पं० बिलवासी मिश्र की जगह यदि आप होते तो झाऊलाल की मदद कैसे करते? - pan0 bilavaasee mishr kee jagah yadi aap hote to jhaoolaal kee madad kaise karate?

1 Crore+ students have signed up on EduRev. Have you?

लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: लाला झाऊलाल की पत्नी ने ऐसा क्या कहा, जिसे सुनकर लालाजी का जी बैठा गया?
उत्तर:
लाला झाऊलाल की पत्नी ने एक दिन अचानक उनसे ढाई सौ रुपये की माँग कर दी। अच्छा खाने पीने के बाद भी लालाजी के पास एक साथ ढाई सौ रुपये नहीं होते थे। ढाई सौ रुपये की माँग सुनकर उनका जी बैठ गया।

प्रश्न 2: लोटा बिकने की स्थिति में सबसे अधिक फायदे में कौन रहा?
उत्तर:
सबसे अधिक फायदा झाऊलाल को हुआ क्योंकि उन्हें ढाई सौ रुपयों की सख्त जरूरत थी और उसके बदले उन्हें पाँच सौ मिल गए थे। साथ ही वह लोटा उन्हें पसन्द भी न था।

प्रश्न 3: ‘‘उस दिन रात्रि में बिलवासी जी को देर तक नींद नहीं आई’’ समस्या झाऊलाल की थी और नींद बिलवासी की उड़ी तो क्यों? लिखिए।
उत्तर:
क्योंकि वे पक्के मित्र थे और झाऊलाल जी ने बड़े ही विश्वास से उन्हें रुपयों का प्रबन्ध करने के लिए कहा था। इसी वजह से वे भी परेशान थे।

प्रश्न 4: पंडित जी ने अंग्रेज को लोटे की क्या कथा बताई?
उत्तर:
पंडित जी ने अंग्रेज को लोटे की कथा बताई कि सोलहवीं शताब्दी में बादशाह हुमायूँ शेरशाह से हारकर सिंध के रेगिस्तान में मारा-मारा फिर रहा था, उसे बहुत प्यास लगी थी, तभी एक ब्राह्मण ने उसे इसी लोटे से पानी पिलाया।

प्रश्न 5: बिलवासी जी ने जिस तरीके से रुपयों का प्रबन्ध किया, वह सही था या गलत?
उत्तर:
बिलवासी जी ने जिस तरह से रुपयों का प्रबन्ध किया वह उचित नहीं था हमें अपने स्वार्थ व मन बहलाने के लिए किसी को मूर्ख नहीं बनाना चाहिए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: जहाँगीरी अंडा क्या है? कहानी के आधार पर स्पष्ट करें?

उत्तर: जहाँगीरी अंडे को दिल्ली के एक मुसलमान ने तीन सौ रुपये में मेजर डगलस को बेच दिया था। इस कबूतर के अण्डे ने ही जहाँगीर और नूरजहाँ का प्रेम कराया था। जहाँगीर ने उस कबूतर के अंडे को बिल्लौर की हाँडी में रखकर सुरक्षित रखा था। बाद में यही अंडा जहाँगीरी अंडा के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

प्रश्न 2: बिलवासी मिश्र की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
बिलवासी मिश्र प्रत्युत्पन्नति व्यक्ति थे, जिन्होंने अचानक आ पड़ी समस्या का हल चतुराई से निकाला। उन्होंने रद्दी जैसे लोटे को उसके वास्तविक मूल्य से कई गुना अधिक पर बेच दिया जिससे लालाजी की पत्नी के लिए देने से अधिक पैसे मिल गए। यह काम उन्होंने निःस्वार्थ भाव से किया था, जिसके लिए कुछ भी नहीं लिया। इन सब के अलावा वे सच्चे मित्र थे, जिन्होंने सही समय पर अपना फर्ज निभाया।

प्रश्न 3: लाला जी को अंग्रेज से किसने बचाया और कैसे?
उत्तर:
लाला जी के हाथ से पानी पीते हुए लोटा छूटकर तिमंजिले छत से नीचे एक अंग्रेज व्यक्ति पर गिर गया था, जिससे वह भीग भी गया और उसके पैर का अँगूठा भी अत्यधिक चोटिल हो गया। वह लाला जी पर बहुत गुस्सा हो रहा था तथा पुलिस में शिकायत करने की धमकी दे रहा था। उस अंग्रेज से लाला जी को उनके मित्र पंडित बिलवासी मिश्र जी ने बचाया। बिलवासी जी ने अंग्रेज के सामने उस लोटे को अकबर के समय का ऐतिहासिक लोटा सिद्ध कर दिया, जिसके कारण ऐतिहासिक वस्तुओं के संग्रह करने के शौकीन अंग्रेज को कोई शिकायत नहीं रही और वह उस लोटे को रु 500 में खरीदकर खुशी-खुशी चला गया।

प्रश्न 4: लाला जी को बिलवासी जी पर गुस्सा क्यों आ रहा था?
उत्तर: 
बिलवासी जी ने अंग्रेज को प्रभावित करने तथा उसका विश्वास जीतने के लिए लाला झाऊलाल के साथ अपना कोई भी संबंध होने से इंकार कर दिया। लाला जी को इस बात पर बहुत आश्चर्य हुआ। अंग्रेज का विश्वास हासिल करने की चालाकी में बिलवासी जी ने लाला जी को खतरनाक मुजरिम तक कह दिया। तब लाला झाऊलाल को बिलवासी जी पर अत्यधिक गुस्सा आने लगा। ऐसा लग रहा था जैसे वे बिलवासी जी को आँखों से ही खा जाएँगे।

प्रश्न 5: बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध किस प्रकार किया था?
उत्तर:
बिलवासी जी ने अपने मित्र लाला झाऊलाल की रुपयों की समस्या का समाधान करने के लिए अपनी पत्नी के गले में पड़ी चाबी रात में सोते समय निकालकर उसके संदूक में पड़े रुपयों को निकाल लिया और लाला जी के घर उसे देने पहुँच गए। ‘अकबरी लोटा’ वाली घटना हो जाने के कारण उन रुपयों की जरूरत नहीं पड़ी। अतः उन्होंने उसी तरीके से उन रुपयों को वापस अपनी पत्नी के संदूक में रख दिया।

मूल्यपरक प्रश्न
प्रश्न 1: पंडित बिलवासी मिश्र ने कहानी ‘अकबरी लोटा’ में एक सच्चे मित्र की भूमिका निभाई! अगर आप उनके स्थान पर होते तो क्या वही भूमिका निभाते जो पंडित बिलवासी ने निभाई या नहीं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
पंडित बिलवासी मिश्र ने सच्चे मित्र की भूमिका निभाई है जिसे मित्रता की दृष्टि से तो सही कह सकते है लेकिन नैतिकता की दृष्टि से इसे उचित नहीं कह सकते। बिलवासी जी ने अपने मित्र की सहायता हेतु पत्नी के संदूक से रुपये चुराए और एक साधारण लोटे को ऐतिहासिक ‘अकबरी लोटा’ बनाकर अंग्रेज को बेवकूफ बनाया। यदि मैं बिलवासी जी के स्थान पर होता तो, मैं ऐसी भूमिका नहीं निभा पाता अपितु मैं अपनी पत्नी के संदूक में रखे रुपयों की कभी भी चोरी नहीं करता। अपनी पत्नी को विश्वास में लेकर, उससे सहायता करने का आग्रह करता और फिर अपने मित्र की सहायता करता। अंग्रेज के साथ किया गया व्यवहार पूरी तरह से अनुचित तो नहीं था क्योंकि उसमें तार्किक बुद्धि नहीं थी। फिर भी नैतिक दृष्टि से मैं इस तरह का व्यवहार भी नहीं कर सकता था क्योंकि यह गलत होता।

The document Important Questions: अकबरी लोटा Notes | Study Hindi Class 8 - Class 8 is a part of the Class 8 Course Hindi Class 8.

All you need of Class 8 at this link: Class 8

पं बिलवासी मिश्र ने अपने मित्र लाला झाऊलाल की सहायता के लिए रुपयों का प्रबंध कैसे किया?

प्रश्न 5: बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध किस प्रकार किया था? उत्तर: बिलवासी जी ने अपने मित्र लाला झाऊलाल की रुपयों की समस्या का समाधान करने के लिए अपनी पत्नी के गले में पड़ी चाबी रात में सोते समय निकालकर उसके संदूक में पड़े रुपयों को निकाल लिया और लाला जी के घर उसे देने पहुँच गए।

अकबरी लोटा पाठ में बिलवासी जी ने झाऊलाल की कैसे मदद की थी आप उनके स्थान पर होते तो क्या करते?

लाला झाऊलाल जब तब दौड़कर नीचे उतरे तब तक एक भारी भीड़ उनके आँगन में घुस आई। दूसरे पैर पर नाच रहा है। उसी के पास अपराधी लोटे को भी देखकर लाला झाऊलाल जी ने फौरन दो और दो जोड़कर स्थिति को समझ लिया। गिरने के पूर्व लोटा एक दुकान के सायबान से टकराया।

लोटा प्रकरण में पंडित बिलवासी मिश्र ने अपनी क्या भूमिका निभाई?

यह सुनकर अंग्रेज़ लोटा खरीदने हेतु लालायित हो उठा और उसने पाँच सौ रुपए मैं उसे खरीद लिया। लालाजी को तो अपनी पत्नी को देने के लिए ढाई सौ रुपयों की जरूरत थी जबकि बिलवासी जी ने उन्हें पाँच सौ रुपए थमा दिए। “लाला ने लोटा ले लिया, बोले कुछ नहीं, अपनी पत्नी का अदब मानते थे।” लाला झाऊलाल को बेढंगा लोटा बिलकुल पसंद नहीं था।

लाला झाउलाल कहाँ रहते थे और उनकी आय का स्रोत क्या था?

Answer: लाला झाऊलाल काशी के ठठेरी बाज़ार में रहते थे। उन्हें दुकानों से करीब एक सौ रुपये किराया मिल जाता था जो उनकी आय का साधन था