पूस की रात: मुंशी प्रेमचंद की कहानीलेखक: मुंशी प्रेमचंद एक घंटा और गुजर गया. रात ने शीत को हवा से धधकाना शुरू किया. हल्कू उठ बैठा और दोनों घुटनों को छाती से मिलाकर सिर को उसमें छिपा लिया, फिर भी ठंड कम न हुई. ऐसा जान पड़ता था, सारा रक्त जम गया है, धमनियों में रक्त की जगह हिम बह रहा है. उसने झुककर आकाश की ओर देखा, अभी कितनी रात बाक़ी है! सप्तर्षि अभी आकाश में आधे भी नहीं चढ़े. ऊपर आ जाएंगे तब कहीं सबेरा होगा. अभी पहर से ऊपर रात है. Next Story पूस की रात कहानी के मुख्य पात्र कौन हैं?मुन्नी को उन पैसों से कंबल खरीदने थे ताकि “पूस की रात” में ठंड से बचा जा सके। पत्नी से तीखी बहस के बाद आखिर हल्कू सहना को पैसे दे देता है। नतीजतन, कंबल के अभाव में ठिठुरते हुए रात काटनी पड़ती है। हल्कू अपने खेत को नीलगायों से बचाने के लिए रातभर पहरेदारी करता है लेकिन पूस की उस रात खेतों को नहीं बचा पाता।
पुश की रात कहानी में कुत्ते का क्या नाम है?हल्कू थोड़ी देर तक चुप खड़ा रहा। और अपने दिल में सोचता रहा पूस सर पर आ गया है। बग़ैर कम्बल के खेत में रात को वो किसी तरह सो नहीं सकता। मगर शहना मानेगा नहीं, घुड़कियाँ देगा।
पूस की एक और रात कहानी के लेखक कौन है?पूस की रात (Poos Kee Raat) के लेखक/कहानीकार/रचयिता (Lekhak/Kahanikar/Rachayitha) "मुंशी प्रेमचंद" (Munshi Premchand) हैं।
पूस की रात कहानी में किसका चित्रण हुआ है?'पूस की रात' कहानी ग्रामीण जीवन से संबंधित है। इस कहानी का नायक हल्कू मामूली किसान है। उसके पास थोड़ी-सी जमीन है, जिस पर खेती करके वह गुजारा करता है लेकिन खेती से जो आय होती है, वह ऋण चुकाने में निकल जाती है। सर्दियों में कंबल खरीदने के लिए उसने मजूरी करके बड़ी मुश्किल से तीन रुपये इकट्ठे किये हैं।
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