पाँच जगत वर्गीकरण के क्या आधार है समझाइए? - paanch jagat vargeekaran ke kya aadhaar hai samajhaie?

विषयसूची

  • 1 पांच जगत वर्गीकरण क्या है समझाइए?
  • 2 दो जगत वर्गीकरण की सीमा क्या है समझाइए?
  • 3 जगत का आधार क्या है?
  • 4 वर्गीकरण के चार मुख्य लाभ कौन से हैं?
  • 5 जीवाणु कोशिका में क्या नहीं पाया जाता है?

पांच जगत वर्गीकरण क्या है समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंजीवविज्ञान में वर्गीकरण (Classification) की बात करते हैं तो व्यापक स्तर पर पांच जगत वाली प्रकृति हमारे सामने उभरती है। मोनेरा, प्रोटिस्टा, फफूंद, वनस्पति और जंतु जगत।

पाँच जगत वर्गीकरण के जन्मदाता कौन है?

इसे सुनेंरोकेंव्हिटेकर ने सन्1959 में जगत के वर्गीकरण उपाधि स्थापित किए थे । वे हैं – मोनेरा, प्रोटिस्टा , फंजाई, प्लांटी‌ और एनीमेलिया।

दो जगत वर्गीकरण की सीमा क्या है समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंइन्होंने सम्पूर्ण जीवों को दो जगत जन्तु एवं पादप में बाँटा है। कृत्रिम वर्गीकरण, वर्गीकरण की प्राचीनतम एवं अप्राकृतिक पद्धति है, जिसमें जीवों को, उनके एक या कुछ लक्षणों जैसे-आवास, बाह्य आकार, व्यवहार तथा आकृति की समानता आदि को आधार मानकर वर्गीकृत किया जाता है।

मोनेरा जगत को कितने भागों में बांटा गया है?

इसे सुनेंरोकेंइसलिए इन्हें प्राचीनतम जीवित जीवाश्म कहा जाता है। जिन परिस्थितियों में ये निवास करते हैं उनके आधार पर आक बैक्टीरिया को तीन समूहों में विभाजित किया गया है-मैथेनेजोन, हैलोफाइल्स तथा थर्मोएसिडोफाइल्स। साइनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria): साइनोबैक्टीरिया साधारणत: प्रकाश संश्लेषी (Photosynthetic) जीवधारी होते हैं।

जगत का आधार क्या है?

इसे सुनेंरोकेंओ३म् जगत् का अनुपम आधार है।

५ जगत वर्गीकरण के आधार लक्षण कौन कौन से हैं?

जीवों का पाँच जगत वर्गीकरण

  • मोनेरा जगत (KingdomMonera): इस जगत में प्रोकैरियोटिक जीव अर्थात् जीवाणु (Bacteria), सायनोबैक्टीरिया और आर्कीबैक्टीरिया शामिल हैं|
  • प्रोटिस्टा जगत (Kingdom Protista): इस जगत में एककोशिकीय यूकैरियोटिक जीव शामिल हैं | पादप व जंतु के बीच स्थित युग्लीना इसी जगत में शामिल है |

वर्गीकरण के चार मुख्य लाभ कौन से हैं?

इसे सुनेंरोकेंजीवों को वर्गीकृत करने के फायदे इस प्रकार हैं: (i) वर्गीकरण से जीवों की पहचान में आसानी होती है। (ii) जीवों का वर्गीकरण जीवों के विभिन्न समूहों के बीच संबंध स्थापित करने में मदद करता है। (iii) जीवों के वर्गीकरण से जीवों के फाइटोलेंजि और विकासवादी इतिहास का अध्ययन करने में मदद मिलती है।

वर्गीकरण की आवश्यकता क्यों पड़ी?

इसे सुनेंरोकेंसीरीज (Series) गणों के समूह को सीरीज में रखते हैं। जीवों को वर्गीकृत :- पृथ्वी में कई मिलियन पौधे तथा प्राणी है, इन सभी जीवों का अध्ययन करना कठिन है, इसलिए वर्गीकरण की आवश्यकता पड़ी। वर्गीकरण की किसी भी प्रणाली के बिना जीवधारियों की पहचान सम्भव नहीं है, वर्गीकरण से विकास प्रकम का ज्ञान होता है।

जीवाणु कोशिका में क्या नहीं पाया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंपहले जीवाणुओं को पौधा माना जाता था परंतु अब उनका वर्गीकरण प्रोकैरियोट्स के रूप में होता है। दूसरे जन्तु कोशिकों तथा यूकैरियोट्स की भांति जीवाणु कोष में पूर्ण विकसित केन्द्रक का सर्वथा अभाव होता है जबकि दोहरी झिल्ली युक्त कोशिकांग यदा कदा ही पाए जाते है।

कौन सा जीव मोनेरा जगत से संबंधित नहीं है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर खमीर है। खमीर कवक जगत का एक उदाहरण है।

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जीवों का पाँच जगत वर्गीकरण Five kingdom classification of organisms

अध्ययन की दृष्टि से जीवों को उनकी शारीरिक रचना,रूप व कार्य के आधार पर अलग-अलग वर्गों में बाँटा गया है | जीवों का ये वर्गीकरण एक निश्चित पदानुक्रमिक दृष्टि अर्थात् जगत (Kingdom), उपजगत(Phylum), वर्ग (Class), उपवर्ग(Order), वंश(Genus) और जाति(Species) के पदानुक्रम में  किया जाता है | इसमें सबसे उच्च वर्ग ‘जगत’ और सबसे निम्न वर्ग ‘जाति’ होती है| अतः किसी भी जीव को इन छः वर्गों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है|

वर्गीकरण विज्ञान का विकास

सर्वप्रथम अरस्तू ने जीव जगत को दो समूहों अर्थात् वनस्पति व जंतु जगत में बाँटा था |उसके बाद लीनियस ने अपनी पुस्तक ‘Systema Naturae’ में सभी जीवधारियों को पादप व जंतु जगत में वर्गीकृत किया |लीनियस को ‘आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली का पिता’ कहा जाता है क्योंकि उनके द्वारा की गयी वर्गीकरण प्रणाली के आधार पर ही आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली की नींव पड़ी है|

1969 ई. में परंपरागत द्विजगत वर्गीकरण प्रणाली का स्थान व्हिटकर (Whittaker) द्वारा प्रस्तुत पाँच जगत प्रणाली ने ले लिया | व्हिटकर ने सभी जीवों को निम्नलिखित पाँच जगत (Kingdoms) में वर्गीकृत किया:

1. मोनेरा जगत (Kingdom Monera): इस जगत में प्रोकैरियोटिक जीव अर्थात् जीवाणु (Bacteria), सायनोबैक्टीरिया और आर्कीबैक्टीरिया शामिल हैं|

2. प्रोटिस्टा जगत (Kingdom Protista): इस जगत में एककोशिकीय यूकैरियोटिक जीव शामिल हैं | पादप व जंतु के बीच स्थित युग्लीना इसी जगत में शामिल है |

3. कवक जगत (Kingdom Fungi) : इसमें परजीवी तथा मृत पदार्थों पर भोजन के लिए निर्भर जीव शामिल है | इनकी कोशिका भित्ति काईटिन की बनी होती है |

4. पादप जगत (Kingdom Plantae): इस जगत में शैवाल व बहुकोशिकीय हरे पौधे शामिल हैं |

5. जंतु जगत (Kingdom Animal): इसमें सभी बहुकोशिकीय जंतु शामिल होते हैं | इसे मेटाजोआ’ भी कहा जाता है |

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1982 ई. में मार्ग्युलियस व स्वार्त्ज़ (Margulius and Schwartz) ने पाँच जगत वर्गीकरण का पुनरीक्षण (Revision) किया | इसमें एक प्रोकैरियोटिक और चार यूकैरियोटिक जगत अर्थात् प्रोटोसिस्टा (Protocista), कवक, पादप व जंतु को शामिल किया गया | वर्तमान में इस वर्गीकरण प्रणाली को ही सर्वाधिक मान्यता प्राप्त है |  

1. मोनेरा जगत (प्रोकैरियोटिक):

इसे पुनः आर्कीबैक्टीरिया (Archaebacteria) और यूबैक्टीरिया(Eubacteria ) में बाँटा जाता है, जिनमें से आर्कीबैक्टीरिया अधिक प्राचीन है |

a. आर्कीबैक्टीरिया: इनमें से अधिकांश स्वपोषी (Autotrophs) होते हैं और वे अपनी ऊर्जा चयापचय क्रिया (Metabolic Activities), रासायनिक ऊर्जा के स्रोतों (जैसे-अमोनिया,मीथेन,और हाइड्रोजन सल्फाइड  गैस) के आक्सीकरण से प्राप्त करते हैं | इन गैसों की उपस्थिति में ये अपना स्वयं का अमीनो अम्ल बना सकते हैं | इन्हें तीन वर्गों में बाँटा जाता है- मेथोनोजेंस (मीथेन का निर्माण करते है), थर्मोएसिडोफिल्स (अत्यधिक उष्ण और अम्लीय पर्यावरण के प्रति अनुकूलित) तथा हैलोफिल्स (अत्यधिक लवणीय पर्यावरण में बढ़ने वाले)|

b. यूबैक्टीरिया:  इनमें प्रायः झिल्ली से घिरे हुए केन्द्रक आदि कोशिकांग(Organelles) नहीं पाए जाते हैं | न्युक्लियोएड (Nucleoid) एकमात्र गुणसूत्र की तरह कार्य करता है | प्रकाश संश्लेषण व इलेक्ट्रानों का हस्तांतरण (Transfer) प्लाज्मा झिल्ली पर होता है |

पाँच जगत वर्गीकरण के क्या आधार है समझाइए? - paanch jagat vargeekaran ke kya aadhaar hai samajhaie?
यूबैक्टीरिया

2. प्रोटिस्टा जगत (प्रोटोसिस्टा)

a. इसमें विभिन्न प्रकार के एककोशिकीय यूकैरियोटिक जीव, जैसे एककोशिकीय शैवाल, प्रोटोज़ाआ और एककोशिकीय कवक शामिल हैं|

b. ये स्वपोषी (जैसे- एककोशिकीय कवक,डायटम) या परपोषी (जैसे- प्रोटोज़ाआ) होते हैं|

c. एककोशिकीय कवक, क्लोरेला, युग्लीना, ट्रिपैनोसोमा (नींद की बीमारी का कारण ), प्लाज्मोडियम, अमीबा, पैरामीशियम (Paramecium), क्लामिडोमोनास (Chlamydomonas) आदि इसके उदाहरण हैं|

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पैरामीशियम

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3. कवक जगत

a. इसमें वे पौधे शामिल हैं जो प्रकाश संश्लेषण (photosynthetic) क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वयं तैयार नहीं कर पाते हैं |

b. ये परपोषी (Heterotrophic) और यूकैरियोटिक होते हैं |

c. कुछ कवक परजीवी(Parasites) होते हैं और जिस पौधे पर रहते हैं उसी   से अपने लिए पोषक पदार्थ प्राप्त करते हैं |

d. कुछ कवक, जैसे पेंसीलियम, अपघटक (Decomposer) होते हैं और मृत पदार्थों से पोषक तत्व प्राप्त करते हैं |

e. इनमें भोजन को ग्लाइकोजन के रूप में संचयित (Store) किया जाता है|

f.  कवकों के उदाहरण यीस्ट, मशरूम, दीमक आदि हैं |

4. पादप जगत

a. इसमें बहुकोशिकीय पौधे शामिल होते हैं|

b. ये यूकैरियोटिक होते हैं |

c. इनमें कोशिका भित्ति (Cell wall) पाई जाती है|

d. इनमें टोनोप्लास्त झिल्ली से घिरी हुई एक केन्द्रीय रिक्तिका/ रसधानी (vacuole) पाई जाती है |

e. ये पौधों के लिए भोजन को स्टार्च और लिपिड्स के रूप में संचय (Store) करते हैं|

g. इनमें लवक (Plastids) उपस्थित होते हैं|

h. ये स्वपोषी होते है अर्थात् अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं |

i. पादपों की वृद्धि असीमित होती है |

j. शाखाओं के कारण इनका आकार अनिश्चित होता है |

5. जंतु जगत

a. जंतुओं में भित्ति रहित (wall less) यूकैरियोटिक कोशिकाएं पाई जाती हैं |

b. ये परपोषी होते है|

c. जंतुओं की वृद्धि सीमित होती है |

d. जंतुओं में प्रायः एक निश्चित आकार व रूप पाया जाता है |

e. ज्यादातर जंतु चलायमान (Mobile) होते हैं |

f. जन्तुओं में कोशिका, ऊतक (Tissue), अंग व अंग प्रणाली के क्रमिक स्तर पाए जाते हैं |

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पञ्च जगत वर्गीकरण का क्या आधार है?

पांच-जगत प्रणाली में, वर्गीकरण का आधार कोशिका संरचना, भौतिक संगठन, पोषण विधि और जीवन चक्र की जटिलता है। अरस्तू ने सबसे पहले जीवित दुनिया को दो समूहों में विभाजित किया, अर्थात्, वनस्पति और जीव। उसके बाद, लिनिअस ने अपनी पुस्तक 'सिस्टेमा नेचुरे' में, सभी जानवरों को पौधों और जानवरों में वर्गीकृत किया।

प्रश्न 1 पंच जगत वर्गीकरण किसने प्रस्तुत किया तथा इस का आधार क्या हैं?

Solution : पाँच जगत वर्गीकरण पद्धति आर० एच० व्हीटेकर, 1969 ने प्रतिपादित की।

जगत कितने प्रकार के होते है?

मोनेरा जगत (प्रोकैरियोटिक): इसे पुनः आर्कीबैक्टीरिया (Archaebacteria) और यूबैक्टीरिया(Eubacteria ) में बाँटा जाता है, जिनमें से आर्कीबैक्टीरिया अधिक प्राचीन है | a. ... .
प्रोटिस्टा जगत (प्रोटोसिस्टा) a. ... .
कवक जगत a. ... .
पादप जगत a. ... .
जंतु जगत.

जगत वर्गीकरण से आप क्या समझते हैं?

जगत (अंग्रेज़ी: kingdom, किंगडम) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक ऊँची श्रेणी होती है। आधुनिक जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में यह श्रेणी संघों (फ़ायलमों) से ऊपर आती है, यानि एक जगत में बहुत से संघ होते हैं और बहुत से संघों को एक जीववैज्ञानिक जगत में संगठित किया जाता है।