तार सप्तक एक काव्य संग्रह है। अज्ञेय द्वारा 1943 ई० में नयी कविता के प्रणयन हेतु सात कवियों का एक मण्डल बनाकर तार सप्तक का संकलन एवं संपादन किया गया। तार सप्तक नयी कविता का प्रस्थान बिंदु माना जाता है। इसका ऐतिहासिक महत्त्व इस रूप में है कि इसी संकलन से हिन्दी काव्य साहित्य में प्रयोगवाद का आरम्भ होता है। आज भी अनेक काव्य प्रेमियों में इस संग्रह की कविताएँ आधुनिक हिन्दी कविता के उस रचनाशील दौर की स्मृतियाँ जगाएँगी जब भाषा और अनुभव दोनों में नये प्रयोग एक साथ कर सकना ही कवि कर्म को सार्थक बनाता था। तार सप्तक में गजानन माधव मुक्तिबोध, नेमिचन्द्र जैन, भारतभूषण अग्रवाल, प्रभाकर माचवे, गिरिजाकुमार माथुर, रामविलास शर्मा एवं अज्ञेय सहित सात कवियों की कविताएँ संकलित की गई हैं। तार सप्तक का प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा सन् 1943 ई० में किया गया है।[1] इसी क्रम में अज्ञेय ने दूसरा सप्तक तथा तीसरा सप्तक प्रकाशित किया। बाद में नामवर सिंह ने चौथा सप्तक भी प्रकाशित किया। Show
सन्दर्भ[संपादित करें]
हिंदी साहित्य में आधुनिक संवेदना का सूत्रपात ‘तारसप्तक’ के प्रकाशन से माना जाता है। सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ के सम्पादन में 4 सप्तक प्रकाशित हुए। प्रथम सप्तक- ‘तारसप्तक’ का प्रकाशन 1943 ई. में हुआ। जिसमें 7 कवियों की कविताएँ संकलित हैं। महत्वपूर्ण बात यह है की ‘तारसप्तक’ की परिकल्पना अज्ञेय की नहीं थी अपितु ‘प्रभाकर माचवे और नेमिचंद्र जैन की थी। ‘तारसप्तक’ के प्रकाशन से ही ‘प्रयोगवाद’ का प्रारंभ माना जाता है। इसीलिए ‘प्रयोगवाद’ के प्रवर्तन का श्रेय ‘अज्ञेय’ को दिया जाता है। लेकिन ‘प्रयोगवाद’ का जन्म कुछ आलोचक 1947 ‘प्रतीक’ के प्रकाशन से मानना उचित समझते हैं। ‘प्रयोगवाद’ शब्द का प्रथम प्रयोग नंददुलारे वाजपेयी नें ‘प्रयोगवादी रचनाएँ’ नामक अपने निबंध में किया। इसी निबंध में उन्होंने ‘प्रयोगवाद’ को ‘बैठे ठाले का धंधा’ कहा है। सप्तक के कवि और प्रकाशन वर्षसप्तक का प्रकाशन वर्षचारों सप्तक का प्रकाशन वर्ष निम्नलिखित है-
चारों सप्तक के कवियों (saptak ke kaviyon) की सूची क्रमवार नीचे दी जा रही है, साथ में याद करने का ट्रिक भी दिया जा रहा। (A) ‘तारसप्तक’ के कवितारसप्तक के संपादक अज्ञेय हैं। इसका प्रकाशन वर्ष 1943 ई. है। ध्यान रहे कि इसका नाम ‘तारसप्तक’ है, कई लोग इसे ‘पहला सप्तक’ कह देते हैं जो की गलत है। तारसप्तक के कवि निम्नलिखित हैं-
‘तारसप्तक’ के कवियों को याद करने का सूत्र–
(B) ‘दूसरा सप्तक’ के कविदूसरा तार सप्तक के संपादक अज्ञेय हैं। इसका प्रकाशन वर्ष 1951 ई. है। ध्यान रहे कि इसका नाम ‘दूसरा सप्तक’ है, कई लोग इसे ‘दूसरा तार सप्तक’ कह देते हैं जो की गलत है। दूसरा तार सप्तक के कवि निम्नलिखित हैं-
‘दूसरा सप्तक’ के कवियों को याद करने का सूत्र–
(C) ‘तीसरा सप्तक’ के कवितीसरा सप्तक के संपादक अज्ञेय हैं। इसका प्रकाशन वर्ष 1959 ई. है। ध्यान रहे कि इसका नाम ‘तीसरा सप्तक’ है, कई लोग इसे ‘तीसरा तार सप्तक’ कह देते हैं जो की गलत है। तीसरा सप्तक के कवि निम्नलिखित हैं-
‘तीसरा सप्तक’ के कवियों को याद करने का सूत्र–
(D) ‘चौथा सप्तक’ के कविचौथा सप्तक के संपादक अज्ञेय हैं। इसका प्रकाशन वर्ष 1979 ई. है। ध्यान रहे कि इसका नाम ‘चौथा सप्तक’ है, कई लोग इसे ‘चौथा तार सप्तक’ कह देते हैं जो की गलत है। चौथा सप्तक के कवि निम्नलिखित हैं-
‘चौथा सप्तक’ के कवियों को याद करने का सूत्र–
सप्तक की भूमिकातारसप्तक की भूमिका की महत्वपूर्ण बातें
‘दूसरा सप्तक’ की भूमिका की महत्वपूर्ण बातें
प्रथम तार सप्तक के संपर्क कौन है?अज्ञेय द्वारा 1943 ई० में नयी कविता के प्रणयन हेतु सात कवियों का एक मण्डल बनाकर तार सप्तक का संकलन एवं संपादन किया गया। तार सप्तक नयी कविता का प्रस्थान बिंदु माना जाता है।
तार सप्तक में कितने कवि सम्मिलित थे?प्रथम सप्तक- 'तारसप्तक' का प्रकाशन 1943 ई. में हुआ। जिसमें 7 कवियों की कविताएँ संकलित हैं।
हिंदी में कुल कितने तार सप्तक हुए हैं?हिंदी में चार सप्तक प्रकाशित हुए हैं।
दूसरा सप्तक के कवि कौन है?दूसरा सप्तक सात कवियों का संकलन है जिसका संपादन अज्ञेय द्वारा 1949 में तथा प्रकाशन 1951 में भारतीय ज्ञानपीठ से हुआ। दूसरा सप्तक में भवानी प्रसाद मिश्र, शकुन्तला माथुर, हरिनारायण व्यास, शमशेर बहादुर सिंह, नरेश मेहता, रघुवीर सहाय एवं धर्मवीर भारती की रचनाएँ संकलित हैं।
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