परशुराम के फरसे की क्या विशेषता नहीं थी? - parashuraam ke pharase kee kya visheshata nahin thee?

परशुराम को अपने फरसे पर इतना घमंड इसलिए था क्योंकि 

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• इसी फरसे के बल पर उन्होंने सहस्रबाहु को हराया था। 

• उनका फरसा अत्यंत भयानक और कठोर है। 

• यह फरसा गर्भ में पल रहे बच्चों का भी वध कर डालता है। 

• यह फरसा परशुराम का प्रिय हथियार था।

Short Note

परशुराम को अपने फरसे पर इतना घमंड क्यों था?
अथवा
परशुराम ने अपने फरसे की क्या-क्या विशेषताएँ बताईं?

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Solution

परशुराम को अपने फरसे पर इतना घमंड इसलिए था क्योंकि

  • इसी फरसे के बल पर उन्होंने सहस्रबाहु को हराया था।
  • उनका फरसा अत्यंत भयानक और कठोर है।
  • यह फरसा गर्भ में पल रहे बच्चों का भी वध कर डालता है।
  • यह फरसा परशुराम का प्रिय हथियार था।

Concept: पद्य (Poetry) (Class 10 A)

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Chapter 2: तुलसीदास - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद - अतिरिक्त प्रश्न

Q 5Q 4Q 6

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NCERT Class 10 Hindi - Kshitij Part 2

Chapter 2 तुलसीदास - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
अतिरिक्त प्रश्न | Q 5

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लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताई?


लक्ष्मण ने किसी भी वीर योद्धा की विशेषताओं के बारे में कहा था कि वे व्यर्थ ही अपनी वीरता की डींगें नहीं हाँकते बल्कि युद्ध भूमि में युद्ध करते हैं। अपने अस्त्र--शस्त्रों से वीरता के जोहर दिखाते हैं। शत्रु को सामने पाकर जो अपने प्रताप की बातें करते हैं, वे तो कायर होते हैं।

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परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुई उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएं अपने शब्दों में लिखिए।


राम और लक्ष्मण दोनों एक ही पिता की संतान थे। उन्होंने एक ही गुरु से शिक्षा पाई थी और एक-से वातावरण में ही रहे थे पर दोनों के स्वभाव में बहुत बड़ा अंतर था। राम स्वभाव से शांत थे पर लक्ष्मण उग्र स्वभाव के थे। धनुष टूट जाने पर राम ने शांत भाव से परशुराम से कहा था कि धनुष तोड़ने वाला कोई उनका दास ही होगा पर लक्ष्मण ने उन्हें मनचाही जली-कटी सुनाई थी। राम ने उनके क्रोध को शांत करने का प्रयास किया तो लक्ष्मण ने अपनी व्यंग्यपूर्ण वाणी से उकसाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। परशुराम के क्रोध करने पर-राम शांत भाव से बैठे रहे थे पर लक्ष्मण उन पर व्यंग्य करते हुए उन्हें उकसाते रहे थे। राम ऋषि-मुनियों का आदर-मान करने वाले थे पर लक्ष्मण का स्वभाव ऐसा नहीं था। लक्ष्मण की वाणी तो परशुराम रूपी यज्ञ की अग्नि में आहुति के समान थी तो राम की वाणी शीतल जल के समान उस अग्नि को शांत करने वाली थी।

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परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए? 


सीता-स्वयंवर के अवसर पर श्री राम ने शिव जी के धनुष को तोड़ दिया था जिस कारण परशुराम अत्यंत क्रोधित हो गए थे। तब लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के कारण बताते हुए कहा था कि वह धनुष नहीं था बल्कि धनुही थी। वह बहुत पुराना था और राम के द्वारा छूते ही वह टूट गया था। इसमें राम का कोई दोष नहीं था।

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भाव स्पष्ट कीजिये- 
बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी।।
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन फूँकि पहारू।।


लक्ष्मण ने परशुराम के अभिमानपूर्ण स्वभाव पर व्यंग्य किया है। वीर वह होता है जो वीरता का प्रदर्शन करे न कि व्यर्थ में डींगें हांके। जब परशुराम ने यह कहा था कि उन्होंने अपनी भुजाओं के बल से कई बार पृथ्वी के क्षत्रिय राजाओं को मिटा कर उनके राज्य ब्राह्मणों को दे दिए थे और उन्होंने सहस्रबाहु की भुजाओं को काट डाला था तो लक्ष्मण ने मुस्करा कर कहा था कि मुनीश्वर तो अपने आप को बहुत बड़ा योद्धा समझते थे और बार -बार कुल्हाड़ी दिखा कर डराना चाहते थे। वे तो फूंक मार कर पहाड़ उड़ाने का कार्य करना चाहते थे। भाव है कि राम और लक्ष्मण ऐसे क्षत्रिय वीर नहीं थे जो सरलता और सहजता से परशुराम से हार जाते।

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परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा, निम्न पद्‌यांश के आधार पर लिखिए-बाल ब्रह्‌मचारी अति कोही। बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही।।भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही।।सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा।।      मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।      गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर।।


परशुराम ने अपने विषय में कहा था कि वे बाल ब्रह्मचारी थे। वे स्वभाव के अति क्रोधी थे। सारा संसार जानता था कि वे क्षत्रिय वंश के प्रति द्रोही थे। उन्होंने पृथ्वी से क्षत्रिय राजाओं को समाप्त कर देने की प्रतिज्ञा कर रखी थी। उन्होंने न जाने कितनी बार अपने बाहुबल से इस पृथ्वी के क्षत्रिय राजाओं का वध कर ब्राहमणों को उनके राज्य सौंप दिए थे। वह तो सहस्रबाहु जैसे अपार बलशाली की भुजाओं की काट देने वाले पराक्रमी वीर थे। उन्होंने अपने फरसे से लक्ष्मण को डराने के लिए कहा था कि अरे राजा के बालक! तू मेरे द्वारा मारा जाएगा। क्यों अपने माता-पिता को चिंता में डालता है। वे मानते थे कि उनका फरसा बड़ा भयानक था जो गर्भ मे ही बच्चों का नाश कर देने वाला था। गुस्सा आने पर वे छोटे-बड़े में कोई अंतर नहीं करते थे और किसी का भी वध कर देते थे।

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परशुराम ने अपने फरसे की कौन सी विशेषता नहीं बताई थी *?

परशुराम का सच, नहीं किया क्षत्रियों का समूल विनाश

परशुराम के फरसे की क्या क्या विशेषता थी?

कुपित परशुराम ने फरसे के प्रहार से उसकी समस्त भुजाएँ काट डालीं व सिर को धड़ से पृथक कर दिया।

परशुराम अपने फरसे के बारे में क्या कहते हैं?

इस मौके पर DainikBhaskar.com उनके फरसा के बारे में बता रहा है।) - कहा जाता है कि खुले में रहने के बावजूद, परशुराम के फरसा में आजतक कभी जंग नहीं लगा। - जंग न लगने की खासियत से आकर्षित होकर इलाके के में रहने वाली लोहार जनजाति के कुछ लोगों ने फरसे को ले जाने की कोशिश की थी।

परशुराम अपनी फरसे के बारे में क्या कहते हैं उनके कथन से उनके स्वभाव की किस विशेषता की जानकारी प्राप्त होती है?

मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर। गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर ।। अब परशुरामजी ने अपने फरसे की ओर देखते हुए कहा 'अरे शठ!