथा इनका किस तरह से इलाज संभव है।

निकट दृष्टि दोष || मायोपिया || myopia || short sightedness

इस दोष में नेत्र निकट की वस्तुओं को तो स्पष्ट देख सकता है परंतु अधिक दूरी पर रखी वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है।

अर्थात नेत्र का दूर बिंदु अनंत पर न होकर कम दूरी पर आ जाता है यह दोष 10 से 16 वर्ष की आयु में होता है।

अतः समंजन क्षमता पूर्ण होने के कारण नेत्र का निकट बिंदु भी सामान्य नेत्र के निकट बिंदु (25 सेंटीमीटर) से कम दूरी पर आ जाता है।

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निकट दृष्टि दोष के कारण || reason of myopia

(1) नेत्र लेंस की वक्रता बढ़ जाए जिससे उसकी फोकस दूरी कम हो जाए

(2) लेंस और रेटिना के बीच की दूरी बढ़ जाए अर्थात नेत्र के गोले का व्यास बढ़ जाए।

तब अनंत से चलने वाली किरणें नेत्र में अपवर्तन होकर बजाए रेटिना पर मिलने के रेटिना से पहले ही एक बिंदु पर मिल जाती हैं।अतः दूर पर रखी वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है।

निकट दृष्टि दोष के उपाय ||

इस दोष को दूर करने के लिए एक ऐसे अवतल लेंस के चश्मे का उपयोग किया जाता है।

जिससे अनंत पर रखी वस्तु से चलने वाली किरणें इस लेंस से निकलने पर नेत्र के दूर बिंदु से चली हुई प्रतीत हो तब यह किरणें नेत्र में अपवर्तन होकर रेटिना पर मिलती हैं।

जहां वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिंब बन जाता है इस प्रकार नेत्र को वस्तु स्पष्ट दिखाई देने लगती है

दूर दृष्टि दोष || hypermetropia || long sightedness

इस दोष में नेत्र को दूर की वस्तु में तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु पास की वस्तु में स्पष्ट नहीं दिखाई देती है।

अर्थात नेत्र का निकट बिंदु 25 सेंटीमीटर से अधिक दूर हो जाता है।

अतः जिस मनुष्य के नेत्र में है दोष होता है।उसे पढ़ते समय पुस्तक 25 सेंटीमीटर से अधिक दूर रखनी पड़ती है।

निकट दृष्टि और दूर दृष्टि में क्या अंतर है? - nikat drshti aur door drshti mein kya antar hai?
दूर दृष्टि दोष, hypermetropia,long sightedness

दूर दृष्टि दोष का कारण || reason of hypermetropia

(1) नेत्र लेंस की वक्रता कम हो जाए जिससे उसकी फोकस दूरी बढ़ जाए।

(2) लेंस तथा रेटिना के बीच की दूरी कम हो जाए।

अर्थात नेत्र के गोले का व्यास कम हो जाए तब अनंत अथवा दूर की वस्तुएं से आने वाली समांतर किरणें नेत्र में अपवर्थी तो कर बजाय रेटिना के रेटिना के पीछे मिलती हैं

दूर दृष्टि दोष के उपाय

इस दोष को दूर करने के लिए एक ऐसे उत्तल लेंस के चश्मे का प्रयोग किया जाता है।

ताकि दोषित  नेत्र से 25 सेंटीमीटर की दूरी पर रखी वस्तु चली किरणें इस लेंस से निकलने पर नेत्र के निकट बिंदु से आती हुई प्रतीत हो।

तब यह  नेत्र में अपवर्तित होकर रेटिना पर मिल जाती हैं और नेत्र को वस्तु स्पष्ट दिखाई देती है।

जरा दूर दृष्टिता

आयु में वृद्धि होने के साथ-साथ मानव नेत्र की समंजन क्षमता घट जाती है।

अधिकांश व्यक्तियों का निकट बिंदु दूर हट जाता है ऐसे व्यक्तियों को पास की वस्तुओं को देखने में कठिनाई होती है तथा दूर की वस्तु भी नही देख पाते इस दोष को जरा दूर दृष्टिता कहते हैं।

जरा दूर दृष्टिता का कारण

यह दोष मांस पेशियों के दुर्बल होने तथा नेत्र लेंस के लचीलापन में कमी आ जाने के कारण उत्पन्न होता है।

जरा दूर दृष्टिता का उपाय

इस दोष को दूर करने के लिए द्विफोक्सी लेंस (Bi focal lenses) का प्रयोग किया जाता है।

चश्मे का ऊपरी भाग अवतल लेंस होता है जो दूर की वस्तुओं को स्पष्ट देखने में सहायता करता है।

नीचे का भाग उत्तल लेंस होता है। जो पास की वस्तुओं को देखने में सहायता करता है।

निकट दृष्टि दोष
Myopia
दूर दृष्टि दोष
Hypermetropia
निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई देती है दूर की नहीं। दूर की वस्तु स्पष्ट दिखाई देती है पास की नहीं।
इस दोष में नेत्र लेंस की वक्रता बढ़ जाती है जिससे फोकस दूरी कम हो जाती है। नेत्र लेंस की वक्रता घट जाती है,जिससे फोकस दूरी बढ़ जाती है।
इस दोष में किरणें रेटिना के पहले ही प्रतिबिम्ब बना देती है। रेटिना के आगे बनाती है।
इसके उपाय में अवतल लेंस का प्रयोग किया जाता है। उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है।

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निकट दृष्टि दोष दूर दृष्टि दोष में क्या अंतर है?

Solution : दूर दृष्टि दोष में व्यक्ति को पास की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है क्योंकि वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे बनता है। जबकि निकट दृष्टि दोष में व्यक्ति को दूर की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है क्योंकि वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना से पूर्व ही बन जाता है।

निकट दृष्टि दोष का दूसरा नाम क्या है?

निकट दृष्टि दोष को चिकित्सीय भाषा में मायोपिया कहते हैं, इसमें दूर की चीजों को स्पष्ट रूप से देखने में परेशानी आती है। मायोपिया में आंख की पुतली (आई बॉल) का आकार बढ़ने से प्रतिबिंब रेटिना पर बनने के बजाय थोड़ा आगे बनता है।

दूर दृष्टि का दूसरा नाम क्या है?

दूरदृष्टि-दोष से पीड़ित व्यक्ति दूर की वस्तुओं को स्पष्ट देख सकता है, लेकिन उसे निकट की वस्तुओं पर फ़ोकस करने में परेशानी होती है। इस अवस्था को हाइपरमेट्रोपिया भी कहते हैं।

निकट दृष्टि दोष कब होता है?

निकट-दृष्टि दोष या निकट-दर्शिता दृष्टि की अपवर्तन दोष है जिसमें कुछ मीटर निकट रखी वस्तुएँ स्पष्ट दिखती हैं किन्तु दूर की वस्तुएँ सुस्पष्ट नहीं दिखाई देती। नेत्रों में यह दोष उत्पन्न होने का कारण प्रकाश की समान्तर किरणपुंज आँख द्वारा अपवर्तन के बाद दृष्टि पटल पर न बनाकर उसके सामने ही प्रतिबिम्ब बना देना है।