Show अनुनासिक और निरनुनासिक शब्द और इनकी वर्तनी || अनुनासिक और निरनुनासिक में अंतर
अनुनासिक'अनुनासिक' शब्द का विश्लेषण करने पर 'अनु' और 'नासिक' इन दोनों शब्दों से यह शब्द संयुक्त हुआ है। यहाँ 'अनु' एक उपसर्ग है जो 'नासिक' शब्द के पूर्व लगा है। नीचे 'अनु' और 'नासिक' दोनों शब्दों का अलग-अलग अर्थ समझते हैं। 'अनु' का अर्थ - 'अनु' का अर्थ होता है 'अनुगामी होना' अनुसरण करना, पीछे आना या चलना। 'नासिक' का अर्थ - नासिक संज्ञा शब्द है, जिसका सीधा सा अर्थ नाक से है। अतः नासिक का शाब्दिक अर्थ होगा नाक के द्वारा या नाक से। इस तरह संयुक्त रूप से अनुनासिक का अर्थ इस तरह होगा। अनुनासिक का अर्थ - अनुनासिक का शाब्दिक अर्थ देखा जाए तो नाक का अनुगामी होना या नाक से प्रवाहित होना होगा। जब किसी शब्द के उच्चारण की प्रक्रिया में वायु नासा-द्वार एवं मुख दोनों से बाहर प्रवाहित हो (निकले) तब ऐसी वर्तनी को अनुनासिक कहा जाता है। उदाहरण- आँख, माँ, पहुँच, दाँत, मुँह, कहाँ, स्त्रियाँ आदि शब्दों की वर्तनी करने पर वायु मुँह और नासा द्वारा दोनों से बाहर की ओर प्रभावित होती है। अनुनासिक की मात्रा (चिह्न) - उपरोक्त उदाहरण में हमने देखा आँख, माँ, पहुँच, दाँत, मुँह, कहाँ, स्त्रियाँ आदि शब्दों में लगा चिन्ह ( ँ ) अनुनासिक है। जहाँ कहीं उच्चारण में वायु नाक से प्रभावित हो वहाँ इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। अनुनासिक के लिए केवल बिन्दु का प्रयोगहिन्दी में बहुत से ऐसे शब्द हैं। जहाँ पर उच्चारण में अनुनासिक महसूस होता है किन्तु लेखन में केवल बिन्दी ( ं ) ही लगी होती है। जैसे - 'गायें', 'जायें', 'में', 'कहीं', 'पुस्तकें' आदि में वर्तनी अनुनासिक की होती है किन्तु इन शब्दों में केवल बिन्दी का ही प्रयोग किया गया है। इस हेतु एक नियम है, जब किसी शब्द में मात्रा शिरोरेखा के ऊपर लगी हो जैसे- (इ, ई, ए, ऐ, ओ, औ की मात्राएँ) और वहाँ अनुनासिक का प्रयोग होता हो तो केवल बिन्दु (ं) लगाई जाती है चन्द्र (ऑ) का प्रयोग नहीं किया जाता है। ध्वनि एवं
वर्णमाला से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। निरनुनासिकनिरनुनासिक शब्द में 'अनुनासिक' शब्द के पूर्व 'निर्' उपसर्ग का प्रयोग हुआ है और 'निर्' का अर्थ होता है 'हीन' या 'के बिना'। इस तरह है हम कह सकते हैं ऐसा उच्चारण जो बिना नाक की सहायता से अर्थात नाक से वायु प्रवाहित न हो केवल मुँह से हो। तो ऐसी वर्तनी को निरनुनासिक कहा जाता है। अतः निरनुनासिक का पूरा अर्थ होगा ऐसा उच्चारण जो नाक से न होते हुए केवल मुँह से हो। उदाहरण- 'आप', 'वह', 'पेड़', 'कलम', 'बिल्ली', 'भोपाल' आदि। ये ऐसे शब्द हैं जिनका उच्चारण करते समय वायु केवल मुख से बाहर निकलती है, नाक से नहीं। अतः ऐसे समस्त शब्द जिनका उच्चारण करते समय वायु केवल मुख से बाहर निकले हुए सभी निरनुनासिक शब्द होते हैं। हिन्दी भाषा के इतिहास से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। I hope the above information will be useful and important. Watch video for related information
Free हिन्दी वर्णमाला सरल टेस्ट 10 Questions 10 Marks 10 Mins दिए गये विकल्पों में ‘गाँव’ में अनुनासिक का सही प्रयोग किया गया है। अतः सही विकल्प 'गाँव' है। Key Points अनुनासिक स्वरों के उच्चारण में मुँह से अधिक तथा नाक से बहुत कम साँस निकलती है। इन स्वरों पर चन्द्रबिन्दु (ँ) का प्रयोग होता है जो कि शिरोरेखा के ऊपर लगता है। जैसे - आँख, माँ, गाँव आदि। अन्य विकल्प दिए गये अन्य विकल्पों में त्रुटि है, इन सभी का शुद्ध रूप अनुस्वार के प्रयोग से है। कंबल, पंख तथा वेदांत अनुस्वार : अनुस्वार स्वर के बाद आने वाला व्यंजन है। इसकी ध्वनि नाक से निकलती है। हिंदी भाषा में बिंदु अनुस्वार (ं) का प्रयोग विभिन्न जगहों पर होता है। Last updated on Nov 3, 2022 SSC JHT Paper II Revised Exam Date Out on 23rd November 2022. Paper II will be held on 11th December 2022 instead of 4th December 2022. Earlier, SSC JHT Final Answer Key had been released on 16th November 2022. This is with reference to Paper I. The final answer keys will be available till 30th November 2022 on the official website. The SSC JHT selection process includes Paper I (CBT) and Paper II (Descriptive). Candidates should practice through SSC JHT Previous Year Papers to analyze the important questions for the exam. The candidates who will clear the exam will get a salary range between Rs. 35,400/- to Rs. 14,2400/- निम्न में अनुनासिक शब्द कौन सा है?अनुनासिक स्वर
जिन स्वरों के उच्चारण में मुख के साथ-साथ नासिका (नाक) की भी सहायता लेनी पड़ती है,अर्थात् जिन स्वरों का उच्चारण मुख और नासिका दोनों से किया जाता है वे अनुनासिक कहलाते हैं। हँसना, आँख, ऊँट, मैं, हैं, सरसों, परसों आदि में चन्द्रबिन्दु या केवल बिन्दु आया है वह अनुनासिक है।
अनुनासिकता का क्या अर्थ है?अनुनासिकीकरण या अनुनासिकता (nasalization) का अर्थ है किसी भी व्यंजन की ध्वनि मुख से निकालने की बजाय नाक से निकालना। जैसे कि "क" वर्ण को नाक के माध्यम से उच्चारित किया जाए तो ये "कं" की ध्वनि अपने आप ही देने लगेगा।
अनुस्वार का उदाहरण क्या है?अनुस्वार एक उच्चारण की मात्रा है जो अधिकांश भारतीय लिपियों में प्रयुक्त होती है। इससे अक्सर ं जैसी ध्वनि नाक के द्वारा निकाली जाती है, अतः इसे नसिक या अनुनासिक कहते हैं। इसको कभी-कभी म (और अन्य) अक्षरों द्वारा भी लिखते हैं। जैसे: कंबल ~ कम्बल; इंफाल ~ इम्फाल इत्यादि।
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