These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 Physics. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane ( समतल में गति). Show अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर प्रश्न 1: प्रश्न 2: प्रश्न 3: प्रश्न 4: प्रश्न 5: प्रश्न 6: उत्तर: प्रश्न 7: प्रश्न 8: दिया है : वृत्तीय पथ की त्रिज्या (R) = 200 m ∵ प्रत्येक लड़की का विस्थापन सदिश = [latex]\xrightarrow { PQ }[/latex] ∴ विस्थापन सदिश का परिमाण = व्यास PQ की लम्बाई = 2R = 2x200m = 400 m ∵ लड़की B द्वारा तय पथ (PQ) की लम्बाई = 2R = 400m ∴ लड़की B के लिए विस्थापन संदिश का (UPBoardSolutions.com) परिमाण वास्तव में स्केट चित्र 4.2 किए गए पथ की लम्बाई के बराबर है। प्रश्न 9: हल: (a) दिया है : वृत्तीय पार्क की त्रिज्या = 1km चूंकि साइकिल सवार केन्द्र० से चलकर पुनः केन्द्र0 पर ही पहुँच जाता है, अतः कुल विस्थापन = 0 प्रश्न 10: (b) मोटर चालक छठा मोड़ शीर्ष A पर लेगा अर्थात् इस क्षण मोटर चालक अपने प्रारम्भिक बिन्दु पर पहुँच चुका होगा। ∴ विस्थापन = शून्य। जबकि कुल पथ-लम्बाई = AB+ BC + CD+DE. + EF + FA = 6 x AB = 6 x 500m = 3000 m = 3 km विस्थापन : पथ-लम्बाई = 0:3km = 0 (c) मोटर चालक आठवाँ मोड़ शीर्ष C पर लेगा। प्रश्न 11: प्रश्न 12: प्रश्न 13: प्रश्न 14: प्रश्न 15: प्रश्न 16: प्रश्न 17: प्रश्न 18: प्रश्न 19: प्रश्न 20: समय t सेकण्ड में है तथा सभी गुणकों के मात्रक इस प्रकार से हैं [latex]\xrightarrow { r }[/latex] कि मीटर में व्यक्त हो जाए। (a) कण का [latex]\xrightarrow { v }[/latex] तथा [latex]\xrightarrow { a }[/latex] निकालिए, (b) t = 2.0s पर कण के वेग का परिमाण तथा दिशा कितनी होगी? हल: प्रश्न 21: प्रश्न 22: प्रश्न 23: यहाँ औसत की आशय समयान्तराल t2 व t1 से सम्बन्धित भौतिक राशि के औसत मेन से है। उत्तर: (a) असत्य, (b) सत्य, (c) असत्य, (d) असत्य, (e) सत्य। प्रश्न 24: प्रश्न 25: अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न 26: प्रश्न 27: प्रश्न 28: प्रश्न 29: प्रश्न 30: प्रश्न 31: प्रश्न 32: उत्तर: (a) माना कोई प्रक्षेप्य मूलबिन्दु से इस प्रकार फेंका जाता है कि उसके वेग के x-अक्ष तथा y-अक्षों की दिशाओं में वियोजित घटक क्रमश: Vox तथा v0y हैं। माना t समय पश्चात् प्रक्षेप्य बिन्दु P पर पहुँचता है, जहाँ उसको स्थिति सदिश [latex]\xrightarrow { r }[/latex] (t) है। परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर बहुविकल्पीय प्रश्न प्रश्न 1: प्रश्न 2: प्रश्न 3: उत्तर: प्रश्न
4: प्रश्न
5: प्रश्न 6: उत्तर: (ii) u cosθ प्रश्न 7: प्रश्न 8: प्रश्न 9: प्रश्न 10: प्रश्न 11: प्रश्न 12: प्रश्न 13: प्रश्न 14: अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1: प्रश्न 2: प्रश्न 3: प्रश्न 4: प्रश्न 5: प्रश्न
6: प्रश्न 7: प्रश्न 8: प्रश्न 9: प्रश्न
10: प्रश्न 11: प्रश्न 12: प्रश्न 13: प्रश्न 14: लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1: पिण्ड उच्चतम बिन्दु P परे, पहुँचकर अपने परवलयाकार गमन पथ द्वारा नीचे आने लगता है, जितने समय में पिण्ड बिन्दु ० से उच्चतम बिन्दु P तक जाता है उतने ही समय में वह बिन्दु P से C तक लौटता है जो कि बिन्दु 0 की ठीक सीध में है। अतः पिण्ड को उड्डयन काल प्रक्षेप्य का क्षैतिज परास: प्रक्षेप्य अपने उड्डयन काल में जितनी क्षैतिज दूरी तय करता है उसे प्रक्षेप्य की परास कहते हैं। इसे प्राय: R से व्यक्त करते हैं। चित्र 4.11 से क्षैतिज परास OC=( क्षैतिज वेग) x (उड्डयन काल) समीकरण (1) से स्पष्ट है कि अधिकतम क्षैतिज परास के लिए, sin 2θ0 =1 अर्थात् 2θ0 = 90° अथवा θ0 = 45°, अतः पिण्डे का अधिकतम परास प्राप्त करने के लिए पिण्ड को 45° पर प्रक्षेपित किया जाना चाहिए। इस दशा में यही कारण है कि पृथ्वी पर लम्बी कूद (long jump) करने वाला खिलाड़ी पृथ्वी से 45° के कोण पर उछलता है। सूत्र (2) में यदि θ0 के स्थान पर (90°-θ0) रखें, तब इससे स्पष्ट है कि पिण्ड को चाहे θ0 कोण पर प्रक्षेपित करें अथवा (90° – θ0) कोण पर, दोनों दशाओं में क्षैतिज परास R वही रहती है। प्रश्न 2: प्रश्न 3: प्रश्न 4: सूत्र से स्पष्ट है कि उड्डयन काल प्रक्षेपित पिण्ड के द्रव्यमान पर (UPBoardSolutions.com) निर्भर नहीं करता। अतः दोनों गोले पृथ्वी पर एक साथ पहुंचेंगे। उड्डयन काल प्रक्षेपण वेग u0 पर निर्भर करता है तथा T α uo। अत: जिस गोले का प्रक्षेपण वेग कम है, वह पहले पृथ्वी पर पहुँचेगा। प्रश्न 5: प्रश्न 6: प्रश्न 7: प्रश्न 8: प्रश्न 9: प्रश्न 10: Projectile Motion Calculator · Initial velocity in meter per second · Angle of the initial velocity from horizontal plane. विस्तृत उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1: उदाहरण: प्रक्षेप्य का कोणीय प्रक्षेपण: यदि वायु के प्रतिरोध को नगण्य मान लिया जाए, तो पिण्ड पर क्षैतिज दिशा में कोई बल नहीं लगेगा। अतः, क्षैतिज दिशा में पिण्ड का त्वरण भी शून्य होगा और इसलिए क्षैतिज दिशा में पिण्ड का वेग अपरिवर्तित रहेगा। इसके विपरीत पिण्ड पर गुरुत्वीय त्वरण ऊध्र्वाधरतः नीचे की ओर क्रिया करेगा। क्षैतिज दिशा में, ax = 0 तथा ऊध्र्वाधर दिशा में, ay =-g t समय बाद क्षैतिज गति के लिए समीकरण s = ut + [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] at² का प्रयोग करने पर तय की गई दूरी, इस प्रकार, प्रक्षेप्य गति में वेग का क्षैतिज घटक (ux = u cos θ) सम्पूर्ण गति में अपरिवर्तित रहता है, जबकि वेग को ऊर्ध्वाधर घटक (uy = u sin θ) निरन्तर परिवर्तित होता रहता है तथा पथ के उच्चतम बिन्दु पर इसका मान शून्य हो जाता है। अत: उच्चतम बिन्दु पर वेग का मान न्यूनतम ucosθ हो जाता है, जिसकी दिशा, क्षैतिज होती है तथा त्वरण g की दिशा ऊध्र्वाधर दिशा में नीचे की ओर होती है। इस प्रकार पथ के उच्चतम बिन्दु पर वेग तथा त्वरण के बीच का कोण 90° होता है। प्रश्न
2: प्रारम्भिक प्रक्षेप्य वेग u को क्षैतिज (Ox के अनुदिश) तथा ऊध्र्वाधर (OY के अनुदिश) घटकों में वियोजित करने पर, क्षैतिज घटक ux = u cos θ तथा , ऊध्र्वाधर, घटक uy = u sinθ प्रक्षेपित पिण्ड गुरुत्वीय त्वरण g के अन्तर्गत गति करता है। चूंकि g का मान स्थिर है तथा यह सदैव ऊध्र्वाधर दिशा में नीचे की ओर कार्य करता है; अतः पिण्ड के क्षैतिज वेग ॥ पर गुरुत्वीय त्वरण ‘g’ का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। माना पिण्ड पर वायु का अवरोध नगण्य है तो पिण्ड का क्षैतिज वेग ux(= u cos θ) पूरी गति के दौरान अपरिवर्तित रहेगा, परन्तु पिण्ड के वेग का ऊर्ध्व घटक uy(= u sin θ) का मान गुरुत्वीय त्वरण g के कारण लगातार बदलता रहेगा। इस प्रकार, क्षैतिज दिशा में, प्रारम्भिक वेग ux = u cos तथा त्वरण ax = 0 तथा ऊर्ध्वाधर दिशा में, प्रारम्भिक वेग uy = u sin θ तथा त्वरण ay= – g माना t समय में पिण्ड बिन्दु (x, y) पर पहुँच जाता है, तब t समय में पिण्ड का क्षैतिज विस्थापन = x तथा ऊध्र्वाधर विस्थापन = y यह समीकरण y = bx-cx² के स्वरूप को है जो एक परवलय को प्रदर्शित करता है; अतः पृथ्वी के गुरुत्वीय क्षेत्र में प्रक्षेपित पिण्ड का प्रक्षेप्य-पथ परवलयाकार होता है। इस कथन को सर्वप्रथम गैलीलियो ने सिद्ध किया था। प्रश्न 3: उत्तर: एक ही पास के लिए दो प्रक्षेपण कोण–माना कि प्रक्षेप्य θ व (90° – θ) कोणों पर फेंके जाने पर क्रमशः R व R’ परास प्राप्त करता है तब इससे स्पष्ट है कि गेंद को चाहे से कोण पर प्रक्षेपित करें अथवा (90° – θ) कोण पर, दोनों दशाओं में क्षैतिज परास R का मान वही रहता है। उदाहरण: एक खिलाड़ी फुटबॉल को चाहे क्षैतिज से 30° के कोण पर ‘किक’ करे अथवा 90° – 30° = 60° के कोण पर फुटबॉल पृथ्वी पर दोनों स्थितियों में एक ही स्थान पर गिरेगी। प्रश्न 4: “किसी ऊँचाई से पृथ्वी के समान्तर प्रक्षेपित पिण्ड का पथ भी परवलयाकार होता है।” सिद्ध कीजिए। पिण्ड के उड्डयन काल तथा क्षैतिज परास का व्यजंक स्थापित कीजिए। उत्तर: किसी ऊँचाई से पृथ्वी के समान्तर प्रक्षेपित । पिण्ड का पथ- चित्र 4.16 में पृथ्वी तल से H ऊँचाई पर स्थित कोई बिन्दु O है, जहाँ से कोई पिण्ड (प्रक्षेप्य) क्षैतिज दिशा OX में अर्थात् पृथ्वी के समान्तर प्रारम्भिक वेग 06 से प्रक्षेपित किया गया है। YOY’ बिन्दु O से गुजरती पृथ्वी के लम्बवत् रेखा है। अतः O को मूलबिन्दु मानते हुए प्रारम्भ में अर्थात् किसी क्षण t पर X0 = 0 तथा y0 = 0. क्षैतिज दिशा में पिण्ड पर कोई त्वरण कार्य नहीं करता है अर्थात् aX = 0, इसलिए इस दिशा में प्रक्षेप्य का वेग ν0 नियत रहता है। ऊध्र्वाधरत: नीचे की ओर पिण्ड का त्वरण aY = – g. माना प्रक्षेपित किए जाने के समय पश्चात् अर्थात् क्षण । पर पिण्ड प्रक्षेप्य पथ के बिन्दु P पर है जिसके निर्देशांक (x, -y) हैं अर्थात् पिण्ड ने नियत ν0 वेग से T समय में क्षैतिज दूरी X तय की है तथा गुरुत्व के अन्तर्गत aY = – g त्वरण से स्वतन्त्रतापूर्वक नीचे की ओर t समय में -y दूरी तय की है। चूंकि (ν0 )y = 0 पर पिण्ड का सम्पूर्ण वेग क्षैतिज दिशा में था; इसलिए इस क्षण ऊध्वधरतः नीचे की ओर प्रारम्भिक वेग (ν0 )y= 0 तथा (ν0 )x = ν0 . इस समीकरण में (g/2v02)= नियतांक अर्थात् समीकरण (3) y = kx2 (जहाँ k= g/2ν02) एक परवलय की प्रदर्शित करती है। अतः सिद्ध होता है कि पृथ्वी से किसी ऊँचाई से क्षैतिज दिशा में प्रक्षेपित पिण्ड का पथ भी परवलयाकार होता है। उड्डयन काल तथा क्षैतिज परास: पिण्ड द्वारा O से Q तक पहुँचने में लिया गया समय उड्डयन काल T; होगा तथा इस समय में पिण्ड द्वारा तय की गयी क्षैतिज दूरी OQ= R क्षैतिज परास होगी। इस समय में पिण्ड स्वतन्त्रतापूर्वक [अर्थात् (v0)Y = 0] ऊर्ध्वाधरतः नीचे की ओर y = – H दूरी पर गिरता है। प्रश्न 5: एक पत्थर मीनार की चोटी से क्षैतिज से 30° का कोण बनाता हुआ 16 मी/से के वेग से ऊपर की ओर फेंका जाता है। उड़ान के 4 सेकण्ड पश्चात् यह पृथ्वी तल पर टकराता है। पृथ्वी से मीनार की ऊँचाई तथा पत्थर का क्षैतिज परास ज्ञात कीजिए। (g = 9.8 मी/से²)। हल: प्रश्न 6: We hope the UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane ( समतल में गति) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane ( समतल में गति) drop a comment below and we will get back to you at the earliest. प्रक्षेप का उड्डयन काल क्या है?किसी पिंड को वायु में फेंका जाता है तो जितने समय तक पिंड वायु में रहता है उस समय को प्रक्षेप्य पर उड्डयन काल कहते हैं।
प्रक्षेप्य गति से क्या समझते हैं सचित्र वर्णन कीजिए?प्रक्षेप्य गति (projectile motion) गति का एक रूप है, जहाँ किसी पिण्ड (जिसे प्रक्षेप्य कहा जाता है) को पृथ्वी की सतह के निकट क्षितिज से किसी कोण पर प्रक्षेपित किया (फेंका) जाता है और यह गुरुत्वाकर्षण के अधीन वक्रीय गति करता है (विशेष रूप से, वायु प्रतिरोध के प्रभाव नगण्य माना जाता है )।
प्रक्षेप्य गति से आप क्या समझते है सिद्ध कीजिए कि किसी प्रक्षेप्य का पथ परवलयाकार होता है?प्रक्षेप्य गति क्या है ? सिद्ध कीजिए की किसी प्रक्षेप्य का पथ परवलयाकार होता है | प्रक्षेप्य के क्षैतिज परास हेतु दो प्रक्षेप्य कोण होते है UPLOAD PHOTO AND GET THE ANSWER NOW! Step by step solution by experts to help you in doubt clearance & scoring excellent marks in exams.
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