संविधान का उपसर्ग और मूल शब्द क्या है?... Show
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। सविधान का उपसर्ग और मूल शब्द विधान है Romanized Version 1 जवाब Vokal App bridges the knowledge gap in India in Indian languages by getting the best minds to answer questions of the common man. The Vokal App is available in 11 Indian languages. Users ask questions on 100s of topics related to love, life, career, politics, religion, sports, personal care etc. We have 1000s of experts from different walks of life answering questions on the Vokal App. People can also ask questions directly to experts apart from posting a question to the entire answering community. If you are an expert or are great at something, we invite you to join this knowledge sharing revolution and help India grow. Download the Vokal App! संस्कृत के तत्सम शब्दों से तद्भव शब्दों से हिन्दी की शब्द सम्पदा में वृद्धि हुई। इसी प्रकार जन साधारण के भाषिक व्यवहार यानि बोलचाल की भाषा में भी अनेक देशज शब्द हिन्दी भाषा की सम्पत्ति बने। अनेक विदेशी भाषाओं के शब्द भी हिन्दी में घुलमिल गए। यद्यपि इनका व्यवहार सामान्य बोलचाल की भाषा तक सीमित है। हिन्दी भाषा की समृद्धि के लिए उसे आधुनिक प्रौद्योगिकी तथा तकनीकी युग के लिए अधिक से अधिक सक्षम बनाने के लिए नए-नए पारिभाषिक शब्दों की आवश्यकता पड़ती है। संविधान में हिन्दी के राजभाषा बनने के बाद नए शब्दों की रचना अपरिहार्य हो गयी है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन तकनीकी शब्दावली आयोग ने मानक हिन्दी की शब्द सम्पदा में हजारों नए शब्दों की रचना करके महत्वपूर्ण समृद्धि की है। शब्द-रचना के तत्व और उनके द्वारा शब्द-रचना पद्धति के बारे में हम आगे विस्तार से अध्ययन करेगें। इस लेख में हम कुछ उदाहरणों के साथ बताएंगे की उपसर्ग, प्रत्यय एवं समास किसे कहते हैं (Upsarg Pratyay samas in Hindi) क्या है। यह भी पढ़ें :- अलंकार किसे कहते हैं? अलंकार की परिभाषा, अलंकार के प्रकार हिन्दी में निम्नलिखित तत्वों की सहायता से शब्द-रचना की जाती है।
आगे जानें उपसर्ग, प्रत्यय एवं समास किसे कहते हैं। उपसर्ग, प्रत्यय एवं समास – Upsarg Pratyay aur Samas in HindiArticle Contents
उपसर्ग किसे कहते हैंउपसर्ग उस शब्दांश को कहते हैं जो किसी शब्द के पहले लगकर एक नए शब्द की रचना करता है और मूल शब्द के अर्थ को व्यक्त करता है। जैसे ‘मान‘ शब्द में अभि’ उपसर्ग लगाने पर एक नया शब्द ‘अभिमान’ बना। मान रूठने के अर्थ में जबकि ‘अभिमान’ घमण्ड के अर्थ में प्रयुक्त होता है। इस तरह आपने देखा कि उपसर्ग लगाने से बने नए शब्द का अर्थ भी मूल शब्द से भिन्न हो जाता है। शब्द-रचना में उपसर्ग की उपयोगिता महत्वपूर्ण है। उपसर्ग के प्रयोग में दो बातें ध्यान देने योग्य हैं। पहली बात, उपसर्ग का स्वतंत्र प्रयोग नहीं होता। वे शब्दों के साथ लगाकर ही अपने विशिष्ट अर्थ का बोध कराते हैं। दूसरी बात, उपसर्ग सदैव शब्द के पहले लगाए जाते हैं। हिन्दी मे तीन प्रकार के उपसर्गों से शब्द-रचना होती है।
तत्सम उपसर्ग तथा उदाहरणहिन्दी में संस्कृत तत्सम शब्दों की प्रचुरता है, अतः तत्सम उपसर्गों की संख्या भी अधिक होना स्वभाविक है।और उनकी सहायता से बने तत्सम शब्दों के कुछ उदाहरण नीचे देखे जा सकते हैं।
तद्भव उपसर्ग तथा उदाहरणतद्भव उपसर्ग से बने शब्द प्रायः जनसामान्य की बोलचाल की भाषा से प्रयुक्त होते हैं। इनके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं
विदेशी उपसर्ग तथा उदाहरणहिन्दी ने अरबी-फारसी शब्दों के साथ उनके उपसर्ग भी ग्रहण किए है। इनके कुछ उदाहरण देखें.
इसके अतिरिक्त हिन्दी में अंग्रेजी उपसर्ग से बने शब्द भी काफी प्रचलित हैं। प्रत्यय किसे कहते हैंमूल शब्द के अंत में लगने वाले शब्दांश को ‘प्रत्यय’ कहते हैं। उपसर्ग की तरह प्रत्यय भी शब्द के अंत में जुड़कर नए शब्द की रचना करते हैं। दोनों में अन्तर सिर्फ इतना है कि उपसर्ग मूल शब्द के पहले लगता है और प्रत्यय मूल शब्द के बाद में। प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं –
कृत प्रत्ययक्रिया या धातु के अंत में लगने वाले प्रत्यय कृत प्रत्यय कहलाते हैं और इनके मेल से बने शब्द को ‘कृदन्त’ कहते हैं। जैसे- गाना (क्रिया) में ‘हार’ प्रत्यय लगाने से ‘गावनहार’ शब्द बनता है। यहाँ आपने देखा कि कृत प्रत्यय क्रिया या धातु में लगकर उसे बिल्कुल नया रूप और नया अर्थ देते हैं। कृत प्रत्यय से हिन्दी में भाववाचक, करणवाचक, और कर्तवाचक संज्ञाएं तथा विशेषण बनते हैं। ये सभी संज्ञा विशेषण तद्भव शब्दों में होती हैं। इनके कुछ उदाहरण नीचे देखे जा सकते हैं भाववाचक संज्ञाएं
कारणवाचक संज्ञाएं
कृर्तृवाचक विशेषण
तत्सम कृत् प्रत्यय इस प्रकार हैं
विदेशी कृत् प्रत्यर्यो में फारसी के प्रचलित उदाहरणों को देखा जा सकता है –
तद्धत प्रत्ययतद्धत प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम, और विशेषण शब्दों के अन्त में लगते हैं। अर्थात संज्ञा, सर्वनाम, और विशेषण के अन्त में लगने वाले शब्दांश को तद्धत प्रत्यय कहते हैं। इनके मेल से बने शब्द को ‘तद्धितान्त’ कहते हैं। जैसे मुनि (संज्ञा) अ (प्रत्यय) = मौन अपना (सर्वनाम) पन (प्रत्यय) = अपनापन अच्छा (विशेषण) आई (प्रत्यय) = अच्छाई आपने देखा कि कृत प्रत्यय और तद्धित प्रत्यय में अन्तर केवल इतना है कि कृत प्रत्यय क्रिया या धातु के अन्त में लगते हैं जबकि तद्धित प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण के अन्त में। उपसर्ग की तरह तद्धित प्रत्यय भी संस्कृत, हिन्दी और विदेशी (उर्दू) से आकर क्रमश: तत्सम, तद्भव, और विदेशी शब्द-रचना में सहायक हुए हैं। आगे आप सोदाहरण इसका अध्ययन करेगें। संस्कृत के तद्धित प्रत्यय इनके उदाहरण इस प्रकार हैं
इसी तरह तद्धित प्रत्यय से अनेक प्रकार की संज्ञा शब्दों और विशेषण शब्दों की रचना हम निम्नलिखित उदाहरणों से समझ सकते हैं से
अब तक आपने तत्सम प्रत्यय से बने विविध प्रकार के शब्दों से परिचय प्राप्त किया। आगे हम तद्भव और विदेशी तद्धित प्रत्ययों द्वारा शब्द रचना के उदाहरण प्रस्तुत करेगें। हिन्दी तद्धित प्रत्यय – हिन्दी के सभी तद्धित प्रत्यय तद्भव रूप में है। अतः इनसे बनने वाले शब्द भी तद्भव हैं। ठीक उसी प्रकार जैसे तत्सम प्रत्यय का प्रयोग तत्सम शब्द रचना के लिए ही होता है। संज्ञा-विशेषण में तद्धित प्रत्यय लगाकर हिन्दी के भाववावचक संज्ञा शब्द बनाने के लिए निम्नलिखित उदाहरणों को ध्यान से देखें –
इसी प्रकार संज्ञा से विशेषण बनाने के लिए तद्धित प्रत्यय प्रयुक्त होते हैं
तद्धित प्रत्यय द्वारा तद्भव शब्द रचना के अन्य उदाहरण भी देखे जा सकते हैं
विदेशी तद्धित प्रत्यय – हिन्दी में फारसी तद्धित प्रत्ययों से बने कुछ प्रचलित शब्दों के उदाहरणों से विदेशी तद्धित प्रत्यय को भली-भाँति समझा जा सकता है।
इसी प्रकार अरबी तद्धित प्रत्यय से बने कुछ शब्दों को देखा जा सकता है जो हिन्दी में बोलचाल की भाषा में काफी प्रचलित हैं। जैसे
आपने देखा कि उपसर्ग और प्रत्यय द्वारा कितने नए-नए शब्दों की रचना की जा सकती है। इस सन्दर्भ में यह भी ध्यान देने योग्य तथ्य है कि अनेक शब्द ऐसे हैं कि जिनकी रचना उपसर्ग और प्रत्यय दोनों की सहायता से होती है। इस प्रकार की शब्द-रचना के कुछ उदाहरण देख जा सकते हैं
समास किसे कहते हैंउपसर्ग और प्रत्यय की तरह समास भी शब्द-रचना में अत्यंत उपयोगी है। समास का अर्थ और उनके भेदों की जानकारी के बाद आप देखेंगे कि समास के द्वारा कैसे शब्द-रचना होती है। “समास’ शब्द दो शब्दों के मेल से बना है। सम्ऽआसा सम् का अर्थ है “संक्षिप्त और सुंदर तथा आस का अर्थ है ‘कथन’। इस प्रकार समास का अर्थ है संक्षिप्त और सुन्दर कथना दो या दो से अधिक शब्दों के बीच की विभक्ति हटाकर उन्हें मिलाकर संक्षिप्त शब्द बनाने की प्रक्रिया को समास कहते हैं। समास से बना शब्द ‘सामासिक’ कहलाता है। जैसे- गृह में प्रवेश शब्द में ‘में’ विभक्ति हटाकर ‘गृह’ और ‘प्रवेश’ बचता है। इन दोनों को मिलाने ये ‘गृह प्रवेश’ सामासिक शब्द बना। समास के कितने भेद हैं/समास कितने प्रकार के होते हैं?समास के मुख्यतः चार भेद माने गए हैं- अव्ययीभाव, तत्पुरुष, बहुब्रहि और द्वन्द्व हिन्दी में कर्मधारय और द्विगु समास की गणना भी स्वतंत्र रूप में होती है। यद्यपि संस्कृत में ये दोनों समास तत्पुरुष समास के उपभेद के रूप में जाने जाते हैं। इस प्रकार समास के छः भेद होते हैं जो निम्नलिखित इस प्रकार है–
समास के विभिन्न भेद और उनसे होने वाली शब्द-रचना को हम विस्तार से देखेगें। अव्ययीभाव समास :-इस समास में संज्ञा, विशेषण अथवा अव्यय के साथ संज्ञा शब्द का प्रयोग होता है। संक्षेप में इसे निम्नलिखित रूप में समझा जा सकता है। संज्ञा + संज्ञा = घर-घर, पल-पल, गाँव-गाँव तत्पुरुष समास :-इसमें दो शब्दों (पदों) में अन्तिम पद प्रधान होता है। जैसे – ‘राजा की कन्या’, ‘अकाल से पीड़ित’ में ‘कन्या’ और ‘पीड़ित’ पद प्रधान है क्योंकि वाक्य प्रयोग में लिंग और वचन का निर्धारण अन्तिम पद के अनुसार ही होगा। जैसे राजा की कन्या आ रही है। जनता अकाल से पीड़ित है। ‘राजा की कन्या’ और ‘अकाल से पीड़ित’ से विभक्ति ‘की’ और “से” को हटा देने से ‘राजकन्या’ और ‘अकाल पीड़ित’ सामासिक शब्द बनते हैं। तत्पुरुष समास से शब्द-रचना का सूत्र है संज्ञा + विभक्ति + संज्ञा = राजा का दरबार – राजदरबार संज्ञा + विभक्ति + विशेषण = पुरुषों में उत्तम – पुरुषोत्तम बहुब्रहि समास :-इस समास में दो शब्दों का योग होने पर अपने समान्य अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ का बोध कराते हैं। जैसे- ‘लम्बोदर’ लम्बा उदर (पेट है जिसका अर्थात गणेश)। दशानन (दस मुख हैं जिसके) अर्थात रावण। इस प्रकार दो शब्द अपने सामान्य अर्थ से विशेष अर्थ प्रकट करते हैं। चतुर्भुज, चतुर्मुख, चक्रपाणि, पीताम्बर, जितेन्द्रिय आदि बहुब्रहि समास के शब्द हैं। द्वन्द्व समास :-द्वन्द्व समास में दो शब्दों के बीच आने वाले और/या’ जैसे अव्यय हट जाते हैं और दोनों शब्द मिलकर एक हो जाते हैं। जैसे- भाई और बहन (भाई-बहन)। पाप या पुण्य (पाप-पुण्य)। भला-बुरा, देश-विदेश, रुपया-पैसा, खाना-पीना, नाक-कान, नर-नारी, भूखा-प्यासा आदि शब्द द्वष्द्व समास के उदाहरण हैं। कर्मधारय समास :-इस समास में दो शब्दों के बीच विशेषण और विशेष्य (संज्ञा) का अथवा उपमान और उपमेय का सम्बंध रहता है। जैसे – विशेषण + विशेष्य = नीलकमल, नीलगाय परमेश्वर, सज्जन, महात्मा, शीतोष्ण, घनश्याम, महाकाव्य, सद्भावना, नवयुवक, महावीर आदि शब्द कर्मधारय समास के उदाहरण हैं। द्विगु समास :-द्विगु समास में दो शब्दों में पहला शब्द निश्चित संख्यावाचक विशेषण होता है और दूसरा शब्द संज्ञा। अर्थात संख्यावाचक विशेषण और संज्ञा से मिलकर द्विगु समास की रचना होती है। जैसे दूसरा पहर = दोपहर पाँच तत्वों का समूह = पंचतत्व चौराहा = चार राहों वाला नवरत्न, पंचपरमेश्वर, चौमासा, त्रिभुवन, तिमंजिला, सप्तक, अष्टपदी, सतसई, षडरस, नवग्रह त्रिपदी आदि द्विगु समास के उदाहरण हैं। इस प्रकार आपने देखा कि समास से किस तरह संक्षिर और सुन्दर शब्द-रचना होती है। इससे भाषा की शब्द-सम्पदा में वृद्धि होती है, साथ ही भाषा का अभिव्यक्ति सौन्दर्य भी बढ़ता है।
संविधान में उपसर्ग क्या है?हिन्दी भाषा में कुछ शब्दों में ऐसे खण्ड हैं जिनका प्रयोग शब्द से पूर्व किया जाता है वे उपसर्ग कहलाते हैं जैसे- प्रति, महा, अखिल, राज आदि ।
संविधान में मूल शब्द क्या है?इण्डिया अर्थात् भारत राज्यों का एक संघ है। यह संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक स्वतंत्र प्रभुसत्ता सम्पन्न समाजवादी लोकतंत्रात्मक गणराज्य है।
संवैधानिक शब्द में सही मूल शब्द और प्रत्यय क्या होगा *?प्रमाणित, व्यथित, द्रवित, मुखरित, झंकृत, शिक्षित, मोहित, चर्चित। इत प्रत्यय की भाँति इक प्रत्यय से भी शब्द बनते हैं और शब्द के पहले अक्षर में भी परिवर्तन हो जाता है, जैसे - सप्ताह + इक = साप्ताहिक। मौखिक, संवैधानिक, प्राथमिक, नैतिक, पौराणिक, दैनिक।
संसद शब्द में कौन सा उपसर्ग है?संसद भवन यारेण जिले में स्थित है। सांसद माननीय उपसर्ग का उपयोग करने के अधिकारी हैं।
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