नॉर्मल डिलीवरी कैसे हो सकती है? - normal dileevaree kaise ho sakatee hai?

नॉर्मल डिलीवरी कैसे हो सकती है? - normal dileevaree kaise ho sakatee hai?

कई मह‍िलाओं को बीमार‍ियों, इंफेक्‍शन या क‍िसी अन्‍य वजह के चलते पहली ही ड‍िलीवरी में ऑपरेशन की प्रक्र‍िया से गुजरना पड़ता है ऐसे में उनके मन में सवाल उठता है क‍ि क्‍या दूसरी ड‍िलीवरी भी स‍िजेर‍ियन ही होगी या दूसरी बार नॉर्मल ड‍िलीवरी हो सकती है। मेड‍िकल टर्म में इसे वीबीएसी यानी वजाइनल बर्थ ऑफ्टर स‍िजेर‍ियन के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं क्‍या है ये प्रक्रि‍या है और कौन इसे अपना सकता है। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के झलकारीबाई अस्‍पताल की गाइनोकॉलोजि‍स्‍ट डॉ दीपा शर्मा से बात की। 

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नॉर्मल डिलीवरी कैसे हो सकती है? - normal dileevaree kaise ho sakatee hai?
 

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क्‍या सिजेरियन के बाद दूसरी ड‍िलीवरी नॉर्मल हो सकती है? (VBAC in hindi)

ज‍िन मह‍िलाओं को पहला बेबी स‍िजेर‍ियन यानी ऑपरेशन के जर‍िए हुआ है उनके मन में सवाल आता है क‍ि क्‍या दूसरे बच्‍चा के समय भी उन्‍हें ऑपरेशन की प्रक्र‍िया से गुजरना होगा। आपको बता दें क‍ि ये मुमक‍िन है और ये एक तरह का मेड‍िकल टर्म भी है ज‍िसे हम वीबीएसी के नाम से जानते हैं यानी वजाइनल बर्थ ऑफ्टर स‍ि‍जेर‍ियन। सी-सेक्‍शन के बाद दूसरी ड‍िलीवरी नॉर्मल हो सकती है। ऐसा जरूरी नहीं है क‍ि पहली ड‍िलीवरी अगर ऑपरेशन से हुई है तो दूसरे बच्‍चे के समय भी यही प्रक्र‍िया दोहराई जाएगी। अगर गर्भवती मह‍िला स्‍वस्‍थ्‍य है तो डॉक्‍टर स‍िजेर‍ियन के बाद भी नॉर्मल ड‍िलीवरी की सलाह दे सकते हैं। 

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वीबीएसी प्रक्र‍िया क्‍या है? (Vaginal birth after cesarean in hindi)

वजाइनल बर्थ ऑफ्टर स‍ि‍जेर‍ियन यानी वीबीएस एक प्रक्र‍िया है ज‍िसका मतलब है पहली ड‍िलीवरी स‍िजेर‍ियन होने के बाद दूसरी नॉर्मल होना। डॉक्‍टर ज‍िन मरीजों को वीबीएसी की सलाह देते हैं केवल उन्‍हें ही इसे अपनाने के ल‍िए कहा जाता है। अगर आपका शरीर हेल्‍दी है और कोई जोख‍िम नहीं है तो ही आप इस प्रक्र‍ि‍या से गुजर सकती हैं।   

वीबीएसी में संक्रमण का खतरा कम होता है     

अगर आप स‍िजेर‍ियन के बाद दूसरी बार नॉर्मल ड‍िलीवरी की प्रक्रि‍या से गुजर रही हैं तो आपको बता दें क‍ि इससे आपको संक्रमण का खतरा भी कम होगा। वीबीएसी के चलते आपको सी-सेक्‍शन की प्रक्रि‍या से भी बचा जा सकता है। ज‍िन मह‍िलाओं के दो से अध‍िक बच्‍चे होते हैं उनके ल‍िए वीबीएसी फायदेमंद है। वीबीएसी प्रक्र‍िया में जान का खतरा भी कम होता है और भव‍िष्‍य में प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली समस्‍याओं से बचा जा सकता है।   

स‍िजेर‍ियन के बाद नॉर्मल ड‍िलीवरी क‍ितनी सेफ है?

नॉर्मल डिलीवरी कैसे हो सकती है? - normal dileevaree kaise ho sakatee hai?

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ये प्रक्र‍िया सेफ है, आपको इसके जर‍िए संक्रमण का खतरा भी कम होता है। ज‍िन मह‍िलाओं ने पहले स‍िजेर‍ियन करवाया है और अब सामान्‍य प्रसव करवा रही हैं उनमें सेफ ड‍िलीवरी की उम्‍मीद 60 से 70 प्रत‍िशत होती है।  

ज्‍यादा उम्र की मह‍िलाएं नहीं अपना सकतीं वीबीएसी प्रक्र‍िया 

अगर आपकी उम्र ज्‍यादा है तो नॉर्मल ड‍िलीवरी की संभावना कम हो जाती है। अगर आपका पहला प्रसव स‍िजेर‍ियन हुआ है और दूसरे प्रसव के समय आपकी उम्र ज्‍यादा है तो आपको डॉक्‍टर नॉर्मल ड‍िलीवरी करवाने की सलाह नहीं देंगे। आपको दोबारा भी स‍िजेर‍ियन ही करवाना पड़ेगा इसके अलावा जो मह‍िलाएं मोटापे का श‍िकार हो जाती हैं उन्‍हें भी डॉक्‍टर वीबीएसी प्रक्र‍िया की सलाह नहीं देते। ज‍िन मह‍िलाओं को डायब‍िटीज, थायराइड, हाइपरटेंशन जैसी गंभीर समस्‍या होती है उन्‍हें भी वीबीएसी प्रक्र‍िया में शाम‍िल नहीं क‍िया जाता है।  

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वीबीएसी की सलाह कब दी जाती है? (Are you eligible for VBAC) 

  • अगर पहले केवल एक ही बार स‍िजेर‍ियन करवाया है तो आप वीबीएसी करवा सकती हैं।
  • अगर सर्जरी का न‍िशान या गर्भाशय  फटने जैसा कोई न‍िशान नहीं है तो ही वीबीएसी करवा सकते हैं।
  • अगर गर्भाशय ग्रीवा 3 सेमी या उससे बड़ा है तो ही नॉर्मल ड‍िलीवरी के ल‍िए कहा जाता है।    
  • अगर आपकी बॉडी हेल्‍दी है तो ही आपको डॉक्‍टर वीबीएसी की सलाह देते हैं।  

जरूरी नहीं है क‍ि स‍िजेर‍ियन के बाद दूसरी बार भी यही प्रक्र‍िया को अपनाया जाएगा पर डॉक्‍टर की सलाह पर आपकी नॉर्मल ड‍िलीवरी हो सकती है।   

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In this article

  • सिजेरियन और नाॅर्मल डिलीवरी के बीच क्या अंतर है?
  • नाॅर्मल डिलीवरी या सिजेरियन ऑपरेशन में से क्या बेहतर है?
  • नाॅर्मल डिलीवरी में ज्यादा दर्द होता है या सिजेरियन डिलीवरी में?
  • अगर गर्भनाल शिशु की गर्दन में लिपटी हो तो नाॅर्मल डिलीवरी होगी या सी-सेक्शन?
  • सिजेरियन ऑपरेशन के बाद मेरे शिशु के लिए क्या जोखिम हैं?
  • क्या सी-सेक्शन डिलीवरी के बाद माँ के लिए कोई खतरे हैं?
  • क्या सी-सेक्शन डिलीवरी से गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं?
  • सी-सेक्शन डिलीवरी के क्या फायदे हैं?
  • नाॅर्मल डिलीवरी में ज्यादा टांके लगते हैं या फिर सी-सेक्शन में?
  • क्या सिजेरियन डिलीवरी से उबरने में ज्यादा समय लगता है?
  • क्या सीजर ऑपरेशन की वजह से भविष्य की गर्भावस्थाओं पर असर पड़ता है?
  • सिजेरियन डिलीवरी से बचने के लिए मैं क्या कर सकती हूं?

क्या आपके मन में भी यह सवाल और दुविधा है कि सिजेरियन और नॉर्मल डिलीवरी में से कौन सी बेहतर है? आपके लिए किस तरह की डिलीवरी सुरक्षित होगी यह बहुत सी बातों पर निर्भर करता है जैसे कि आपका चिकित्‍सकीय इतिहास, गर्भस्‍थ शिशु की सेहत और स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी अन्‍य कोई परेशानी। अगर गर्भावस्‍था या प्रसव सबंधी कोई जटिलताएं नहीं हैं तो सिजेरियन डिलीवरी की बजाय नॉर्मल डिलीवरी करवाना ज्‍यादा सुरक्षित विकल्‍प है। हालांकि कुछ मामलों में सिजेरियन ऑपरेशन करवाना जरूरी और यहां तक कि जीवन रक्षक विकल्‍प हो सकता है। बहरहाल सी-सेक्‍शन ऑपरेशन पेट का एक बडा ऑपरेशन होता है, इसलिए इससे आपके और शिशु के लिए जटिलाएं होने की संभावना बढृ सकती है। इसलिए बेहतर है कि बिना किसी चिकित्सकीय कारण के नॉर्मल डिलीवरी की बजाय सी-सेक्शन डिलीवरी करवाने का विकल्‍प न चुनें।

सिजेरियन और नाॅर्मल डिलीवरी के बीच क्या अंतर है?

योनि के जरिये होने वाला सामान्‍य प्रसव शिशु के जन्‍म दिलवाने की प्राकतिक प्रक्रिया है। आपकी ग्रीवा पतली होकर खुलती है और आपका गर्भाशय संकुचित होकर शिशु को नीचे प्रसव नलिका में धकेलता है और वह योनि से बाहर आता है।

सिजेरियन ऑपरेशन या सी सेक्‍शन शिशु को जन्‍म दिलावाने की सर्जिकल प्रक्रिया है। इसमें शिशु का जन्‍म योनि कि बाजाय मां के पेट में चीरा लगाकर करवाया जाता है। यह पेट का एक बड़ा ऑपरेशन होता है। सिजेरियन ऑपरेशन दो तरह का हो सकता है

  • पूर्वनियोजित सी-सेक्‍शन
  • आपातकाल सी-सेक्‍शन

नाॅर्मल डिलीवरी या सिजेरियन ऑपरेशन में से क्या बेहतर है?

इस सवाल का कोई जवाब नहीं है क्‍योंकि यह बात कई कारकों पर निर्भर करती है।

हालांकि, सिजेरियन ऑपरेशन एक आम प्रकिया है, मगर यह एक बड़ा ऑपरेशन होता है और इसीलिए इसमें कुछ जोखिम भी होते हैं। यही वजह है कि जब तक चिकित्सकीय कारणों से सिजेरियन करना जरुरी न हो, तब तक डॉक्टर इसकी सलाह नहीं देते।

यदि आपकी गर्भावस्था या प्रसव में कोई जटिलता नहीं है, तो नॉर्मल डिलीवरी से शिशु को जन्म देना सिजेरियन ऑपरेशन की तुलना में अधिक सुरक्षित होता है। यह बात केवल आपकी पहली प्रेग्नेंसी में लागू नहीं होती, बल्कि आगे की गर्भावस्थाओं के लिए भी यह सच है। भविष्य में आपकी प्रजनन क्षमता के लिए भी योनि के जरिये प्रसव बेहतर रहता है।

कई बार माँ या शिशु की जान बचाने के लिए सिजेरियन ऑपरेशन करना जरुरी होता है। ऐसे मामलों में निस्संदेह सिजेरियन डिलीवरी का विकल्प ही आपके और आपके शिशु के लिए सबसे सुरक्षित है।

यदि आपका प्रसव प्रेरित किया गया था, और यह आगे न बढ़ रहा हो तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर आपको सी-सेक्शन करवाने की सलाह दे सकती हैं। वे यह निर्णय आपकी स्थिति का जायजा लेने के बाद ही लेंगी। वे यह देखेंगी कि आपका शिशु स्थिति का सामना कितने बेहतर ढंग से कर पा रहा है। प्रसव के दौरान शिशु के दिल की धड़कन पर नजर रखकर डॉक्टर यह जान पाती हैं कि गर्भ में शिशु की स्थिति कैसी है।

कुछ मामलों में डॉक्टर प्रसव प्रेरित करवाने या सिजेरियन डिलीवरी करवाने का निर्णय आप पर छोड़ सकती हैं। प्रसव प्रेरित करवाने की स्थिति में डिलीवरी के दौरान उपकरणों की सहायता जैसे कि फोरसेप्स या वैक्यूम डिलीवरी की जरुरत पड़ सकती है, और इनके अपने जोखिम होते हैं। इसलिए आप और आपकी डॉक्टर को इन जोखिमों की तुलना सिजेरियन डिलीवरी के जोखिमों से करनी होगी और फिर निर्णय लेना होगा।

कई बार स्थिति ऐसी होती है कि कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया जा सकता। ऐसे में आप और आपकी डॉक्टर को सिजेरियन डिलीवरी के फायदे और नुकसान के बारे में चर्चा करनी होगी और निर्णय लेना होगा कि आपके लिए क्या सही रहेगा।

हो सकता है अपनी ड्यू डेट से काफी पहले आपको इस बारे में निर्णय लेने का समय मिल जाए या फिर संभव है कि प्रसव के दौरान आपको यह फैसला लेना हो। इसलिए आपको सभी फायदे और नुकसान के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए, ताकि आप उसके अनुसार खुद को तैयार कर सकें।

आपकी सामान्य सेहत और जीवनशैली भी इस निर्णय को प्रभावित करेगी। आपको सिजेरियन ऑपरेशन के बाद जटिलताएं होने का उच्च खतरा रहता है, यदि:

  • आपका वजन सामान्य से ज्यादा है
  • आपके पेट पर पहले भी कोई ऑपरेशन हो चुका है
  • आपके साथ पहले से ही कोई स्वाथ्य स्थिति है, जैसे कि हृदय रोग आदि।

नाॅर्मल डिलीवरी में ज्यादा दर्द होता है या सिजेरियन डिलीवरी में?

प्रसव का दर्द कैसा होता है इसे तब तक समझा नहीं जा सकता जब तक आपने खुद शिशु का जन्म न दिया हो - गर्भावस्था की तरह ही, हर महिला का प्रसव का अनुभव भी अलग होता है।

आपने प्रसव पीड़ा के बारे में बहुत कुछ सुन रखा होगा, मगर सिजेरियन डिलीवरी का मुख्य नकारात्मक पहलू ऑपरेशन के बाद होने वाला दर्द है - आॅपरेशन के दौरान होने वाला नहीं।

ऑपरेशन के बाद शायद कुछ घंटों तक आपको ड्रिप लगी रहेगी, ताकि आपको जरुरत के अनुसार दर्दनिवारक दवाएं दी जा सकें।

ऑपरेशन के बाद शुरुआती कुछ दिनों तक आपको चीरे के घाव में दर्द रहेगा और पहले एक-दो हफ्ते तक पेट पर असहजता महसूस होगी। धीरे-धीरे आपका शरीर ऑपरेशन से उबरता है।

ऑपरेशन के बाद कुछ समय तक आपको दर्द निवारक दवाएं लेनी होंगी। नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में सी-सेक्शन से उबरने में ज्यादा समय लगता है।

कुछ महिलाओं को सिजेरियन के बाद बहुत तेज सिरदर्द होता है। पीठ के निचले हिस्से में एपिड्यूरल या स्पाइनल लगने वाली जगह पर और गर्दन में भी दर्द रहता है। यदि आपको कोई दर्द हो तो इस बारे में डॉक्टर को बताएं। वे आपकी दवाओं में बदलाव करके आपको राहत दिलाने का प्रयास कर सकती हैं।

बहुत सी माँएं प्रसव पीड़ा से बचने के लिए सिजेरियन करवाना चाहती हैं, मगर यह ध्यान रखें कि नॉर्मल डिलीवरी में होने वाला दर्द आमतौर पर कम अवधि के लिए होता है, जबकि सिजेरियन के बाद काफी समय तक दर्द रहता है।

सी-सेक्शन डिलीवरी का असर ​कुछ समय तक आपके रोजमर्रा के काम पर भी पड़ सकता है। कुछ महिलाओं को ऑपरेशन के कुछ महीनों बाद तक भी पेट पर असहजता रह सकती है।

अगर गर्भनाल शिशु की गर्दन में लिपटी हो तो नाॅर्मल डिलीवरी होगी या सी-सेक्शन?

यह स्थिति पर निर्भर करता है।

अगर शिशु की गर्भनाल उसकी गर्दन के चारों तरफ लिपट जाती है (न्यूकल काॅर्ड ) तो शायद आपको पता चलने से पहले ही डाॅक्टर इस मामले को सुलझा लेंगी। यह स्थिति काफी आम है और इससे आपको या शिशु को कोई नुकसान पहुंचने की संभावना काफी कम होती है।

न्यूकल काॅर्ड अक्सर जन्म के दौरान बिना किसी दिक्कत के आसानी से निकल जाती है। हालांकि, यदि डाॅक्टर को शिशु गर्दन के चारों तरफ काॅर्ड लिपटी होने का पता तब चले जब जन्म के दौरान शिशु का सिर बाहर आ चुका हो तो वे इसे आसानी से ठीक कर लेंगी। वे गर्भनाल को थोड़ा ढीला करेंगी ताकि उसके कंधे इससे बाहर निकल सकें या वे इसे उसके सिर से निकाल देंगी।

दो ऐसी दुर्लभ स्थितियां हैं जिसमें शिशु के गले में गर्भनाल लिपटी होना चिंता का विषय हो सकता हैः अगर गर्भनाल शिशु की गर्दन में बहुत कसकर लिपटी हुई है
अगर किसी वजह से गर्भनाल में रक्त का प्रवाह बाधित हो रहा है

अगर गर्भनाल शिशु की गर्दन में कसकर लिपटी हुई हो तो डाॅक्टर जन्म के दौरान शिशु के कंधे बाहर निकलने से पहले ही गर्भनाल पर चिपटी लगाकर काट देंगी। हालांकि, इसकी जरूरत बहुत कम ही पड़ती है।

डाॅक्टर आपके शिशु पर नजदीकी निगरानी रखेंगी और यदि गर्भनाल में रक्त प्रवाह से संबंधित कोई समस्या हुई तो इसका पता वे शिशु के दिल की धड़कन से लगा लेंगी। संकुचन के दौरान कई बार गर्भनाल दब जाती है, जिसकी वजह से कुछ समय के लिए शिशु की धड़कन कम हो सकती है।

यदि शिशु पर निगरानी के दौरान यदि कोई अन्य समस्या नहीं है तो आपका प्रसल बिना किसी चिकित्सकीय दखल के जारी रहेगा।

हालांकि, ध्यान रखें कि यदि शिशु संकट में हो (फीटल डिस्ट्रेस) या कोई और जटिलताएं हों तो आपातकाल सिजेरियन डिलीवरी करवाना शिशु को जन्म दिलवाने का सबसे सुरक्षित तरीका है। आपकी डाॅक्टर तय करेंगी कि आपके लिए सबसे बेहतर विकल्प क्या रहेगा।

सिजेरियन ऑपरेशन के बाद मेरे शिशु के लिए क्या जोखिम हैं?

सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान और इसके बाद आपके शिशु के पूरी तरह स्वस्थ होने की पूरी संभावना होती है हालांकि, सिजेरियन डिलीवरी से जन्मे शिशुओं की नवजात आईसीयू में रहने की संभावना नॉर्मल डिलीवरी से जन्मे शिशुओं की तुलना में ज्यादा होती है।

कुछ शिशुओं को जन्म के बाद सांस संबंधी समस्याएं होती हैं। सिजेरियन के बाद श्वास संबंधी समस्याएं आमतौर पर गंभीर नहीं होती हैं, मगर कई बार शिशुओं को इससे उबरने के लिए विशेष देखभाल की जरुरत पड़ती है।

श्वास संबंधी समस्याएं इन शिशुओं में अधिक आम होती हैं:

  • सिजेरियन के जरिये समय से पहले जन्मे शिशु
  • प्रसव शुरु होने से पहले किए गए सिजेरियन ऑपरेशन से जन्मे शिशु, खासकर कि 39 सप्ताह की गर्भावस्था से पहले

कई बार डॉक्टर की चिकित्सकीय ब्लेड (स्केलपल) से शिशुओं की त्वचा हल्की सी कट सकती है। मगर इससे शिशु को नुकसान नहीं होता और यह आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है।

दीर्घकाल में देखा जाए तो सिजेरियन से जन्मे शिशु में बचपन में दमा (अस्थमा) होने का खतरा थोड़ा ज्यादा होता है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सी-सेक्शन के जरिये जन्मे बच्चों का वजन सामान्य से अधिक होने का खतरा भी थोड़ा ज्यादा होता है। मगर इस बारे में और शोध की जरुरत है।

सिजेरियन प्रसव से उबरने के लिए आप जो एंटिबायटिक्स लेती हैं, वे स्तनदूध के जरिये आपके शिशु तक पहुंच सकती हैं। मगर, आप चिंता न करें, डॉक्टर आपको वही दवाएं देंगी जो आपके और शिशु के लिए सुरक्षित हों।

क्या सी-सेक्शन डिलीवरी के बाद माँ के लिए कोई खतरे हैं?

सी-सेक्शन पेटा का एक बड़ा आॅपरेशन होता है, इसलिए इससे जटिलताएं होने की संभावना ज्यादा रहती है, जैसे किः

ज्यादा खून बहना
नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में सिजेरियन ऑपरेशन में ज्यादा खून निकलता है।

अधिकांश ब्लीडिंग ऑपरेशन के दौरान होती है, इसलिए डॉक्टर इसे संभाल लेते हैं। मगर कई बार ऑपरेशन के दौरान उम्मीद से ज्यादा खून बह जाता है और यह सी-सेक्शन का एक मुख्य जोखिम है।

हालांकि, बहुत ज्यादा खून बहना इतना आम नहीं है, मगर यदि ऐसा हो तो आपको खून चढ़वाने की जरुरत पड़ सकती है। यह सब आपको काफी भयावह लग सकता है, मगर चिंता न करें डॉक्टर स्थिति को अच्छी तरह संभाल लेते हैं।

संक्रमण
ऑपरेशन से पहले आपको एंटिबायोटिक दवा की एकल खुराक दी जाएगी, ताकि इनफेक्शन के खतरे को कम किया जा सके। हालांकि, कुछ महिलाओं को फिर भी सिजेरियन डिलीवरी के बाद इनफेक्शन हो जाता है।

मुख्यत: तीन तरह के संक्रमणों का खतरा रहता है, ये हैं:

  • चीरे के घाव में इनफेक्शन। घाव में संक्रमण होने के लक्षणों में शामिल हैं त्वचा का लाल होना, स्त्राव होना, दर्द अधिक बढ़ जाना या चीरे का खुल जाना। यदि आपको मधुमेह है या फिर आपका वजन सामान्य से ज्यादा है तो इसकी संभावना ज्यादा होती है।
  • गर्भाशय की परत का संक्रमण। इसे एंडोमेट्राइटिस कहा जाता है। इसके लक्षणों में शामिल हैं बहुत ज्यादा रक्तस्त्राव, अनियमित रक्तस्त्राव, दुर्गंध वाला स्त्राव या डिलीवरी के बाद बुखार। ऐसा होने की संभावना तब ज्यादा होती है, जब आपका प्रसव शुरु होने से पहले आपकी पानी की थैली फट जाए या फिर सिजेरियन से पहले आपकी योनि के जरिये बहुत सी अंदरुनी जांचें हुई हों।
  • मूत्रमार्ग का संक्रमण (यूटीआई)। ऑपरेशन के दौरान आपके मूत्राशय को खाली करने के लिए एक पतली नलिका या कैथेटर अंदर डाली जाती है। यह इनफेक्शन के प्रवेश का कारण हो सकता है। यह नलिका कम से कम 12 घंटों तक या फिर जब तक आप चलने-फिरने न लगे, तब तक लगी रहती है। यूटीआई के लक्षणों में शामिल हैं पेट में काफी नीचे की तरफ या ऊसन्धि में दर्द, तेज बुखार, कंपकंपी और भ्रमित सा लगना। आपको शायद पेशाब करते समय दर्द और जलन हो सकती है।

खून के थक्के (ब्लड क्लॉट)
किसी भी ऑपरेशन से खून के थक्के बनने की संभावना बढ़ जाती है। इस कारण से सिजेरियन डिलीवरी के बाद आपको जितना जल्दी हो सके अपने पैरों पर खड़े होने और चलने-फिरने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे रक्त संचरण बेहतर होगा और खून के थक्के जमने का खतरा कम होगा।

ये थक्के किस जगह बने हैं, इसे देखते हुए ये गंभीर भी हो सकते हैं। यदि खून के थक्के आपके फेफड़ों में बनें (पल्मनरी एम्बोलिस्म), तो ये जानलेवा भी हो सकते हैं। निम्नलिखित संकेत बताते हैं कि कोई समस्या है:

  • खांसी
  • सांस की कमी
  • पिंडलियों में दर्द या सूजन

यदि सिजेरियन ऑपरेशन के बाद आपको इनमें से कोई लक्षण दिखाई दें, तो डॉक्टर से बात करें।

डॉक्टर आपको बचाव उपचार बता सकती हैं, जैसे कि रक्त को पतला करने वाली दवाएं और इलास्टिक सपोर्ट (कम्प्रेशन) स्टॉकिंग्स, ताकि टांगों में रक्त के प्रवाह में सुधार हो सके।

ऊत्तकों का एक साथ चिपकना (एड्हीशन)
पेट या श्रोणि क्षेत्र के किसी अन्य ऑपरेशन की तरह सिजेरियन में भी ठीक होते समय एड्हीशन होने का खतरा रहता है। एड्हीशन, स्कार टिश्यू का जत्था होते हैं, जो कि आपके पेट के अंदर के अंगों को एक-दूसरे से या फिर पेट की दीवार की अंदरुनी सतह से चिपका सकते हैं।

यह कह पाना मुश्किल है कि सी-सेक्शन के बाद वास्वत में कितनी महिलाएं एड्हीशन से प्रभावित होती हैं, क्योंकि अक्सर इसके कोई लक्षण सामने नहीं आते। मगर आपके जितने ज्यादा सिजेरियन ऑपरेशन होंगे एड्हीशन की दर भी उतनी ज्यादा बढ़ती जाती है।

एड्हीशंस में दर्द हो सकता है, क्योंकि ये आपके आंतरिक अंगों की हलचल को सीमित कर देते हैं। कभी-कभार, एड्हीशंस यदि आसपास के अंगों पर दबाव डालें या उन्हें अवरुद्ध कर दें, तो मल अवरोध और प्रजनन अक्षमता की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। हालांकि, ऐसा होना आम नहीं है।

एनेस्थेटिक का प्रभाव
अधिकांश सिजेरियन ऑपरेशन जनरल एनेस्थीसिया के बिना किए जाते हैं। जनरल एनेस्थीसिया से आपको नींद आ जाती है। इसकी बजाय एपिड्यूरल या स्पाइनल से आपके पेट को सुन्न कर दिया जाता है।

जनरल एनेस्थीसिया की तुलना में एपिड्यूरल या स्पाइनल आपके और आपके शिशु के लिए सुरक्षित है। हालांकि, किसी भी तरह का एनेस्थीसिया लेने में थोड़ा-बहुत जोखिम रहता ही है। एपिड्यूरल और स्पाइनल्स से आपको निम्न परेशानियां हो सकती हैं:

  • बहुत तेज सिरदर्द। हालांकि, ऐसा होना दुर्लभ है, मगर इसकी संभावना तब ज्यादा होती है, जब आपको शिशु के जन्म तक एक से ज्यादा प्रकार का रीजनल एनेस्थीसिया दिया गया हो। आपको शायद सिरदर्द का तुरंत अहसास नहीं होगा। यह धीरे-धीरे शुरु होता है और इसमें तेज दर्द हो सकता है। जब आप बैठे या खड़ी हों तो यह दर्द और बढ़ सकता है। इस तरह आपके लिए शिशु को स्तनपान करवाना और मुश्किल हो सकता है। आपको ऐसा लग सकता है कि आपका सिर बज रहा है।
  • नसों का क्षतिग्रस्त होना। ऐसा होना दुर्लभ ही है, मगर यदि यह हो, तो आमतौर पर यह कुछ दिनों या सप्ताह तक रहता है। नसों का स्थाई रूप से क्षतिग्रस्त होना बहुत ही दुर्लभ है।

अस्पताल में ज्यादा दिन तक रुकना
नॉर्मल डिलीवरी के बाद अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है, वहीं सी-सेक्शन के बाद अस्पताल में ज्यादा दिन रुकना पड़ता है। फिर चाहे आपका ऑपरेशन पूर्वनियोजित हो या फिर प्रसव के दौरान आपातकाल में किया गया हो।

यदि आपकी सिजेरियन डिलीवरी हुई है तो आपको इसके बाद तीन से पांच दिन तक अस्पताल में रहना होगा। हालांकि, कुछ मामलों में इससे ज्यादा दिन भी रुकना पड़ सकता है। यह आपकी रिकवरी और शिशु की स्थिति पर निर्भर करेगा।

कुछ महिलाओं को सिजेरियन ऑपरेशन के बाद जटिलताएं होने की वजह से हाई-डिपेंडेंसी यूनिट (एचडीयू) में रहना पड़ सकता है। एचडीयू में रहने का मतलब है कि अस्पताल स्टाफ आप पर ज्यादा ध्यान देगा।

साथ ही, जिन महिलाओं की सी-सेक्शन डिलीवरी होती है उनकी प्रसवोत्तर अवधि के दौरान अस्पताल में दोबारा भर्ती होने की संभावना नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा होती है।

चीरे के घाव का असमान ढंग से भरना
आमतौर पर चीरे का निशान (स्कार) पतला और समतल और यह सफेद या त्वचा की रंगत जैसा ही हो जाएगा। मगर कुछ मामलों में शरीर रिकवरी के दौरान अति प्रतिक्रिया करता है और ऐसे निशान बन जाते हैं जो आसानी से नहीं भरते, जैसे कि:

  • कीलॉइड निशान। कीलॉइड एक तरह का उठा हुआ निशान होता है, जो मूल घाव से बड़ा हो जाता है और मोटा और गांठ वाला दिखता है। कीलॉइड में खुजलाहट और दर्द हो सकता है।
  • हाइपरट्रोफिक निशान। ये मोटे, उठे हुए निशान हो सकते हैं, जिनमें खुजलाहट और दर्द हो सकता है। ये कीलॉइड निशान जैसे होते हैं, मगर ये मूल घाव के किनारों के भीतर ही रहते हैं, बाहर नहीं निकलते।

कीलॉइड और हाइपरट्रोफिक निशान गहरी रंगत वाले लोगों में ज्यादा आम होते हैं। यदि आपको इस तरह के निशान होने का खतरा रहता है, तो डॉक्टर से इनके बचाव और उपचार के बारे में बात करें।

क्या सी-सेक्शन डिलीवरी से गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं?

यदि सिजेरियन के दौरान आपको गंभीर जटिलताएं हुईं, तो आपको खून चढ़वाने की जरुरत पड़ सकती है।

अच्छी बात यह है कि अधिकांश गंभीर जटिलताएं होना दुर्लभ है। हालांकि, यदि आपके दो से ज्यादा सिजेरियन ऑपरेशन हुए हों, तो जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है। इन जटिलताओं में शामिल हैं:

  • आंत या मूत्राशय में चोट
  • गुर्दों को मूत्राशय से जोड़ने वाली नलिकाओं (मूत्रवाहिनी) में चोट। हालांकि, यह बहुत दुर्लभ है।

सिजेरियन के बाद आगे और उपचार की जरुरत पड़ने का जोखिम भी काफी कम होता है। मगर संभव है कि आपको निम्न उपचार की जरुरत पड़े:

  • सिजेरियन के बाद आईसीयू में भर्ती होना
  • गर्भाशय निकालने के लिए आपातकाल ऑपरेशन (हिस्टेरेक्टॉमी)
  • बाद में फिर से एक और ऑपरेशन की जरुरत होना

सी-सेक्शन डिलीवरी के क्या फायदे हैं?

यदि आपका आपातकालीन सिजेरियन ऑपरेशन किया गया या फिर स्वास्थ्य संबंधी कारणों से पूर्वनियोजित सिजेरियन किया गया, तो अवश्य ही यह आपके और आपके शिशु के जन्म के लिए सबसे सुरक्षित तरीका होगा।

कुछ मामलों में पूर्वनियोजित सिजेरियन डिलीवरी करवाना जरुरी हो सकता है, विशेषज्ञकर यदि शिशु पेट में उल्टा हो (ब्रीच अवस्था), यदि अपरा ग्रीवा में शिशु के बाहर निकलने के रास्ते को ढके हुए हो तो। कभी-कभार आपातकाल सिजेरियन की जरुरत पड़ती है, खासतौर पर यदि आपका प्रसव लंबा चल रहा हो या शिशु संकट में आ गया हो।

यदि आपने पूर्वनियोजित सिजेरियन करवाना चुना था, तो इसका एक फायदा यह है कि आपको पता होता है कि आपके शिशु का जन्म कब होने वाला है। शिशु के जन्म की तारीख पता होने से आपको मातृत्व अवकाश, डिलीवरी के बाद सहायता या बाद में होने वाली अन्य जरुरतों के बारे में विचार करने का समय मिल जाएगा। हालांकि, संभव है कि आपका प्रसव ऑपरेशन की तय तारीख से पहले ही शुरु हो जाए, और इतने बड़े ऑपरेशन से उबरने में भी आपको उम्मीद से ज्यादा समय लग सकता है।

आपको प्रसव के दर्दभरे संकुचन नहीं होंगे। प्राकृतिक प्रसव में आपको योनि और गुदा के बीच के क्षेत्र (पेरिनियम) के फटने की चिंता भी नहीं करनी होती।

आपको​ डिलीवरी के दौरान पेरिनियम क्षेत्र में चीरे की जरुरत भी नहीं होती या फिर योनि और पेरिनियम क्षेत्र में लगने वाले टांकों और खरोंच का दर्द भी नहीं सहना पड़ता।

नाॅर्मल डिलीवरी में ज्यादा टांके लगते हैं या फिर सी-सेक्शन में?

यह बता पाना मुश्किल है कि कौन सी डिलीवरी में कितने टांके लगते हैं क्योंकि यह बहुत सी बातों पर निर्भर करता है।

सी-सेक्शन डिलीवरी में टांकों की संख्या निम्नांकित स्थितियों पर निर्भर करती हैः

  • आपको किस तरह का चीरा लगाया गया है (आड़ा या लंबवत)
  • माँ और शिशु का माप

नाॅर्मल डिलीवरी में टांकों की संख्या निम्न बातों पर निर्भर करती हैः

  • आपके शिशु का माप
  • एपिसियोटमी (योनि और गुदा के बीच की जगह पर चीरा) हुई है या नहीं
  • त्वचा कितनी ज्यादा फटी है। योनि और गुदा के आसपास की त्वचा उत्तकों में कितनी गहराई तक फटी है इसके आधार पर इसे थर्ड डिग्री या फोर्थ डिग्री टेयर कहा जाता है।

क्या सिजेरियन डिलीवरी से उबरने में ज्यादा समय लगता है?

यह आपकी सेहत और इस बात पर निर्भर करता है कि आपको कोई जटिलताएं हुई थी या नहीं। अच्छी बात यह है कि अगर आप फिट हों, स्वस्थ हों और सामान्य वजन हो, तो आपके सिजेरियन से अच्छी तरह उबरने की पूरी संभावना रहती है।सिजेरियन ऑपरेशन से उबरना
सिजेरियन से उबरने के दौरान आपकी मुख्य चिंता इसके बाद होने वाले दर्द से राहत पाना होती है। मगर, आपकी डॉक्टर आपको दर्द निवारक दवाएं देंगी, जिन्हें स्तनपान करवाने के दौरान लेना भी सुरक्षित होता है।

कई बार रक्तस्त्राव और इनफेक्शन जैसी जटिलताओं की वजह से रिकवरी होना और मुश्किल हो जाता है और आपको कुछ दिन और अस्पताल में रुकना पड़ सकता है। इन कारणों की वजह से कुछ महिलाओं को अस्पताल में दोबारा भी भर्ती होना पड़ जाता है।

आपने शायद प्रसवोत्तर अवसाद (पोस्टनेटल डिप्रेशन-पीएनडी) के बारे में लोगों के खौफ भरे अनुभव सुनें हों या यह सुना होगा कि सिजेरियन के बाद स्तनपान करवाना मुश्किल होता है। इन बातों को लेकर परेशान न हों। हालांकि, सिजेरियन करवाने वाली माँओं में शुरुआत में प्रसवोत्तर अवसाद होना अधिक आम है। मगर दो महीने बाद अवसाद होने की दर उनमें भी नॉर्मल डिलीवरी वाली महिलाओं के बराबर ही होती है।

आपके लिए शिशु को स्तनपान करवाना प्राकृतिक प्रसव से शिशु को जन्म देने वाली माँ की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आपको शिशु को दूध पिलाने के लिए आरामदेह अवस्था ढूंढ़ पाना मुश्किल हो सकता है।

यदि आप शिशु को स्तनपान करवाना चाहती हैं, तो जरुरी है कि आप शुरुआत से ही इसमें मदद लें। अस्पताल में आपकी देखभाल कर रही नर्स को आप सहायता और सुझाव के लिए कह सकती हैं। अपनी डॉक्टर से स्तनपान की सही मुद्राओं के बारे में बात करें। चिंता न करें, एक बार शुरु करने के बाद शिशु को सफलतापूर्वक स्तनपान करवाने की संभावना आपकी भी उतनी ही होती है, जितनी की नॉर्मल डिलीवरी वाली वाली महिला की।

सीजेरियन ऑपरेशन से उबरना, प्राकृतिक प्रसव से उबरने से काफी अलग होता है, मगर कुछ चीजें दोनों में समान होती हैं।

प्राकृतिक प्रसव की ही तरह सीजेरियन ऑपरेशन के बाद भी आपको प्रसवोत्तर रक्तस्त्राव होगा, जिसे लोकिया कहा जाता है।

आपको प्रसवोत्तर मूत्र असंयमितता का सामना भी करना पड़ सकता है, जो कि शिशु को जन्म देने के बाद नई माँओं की आम शिकायत होती है। इसलिए जरुरी है कि आप गर्भावस्था के दौरान और बाद में भी अपनी श्रोणि मांसपेशियों के व्यायाम करती रहें, फिर चाहे आप किसी भी तरीके से शिशु को जन्म दें!

सिजेरियन डिलीवरी से उबरने के बारे में यहां और अधिक जानें।

क्या सीजर ऑपरेशन की वजह से भविष्य की गर्भावस्थाओं पर असर पड़ता है?

ऐसा हो भी सकता है। सिजेरियन ऑपरेशन करवाने के बाद:

  • भविष्य की गर्भावस्थाओं में भी सिजेरियन ऑपरेशन होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। हांलांकि, ऐसा हमेशा हो, यह जरुरी नहीं। सिजेरियन के बाद नॉर्मल डिलीवरी (वेजाइनल बर्थ आफ्टर सीजेरियन-वीबीएसी) संभव हो सकती है।
  • यह आपकी भविष्य की गर्भावस्थाओं में अपरा के नीचे स्थित होने (प्लेसेंटा प्रिविया) का खतरा थोड़ा-बहुत बढ़ा देता है।
  • अपरा नीचे स्थित होने की वजह से भविष्य की गर्भावस्थाओं में अपरा के काफी गहराई तक प्रत्यारोपित होने (प्लेसेंटा एक्रीटा) का खतरा बढ़ जाता है, विशेषतौर पर यदि आपके पहले दो से ज्यादा सिजेरियन हो चुके हैं। इस जटिलता की वजह से डिलीवरी के दौरान आपका बहुत ज्यादा खून बह सकता है, और आपको खून चढ़वाने और संभवतया हिस्टरेक्टॉमी की जरुरत पड़ सकती है।
  • सिजेरियन ऑपरेशन के बाद लगे चीरे का भविष्य की गर्भावस्थाओं में खुलने का भी थोड़ा-बहुत खतरा रहता है। मगर ऐसा होना बहुत दुर्लभ है। इसे इसे अंग्रेजी में यूटेरीन रप्चर कहते हैं। यदि ऐसा हो, तो यूटेरीन रप्चर आपकी और शिशु की जिंदगी पर गंभीर खतरा बन सकता है।

दुर्भाग्यवश, सिजेरियन के बाद भविष्य की गर्भावस्था में मृत शिशु के जन्म का खतरा भी बढ़ सकता है। ऐसा होने का कारण अभी स्पष्ट नहीं है। हालांकि, ऐसा होना काफी दुर्लभ है।

सिजेरियन डिलीवरी से बचने के लिए मैं क्या कर सकती हूं?

आपके लिए किस तरह की डिलीवरी बेहतर रहेगी यह कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे किः

  • आपका स्वास्थ्य और चिकित्सकीय इतिहास
  • आपके शिशु का स्वास्थ्य
  • गर्भ में शिशु की अवस्था
  • आपके गर्भ में कितने शिशु पल रहे हैं ( गर्भ में जितने ज्यादा शिशु होंगे, सी-सेक्शन की संभावना उतनी ज्यादा होगी) गर्भावस्था या प्रसव से जुड़ी कोई जटिलताएं

हालांकि, कुछ चीजें हैं जिन्हें आजमाकर आप नाॅर्मल डिलीवरी होने की संभावनाओं को बढ़ा सकती हैं, जैसे किः

  • डाॅक्टर के साथ कोई भी प्रसवपूर्व अप्वाइंटमेंट न चूकें।
  • पौष्टिक भोजन खाएं और क्रियाशील रहें, ताकि आपकी गर्भावस्था स्वस्थ रहे।
  • अपने भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान दें।
  • गर्भावस्था और डिलीवरी के बारे में पढ़ें, जानकारी हासिल करें, हमारी एंटेनेटल कक्षाओं के लिए रजिस्टर करें ताकि आप प्रसव और शिशु के जन्म के लिए तैयार हो सकें।

अंग्रेजी के इस लेख से अनुवादित: Normal delivery vs cesarean

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ऐसा क्या करें कि नॉर्मल डिलीवरी हो जाए?

महिलाओं को नॉर्मल डिलीवरी के लिए क्या करना चाहिए.
नार्मल डिलीवरी क्या है ?.
डिलीवरी से संबंधित सही जानकारी लें.
परिवार वालों के साथ रहें.
सही डॉक्टर का चुनाव करें.
एक अनुभवी दाई रखें.
तनाव से दूर रहें.
निगेटिव बातों से दूर रहें.
खुद को हाइड्रेट रखें.

कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन?

डिलीवरी से कुछ दिनों या घंटे पहले मिलने वाले संकेत वजाइनल डिस्‍चार्ज अधिक और गाढ़ा होना। हर बार पेशाब करते समय म्‍यूकस प्‍लग का कुछ हिस्‍सा निकलना, ये गुलाबी और गाढ़ा हो सकता है। संकुचन बार-बार और तेज होना जो समय के साथ बढ़ जाए। पीठ के निचले हिस्‍से में ऐंठन और दर्द जो कि पेट और टांगों तक भी पहुंच जाए।

नार्मल बच्चा पैदा करने के लिए क्या करना चाहिए?

खुद को रखें हाइड्रेटेड- अपनी आप नॉर्मल डिलीवरी चाहती हैं तो खुद को हाइड्रेटेड रखें. इस दौरान पानी का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें. इससे बच्चे की विकास संबंधित जरूरतें पूरी होती हैं. स्ट्रेचिंग करें- नॉर्मल डिलीवरी के लिए गर्भवती महिलाएं स्ट्रेचिंग जरूर करें.