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प्रधानमंत्री की नियुक्ति, शक्तियां एवं कार्यसंसदीय शासन प्रणाली की सबसे महत्वपूर्ण संस्था मंत्रिपरिषद होती है जो कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कार्य करते हैं। यह कार्य मंत्रीपरिषद करेगी। संविधान के अनुच्छेद 74 में मंत्रीपरिषद के प्रधान के रूप में प्रधानमंत्री का उल्लेख किया गया है। संविधान द्वारा भारत में संसदीय शासन प्रणाली की स्थापना की गई है तथा कार्यपालिका की सर्वोच्च शक्ति राष्ट्रपति में निहित की गई है, परंतु व्यवहारिक तौर पर उसकी समस्त शक्तियों का प्रयोग प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है। प्रधानमंत्री सत्ताधारी दल का नेता होता है तथा सरकार का प्रमुख भी होता है। प्रधानमंत्री का कार्यकालप्रधानमंत्री को मुख्यत: 5 वर्षों के लिए चुना जाता है, परंतु उसका कार्यकाल निश्चित नहीं होता है, क्योंकि प्रधानमंत्री अपने पद पर तब तक बना रहता है जबतक उसे लोकसभा में पूर्ण बहुमत का समर्थन प्राप्त होता है। यदि प्रधानमंत्री लोकसभा में बहुमत खो देता है, तो उसे अपना त्यागपत्र देना पड़ता है। प्रधानमंत्री की न्युक्ति कौन करता है?राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 75(1) के तहत प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है। लेकिन राष्ट्रपति किसे प्रधानमंत्री के पद पर न्युक्ति करेगा, यह स्पष्ट नहीं किया गया है। सामान्य तौर पर राष्ट्रपति सबसे बड़े दल के नेता को अथवा सबसे बड़े गठबंधन वाले दलों के नेता को प्रधानमंत्री के पद पर न्युक्ति करता है। सामान्य परंपरा यह है कि लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री के रूप में न्युक्ति किया जा सकता है, परंतु लोकसभा में किसी भी दल को बहुमत प्राप्त न होने की स्थिति में, प्रधानमंत्री की नियुक्ति में राष्ट्रपति अपना विवेक का प्रयोग कर सकता है। प्रधानमंत्री की नियुक्ति की प्रक्रिया
प्रधानमंत्री की शक्तियां एवं कार्य
प्रधानमंत्री और मंत्रीपरिषद के बीच संबंध91वें संविधान संशोधन 2003 में केंद्र और राज्य मंत्री परिषद की सदस्य संख्या लोकसभा और विधानसभा की कुल संख्या की 15% से अधिक नहीं होनी चाहिए तथापि छोटे राज्यों के लिए न्यूनतम संख्या 12 निर्धारित की गई है। प्रधानमंत्री एवं मंत्रियों के लिए यह आवश्यक है कि वे संघ की विधायिका के सदस्य हो। मंत्रिमंडल में शामिल मंत्री आवश्यक रूप से संसद के सदस्य होते हैं परंतु ऐसे व्यक्ति को भी मंत्री बनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, जो संसद के सदस्य न हो। अगर वह व्यक्ति 6 माह के संसद के किसी भी सदन का सदस्यता प्राप्त नहीं करता है तो वह मंत्रीमंडल के मंत्री पद पर नहीं रह सकता है। प्रधानमंत्री व संसद के बीच संबंधप्रधानमंत्री संसद की गतिविधियों में भी खास भूमिका निभाता है। संसद के नेता की दृष्टि से प्रधानमंत्री विशेष है जो निम्नलिखित है :- (i) सदन का कार्यक्रम निश्चित करना : प्रधानमंत्री संसद का अधिवेशन बुलाता है एवं स्थगित भी कर सकता है। लोकसभा की कार्रवाई किस प्रकार चलेगी! कौन सा प्रस्ताव पहले पेश किया जाएगा एवं कौन बाद में, आदि बातों की निर्णय लोकसभा का अध्यक्ष, प्रधानमंत्री एवं विपक्ष के नेता की सलाह से करता है (ii) महत्वपूर्ण नीतियों की घोषणा : परंपरा के अनुसार सदन में सभी महत्वपूर्ण नीतियों की घोषणा प्रधानमंत्री स्वयं करता है। युद्ध जैसी घटनाओं के समय केवल प्रधानमंत्री ही बोल सकता है। यह अधिकार उसके पास है। (iii) सरकार की नीतियों का बचाव : सरकार की नीतियों का बचाओ अथवा विरोधी दल की आलोचना का जवाब देना प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी है। (iv) लोकसभा का भंग करना : ब्रिटेन के परंपरा के अनुसार प्रधानमंत्री के पास यह विशेषाधिकार है कि वह लोकसभा को भंग कर सकता है और नया सभा बुला सकता है। निष्कर्ष (Conclusion) :-दोस्तों..आज हम इस लेख में प्रधानमंत्री की समस्त कार्य एवं शक्तियां के बारे में जानकारी प्राप्त की है। इसके साथ-साथ भारत के प्रधानमंत्री से संबंधित अन्य महत्वपर्ण टॉपिक जैसे प्रधानमंत्री की नियुक्ति कौन करता है | प्रधानमंत्री की नियुक्ति की प्रक्रिया |प्रधानमंत्री का कार्यकाल | प्रधानमंत्री की शक्तियां एवं कार्य | प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के बीच संबंध इत्यादि को कवर किया। भारत देश का राष्ट्रपति औपचारिक या संवैधानिक शासक है परंतु प्रधानमंत्री को देश का वास्तविक शासक समझा जा सकता है, क्योंकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75 के अनुसार देश की वास्तविक कार्यपालिका की शक्तियां प्रधानमंत्री के पास है। भारतीय संविधान में प्रधानमंत्री की उपादेयता बहुआयामी एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। देश की एकता और अखंडता का सूत्रधार है। प्रधानमंत्री देश की राजनीतिक व्यवस्था की धुरी है। इसे देश का हृदय स्थल 'गुरुत्वाकर्षण का केंद्र' राजनीतिक शासक और सर्वोच्च शासक की संज्ञा दी जाती है। अतः प्रधानमंत्री को राष्ट्र का नेता अथवा नायक माना जा सकता है। प्रधानमंत्री की शक्तियां क्या है?यह निश्चित करता है कि किस मंत्री को कौन सा विभाग दिया जायेगा और वह उनको आवंटित विभाग में फेरबदल भी कर सकता है। वह मंत्री परिषद् की बैठक की अध्यक्षता भी करता है और अपनी मर्जी के हिसाब से निर्णय बदल भी सकता है। किसी मंत्री को त्यागपत्र देने या उसे बर्खास्त करने की सलाह राष्ट्रपति को दे सकता है।
भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य क्या है?विधायी शक्तियां
राष्ट्रपति को संसद सत्र आहूत, सत्रावसान करना एवं लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी रखता है। नए राज्यों के निर्माण राज्य की सीमा में परिवर्तन संबंधित विधेयक, धन विधेयक या संचित निधि से व्यय करने वाला विधेयक एवं राज्य हित से जुड़े विधेयक बिना राष्ट्रपति के पूर्व अनुमति के संसद में प्रस्तुत नहीं होते हैं।
प्रधानमंत्री का उद्देश्य क्या होता है?कई प्रणालियों में, प्रधान मंत्री कैबिनेट के अन्य सदस्यों का चयन करता है और बर्खास्त कर सकता है, और सरकार के भीतर सदस्यों को पद आवंटित करता है। अधिकांश प्रणालियों में, प्रधान मंत्री कैबिनेट के पीठासीन सदस्य और अध्यक्ष होते हैं।
प्रधानमंत्री से आप क्या समझते हैं?प्रधानमंत्री और सभी मंत्रियों के लिए संसद का सदस्य इस अध्याय में आप पहले पढ़ चुके हैं कि राष्ट्रपति केवल मंत्रिपरिषद् की सलाह पर ही अपनी शक्तियों का प्रयोग करता है। प्रधानमंत्री इस मंत्रिपरिषद् का प्रधान है। अतः मंत्रिपरिषद् के प्रधान के रूप में प्रधानमंत्री अपने देश की सरकार का सबसे महत्त्वपूर्ण पदाधिकारी हो जाता है।
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