नीति और भक्ति के दोहे Class 10 - neeti aur bhakti ke dohe chlass 10

Presenting here class 9 Hindi Chapter 10 Question Answer for Assamese Medium students. dear students here You can find your class 9 Hindi Chapter/lesson 10 दोहा दशक (Doha Dashak) All question answer. This Question Answer is specially designed for Class 9 SEBA Board Assamese Medium students.

दोहा दशक

Table of Contents

  • प्रश्न – 1. सही विकल्प का चपन करो । 
  • प्रश्न – 2. निम्नलिखित कथन शुद्ध हैं या अशुद्ध, बताओ।
  • प्रश्न – 3. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो ।
  • प्रश्न-4. अति संक्षेपत में उत्तर दो ( लगभग २५ शब्दों में) :
  • प्रश्न- 5. सक्षेप में उत्तर दो। ( लगभग ५० शब्दों में) 
  • प्रश्न – 6. सम्यक उत्तर दो। ( लगभग १०० शब्दों 
  • प्रश्न- 7 सप्रसंग व्याख्या करो। ( लगभग १०० शब्दों में)

प्रश्न – 1. सही विकल्प का चपन करो । 

(क) कवि बिहारीलाल किस काल के सर्वश्रेष्ट कवि माने जाते हैं?

(१) आदिकाल के (२) रीतिकाल के (३) भक्ति काल के (४) आधुनिक काल के। 

उत्तर : कवि बिहारीलाल को रीतिकाल के सर्वश्रेष्ट कवि माने जाते है।

(ख) कविवर बिहारी की काव्य – प्रतिभा से प्रसन्न होने वाले मुगल . सम्राट कौन थे-

उत्तर : कविवर बिहारी की काव्य – प्रतिभा से प्रसन्न होने वाले मुगल सम्राट शाहजहाँ थे ।

(ग) कवि बिहारी का देहावसान कब हुआ?

(१) १६४५ ई० को

(२)१६६० ई० को

(३) १६६२ ई० को

(४) १६६३ ई० को

उत्तर : कवि बिहारी का देहावसान १६६३ ई० को हुआ।

(घ) श्रीकृष्ण के सिर पर__ का शोभित है?

(१) मुकुट (२) पगड़ी (३) टोपी (४) चोटी 

उत्तर : श्रीकृष्ण के सिर पर मुकुट से शोभित है।

(ङ) कवि बिहारी ने किन्हें सदा साथ रहने वाली संपत्ति माना है?

(१) राधा को (२) श्रीराम को (३) यदुपति कृष्ण को (४) लक्ष्मी को 

उत्तर : कंवि बिहारी ने यदुपति कृष्ण को सदा साथ रहने वाली संपत्ति माना है।

प्रश्न – 2. निम्नलिखित कथन शुद्ध हैं या अशुद्ध, बताओ।

(क) हिन्दी’ के समस्त कवियों में भी बिहारीलाल अग्रिम पंक्ति के अधिकारी हैं।

उत्तर : शुद्ध

(ख) कविवर बिहारी को संस्कृत और प्राकृत के प्रसिद्ध काव्यग्रंथों के अध्ययन का अवसर प्राप्त नहीं हुआ था।

उत्तर : अशुद्ध।

(ग.) १६४५ ई० को. आस-पास कवि बिहारी वृत्ति लेने जयपुर पहुँचे थे।

उत्तर : शुद्ध।

(घ) कवि बिहारी के अनुसार ओछा- व्यक्ति भी बड़ा बन सकता है ।

उत्तर : अशुद्ध ।

(ङ) कवि बिहारी का कहना है कि दुर्दशाग्रस्त होने पर भी धन का संचय करते रहना कोई नीति नहीं है ।

प्रश्न – 3. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो ।

(क) कवि बिहारी ने मुख्य रूप से कैसे दोहों की रचना की है?

उत्तर: कवि बिहारी ने मुख्य रूप से प्रेम शृंगार, और गौण रूप से भक्ति एवं नीति से दोहों की रचना की है। 

(ख) कविवर बिहारी किनके अनुरोध पर जयपुर में ही रूक गए?

उत्तर : कविवर बिहारी वहाँ के महाराज जयसिंह और चौहानी रानी के अनुरोध पर जयपुर मे ही रूक गए।

(ग) कवि बिहारी की ख्याति का एकमात्र आधार ग्रंथ किस नाम से प्रसिद्ध है।

उत्तर: कवि बिहारी की ख्याति का एकमात्र ग्रंथ ‘सतसई’ नाम से प्रसिद्ध है।

(घ) किसमें किससे सौ गुनो से अधिक मादकता होती है। 

उत्तर : सोने में धतुरे से सौ गुनी अधिक मादकता होती है।

(ङ) कवि ने गोपीनाथ कृष्णा से क्या-क्या न गिनने की प्रार्थना की है? 

उत्तर: कवि ने गोपीनाथ कृष्ण से गुन-अवगुनों को ना गिनने की प्रार्थना की है?

प्रश्न-4. अति संक्षेपत में उत्तर दो ( लगभग २५ शब्दों में) :

(क) किसं परिस्थिति में कविवर बिहारी काव्य-रचना के लिए जयपूर में ही रूक गए थे?

उत्तर : कविवर बिहारीलाल की काव्य- प्रतिभा से सम्राट बड़े ही प्रसन्न हुए और उनके कृपापात्र बने। कवि बिहारी का सपंर्क मुगल साम्राज्य के अधीनस्थ अन्य राजाओं से भी हुआ। कई राज्यों से उनको वृत्ति मिलने लगी। वहाँ के महाराज जयसिंह और चौहानी रानी के आग्रह पर कवि विहारी काव्य-रचना के लिए जयपुर में ही रुक गए थे ।

(ख) ‘यहि बानक मो मन बसौ, सदा बिहारी लाल’ का भाव क्या है ?

उत्तर : इसका मतलब यह है कि बिहारीलाल के सिर पर मयूर मुकुट सदा रहने से कवि का मन खुश रहते हैं और हमेशा यह दृश्य को देखने मिले तो उनका जीवन धन्य हो जाएगा। इसलिए कवि बिहारीलाल ने गोपीनाथ को उनके रूप में सदा रहने के लिए प्रार्थना को है ।

(ग) ‘ज्यों-ज्यों बूड़ै स्याम रंग, त्यों-त्यों उज्जलु होई’ का आशय स्पष्ट करो ।

उत्तर : इसका मतलब है कि जो व्यक्ति कृष्ण को भक्ति भाव से नहीं देखे तो उसका भक्ति का महत्व समझ पाता कठिन है। जो लोग कृष्ण भक्ति-प्रेम में अपने निमज्जित रहे तो उन लोगों का जीवन धन्य हो जाते है- अर्थात भक्ति में गहरी भाव से प्रेम निवेदन करने से अपने जीवन सार्थक हो जाता है ।

(घ) ‘आँट पर प्रानन हरै, काँटे लौं लगि पाय’–के जरिए कवि क्या कहना चाहते हैं?

उत्तर : इस पंक्ति के जरिए कवि ने कहना चाहते हैं कि मनुष्यों का जितना ही जीवन में विपत्ति हो जाते, इतना ही कृष्ण-भक्ति, प्रेम-भावना बह जाने है। अर्थात, पथिक को भक्ति का मार्ग पर कॉंटे लग जाने से प्रेम-भाव बढ़ जाती हैं और अपनो जीवन धन्य बन जांता है।

(ङ) ‘मन कॉचै नाचै बृथा, साँचै शॅचै राम — का तात्पर्य बताओ।

उत्तर : इसका तात्पर्य है कि यदि कोई व्यक्ति भगवान की मनचित लगाकर भक्ति नहीं करे तो इसका अर्थ बेकार है। आराध्य i को पाने के लिए मनुष्य एक गहरी भावना मन में रखकर भक्ति करना उचित है। चचंल – प्राण व्यक्ति कभी आराध्य के चरण पाना कठिन है।

प्रश्न- 5. सक्षेप में उत्तर दो। ( लगभग ५० शब्दों में) 

(क) कवि के अनुसार अनुरागी चित्त का स्वभाव 

उत्तर: कवि के अनुसार अनुरागी चित्त का स्वभाव ऐसा होना आवश्यक है कि अनुरागी अपने को स्वभाव कृष्ण प्रेम का महत्व नहीं समझते तो कृष्ण के भक्ति प्रेम का भावना हृदय में स्थित नहीं होता है। जो व्यक्ति कृष्ण प्रेम पर डूब जाता, उनसे उतना ही भक्तिप्रेम उजाला होता है। कृष्ण ही केवल मनुष्य जीवन की खर्गीय सुख दे सकते है।

(ख) सज्जन का स्नेह कैसा होता है?

उत्तर : इसका अर्थ है कि सज्जन लोगों का स्नेह अत्यंत गंभीर होता है। उनके हृदय हमेशा निर्मल होते हैं। किसीको बुरा आँखों से नहीं देखती हैं। सज्जन लोग भगवान को सच्चें हृदय में बैठाकर रखते हैं। और यही भावना से दूसरे के दूख अपना ही दुख समझता है। ऐसा व्यक्ति विपत्ति को हमेशा नरम भावना से देखती है और उसको ख़त्म करने के लिए कोशिश करती रहती है।

(ग) धन के सचंय के सदर्थ में कवि ने कौन-सा उपदेश दिया है?

उत्तर: कवि ने धन संचय के विषय में यह उपदेश दिया है कि दुर्दशाग्रस्त या बुद्धिहीन व्यक्ति धन सचंय करना नहीं जानते। खाने पीने में ही सारी धन व्यय कर देता है। लेकिन ऐसा न होने कहा कि सचंय एक भविष्यनिधि है। खाने-पीने के लिए जितना आवश्यक होती है, उतना ही व्यय करना उचित है । जो धन खर्च नहीं होता उसे ही सचंय करना चाहिए।

(घ) दुर्जन के स्वभाव के बारे में कवि ने क्या कहा है?

उत्तर : दुर्जन के स्वभाव के बारे में कवि ने यह कहा है कि ऐसा व्यक्ति को कभी विश्वास नहीं करना चाहिए। दूर्जन के स्वभाव हमेशा अपने ही स्वार्थ के लिए रहता है। उसे सज्जन को भी अपने हाथ में लेना चाहता है। कवि बिहारीलाल ने भगवान को ऐसा मनुष्य के हाथ में कभी न पड़ने के लिए प्रार्थना करते है। दूर्जन के स्वभाव अनुधारने के लिए कृष्ण-भक्ति, प्रेम द्वारा सभंव होता है। स्वभाव परिवर्तन के लिए कृष्ण-भक्ति ही एकमात्र मार्ग है। 

(ङ) कवि बिहारी किस वेश में अपने आराध्य कृष्ण को मन में बस लेना चाहते हैं ।

उत्तर : कवि बिहारी अपने आराध्य कृष्ण को इस प्रकार मन में बसा लेना चाहते है कि सिर में मयूर – मुकुट, कमर में काछनी, हाथ में मुरली और गले में पहने हुए कृष्ण ही बिहारी के आराध्य भगवान है। यह भावना से आराध्य देवता परम विष्णु भगवान को हृदय में निवास करने से खुद को सुख अनुभव होता है। यह भावना को हर व्यक्ति के हृदय में निवास करने के लिए कवि ने प्रार्थना की है।

(च) अपने उद्धार के प्रसंग में कवि ने गोपीनाथ से क्या निवेदन किया है?

उत्तर: कवि बिहारी अपने को उद्धार करने के लिए गोपीनाथ कृष्ण से यह निवेदन किया है कि जिस तरह महापापी को उद्धार किया जाता है, उसी प्रकार मुझे अनाथ- पापी को भी उद्धार कीजिए। मेरा गुण-अवगुण याने पाप-पुण्य सब क्षमा कर मुझे उद्धार कीजिए। कवि ने यह भी कहना कहा है है कि कृष्ण ही केवल पालनहार हैं। उनके बिना जगत का कोई कल्याण नहीं है। इसलिए कवि ने हर व्यक्ति को उद्धार के लिए उनकी तरह निवेदन करने को कहा है। 

(छ) कवि बिहारी को लोकप्रियता पर एक संक्षिप्त टिप्पणी प्रस्तुत करो ।

उत्तर : कविवर बिहारीलाल हिन्दी साहित्य के अतंर्गत रीतिकाल के सर्वश्रेष्ट कवि जाने जाते हैं। उन्होंने प्रमुख रूप से प्रेम-शृगांर और गौण रूप से भक्ति एवं नीति के दोहों की रचना करके अपार लोकप्रियता प्रापत की थी। कवि बिहारीलाल की ख्याति का आधार उनका एकमात्र ‘सतसई’ ग्रंथ है, जो ‘बिहारी सतसई’ नाम से प्रसिद्ध है। यह लगभग सौ दोहों का अनुपम संग्रह है। इसे शृगांर, भक्ति और नीति को त्रिवेणी भी कहते है। इस ग्रंथ की लोकप्रियता के संदर्थ में यूरोपीय विद्धान डॉ. ग्रियर्सन ने कहा है कि यूरोप में इसके समकक्ष कोई भी रचना नहीं है। उनकी यह लोकप्रियता आज भी आगे बनी रहेगी। बनी हुई है और

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प्रश्न – 6. सम्यक उत्तर दो। ( लगभग १०० शब्दों 

(क) कवि बिहारीलाल का साहित्यिक परिचय दो।

उत्तर : कवि बिहारीलाल हिन्दी साहित्य के रीतिकालिन कवि में से सर्वश्रेष्ट कवि माने जाते हैं। ‘बिहारी सतसई’ बिहारीलाल ने एकमात्र ग्रंथ होते हुए भी सर्वकाल के महान कृर्ति है। बिहारी मूलत. प्रेम, शृंगार और भक्ति नीति दोहों की रचना करके अपार लोकप्रियत् प्राप्त की थी। सतसई के शृंगार, भक्ति और नीति की त्रिवेणी कह हैं। बिहारी ने महान नरहरिदास से संस्कृत और प्राकृत के प्रसिद्ध काव्यग्रंथों के अध्ययन का अवसर प्राप्त हुआ रय। एक बार वे अपनी एक फारसी भाषा में लिखी रचना के साथ मुगल सम्राट शाहजहाँ से मिले। सम्राट बिहारी की काव्य-प्रतिभा से बड़े ही संतुष्ट हुए। सम्राट से धन्य बिहारी का अन्य राजाओं से सुसंपर्क हुआ, कई राज्यों से साहित्यिक वृत्ति भी मिलने लगे । सन् १६४५ ई० के बीच एक बार जयपुर के महाराज जयसिंह से मिले और चौहानी रानी के अनुरोध पर बिहारी जयपुर में ही रहने लगे। गागर में सागर भरने के समान कविवर विहारी ने दोहे जैसे छोटेसे छंद में लंबी-चौड़ी बात भी संक्षेप में कह दी है। सरस, सुमधुर और प्रौढ़ ब्रजभाषा में रचित ये दोहे काव्य-रसिकों पर गहरा प्रभाव छोड़ते है।

(ख) ‘बिहारी सतसई’ पर एक टिप्पणी लिखो 

उत्तर : कवि बिहारीलाल हिन्दी साहित्य के सर्वश्रेष्ट कवि माने जाते हैं। हिन्दी के समस्य कवियों में भी आप अग्रिम पंक्ति के अधिकारी है। उन्होंने प्रमुख रूप से प्रेम-शृंगार और गौण रूप से भक्ति एवं नीति के दोहों की रचना करके अपार लोकप्रियता प्राप्त की थी। उनकी यह लोकप्रियता आज भी बनी हुई हैं और आगे भी बनी रयेगी। कवि बिहारीलाल की ख्याति का आधार उनका एकमात्र “सतसई’ ग्रंथ हैं, जो ‘बिहारी सटसई’ नाम से प्रसिद्ध है। यह लगभग सात सौ दोहों का अनुपम संग्रह है। इसे शृगांर, भक्ति और नीति की त्रिवेणी भी कहते है। इस ग्रंथ को लोकप्रियता के सदंर्भ में युरोपीय विद्वान डॉ० ग्रियर्सन ने कहा कि यूरोप में इसके समकक्ष कोई भी रचना नहीं है। गागर में सागर भरने के समान कविवर बिहारी ने दोहे जैसे छोटे-से छंद में लंबी – चौड़ी बात भी संक्षेप में कह दी है। सरस, सुमधुर और प्रौढ़ ब्रजभाषा में रचित ये दोहे काव्य-रसिकों पर गहरा प्रभाव छोड़ते है ।

(ग) कवि बिहारी ने अपने भक्तिपरक दोहों के माध्यम से  कहा है? पठित दोहों के आधार पर स्वष्ट करो। 

उत्तर: कवि बिहारीलाल ने अपने रचित दोहों में भक्तिपरक और नीतिपरक हैं। उनके भक्ति-नीति के दोहे संख्या की दृष्टि से कम होने पर भी भाव, भाषा और अभिब्यक्ति भंगिमा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं | कवि ने उनके दोहों में कृष्ण-भक्ति रीति के अनुसार सभी मनुष्यों को भक्ति प्रेम का निदर्शन किया। जो व्यक्ति कृष्ण-भक्ति के माध्यम से अनुप्राणीत नहीं होता तो उसका जीवन दर्शन उचित दंग से बीताना सम्भव नहीं हैं। इन दोहों में केवल भक्ति-रीति का ही उल्लेख किया है। इन में वर्णित सभी दोहे की रचना सरस, शृंगार, सुमधुर रूप से हैं। कृष्ण-भक्ति प्रेम से कोई चीज बड़ा नहीं है, इसका एक सुन्दर वर्णन केवल दोहें में ही मिलते हैं। भक्तिपरक दोहे में केवल भक्ति-रस का एक अतुलीत आनन्द मिलते हैं। कृष्ण-भक्ति के आधार पर श्रीकृष्ण श्रुति की सुन्दर और सावलील वर्णन मिलता है।

(घ) पठित दोहों के आधार पर बताओ कि कवि बिहारी के नीतिपरक दोहों का प्रतिपाद्य क्या है?

उत्तर : कवि बिहारीलाल द्वारा रचित दोहों में भक्ति-नीति के दृष्टि से भाव, भाषा और अभिव्यक्ति भंगिमा की महत्व अधिक हैं। इस में नीतिपरक आदर्श से कृष्ण- प्रेम की धारणा एक सुन्दर रूप में वर्णन किया है। पठित दोहों में सभी दोहो का ‘दोहा-दशक’ शीर्षक के अतंर्गत सकंलित है। प्रथण पाँच दोहे भक्ति परक और शेष पाँच दोहे नीतिमूलक है। नीतिपरक दोहे का भाषा ब्रज है। बिहारी ने दोहे में छोटे-से छंद में लंबी-चौड़ी बात भी संक्षेप में वर्णन किया है। उनके दोहे में प्रेमशृंगार और गौण रूप से भक्ति-नीति के दोहे में मिलता है। उनके दोहे में लोकोक्ति प्रचलित है। 

SLChapters1हिम्मत और जिंदगी2परीक्षा3बिंदु-बिंदु विचार4चिड़िया की बच्ची5आप भले तो जग भला6चिकित्सा का चक्कर7अपराजिता8मणि कांचन संयोग9कृष्ण-महिमा10दोहा दशक11नर हो, न निराश करो मन को12मुरझाया फुल13गाँव से शहर की ओर14साबरमती के संत15चरैवति16टुटा पहिया

নৱম শ্ৰেণীৰ অন্য বিষয় সমূহ

प्रश्न- 7 सप्रसंग व्याख्या करो। ( लगभग १०० शब्दों में)

(क) ‘कोऊ कोरिक सग्रहो… बिपति बिदारनहार ।। ” 

उत्तर: प्रस्तुत कविता हमारे पाठ्य पुस्तक ‘आलोक’ प्रथम भाग के बिहारीलाल रचित ‘दोहा दशक’ से ली गई है। 

इस कविता पंक्ति में कबि ने यह कहना चाहता है कि कोई करोड़ीं की हिसाब से धन जमा करते है, लेकिन उनके पास उस धन नहीं है। कवि के दृष्टि से कृष्ण ही परम धन है। लाखों-करोड़ों से तुलना से नहीं होता है। कृष्ण प्रेम ही प्रकृत धन है। करोड़ लोगों का धनदौलत से कवि के धन बहुत है। कोई चीज से तुलना न कर पाता है। धन और दौलत एक साथ और भगवान कृष्ण परम धन से माफ नहीं कर पाता, क्यों कि धन-दौलत केबल थोड़े दिनों के लिए है। लेकिन कृष्ण परम धन कभी भी शेष नहीं होते। जितना ही उसे पास रहेगा उतना ही धन बढ़ जाएगा, इसलिए इस पंक्ति में कोआ जिस तरह सामान संग्रह करने से भी विपदा में कोई काम नहीं आता। उसी तरह कृष्ण भक्ति के बिना इस दुनिया में धन-दौलत का कोई महत्व नहीं है। सब कुछ केवल कृष्ण परम धन से संभव होते है ।

(ख) ‘जय – माला, छापैं, तिलक…. साँचै राँचै रामु ।।” 

उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘आलोक’ प्रथण भाग के बिहारीलाल रचित ‘दोहा- दशक’ से ली गयी है।

यहाँ कवि ने भक्ति के बारे में, पाने प्रकृत भक्ति कैसे की जाती है, उसी के बारे में कहा है। कपाल में तिलक लगाकर माला पहने से भक्ति नहीं है। जय-माला अपने के वाम भक्ति नहीं, उसी सिद्धि नहीं मिलता। यह सिर्फ दिखावत है। जीवन निर्वाह के लिए काम भी करना पड़ता है। पवित्र मन से करना काम ही सच्चा राम – भक्ति है। तिलक लगाकर माला जपना को भगवान प्राप्त नहीं होता है। यदि दिल सच्चा न होता । इस ससांर में कोई व्यक्ति भगवान को (राम रूपी) भक्ति भाव से प्रार्थना करके अपना मन शुद्ध कर सकती है। बिना भक्ति या पवित्र मन से भगवान को श्रद्धा करना बेकार है ।

पह ससांर अस्थावर है। इस में कोई चीज स्थावर नहीं है। इसलिए रामरूपी भगवान को दिल में स्थित कर अपने धन्य हो जाने के लिए कवि बिहारीलाल ने इस पंक्तियों में प्रकाश किया है। 

(ग) ‘कनक कनक तैं सौ गुनी- इहिं पाँए बौराई… ।। “

उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘आलोक’ प्रथम भाग’ के बिहारीलाल रचित ‘दोहा ‘दशक’ से ली गयी है। ·

इस दोहा के रचनाकार बिहारीलाल जी है। कवि का कहने का मतलब यह है कि धन के कारण लोग अहंकारी बनते है। पागल जैसा होता है। जितना ही धन बढ़ाता है, उतना ही लोग घमण्डी ऐसे लोग भगवान से विमुख हो जाता है।

होता है। कवि ने फिर भी कहा कि धतुरे खाने से जिस तरह आदमी पागल हो जाता है, धन-सपंत्ति बढ़ जाने से भी आदमी पागल हो जाता 4

कृष्ण है। इसलिए कविवर बिहारी ने ये सारी खुशियाँ छोड़कर केवल का ही गुण-गान करना आवश्यक है। इसके बारे में कोई धन क । पागल या कोई धतुरे से पागल न होना पड़ता है।

(घ) “ओघ बड़े न हवैं सकैं…फारि निहारै नेन । “

उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘आलोक’ प्रथम भाग के बिहारीलाल रचित ‘दोहा दशक’ से ली गई है।

इन पंक्तियों के आधार पर कवि ने यहाँ आदमी का स्वभावचरित्र के बारे में बताया है। नीचे स्वभाव – चरित्र वाले व्यक्ति को कोई सुदृष्टि से नहीं देख पाता है। ऐसा व्यक्ति बड़े होने के लिए जितना ही कोशिश करे कभी न हो सके। कवि ने यह भी कहा कि स्वभाव अच्छा होने से इस दुनिया का कोई काम बड़ा या ऊँचा नहीं है। केवल अपना हृदय निर्मल होने से आकाश को भी स्पर्श कर सकता है।