पंजाबी गुरमुखी लिपि में लिखी जाती है, जिसमें निम्न स्वर होते हैं। यह सभी देवनागरी लिपि की तरह है, अतः आप आसानी से इनके उच्चारण और अक्षर समझ सकते हैं। Show
गुरमुखी लिपि (ਗੁਰਮੁਖੀ ਲਿੱਪੀ) एक लिपि है जिसमें पंजाबी भाषा लिखी जाती है। गुरुमुखी का अर्थ है गुरुओं के मुख से निकली हुई। अवश्य ही यह शब्द ‘वाणी’ का द्योतक रहा होगा, क्योंकि मुख से लिपि का कोई सम्बन्ध नहीं है। किन्तु वाणी से चलकर उस वाणी कि अक्षरों के लिए यह नाम रूढ़ हो गया। इस प्रकार गुरूओं ने अपने प्रभाव से पञ्जाब में एक भारतीय लिपि को प्रचलित किया। वरना सिन्ध की तरह पञ्जाब में भी फ़ारसी लिपि का प्रचलन हो रहा था और वही बना रह सकता था। इस लिपि में ३ स्वर और ३२ व्यञ्जन हैं। स्वरों के साथ मात्राएँ जोड़कर अन्य स्वर बना लिए जाते हैं। इनके नाम हैं ऊड़ा, आया, ईड़ी, सासा, हाहा, कका, खखा इत्यादि। अन्तिम अक्षर ड़ाड़ा है। छठे अक्षर से कवर्ग आरम्भ होता है और शेष अक्षरों का (व) तक वही क्रम है जो देवनागरी वर्णमाला में है। मात्राओं के रूप और नाम इस प्रकार हैं। ट के साथ (मुक्ता), टा (कन्ना), टि (स्यारी), टी (बिहारी), ट (ऐंक ड़े), ट (दुलैंकड़े), टे (लावाँ), टै (दोलावाँ), (होड़ा), (कनौड़ा), (टिप्पी), ट: (बिदै)। इस वर्णमाला में प्राय: संयुक्त अक्षर नहीं हैं। यद्यपि अनेक संयुक्त ध्वनियाँ विद्यमान हैं। गुरमुखी वर्णमाला[संपादित करें]गुरमुखी लिपि में ३५ वर्ण होते हैं। पहले तीन वर्ण विशेष हैं क्योंकि वे स्वर वर्णों के आधार होते हैं। केवल ऐड़ा को छोड़कर बाकी पहले तीन वर्ण अकेले कहीं नहीं प्रयुक्त होते। विस्तार से समझने के लिए स्वर वर्ण को देखें। गुरमुखी-देवनागरी तुलना[संपादित करें]
टिप्पणी[संपादित करें]कृपया ध्यान दें कि अक्षर–रूप मिलने के होते हुए भी पञ्जाबी द्वारा गुरमुखी और हिन्दी द्वारा देवनागरी के प्रयोग में कुछ महत्वपूर्ण अन्तर हैं:
गुरमुखी अक्षर[संपादित करें]
गुरमुखी का यूनिकोड[संपादित करें]गुरमुखी लिपि की यूनिकोड रेंज U+0A00 से U+0A7F तक है। गुरमुखी के लिए यूनिकोड का प्रयोग शुरु हुए अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं। पंजाबी के ज्यादातर जालघरों ने अभी यूनिकोड नहीं अपनाया है।
सन्दर्भ[संपादित करें]इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
पंजाबी में वर्णमाला को क्या कहते हैं?गुरमुखी वर्णमाला
गुरमुखी लिपि में ३५ वर्ण होते हैं। पहले तीन वर्ण विशेष हैं क्योंकि वे स्वर वर्णों के आधार होते हैं। केवल ऐड़ा को छोड़कर बाकी पहले तीन वर्ण अकेले कहीं नहीं प्रयुक्त होते।
पंजाबी के अक्षर कैसे होते हैं?पंजाबी गुरमुखी लिपि में लिखी जाती है, जिसमें निम्न स्वर होते हैं। यह सभी देवनागरी लिपि की तरह है, अतः आप आसानी से इनके उच्चारण और अक्षर समझ सकते हैं। किसी व्यंजन में इसके होने का कोई चिह्न नहीं होता है। अतः किसी भी व्यंजन में यदि कोई मात्रा न दिखे तो उसका अर्थ यही है कि उसमें अ का स्वर जुड़ा हुआ है।
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