पोखरण परीक्षण के दौरान प्रधानमंत्री कौन थे? - pokharan pareekshan ke dauraan pradhaanamantree kaun the?

नई दिल्ली
साल 1998, प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने आज ही के दिन राजस्थान के पोकरण में परमाणु परीक्षण कर दुनिया को चौंका दिया था। अचानक किए गए इन परमाणु परीक्षणों से अमेरिका, पाकिस्तान समेत कई देश दंग रह गए थे। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की अगुआई में यह मिशन कुछ इस तरह से अंजाम दिया गया कि अमेरिका समेत पूरी दुनिया को इसकी भनक तक नहीं लगी। इससे पहले 1974 में इंदिरा गांधी की सरकार ने पहला परमाणु परीक्षण (पोकरण-1) कर दुनिया को भारत की ताकत का लोहा मनवाया था, इसे ऑपरेशन 'स्माइलिंग बुद्धा' नाम दिया गया था।

पोकरण परमाणु परीक्षण के 20 साल पूरे होने के मौके पर आज बीजेपी की युवा ईकाई कई कार्यक्रम आयोजित कर युवाओं को परीक्षण की प्रक्रिया, आवश्यकताओं और उससे उपजे 'स्वाभिमान' के भाव से अवगत कराएगी। आइए जानते हैं कि 20 साल पहले आज ही के दिन कैसे बड़े ही गोपनीय तरीके से भारत ने किया था यह बड़ा परमाणु विस्फोट:

- दरअसल, अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA भारत पर नजर रखे हुए थी और उसने पोकरण पर निगरानी रखने के लिए 4 सैटलाइट लगाए थे। हालांकि भारत ने CIA और उसके सैटलाइटों को चकमा देते हुए परमाणु परीक्षण कर दिया।

- इस प्रॉजेक्ट के साथ जुड़े वैज्ञानिक कुछ इस कदर सतर्कता बरत रहे थे कि वे एक दूसरे से भी कोड भाषा में बात करते थे और एक दूसरे को छद्म नामों से बुलाते थे। ये झूठे नाम इतने हो गए थे कि कभी-कभी तो साथी वैज्ञानिक एक दूसरे का नाम भूल जाते थे।

सेना की वर्दी में वैज्ञानिक
- उस दिन सभी को आर्मी की वर्दी में परीक्षण स्थल पर ले जाया गया था ताकि खुफिया एजेंसी को यह लगे कि सेना के जवान ड्यूटी दे रहे हैं।

- 'मिसाइलमैन' अब्दुल कलाम भी सेना की वर्दी में वहां मौजूद थे। बाद में इसकी तस्वीरें भी सामने आई थीं, जिसमें पूरी टीम सेना की वर्दी में दिखाई पड़ी।

पोखरण परीक्षण के दौरान प्रधानमंत्री कौन थे? - pokharan pareekshan ke dauraan pradhaanamantree kaun the?

सेना की वर्दी में कलाम व अन्य वैज्ञानिक (फाइल)


- बताते हैं कि डॉ. कलाम को कर्नल पृथ्वीराज का छद्म नाम दिया गया था और वह कभी ग्रुप में टेस्ट साइट पर नहीं जाते थे। वह अकेले जाते जिससे किसी को भी उन पर शक न हो।

- 10 मई की रात को योजना को अंतिम रूप देते हुए ऑपरेशन को 'ऑपरेशन शक्ति' नाम दिया गया।

ट्रक से तड़के पहुंचा बम
- तड़के करीब 3 बजे परमाणु बमों को सेना के 4 ट्रकों के जरिए ट्रांसफर किया गया। इससे पहले इसे मुंबई से भारतीय वायु सेना के प्लेन से जैसलमेर बेस लाया गया था।

ताजमहल और कुंभकरण जैसे कोडवर्ड्स
- ऑपरेशन के दौरान दिल्ली के ऑफिस में कुछ इस तरह से बातें की जाती थीं, जैसे- क्या स्टोर आ चुका है? परमाणु बम के एक दस्ते को 'ताजमहल' कहा जा रहा था। अन्य कोड वर्ड्स थे वाइट हाउस और कुंभकरण।

- परीक्षण के लिए पोकरण को ही चुना गया था क्योंकि यहां मानव बस्ती बहुत दूर थी। आपको बता दें कि जैसलमेर से 110 किमी दूर जैसलमेर-जोधपुर मार्ग पर पोकरण एक प्रमुख कस्बा है।

बड़े कुएं खोदे गए थे
- वैज्ञानिकों ने इस मिशन को पूरा करने के लिए रेगिस्तान में बड़े कुएं खोदे और इनमें परमाणु बम रखे गए। कुओं पर बालू के पहाड़ बनाए गए जिन पर मोटे-मोटे तार निकले हुए थे।

- धमाके से आसमान में धुएं का गुबार उठा और विस्फोट की जगह पर एक बड़ा गड्ढा बन गया था। इससे कुछ दूरी पर खड़ा 20 वैज्ञानिकों का समूह पूरे घटनाक्रम पर नजर रखे हुए था।

पोखरण परीक्षण के दौरान प्रधानमंत्री कौन थे? - pokharan pareekshan ke dauraan pradhaanamantree kaun the?


- पोकरण परीक्षण रेंज पर 5 परमाणु बम के परीक्षणों से भारत पहला ऐसा परमाणु शक्ति संपन्न देश बन गया, जिसने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए थे।

- परीक्षण के बाद वाजपेयी ने ऐलान किया, 'आज, 15.45 बजे भारत ने पोकरण रेंज में अंडरग्राउड न्यूक्लियर टेस्ट किया'। वह खुद धमाके वाली जगह पर गए थे।कलाम ने टेस्ट के सफल होने की घोषणा की थी।

कलाम ने बताया, भारत पर था दबाव
- कलाम ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उस समय भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव काफी ज्यादा था लेकिन तत्कालीन पीएम वाजपेयी ने तय किया था कि वह आगे बढ़कर परीक्षण करेंगे। इसके साथ ही भारत एक परमाणु ताकत बना।

- भारत के इन परमाणु परीक्षणों की सफलता से दुनियाभर में भारत की धाक जम गई। केंद्र में वाजपेयी की सरकार बने सिर्फ तीन महीने हुए थे और हर कोई इस बात से हैरान था कि इतनी जल्दी वाजपेयी ने इतना बड़ा कदम कैसे उठा लिया।

- हालांकि वाजपेयी ने यह भी कहा था कि हम पहले परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेंगे। जिन देशों के पास परमाणु हथियार नहीं हैं, भारत उनके खिलाफ इन हथियारों का इस्तेमाल कभी नहीं करेगा।

Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप

लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें

इंदिरा गांधी ने अपने रक्षा मंत्री को भी नहीं पता लगने दी थी पोखरण में परमाणु परीक्षण की बात

इस पूरे ऑपरेशन के बारे में पीएम इंदिरा गांधी के अलावा, मुख्य सचिव पीएन हक्सर, पीएन धर, वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. नाग चौधरी और एटॉमिक एनर्जी कमीशन के चेयरमैन एच. एन. सेठना और खुद राजा रमन्ना को ही जानकारी थी।

Updated: May 18, 2017 1:08:54 pm

पोखरण परीक्षण के दौरान प्रधानमंत्री कौन थे? - pokharan pareekshan ke dauraan pradhaanamantree kaun the?

एक बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी। (फोटो- इंडियन एक्सप्रेस आर्काइव)

18 मई 1974 को पोखरण में परमाणु परीक्षण कर हिंदुस्तान ने पूरी दुनिया को हिला दिया था। भारत से पहले इस तरह का न्यूकलियर टेस्ट सिर्फ संयुक्त राष्ट्र के 5 स्थायी देशों ने किया था। भारत इस परीक्षण के बाद दुनिया के ताकतवर देशों की कतार में मजबूती से खड़ा हो गया। पोखरण में हुए इस न्यूलियर टेस्ट प्रोजेक्ट का नाम स्माइलिंग बुद्धा रखा गया था। दो कारणों से इस प्रोजेक्ट का नाम स्माइलिंग बुद्धा रखा गया। पहला तो ये कि भारत सरकार इस नाम के जरिए दुनिया को दिखाना चाह रही थी कि उसने ये परीक्षण शांति के उद्देश्य से किया है। दूसरा कारण ये था कि उस दिन यानि 18 मई 1974 को बुद्ध पूर्णिमा थी।

आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने वैज्ञानिक होमी जहांगीर भावा को परमाणु कार्यक्रमों की जिम्मेदारी सौंपी। होमी भावा ने ये जिम्मेदारी बखूबी निभाई भी। पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध तक परमाणु कार्यक्रमों को बहुत ज्यादा रफ्तार नहीं प्राप्त थी। इस युद्ध के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने परमाणु रिसर्च को प्राथमिकता देने का फरमान सुनाया।

इंदिरा गांधी के फरमान के तीन साल के अंदर ही भारतीय वैज्ञानिकों और सरकार ने अपने पहले परमाणु परीक्षण को अंजाम दे दिया। इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने वाले वैज्ञानिकों की टीम के अहम सदस्य राजा रमन्ना ने अपनी बायोग्राफी ‘इयर्स ऑफ पिलग्रिमिज’ में बताया कि इस पूरे ऑपरेशन के बारे में पीएम इंदिरा गांधी के अलावा, मुख्य सचिव पीएन हक्सर, पीएन धर, वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. नाग चौधरी और एटॉमिक एनर्जी कमीशन के चेयरमैन एच. एन. सेठना और खुद राजा रमन्ना को ही जानकारी थी। बताया जाता है कि तत्कालीन रक्षा मंत्री बाबू जगजीवन राम को भी ऑपरेशन सफल होने के बाद ही जानकारी हो पाई थी। आज इस परीक्षण को 43 साल पूरे हो गए हैं।

पढें राष्ट्रीय (National News) खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News)के लिए डाउनलोड करें Hindi News App.

First published on: 18-05-2017 at 12:27:19 pm

1998 में पोखरण II परमाणु परीक्षण के दौरान भारत के प्रधानमंत्री कौन थे?

1998 में आयोजित पोखरण- II परमाणु परीक्षण के दौरान भारत के प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे

पोखरण परमाणु परीक्षण के दौरान भारत के प्रधानमंत्री कौन थे?

किंतू राश्ट्र के इस महान उपलब्धि के सामने लोगों को अपने घरो के टुटने से इतनी चिंता नहीं हुई जितनी प्रसन्नता इस महान सफलता से हुई। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी २० मई को बुद्ध-स्थल पहुंचे। वही प्रधानमंत्री ने देश को एक नया नारा दिया'जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान'।

1998 के पोखरण परीक्षण का क्या नाम है?

11 मई 1998 में भारत ने पोखरण में ऑपरेशन शक्ति के तहत सफल परमाणु परीक्षण किया था.

पोखरण में परमाणु परीक्षण प्रथम बार कब किया गया?

आज से 48 साल पहले भारत ने पहला सफल परमाणु परीक्षण किया था। इस ऑपरेशन का नाम स्माइलिंग बुद्धा रखा गया था। 18 मई 1974 को यह परीक्षण राजस्थान के पोखरण में टॉप अधिकारियों के निगरानी में किया गया था।