Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है. इस साल ये पर्व देशभर में कल मनाया जाएगा. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस पर्व को नए फल और नए ऋतु के आगमन के लिए मनाया जाता है. जब सूर्य देव मकर राशि पर प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा और अन्य पावन नदियों के तट पर स्नान और दान, धर्म करते हैं. हिंदू धार्मिक मान्यतों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का वध कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था. तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा. वहीं माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि जो मनुष्य इस दिन अपने देह को त्याग देता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ती होती है. यूं तो सारे पर्व पूरे देश में मनाए जाते हैं लेकिन मकर संक्रांति की बात ही अलग है. ये अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. इस बार अगर आप भी किसी और जगह की मकर संक्रांति का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो आइए जानते हैं कि कहां और कैसे मनाते हैं मकर संक्रांति. Show उत्तर प्रदेश इसे भी पढ़ेंः Makar Sankranti 2022 Wishes: दूर रहने वाले अपनों के साथ डिजिटली मनाएं मकर संक्रांति, भेजें ये खास मैसेजेस पंजाब और हरियाणा पश्चिम बंगाल बिहार असम यह भी पढ़ें: मकर संक्रांति पर बदलेगी इन राशिवालों की किस्मत, जानें यहां राजस्थान महाराष्ट्र Tags: Lifestyle, Makar Sankranti भारतीयों का प्रमुख पर्व मकर संक्रांति अलग-अलग राज्यों, शहरों और गांवों में वहां की परंपराओं के अनुसार मनाया जाता है. इसी दिन से अलग-अलग राज्यों में गंगा नदी के किनारे माघ मेला या गंगा स्नान का आयोजन किया जाता है. कुंभ के पहले स्नान की शुरुआत भी इसी दिन से होती है. मकर संक्रांति त्योहार विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है. उत्तर प्रदेश : मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व कहा जाता है. सूर्य की पूजा की जाती है. चावल और दाल की खिचड़ी खाई और दान की जाती है. गुजरात और राजस्थान : उत्तरायण पर्व के रूप में मनाया जाता है. पतंग उत्सव का आयोजन किया जाता है. आंध्रप्रदेश : संक्रांति के नाम से तीन दिन का पर्व मनाया जाता है. तमिलनाडु : किसानों का ये प्रमुख पर्व पोंगल के नाम से मनाया जाता है. घी में दाल-चावल की खिचड़ी पकाई और खिलाई जाती है. महाराष्ट्र : लोग गजक और तिल के लड्डू खाते हैं और एक दूसरे को भेंट देकर शुभकामनाएं देते हैं. पश्चिम बंगाल : हुगली नदी पर गंगा सागर मेले का आयोजन किया जाता है. असम : भोगली बिहू के नाम से इस पर्व को मनाया जाता है. पंजाब : एक दिन पूर्व लोहड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है. धूमधाम के साथ समारोहों का आयोजन किया जाता है. मकर संक्रांति क्या है? सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को ही संक्रांति कहते हैं. एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास है. वैसे तो सूर्य संक्रांति 12 हैं, लेकिन इनमें से चार संक्रांति महत्वपूर्ण हैं जिनमें मेष, कर्क, तुला, मकर संक्रांति हैं. मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्नानए दान और पुण्य के शुभ समय का विशेष महत्व है. मकर संक्रांति के पावन पर्व पर गुड़ और तिल लगाकर नर्मदा में स्नान करना लाभदायी होता है. इसके बाद दान संक्रांति में गुड़, तेल, कंबल, फल, छाता आदि दान करने से लाभ मिलता है और पुण्यफल की प्राप्ति होती है. 14 जनवरी ऐसा दिन है, जब धरती पर अच्छे दिन की शुरुआत होती है. ऐसा इसलिए कि सूर्य दक्षिण के बजाय अब उत्तर को गमन करने लग जाता है. जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर गमन करता है तब तक उसकी किरणों का असर खराब माना गया है, लेकिन जब वह पूर्व से उत्तर की ओर गमन करते लगता है तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं. मकर संक्रांति को पंजाबी में क्या बोलते हैं?पंजाब और हरियाणा में मकर संक्रांति को माघी नाम से मनाया जाता है। वैसे पंजाब में इसे लोहड़ी के नाम से भी जाना जाता है जिसे पंजाब में मकर संक्रांति के एक दिन पहले ही मनाया जाता है। राजस्थान और गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण कहते हैं।
मकर संक्रांति का दूसरा नाम क्या है?मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहते हैं।
मकर संक्रांति को राजस्थान में क्या कहते हैं?यही वजह है कि इस पर्व को लोग मकर संक्रांति कहते हैं. मकर संक्रांति पर्व को पूरे देश में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है. गुजरात और राजस्थान में इसे उत्तरायण (Uttarayan 2023) के नाम से मनाया जाता है.
हिमाचल प्रदेश में मकर संक्रांति को क्या कहते हैं?कुल्लू और और शिमला के आसपास के कई इलाकों में मकर संक्रांति को 'खिचड़ी का साजा' नाम से भी जाना जाता है। इस दिन घर-घर में माश की खिचड़ी बनाई जाती है।
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